सामाजिक सहभागिता से हारेगी कोरोना महामारी : डॉ. आनंद पाण्डेय

मन को सकारात्मक रखकर करें सामना : डॉ. कार्तिक गुप्ता

एमसीयू द्वारा ऑनलाइन आयोजित ‘कोविड-19 जिज्ञासा और समाधान’ सत्र में विशेषज्ञों ने दी महत्वपूर्ण जानकारी

भोपाल, 12 मई, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ने नवाचारी पहल करते हुए विद्यार्थियों, कर्मचारियों एवं शिक्षकों के साथ समाज के अन्य लोगों के लिए कोविड-19 के संदर्भ में जिज्ञासा एवं समाधान पर ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया। कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें नित नये प्रश्न लोगों के सामने आ रहे हैं। हमने यह एक प्रयास शुरू किया है कि लोगों को उचित जानकारी उपलब्ध करा सकें। फेसबुक पर चैट बॉक्स में आ रहे प्र्रश्नों का उत्तर धर्मशीला सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, नईदिल्ली के हृदय विभाग के निदेशक डॉ. आनंद कुमार पाण्डेय और मनोचिकित्सक डॉ. कार्तिक गुप्ता ने दिया।

जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए डॉ. आनंद कुमार पाण्डेय ने कहा कि अब कोरोना महामारी केवल मेडिकल क्षेत्र की समस्या नहीं रह गई है, बल्कि यह सोशल क्राइसिस में परिवर्तित हो गई है। इसलिए कोविड महामारी को मेडिकल प्रयासों के साथ ही सामाजिक सहभागिता से ही हराया जा सकता है। डॉ. पाण्डेय स्वयं भी कोरोना संक्रमित रहे और लंबी लड़ाई के बाद उन्होंने बीमारी को हराया। अपना अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि कोविड ने सिखाया है कि हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए। खान-पान का ध्यान रखना चाहिए। कोविड महामारी में अन्य संसाधन काम नहीं आए, सिर्फ मानव संसाधन ही सहयोगी रहा। इसलिए ध्यान रखें कि सामाजिक संबंध हमारी सबसे बड़ी पूँजी है। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद और एलोपैथी की आपसी प्रतिस्पर्धा नहीं है। हमें इन्हें एक-दूसरे का पूरक समझना चाहिए।

अपना क्रम आने पर वैक्सीन अवश्य लगवाएं :

डॉ. पाण्डेय ने बताया कि हम सबको वैक्सीन लगवाना है। लेकिन वैक्सीन लगने के बाद भी हमें शारीरिक दूरी, मास्क पहनना एवं स्वच्छता के नियमों का हर हाल में कड़ाई से पालन करना है। उन्होंने बताया कि मैंने दोनों वैक्सीन ली लेकिन हम लगातार गंभीर संक्रमण के बीच काम कर रहे थे, इसके कारण मैं वैक्सीन के बाद भी संक्रमित हुआ। लेकिन वैक्सीन के कारण जल्दी ठीक हो गए। वैक्सीन को लेकर सोशल मीडिया में अनेक प्रकार के भ्रम फैलाए जा रहे हैं। यदि आपको किसी भी प्रकार का संशय है तो सोशल मीडिया के आधार पर अपना मन न बताएं, अपने चिकित्सक से परामर्श करें। उन्होंने बताया कि एक बार वैक्सीन लेने पर हम छह से नौ माह तक सुरक्षित हो जाते हैं। आगे हमें वैक्सीन की जरूरत होगी या नहीं, यह आने वाले समय में पता चलेगा।

ब्लैक फन्गस एवं थक्के बनने की समस्या सबके साथ नहीं :

डॉ. पाण्डेय ने बताया कि हमें कोविड संक्रमण को इग्नोर नहीं करना चाहिए। शरीर हमें संकेत देता है, उनको हमें सुनना चाहिए। समय पर संक्रमण की पहचान कर हम उसका ठीक से उपचार कर सकते हैं। ब्लैक फन्गस और खून के थक्के बनने की समस्या सबके साथ नहीं आती है। यह समस्या ज्यादातर उन लोगों में देखने को मिली है, जो पूर्व में अनेक प्रकार की बीमारी से ग्रसित रहे हैं और कोविड से गंभीर संक्रमित रहे हैं। इस समस्या पर नजर रखने के लिए हमें डी-डायमर सहित कुछ अन्य टेस्ट डॉक्टर के परामर्श पर कराना चाहिए।

डरना नहीं, जागरूक रहना है :

डॉ. पाण्डेय ने बताया कि अब यह बात सामने आ चुकी है कि यह संक्रमण हवा से भी फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मान लिया है। इसलिए सबसे जरूरी है कि हम जब भी घर से बाहर निकलें, मास्क लगाकर रखें। उन्होंने बताया कि बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए भी कोविड-१९ के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि डर और सावधानी में एक बारीक फर्क है। हमें डरना नहीं है लेकिन जागरूक और सावधान अवश्य रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि आंकड़ों को देखने का हमारा दृष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए। आज की स्थिति में भी भारत की स्थिति अन्य बड़े देशों के मुकाबले अच्छी है। भारत में मृत्यु दर जनसंख्या की दृष्टि से बाकी दुनिया की तुलना में बहुत कम है।

मन को सकारात्मक रखें :

ओविहैम्स मेडिकल सेंटर, नईदिल्ली के क्लीनिकल मनोचिकित्सक डॉ. कार्तिक गुप्ता ने बताया कि यह समय दोषारोपण का नहीं है। हमें दोषारोपण पर नहीं जाना चाहिए, बल्कि एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए। सोशल मीडिया एवं अन्य माध्यमों से कोविड संक्रमण के संबंध में अनेक समाचार आ रहे हैं, जिन सबकी जरूरत हमें नहीं है। कई बार यह समाचार अनेक लोगों के मन में भय उत्पन्न करते हैं। इसलिए लोगों को उतने ही समाचार देखने-सुनने चाहिए, जितनी आवश्यकता है। हमें सकारात्मक रहना चाहिए। मन को अच्छा लगे, उन गतिविधियों में शामिल रहना चाहिए। यह ध्यान रखें कि इस बीमारी से ठीक होने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक है। इसलिए मन में सकारात्मक विचार रखें। मन सकारात्मक रहेगा, तो हम इस बीमारी को जल्द हरा सकेंगे।

‘कोविड-19 : जिज्ञासा एवं समाधान’ पर आयोजित इस ऑनलाइन सत्र का संचालन वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक लालबहादुर ओझा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रभावी कुलसचिव प्रो. पवित्र श्रीवास्तव ने दिया।