स्वास्थ्य पत्रकारिता गंभीर विषय, सनसनी फैलाने से बचें : प्रो. केजी सुरेश

पत्रकारिता विश्वविद्यालय-यूनिसेफ का संयुक्त आयोजन, जनस्वास्थ्य और तथ्यपरक पत्रकारिता पर कार्यशाला

भोपाल, 13 जनवरी, 2021: स्वास्थ्य पत्रकारिता करते समय अनावश्यक सनसनी नहीं फैलाना चाहिए। पत्रकार को इस गंभीर विषय पर संतुलित रिपोर्टिंग करनी चाहिए। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय एवं यूनिसेफ द्वारा आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत जनस्वास्थ्य और तथ्यपरक पत्रकारिता पर आधारित कार्यशाला में ये विचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने व्यक्त किए। स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता को लेकर आयोजित द्वितीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में विषय विशेषज्ञ के रूप में वरिष्ठ पत्रकार श्री संजय देव, वरिष्ठ पत्रकार श्री संजय अभिज्ञान, यूनिसेफ के संचार विशेषज्ञ श्री अनिल गुलाटी ने इस विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि स्वास्थ्य संचार बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के पत्रकारिता पाठ्यक्रम में इस विषय को जल्द ही शामिल करने के प्रयास किए जाएंगे। प्रो. सुरेश ने स्वास्थ्य पत्रकारिता पर कहा कि इसमें विषय विशेषज्ञता का होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य पत्रकारिता चूंकि सीधे-सीधे जन स्वास्थ्य एवं जन सरोकार से जुड़ा विषय है, इसलिए इसमें लापरवाही नहीं बरती जा सकती। प्रो. सुरेश ने कहा कि स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता की जिम्मेदारी सिर्फ पत्रकार की ही नहीं बल्कि सरकार एवं एनजीओ की भी है। इसीलिए सभी को अपनी जिम्मेदारी को भलीभांति निभाना चाहिए ।

यूनिसेफ के संचार विशेषज्ञ श्री अनिल गुलाटी ने कहा कि साक्ष्य आधारित पत्रकारिता आज के समय में बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 में बिना डाटा के बहुत रिपोर्टिंग हुई है और बिना साक्ष्य के तथ्य सोशल मीडिया में भी पहुंचे हैं। उन्होंने साक्ष्य आधारित पत्रकारिता की बात करते हुए कोविड-19 वैक्सीन पर विश्लेषात्मक लेख लिखे जाने कि बात कही।

वरिष्ठ पत्रकार श्री संजय देव ने कहा कि स्वास्थ्य पत्रकारिता करते समय पत्रकार को पूर्वाग्रहों से बाहर निकलकर पत्रकारिता करना चाहिए। उन्होंने कहा चूंकि स्वास्थ्य पत्रकारिता मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा विषय है, इसलिए इसे समझने की जरूरत है। श्री देव ने कहा कि पत्रकारों को सजग रहते हुए रिपोर्टिंग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकार को पाठक के लिए काम की बात को आसान भाषा में पहुंचाना चाहिए।

वरिष्ठ पत्रकार श्री संजय अभिज्ञान ने कहा कि पत्रकारिता का उद्देश्य सच के लिए एवं जीवन के लिए लिखना है यदि ऐसा नहीं किया गया तो लोग अमृत को विष समझ लेंगे। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य पत्रकारिता करते समय पाठकों को संशय में नहीं रहने देना चाहिए। श्री अभिज्ञान ने कहा कि खबरों के मूल्यांकन का मानक तरीका सीएएस यानी जरूरी जांच परख है। इसका प्रयोग खबरों को लिखते समय पत्रकार को करना चाहिए। कार्यक्रम का समन्वय सहायक प्राध्यापक श्री लाल बहादुर ओझा ने किया। आभार प्रदर्शन मेंटर डॉ. मणिकंठन नायर द्वारा किया गया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. (डॉ.) अविनाश वाजपेयी, जनसंचार, प्रबंधन, न्यू मीडिया टैक्नोलॉजी विभाग के साथ ही खंडवा, नोएडा एवं रीवा परिसर के सभी शिक्षक, प्रोड्यूसर, ट्यूटर, प्रोडक्शन असिस्टेंट उपस्थित थे।