आरटीआई सवाल पूछने के लिए नहीं जानकारी लेने के लिए हैः श्यामलाल

आरटीआई सवाल पूछने के लिए नहीं जानकारी लेने के लिए हैः श्यामलाल

वसंत साहित्य उत्सव में विद्यार्थियों ने भी की भागीदारी, पूछे प्रश्न

भोपाल, 29 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित `वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) के पहले दिन राजनीति, पत्रकारिता, साहित्य और विविध विषयों से जुड़ी पुस्तकों पर रोचक और आकर्षक चर्चा हुई। लेखकों ने सुरुचिपूर्ण तरीके से पुस्तक पर विचार रखे। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने भी चर्चा में उत्साहपूर्वक भाग लिया। पत्रकारिता विषय पर केंद्रित सत्र में वरिष्ठ पत्रकार श्यामलाल यादव ने अपनी किताब ‘जर्नलिस्ट थ्रू आरटीआई’ इनफार्मेशन इन्वेस्टीगेशन इम्पेक्ट’ ने कहा कि यह किताब सूचना के अधिकार पर केंद्रित है, जिसमें उनके द्वारा आरटीआई से प्राप्त जानकारी के आधार पर खबरें बनाई गई है। आरटीआई प्रश्न पूछने के लिए नहीं है बल्कि जानकारी निकालने के लिए है।

सुश्री प्रियंका दुबे की पत्रकारिता ‘नो नेशन फॉर वुमेन’,पर राकेश दीक्षित ने कहा कि दुष्कर्म पीड़ितों से संबंधित पुस्तक समाज को झकझोरती है। मनोज द्विवेदी ने ‘जनसंपर्क :बदलते आयाम’ पुस्तक पर कहा कि नई तकनीकी का जनसंपर्क में किस तरह से उपयोग किया जाता है, यह किताब इस बात को स्पष्ट करती है। डॉ. संजीव गुप्ता ने ‘पर्यटन लेखन’ पुस्तक पर कहा कि किस तरह से प्रभावी लेखन किया जाए इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देती है। उन्होंने कहा कि पर्यटन में रोजगार के अवसर भी हैं। सचिन कुमार जैन ने संविधान पर ‘भारतीय संविधान की विकास गाथा’, पुस्तक पर कहा कि यह किताब संविधान मूल्यों पर केंद्रित है। वरिष्ठ पत्रकार राजेश सिरोठिया ने अपनी पुस्तक ‘खबर नवीसी आपबीती आंखों-देखी’ पर कहा कि यह उनके अनुभव को बांटती है, ताकि आने वाली पीढ़ी पत्रकारिता के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके। विजय मनोहर तिवारी ने यात्रा वृतांत ‘भारत की खोज में मेरे पांच साल’ को लेकर कहा कि यह पुस्तक उन घटनाओं पर केंद्रित है जो पहले कभी मीडिया में कवर नहीं की गई थी।

साहित्य पर केंद्रित समानांतर सत्र में पुष्यमित्र के उपन्यास ‘जब नील का दाग मिटाः  चम्पारण 1917’पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि गुलामी के दौर में लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया तो आज अपनों के खिलाफ तो जरूर करना चाहिए। व्यंग्यकार सतीश एलिया ने अपनी किताब `अन्नम् ब्रह्मा’ पर कहा कि लेखन आजीविका, पैसे और शोहरत के लिए नहीं संतुष्टि के लिए करना चाहिए।

आशुतोष नाडकर ने अपनी पुस्तक शकुनी पासों का महारथी के बारे में बताया कि यह उपन्यास शकुनी को एक किरदार के रूप में प्रस्तुत करती है। खलनायक होने के बावजूद उनमें कुछ अच्छे गुण थे। वरुण सखाजी श्रीवास्तव ने अपनी व्यंग्य कृति परलोक में सेटेलाइट पर चर्चा के दौरान कहा कि खुरदरी जमीन पर ही पत्रकार पैदा होते हैं।

सुदर्शन व्यास ने अपने काव्य संग्रह `रिश्तों की बूंदें’ पर चर्चा करते हुए कहा कि जन्म से लेकर मृत्यु तक व्यक्ति किसी न किसी तरह के प्रेम का अनुभव करता है। विविध विषयों की पुस्तकों के समांतर सत्र में आदित्य श्रीवास्तव ने अपनी किताब `तुम ही मैं हूं’ पर चर्चा में कहा कि कविता अपनी मर्जी से उपजती है, आप लाख कोशिश कर लें वह खुद पैदा नहीं होती। अंकुर जैन ने `ये हौंसला कैसे झुके’ के बारे में बताया कि जिंदगी का महत्व हम तभी जान पाते हैं जब हम संघर्ष करते हैं। डा विष्णु राजगढ़िया ने `पुस्तक सूचना का अधिकार व्यावहारिक मार्गदर्शिका’ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक आम नागरिक अपने लिए आरटीआई का उपयोग करता है लेकिन एक पत्रकार समाज और लोकतंत्र की मजबूती के लिए आरटीआई का प्रयोग करता है। अभिषेक खरे ने `कैरियर समाधान’ के बारे में बताया कि नौकरी रुचि की होनी चाहिए नहीं तो वह एक बोझ बन जाती है।

राजनीतिक पुस्तकों पर आधारित समांतर सत्र में ब्रजेश राजपूत ने कहा कि अधिकतर चुनाव नकारात्मक होते हैं क्योंकि हम किसी को हराते नहीं हटाते हैं। `चुनाव है बदलाव का’ शीर्षक से प्रकाशित उनकी किताब एक हजार से ज्यादा बिक चुकी हैं। कृष्णकांत शुक्ला ने अपनी किताब `वचनबद्ध मध्यप्रदेश’ पर चर्चा में कहा कि आने वाले समय में डिजिटल मीडिया  का भी एक पाठ्यक्रम होगा।

आरटीआई सवाल पूछने के लिए नहीं जानकारी लेने के लिए हैः श्यामलाल वसंत साहित्य उत्सव में विद्यार्थियों ने भी की भागीदारी, पूछे प्रश्न भोपाल, 29 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित `वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) के पहले दिन राजनीति, पत्रकारिता, साहित्य और विविध विषयों से जुड़ी पुस्तकों पर रोचक और…

लेखन के लिए कोई एक सांचा नहीं – मधुकर उपाध्याय

लेखन के लिए कोई एक सांचा नहीं – मधुकर उपाध्याय

एमसीयू में वसंत साहित्य उत्सव का शुभारंभ

पूर्व विद्यार्थियों, लेखकों का समागम

महात्मा गांधी के जीवन, संदेशों पर केंद्रित पोस्टर प्रदर्शनी का हुआ शुभारंभ

भोपाल, 29 जनवरी, 2020: लेखन का कोई एक सिद्धांत नहीं होता, फार्मूला या सांचा नहीं हो सकता, कोई एक वैचारिकता नहीं हो सकती है, जो यह स्पष्ट कर दे कि लेखन अच्छा है या बुरा । अच्छा लेखक वही है जो सह्दय है और साधारण तरीके से अपनी बात लोगों से कहता है । यह विचार वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार और लेखक मधुकर उपाध्याय ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित वसंत साहित्य उत्सव (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए । भरत मुनि के नाट्यशास्त्र, तुलसीदास और महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए उन्होंने समानधर्मा, सह्दय, साधारणीकरण की अवधारणा को संचार के सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और द इंडियन एक्सप्रेस के वरिष्ठ संपादक श्यामलाल यादव ने कहा कि पुस्तक लिखना चुनौतीपूर्ण कार्य है। लेखन में गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाना चाहिए, ऐसा न हो कि हम बायोडाटा में उल्लेख करने के लिए किताबें लिखें। उन्होंने कहा कि चार की बजाय एक पुस्तक लिखें, लेकिन ऐसी लिखें जिसे हम गर्व से अपनी कह सकें।

विशिष्ट अतिथि और मध्यप्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने पत्रकारिता के विद्यार्थियों से कहा कि विश्वविद्यालय की डिग्री सिर्फ गेटपास का काम कर सकती है, लेकिन आपकी खबर आपकी नौकरी सुरक्षित रखेगी, इसलिए आप खूब लिखने और पढ़ने की आदत बनाएं। पत्रकार अपनी डेली डायरी को संभालकर रखें। श्री तिवारी ने पांच सालों में आठ बार भारत का भ्रमण किया । इस दौरान उन्होंने जो डायरी में लिखा वही ‘भारत की खोज में मेरे पांच साल’ किताब का आधार बना।

उद्घघाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति दीपक तिवारी ने वसंत साहित्य उत्सव के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय साहित्य उत्सव के रूप में वसंत पंचमी मना रहा है और इसमें पूर्व विद्यार्थियों की कृतियों पर चर्चा की जा रही है, यह उनके लेखन का सम्मान है। पत्रकारिता को सीमाओं से परे बताते हुए कुलपति श्री तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता का काम सवाल करना, सूचनाओं को जन-जन तक पहुंचाना, भ्रांतियां दूर करना,फेक न्यूज पर रोक लगाना और वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को जगाना है । उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के 30 साल पूरे होने पर इस वर्ष को उत्कृष्टता वर्ष के रूप में मना रहा है। विश्वविद्यालय की उत्कृष्टता में सभी की भागीदारी होगी, इसमें पूर्व विद्यार्थियों का भी सहयोग लिया जाएगा। इससे पूर्व वसंत साहित्य उत्सव का प्रारंभ वसंत राग की प्रस्तुति से हुआ। इसे रेडियो की जानीमानी कलाकार सुलेखा भट्ट और उनके साथियों ने मंत्रमुग्ध कर देने वाली शैली में प्रस्तुत किया।

महात्मा गांधी के जीवन और संदेशों पर आधारित पोस्टर प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र रही : इस मौके पर विश्वविद्यालय परिसर के राधेश्याम शर्मा विमर्श सदन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन संबंधी 115 पोस्टरों की प्रदर्शनी का शुभारंभ अतिथियों ने किया। पोस्टरों में गांधी जी के जीवन दर्शन को छायाचित्रों और टिप्पणियों के माध्यम से दर्शाया गया है।

लेखन के लिए कोई एक सांचा नहीं – मधुकर उपाध्याय एमसीयू में वसंत साहित्य उत्सव का शुभारंभ पूर्व विद्यार्थियों, लेखकों का समागम महात्मा गांधी के जीवन, संदेशों पर केंद्रित पोस्टर प्रदर्शनी का हुआ शुभारंभ भोपाल, 29 जनवरी, 2020: लेखन का कोई एक सिद्धांत नहीं होता, फार्मूला या सांचा नहीं हो सकता, कोई एक वैचारिकता नहीं…