राम कुशल संचारक, प्रबंधक एवं रणनीतिकार : कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश

भारत में ही नहीं पूरे विश्व में राम हैं : जे. नंदकुमार

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय ‘रामाख्यान’ प्रारंभ

भोपाल, 23 जनवरी, 2024: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के माखनपुरम परिसर बिशनखेड़ी में विश्वविद्यालय द्वारा नवगठित भरतमुनि शोधपीठ के तत्वाधान में तीन दिवसीय ‘रामाख्यान’ का शुभारंभ हुआ। मुख्य वक्ता के रुप में प्रथम दिवस प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक श्री जे. नंदकुमार ने “राम: राष्ट्रीय स्वत्व के प्रतीक” विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। व्याख्यान की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) के.जी. सुरेश ने की। व्याख्यान में डॉ. वंदना मिश्र की पुस्तक “सीय राममय सब जग जानी” का विमोचन भी किया गया।

न्यू मीडिया टेक्नोलॉजी विभाग के स्वामी विवेकानंद सभागार में आयोजित व्याख्यान में व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि राम कुशल संचारक, प्रबंधक एवं रणनीतिकार थे। अयोध्या की प्राण-प्रतिष्ठा पर उन्होंने कहा कि यह सांस्कृतिक पुनरुत्थान की शुरुआत है, गंतव्य नहीं है। प्रो. सुरेश ने  कहा कि भारत को हमें विकसित राष्ट्र बनाना है। उन्होंने कहा कि ये समय आत्मचिंतन एवं आत्मावलोकन है।

मुख्य वक्ता श्री जे. नंदकुमार ने आयोध्या में भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा पर कहा कि यह उषाकाल है और बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। उन्होंने कहा कि भारत में ही नहीं पूरे विश्व में राम हैं। श्री नंदकुमार ने कहा कि राम, कृष्ण, शिव भारत के प्रतीक हैं। राम आंदोलन एवं संघर्ष के बारे में उन्होंने कहा कि यह कष्ट देने वाला अनंत संघर्ष था। उन्होंने कहा कि कल अयोध्या में उपनिवेशिकता से हम मुक्त हुए हैं। श्री नंदकुमार कहा कि मुगलकाल से हमें बहुत नुकसान हुआ, अंग्रेजों ने भी हमें नुकसान पहुंचाया। मौलिक अधिकारों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि राम ने स्वयं कर्तव्य करके बताया था। श्री नंदकुमार ने स्वधीनता एवं स्वतंत्रता में अंतर भी बताया, तो वहीं भारत एवं इंडिया में भी भेद  बताया। महात्मा गांधी से लेकर अरविंदो, सर्वपल्ली राधाकृष्णन तक ने क्या-क्या कहा, उन्होंने अपने वक्तव्य में बताया।

व्याख्यान का संचालन एवं संयोजन प्रो. गिरीश उपाध्याय ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन कुलसचिव डॉ. अविनाश वाजपेयी ने किया। व्याख्यान में विवि. के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।