मीडिया साक्षरता से रुकेगा फेक कंटेंट : प्रो. केजी सुरेश

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में फैक्टशाला का आयोजन, विद्यार्थियों ने सीखा फेक कंटेंट की पहचान करना

भोपाल, 21 अक्‍टूबर, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि मिस-इंफोर्मेशन और डिस-इंफोर्मेशन को रोकना कठिन अवश्य है, लेकिन इसे समाज की जागरूकता से रोका जा सकता है। मीडिया के छात्रों की यह सामाजिक जिम्मेदारी है कि वे गलत सूचनाओं के फैलाव को रोंके और समाज में सही जानकारी को प्रेषित करें। मीडिया विद्यार्थियों की यह भी जिम्मेदारी है कि वे स्वयं भी फेक कंटेंट को समझें और समाज को भी इसे पहचानना सिखाएं। विश्वविद्यालय के न्यू मीडिया तकनीकी विभाग की ओर से विद्यार्थियों को भ्रामक सूचनाओं की जाँच करने का प्रशिक्षण देने के लिए ‘फैक्टशाला’ का आयोजन किया गया। ‘फैक्टशाला’ सही समाचार एवं सूचना की पहचान के लिए इंटरन्यूज और डेटालीड्स का संयुक्त कार्यक्रम है, जो गूगल की पहल ‘गूगल न्यूज इनिशिएटिव’ द्वारा समर्थित है।

कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि सही सूचना के अभाव में मीडिया की विश्वसनीयता पर भी प्रश्न खड़ा होता है। पूरी दुनिया में एक ऐसी स्थिति बन गई है कि हमें समझ नहीं आ रहा है कि कौन-सा कंटेंट सही है और कौन-सा गलत? ऐसे में मीडिया साक्षरता की बहुत आवश्यकता है। कोरोना काल में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी चिंता जताई क्योंकि इस दौरान सोशल मीडिया के माध्यम से अनेक गलत सूचनाएं फैलीं। उन्होंने कहा कि हम नवागत विद्यार्थियों एवं पत्रकारों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में साक्ष्य आधारित रिपोर्टिंग का प्रशिक्षण देने की योजना पर कार्य कर रहे हैं। दरअसल, स्वास्थ्य से संबंधित समाचार सीधे तौर पर आम समाज के जीवन को प्रभावित करते हैं। इसलिए आवश्यक है कि स्वास्थ्य से संबंधित समाचार सही और तथ्यपूर्ण रूप में ही प्रकाशित हों।

 ‘फैक्टशाला’ में पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के 278 विद्यार्थियों ने आवेदन किए थे, जिनमें से 92 विद्यार्थियों को फेक कंटेंट की पहचान करने का प्रशिक्षण दिया गया। यह प्रशिक्षण न्यू मीडिया तकनीकी विभाग की अध्यक्ष प्रो. शशिकला ने दिया। ऑनलाइन कार्यशाला में उन्होंने विद्यार्थियों को समाचारों की पहचान करने का अभ्यास भी कराया। कार्यक्रम के अंत में कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने आभार व्यक्त किया। इस दो दिवसीय कार्यशाला में 22 अक्टूबर को विश्वविद्यालय की फैकल्टी को प्रशिक्षण दिया जाएगा।