सिर पर मैला ढ़ोने की कुप्रथा को रोकने में मीडिया का अहम योगदान : आसिफ शेख

सिर पर मैला ढ़ोने की कुप्रथा को रोकने  में मीडिया का अहम योगदान : आसिफ शेख

एमसीयू में सामाजिक कुरीति को रोकने के लिए हुआ विशेष व्याख्यान

भोपाल, 3 अक्टूबर 2019:  सिर पर मैला ढ़ोने की कुप्रथा के खिलाफ लम्बे समय से जनआंदोलन कर रहे गरिमा अभियान के राष्ट्रीय संयोजक आसिफ शेख ने कहा है कि भारत के कई राज्यों में यह कुप्रथा आज भी विद्यमान है तथा इस कार्य में संलग्न लोगों की असमय मृत्यु भी चिंताकारक है। इस कुप्रथा को समूल नष्ट करने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ जनभागीदारी भी आवश्यक है मीडिया इसमें अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

श्री आशिफ शेख आज यहां माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्‍वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग द्वारा इस समाजिक कुरीति पर आयोजित विशेष व्याख्यान में पत्रकारिता के विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत में 1955 में शुष्क शौचालय अधिनियम बनाया गया जिसमें 6 साल की सजा का प्रावधान किया गया था। समय-समय पर अन्य सरकारों ने भी कानून बनाये, परंतु सिर पर मैला ढ़ोने की कुप्रथा को आज तक समाप्त नहीं किया जा सका है। देश में लगभग 10 लाख लोग आज भी मैला उठाने का कार्य कर रहे हैं जिसमें से तीन-चार हजार लोगों की हर वर्ष मृत्यु हो जाती है। इस कार्य में 95 प्रतिशत महिलायें कार्य कर रही हैं। यह एक चिंता का विषय है। श्री आसिफ शेख ने इस सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए मीडिया की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि पत्रकारिता के विद्यार्थी जब किसी चैनल या समाचार-पत्र में कार्य करें, तो इस सामाजिक कुरीति को मिटाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्‍वविद्यालय के कुलाधिसचिव डॉ. श्रीकांत सिंह ने कहा कि सरकार के प्रयास समय पर क्रियान्वित नहीं हो रहे हैं। इसमें जनचेतना का अभाव दिखाई देता है। वरिष्ठ पत्रकार श्री ललित शास्त्री ने इस कुरीति के खिलाफ अपने परिवार से शुरुआत करने का आव्हान किया। पत्रकारिता विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. राखी तिवारी ने कहा कि महात्मा गांधी ने स्वच्छता, सामाजिक समरसता और सादगी पर हमेशा बल दिया है। उनका जीवन सामाजिक कुरीतियों को मिटाने की एक मिशाल है, हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए समाज में योगदान देना चाहिए। उन्होंने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. रामदीन त्यागी ने किया एवं संचालन पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थी सौरभ कुमार द्वारा किया गया। समारोह में जनसंपर्क विभाग, प्रबंधन विभाग एवं पत्रकारिता विभाग के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस मौके पर पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थियों द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की प्रतिमायें विभाग को भेंट की गईं।

सिर पर मैला ढ़ोने की कुप्रथा को रोकने  में मीडिया का अहम योगदान : आसिफ शेख एमसीयू में सामाजिक कुरीति को रोकने के लिए हुआ विशेष व्याख्यान भोपाल, 3 अक्टूबर 2019:  सिर पर मैला ढ़ोने की कुप्रथा के खिलाफ लम्बे समय से जनआंदोलन कर रहे गरिमा अभियान के राष्ट्रीय संयोजक आसिफ शेख ने कहा है…

शिक्षा कुछ लोगों के लिए नहीं, सभी के लिए होना चाहिए- प्रो. प्रसाद

शिक्षा कुछ लोगों के लिए नहीं, सभी के लिए होना चाहिए- प्रो. प्रसाद

एमसीयू में “गांधीयन न्यू एजुकेशन” पर हुई कार्यशाला

भोपाल, मंगलवार दिनांक 01 अक्‍टूबर, 2019: गांधी का नशा ऐसा नशा यदि चढ़ गया तो फिर उतरेगा नहीं, ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी हैं महात्मा गांधी। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में “गांधीयन न्यू एजुकेशन” (Gandhian New Education) विषय पर आयोजित कार्यशाला में ये विचार एनआईटीआईई मुंबई के प्रो. प्रसाद (डॉ.मंडी) ने व्यक्त किए। प्रबंधन विभाग द्वारा आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला में कुलाधिसचिव प्रो. श्रीकांत सिंह, डीन अकादमिक प्रो. पवित्र श्रीवास्तव, प्रबंधन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अविनाश वाजपेयी विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या उपस्थित थे।

मुख्य सभागार में आयोजित वर्कशॉप में प्रो. प्रसाद ने शिक्षा एवं महात्मा गांधी को आपस में जोड़ते हुए कहा कि शिक्षा कुछ लोगों के लिए नहीं, बल्कि सभी लोगों के लिए होना चाहिए। प्रो. प्रसाद ने शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि सहीं पढ़ाई के साथ ही आज सच्ची पढ़ाई भी बहुत जरुरी हो गई है। गांधी को बहुत आसान बताते हुए उन्होंने विद्यार्थियों से गांधी को पढ़ने, समझने एवं उनकी सीख को जीवन में उतारने की बात कही । उन्होंने शराब का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि मां-बाप शराब पीते हैं तो इसका नकारात्मक प्रभाव बच्चे पर भी होगा और ऐसी शिक्षा किसी भी बच्चे के लिए बेकार है। प्रो. प्रसाद ने गांधी जी की शिक्षा आज के दौर में क्यों महत्वपूर्ण है, इसे सभी विद्यार्थियों को बताया।

कुलाधिसचिव प्रो. श्रीकांत सिंह ने कहा कि गांधी जी का व्यक्तित्व बहुआयामी था । उनके व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों से विद्यार्थी परिचित हो सकें, इसलिए इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कुलाधिसचिव ने कहा कि गांधी जी कि शिक्षानीति, बुनियादी शिक्षा नीति थी। प्रो. सिंह ने कहा कि गांधी जी कहा करते थे कि धर्मग्रंथों पर आधारित शिक्षा नहीं होनी चाहिए, बल्कि नैतिक शिक्षा होनी चाहिए। कुलाधिसचिव ने नैतिक शिक्षा पर जोर देते हुए कि कहा कि नैतिक शिक्षा से ही चरित्र का निर्माण होता है।

शिक्षा कुछ लोगों के लिए नहीं, सभी के लिए होना चाहिए- प्रो. प्रसाद एमसीयू में “गांधीयन न्यू एजुकेशन” पर हुई कार्यशाला भोपाल, मंगलवार दिनांक 01 अक्‍टूबर, 2019: गांधी का नशा ऐसा नशा यदि चढ़ गया तो फिर उतरेगा नहीं, ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी हैं महात्मा गांधी। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में…