एमसीयू में 29 एवं 30 जनवरी को वसंत साहित्य उत्सव

एमसीयू में 29 एवं 30 जनवरी को वसंत साहित्य उत्सव

भोपाल, 25 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय प्रख्यात लेखकों, पत्रकारों, पूर्व एवं वर्तमान विद्यार्थियों द्वारा लिखित पुस्तकों पर केंद्रित‘वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) का आयोजन करने जा रहा है। यह आयोजन 29 एवं 30 जनवरी को विश्वविद्यालय के भोपाल स्थित परिसर में होगा, जिसमें देश के प्रख्यात पत्रकारों के साथ ही विश्वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थी भागादारी करेंगे। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक श्री मधुकर उपाध्याय  होंगे। द हिन्दू के पूर्व संपादक एवं द वायर के मुख्य संपादक श्री सिद्धार्थ वरदराजन् समापन सत्र के मुख्य अतिथि होंगे। दोनों सत्रों की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति श्री दीपक तिवारी करेंगे।

            साहित्य उत्सव में विभिन्न विषयों की पुस्तकों पर चार समान्तर सत्र आयोजित किए जाएंगे। इन सत्रों में पत्रकारिता, साहित्य, राजनीति एवं विविध समसामयिक विषयों की पुस्तकों पर चर्चा की जाएगी। वसंत साहित्य उत्सव का शुभारंभ सुबह 10:30 बजे होगा। पहले दिन पांच अलग-अलग सत्र आयोजित होंगे। दूसरे दिन समापन सत्र के अतिरिक्त तीन अलग-अलग सत्रों में पुस्तकों पर चर्चा होगी। इस साहित्य उत्सव में भाग लेने के इच्छुक लेखक विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.mcu.ac.in पर जाकर नि:शुल्क ऑनलाइन पंजीयन करा सकते हैं। साहित्य उत्सव में विभिन्न विषयों की 30 से अधिक पुस्तकों पर चर्चा होगी। विश्वविद्यालय अपने 30वें वर्ष को उत्कृष्टता वर्ष के रुप में मना रहा है, इसी क्रम में यह साहित्य उत्सव हो रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व विद्यार्थियों की रचनात्मक उपलब्धियों को प्रोत्साहित करने के लिए पहली बार यह एकाग्र आयोजन किया जा रहा है।

एमसीयू में 29 एवं 30 जनवरी को वसंत साहित्य उत्सव भोपाल, 25 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय प्रख्यात लेखकों, पत्रकारों, पूर्व एवं वर्तमान विद्यार्थियों द्वारा लिखित पुस्तकों पर केंद्रित‘वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) का आयोजन करने जा रहा है। यह आयोजन 29 एवं 30 जनवरी को विश्वविद्यालय के भोपाल स्थित…

राधेश्याम शर्मा ने जो बीज बोया, आज वह वटवृक्ष है

राधेश्याम शर्मा ने जो बीज बोया, आज वह वटवृक्ष है

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पहले कुलपति (महानिदेशक) डॉ. राधेश्याम शर्मा को किया गया याद

भोपाल, 14 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की यात्रा को 30 वर्ष होने को हैं। विश्वविद्यालय की यह यात्रा उत्कृष्टता की ओर है। आज विश्वविद्यालय ने जो प्रगति की है, वह जिस वटवृक्ष के रूप में हमें दिखाई पड़ रहा है, उसका बीज स्वर्गीय राधेश्याम शर्मा जैसे मूर्धन्य पत्रकार ने बोया था। वे विश्वविद्यालय के संस्थापक महानिदेशक रहे हैं। वह जिस समन्वय की दृष्टि को लेकर चले थे, विश्वविद्यालय उसी सोच पर आगे बढ़ रहा है। यह विचार विश्वविद्यालय के कुलपति श्री दीपक तिवारी ने ‘स्मरण डॉ. राधेश्याम शर्मा’ कार्यक्रम में व्यक्त किए। डॉ. शर्मा के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने और उनका पुण्य स्मरण करने के लिए विश्वविद्यालय परिवार एवं सप्रे संग्रहालय की ओर से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति श्री तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय की संकल्पना के अनुरूप हम सब विचारधाराओं को साथ लेकर चल रहे हैं। विश्वविद्यालय लगातार उत्कृष्टता के लिए प्रयासरत है। विश्वविद्यालय का जोर अब गुणवत्तापूर्ण शोधकार्य पर है। हम प्रयास करेंगे कि स्वर्गीय राधेश्याम शर्मा की पत्रकारिता पर भी शोध कार्य हो।

विश्वविद्यालय की आत्मा थे डॉ. शर्मा:

डॉ. शर्मा को याद करते हुए वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय का ढांचा श्री अरविन्द चतुर्वेदी ने खड़ा किया, लेकिन उसकी आत्मा राधेश्याम शर्मा बने। विश्वविद्यालय को विस्तार देने में वह सबको साथ लेकर चले। वह इस विश्वविद्यालय को भारतीय भाषाओं की पत्रकारिता का तीर्थ बनाना चाहते थे। सप्रे संग्रहालय के संस्थापक श्री विजयदत्त श्रीधर ने अपने संबोधन में कहा कि स्वर्गीय शर्मा निर्मल स्वभाव के थे। वह सदैव सबकी फिक्र करते थे। सब पत्रकारों को जोड़ कर रखने का प्रयास करते थे। वह लोगों को किसी चौ-खाने में रखकर नहीं देखते थे।

मूर्धन्य एवं सच्चे पत्रकार:      

स्वर्गीय शर्मा की पत्रकारिता का स्मरण करते हुए वरिष्ठ पत्रकार श्री लज्जाशंकर हरदेनिया ने बताया कि किस प्रकार एक सच्चे पत्रकार को अपनी विचारधारा और अपने प्रोफेशन को अलग-अलग रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि राधेश्याम शर्मा जी की सबसे बड़ी विशेषता थी कि वह खबर को सूंघने की क्षमता रखते थे। उन्होंने विभिन्न समाचार-पत्रों को नई पहचान दी। विश्वविद्यालय के पूर्व रेक्टर श्री ओपी दुबे ने कहा कि स्वर्गीय शर्मा केवल मूर्धन्य पत्रकार ही नहीं थे, बल्कि वे बहुत अच्छे इंसान भी थे। उनमें अहंकार बिल्कुल भी नहीं था।

संस्था की चिंता करने वाले प्रशासक:

विश्वविद्यालय की पूर्व प्राध्यापिका दविंदर कौर उप्पल ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह सबको स्नेह देते थे। उनका व्यक्तित्व बहुत सहज था। वे छोटे से कर्मचारी को भी भरपूर सम्मान देते थे। उन्होंने महानिदेशक रहते हुए अपने व्यवहार से बताया कि संस्था प्रमुख को अपनी जिद नहीं पालनी चाहिए। अच्छा संस्था प्रमुख वही है जो अपनी जिद छोड़कर संस्था के विकास की चिंता करे। वरिष्ठ पत्रकार श्री चंद्रकांत नायडू ने कहा कि विचारधारा को लेकर राधेश्याम जी कभी कर्कश नहीं रहे। आज उनके जैसे लोगों की कमी है। वे ऐसे व्यक्तित्व थे कि उनके साथ बैठ लिए तो लगता था कि जैसे एकाध किताब पढ़ ली हो। स्वर्गीय शर्मा जी के निकट सम्बन्धी श्री हर्ष शर्मा ने भी उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और उनके साथ अपने निजी अनुभव साझा किए। कार्यक्रम का संचालन प्रो. संजय द्विवेदी ने किया। आभार व्यक्त सहायक कुलसचिव श्री विवेक सावरीकर ने किया। इस अवसर पर नगर के प्रबुद्ध नागरिक, पत्रकार एवं विश्वविद्यालय के कर्मचारी, अधिकारी एवं शिक्षकगण उपस्थित रहे।

राधेश्याम शर्मा ने जो बीज बोया, आज वह वटवृक्ष है पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पहले कुलपति (महानिदेशक) डॉ. राधेश्याम शर्मा को किया गया याद भोपाल, 14 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की यात्रा को 30 वर्ष होने को हैं। विश्वविद्यालय की यह यात्रा उत्कृष्टता की ओर है। आज विश्वविद्यालय ने जो प्रगति…

डॉ. राधेश्याम शर्मा की स्मृति में कार्यक्रम आज

डॉ. राधेश्याम शर्मा की स्मृति में कार्यक्रम आज

पत्रकारिता विश्वविद्यालय एवं सप्रे संग्रहालय का संयुक्त आयोजन

भोपाल, 06 जनवरी 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में 14 जनवरी, मंगलवार को सुबह 11 बजे वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादक डॉ. राधेश्याम शर्मा की स्मृति में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। डॉ. शर्मा विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति (महानिदेशक) थे। हाल ही में उनका निधन हुआ है। कार्यक्रम ‘स्मरण डॉ. राधेश्याम शर्मा’ में पूर्व कुलपति श्री अरविंद चतुर्वेदी, सप्रे संग्रहालय के संस्थापक श्री विजयदत्त श्रीधर, वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेन्द्र शर्मा, श्री लज्जाशंकर हरदेनिया, श्री चंद्रकांत नायडू, प्रो. दविंदर कौर उप्पल और श्री हर्ष शर्मा के वक्तव्य होंगे। वे डॉ. शर्मा के साथ हुए अपने अनुभव साझा करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति श्री दीपक तिवारी करेंगे। यह कार्यक्रम पत्रकारिता विश्वविद्यालय और माधवराव सप्रे स्मृति समाचार संग्रहालय एवं शोध संस्थान का संयुक्त आयोजन है।

            उल्लेखनीय है कि 28 दिसंबर, 2019 को पंचकूला, हरियाणा में डॉ. राधेश्याम शर्मा का निधन हुआ। वे 1990 में भोपाल में स्थापित हुए माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पहले महानिदेशक (कुलपति) नियुक्त किए गए थे। वे लंबे समय तक सक्रिय पत्रकार एवं संपादक के रूप में भी पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं। अपने विद्यार्थी जीवन में काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी में पढ़ते हुए ही वे पत्रकारिता से जुड़ गए थे। 1956 में उन्होंने पूरी तरह अपने आपको पत्रकारीय कर्म में समर्पित कर दिया। तब से लेकर आजतक मध्यप्रदेश से लेकर पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली की पत्रकारिता में उन्होंने अपने उजले पदचिन्ह छोड़े। एक नगर प्रतिनिधि से काम प्रारंभ कर वे विशेष संवाददाता और फिर दैनिक ट्रिब्यून, चंडीगढ़ जैसे महत्तवपूर्ण समाचार-पत्र के संपादक बने। बाद में, उन्होंने हरियाणा साहित्य अकादमी के निदेशक की जिम्मेदारी भी संभाली।

डॉ. राधेश्याम शर्मा की स्मृति में कार्यक्रम आज पत्रकारिता विश्वविद्यालय एवं सप्रे संग्रहालय का संयुक्त आयोजन भोपाल, 06 जनवरी 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में 14 जनवरी, मंगलवार को सुबह 11 बजे वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादक डॉ. राधेश्याम शर्मा की स्मृति में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। डॉ. शर्मा विश्वविद्यालय के…

मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी पर विशेष पोस्टर श्रृंखला एवं कैलेंडर का विमोचन किया

मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी पर विशेष पोस्टर श्रृंखला एवं कैलेंडर का विमोचन किया

भोपाल, 10 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ने महात्मा गांधी पर विशेष पोस्टर श्रृंखला का प्रकाशन किया है। इसका विमोचन 10 जनवरी को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने किया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति दीपक तिवारी भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री जी ने विश्वविद्यालय द्वारा पोस्टर एवं केलेंडर प्रकाशन की पहल की सराहना करते हुए कहा कि  महात्मा गांधी जी पर प्रकाशित पोस्टर का प्रदर्शन वल्लभ भवन में भी किया जाएगा।

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर इस विशेष पोस्टर श्रृंखला का प्रकाशन किया गया है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन की पृष्ठभूमि पर आधारित वार्षिक कैलेंडर का भी प्रकाशन किया है। इसका विमोचन भी आज मुख्यमंत्री जी द्वारा दोपहर वल्लभ भवन में किया गया।

इस कैलेंडर में राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख प्रसंगों तथा ऐतिहासिक पड़ाव पर आधारित तस्वीरों का प्रकाशन किया गया है। महात्मा गांधी पर विशेष पोस्टर श्रृंखला में बापू के जीवन और संघर्षों से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंगों को शामिल किया गया है। इसके अलावा महात्मा गांधी के आदर्शों की प्रस्तुति भी इन पोस्टरों में की गई है।

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा जारी सूचना के अनुसार 116 पोस्टरों और वार्षिक कैलेंडर के प्रकाशन का उद्देश्य नई पीढ़ी को राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन को बेहतर समझ प्रदान करना है। विमोचन के मौके पर विश्वविद्यालय के  कुलाधिसचिव डॉ. श्रीकांत सिंह, कुसचिव श्री दीपेन्द्र सिंह बघेल, डीन  अकादमिक डॉ पवित्र श्रीवास्तव एवं  निदेशक (प्रशिक्षण) डॉ अनुराग सीठा भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी पर विशेष पोस्टर श्रृंखला एवं कैलेंडर का विमोचन किया भोपाल, 10 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ने महात्मा गांधी पर विशेष पोस्टर श्रृंखला का प्रकाशन किया है। इसका विमोचन 10 जनवरी को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने किया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति दीपक तिवारी भी उपस्थित थे।…

Democracy cannot survive without Freedom of Press-David J.Ranz. V

Democracy cannot survive without Freedom of Press-David J.Ranz. V

An Interactive session of the U.S. Consulate General with Media Students.

Bhopal, 10 January, 2020: David J.Ranz, Consul General, U.S. Consulate General, Mumbai  visited Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication, Bhopal for an interactive session with the students. He commenced  his talk with the famous quote of Third U.S. President Thomas Jefferson in which he had  stated “If I had to choose between government without newspapers ,and newspapers without government,  I wouldn’t hesitate to choose the latter.” Ranz also asserted that journalism is a profession of courage and commitment and no democracy can flourish without the  free press.

‘In his speech Mr David J. Ranz asserted that journalism is a profession of courage and commitment and no democracy is possible without freedom of press as freedom of press lays foundation to nation’s core values. Talking about Indo-US relations, he said that Respect for sovereignty, transparency, and trade, values are the corner stone of this relationship. These geo-strategic partners have a lot in common in terms of cultural values and mutual interests for heading north in growth and development. He also spoke about the strong role played by Indian Americans in every sector of US society and there critical role in bringing the two nations closer. He also spoke about the current business environment in India. Multinational companies are repositioning their finances globally and India can take advantage of this once in a generation opportunity by ensuring a reliable investment environment. He also encouraged  indian students to avail the opportunites to study in US universities by working with EducationUSA for information. The program was followed by an engaging  question answer session in which students raised various questions on global issues. On a question regarding climate change Mr Ranz asserted  that US  cannot rectify this problem alone , unless countries like India and China step in.  Answering a question on higher education he said that US has the best universities of the world where Indian students can pursue their higher studies.

Shri.  Deepak Tiwari, Vice Chancellor of the University welcomed the guest with shawl and shrifal and in his welcome speech  reiterated that democracy and journalism are two sides of the same coin and without impartial journalism democracy cannot survive. He also discussed the future challenges  in developing and maintaining  international relations with other countries. The Vice Chancellor concluded his speech by quoting the words of Ravindra Nath Tagore “Where the mind is without fear and  the head is held high, where knowledge is free, where the world  has not been broken into fragments”.

Democracy cannot survive without Freedom of Press-David J.Ranz. V An Interactive session of the U.S. Consulate General with Media Students. Bhopal, 10 January, 2020: David J.Ranz, Consul General, U.S. Consulate General, Mumbai  visited Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication, Bhopal for an interactive session with the students. He commenced  his talk with the…

स्वतंत्र पत्रकारिता के बिना लोकतंत्र नहीं चल सकता है- डेविड जे. रैन्ज

स्वतंत्र पत्रकारिता के बिना लोकतंत्र नहीं चल सकता है- डेविड जे. रैन्ज

अमेरिका के काउंसलेट जनरल डेविड जे. रैन्ज का मीडिया विद्यार्थियों के साथ संवाद

भोपाल, 10 जनवरी, 2020: अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के काउंसलेट जनरल डेविड जे. रैन्ज ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल में शुक्रवार को मीडिया विद्यार्थियों के साथ अंतर्राष्ट्रीय संबंध, क्लाइमेट चेंज, महिला सशक्तिकरण, लैंगिक असमानता समेत कई वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। श्री रैंज ने मीडिया विद्यार्थियों से चर्चा की शुरूआत पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति थॉमस जेफसन के उस कथन से की जिसमें उन्होने कहा था कि “अगर मुझे अखबार के बिना सरकार और सरकार के बिना अखबार में से किसी एक को चुनना पड़े तो मैं अखबार पसंद करूंगा”। अपने संबोधन में श्री रैन्ज कहा कि वह पत्रकारिता के चुनौतीपूर्ण और जोखिमपूर्ण पेशे का सम्मान करते हैं, स्वतंत्र पत्रकारिता के बिना कोई भी लोकतंत्र चल नहीं सकता है। स्वतंत्र और मजबूत पत्रकारिता की वजह से ही लोकतंत्र में पारदर्शिता और जनता के प्रति सरकार की जिम्मेदारी तय होती है।

संविमर्श सत्र में भारत-अमेरिकी संबंधों पर बात करते हुए श्री रैन्ज ने कहा कि प्रभुत्ववाद, पारदर्शिता, व्यापार, मूल्यों और एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने के नितिगत बिंदू दोनों देशों के संबंधों के लिए महत्वपूर्ण कड़ी हैं। दोनों देशों ने संबंधों की नई उंचाइयों को छुआ है, भारत और अमेरिका दोनों भू-रणनीतिक साझीदार हैं, जिनके सांस्कृतिक मूल्यों के साथ ही आपसी हित भी विकास के लिए कॉमन हैं। भारत को तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बताते हुए उन्होने कहा कि मल्टीनेशलन कंपनियां भारत की अर्थव्यवस्था को और मजबूत करने के लिए काफी निवेश कर सकती हैं, बशर्तें भारत को अपनी व्यापार और निवेश नीतियों में प्रभावशाली बदलाव करे।

अपने उद्बोधन के बाद हुए परिचर्चात्मक सत्र में श्री रैन्ज ने मीडिया विद्यार्थियों के कई सवालों के जवाब दिए। क्लामेट चेंज पर अमेरिका की भूमिका के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि भारत और चीन जैसे बड़े विकासशील देशों को पर्यावरण संरक्षण में जिम्मेदारी उठाना चाहिए। भारत को  नवीकरणीय उर्जा और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। अमेरिका ने जो गलत किया उनसका अनुसरण दूसरे देश करें यह अब ठीक नहीं होगा। अमेरिका-ईरान तनाव को लेकर भारतीय हितों के संदर्भ में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा कि कोई भी दो देशों के बीच टकराव पूरी दुनिया को प्रभावित करता है, इससे बचना चाहिए और इसे रोकने में भारत से उम्मीद की जा सकती है।

भारत में उच्च शिक्षा के मुद्दे पर बात करते हुए श्री रैन्ज ने कहा कि अमेरिकी में दुनिया के बेहतरीन विश्वविद्यालय हैं। एकेडमिक एक्सचेंज के अंतर्गत भारत के विद्यार्थी भी यहां नियमों की पूर्ति के बाद अध्ययन के लिए जा सकते हैं।

संविमर्श सत्र के स्वागत उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति श्री दीपक तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता की असफलता लोकतंत्र की असफलता होगी, और सफल पत्रकारिता के लिए हमारे भावी पत्रकार विद्यार्थी जनहित में आथॉरिटी से सवाल करने के लिए तैयार होते हैं। श्री तिवारी ने पर्यावरण, बेरोजगारी और टेक्नोलॉजी उत्पन्न वैश्विक समस्याओं की चुनौतियों से निपटने में भारत-अमेरिका संबंधों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि आने वाला समय उम्मीदों से भरा है लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं है।

संविमर्श सत्र की शुरूआत में कुलपति श्री दीपक तिवारी ने काउंसलेट जनरल डेविड जे. रैन्ज का शाल श्रीफल से स्वागत किया और महात्मा गांधी का स्मृति चिन्ह भेंट किया। विद्यार्थियों द्वारा संचालित इस संविमर्श सत्र का संचालन कीर्ति खन्ना ने किया और आभार अंकिता ने व्यक्त किया।

 डेविड जे रैन्ज वर्तमान में अमेरिका की दक्षिण एवं मध्य एशियाई संबंध ब्यूरो में दक्षिण एशियाई देशों (भारत, बंगलादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान एवं मालदीव) के कार्यकारी उप सहायक सचिव हैं। श्री रैन्ज अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रदर्शन के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के राज्य विभाग के प्रसिद्ध हरबर्ट सेल्जमेन अवार्ड 2004 से पुरस्कृत हैं। इसके साथ ही वे 2013 के लिए दिए जाने वाले जेम्स क्लेमेंट डन उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए रनर अप भी रह चुके हैं।

स्वतंत्र पत्रकारिता के बिना लोकतंत्र नहीं चल सकता है- डेविड जे. रैन्ज अमेरिका के काउंसलेट जनरल डेविड जे. रैन्ज का मीडिया विद्यार्थियों के साथ संवाद भोपाल, 10 जनवरी, 2020: अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के काउंसलेट जनरल डेविड जे. रैन्ज ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल में शुक्रवार को मीडिया विद्यार्थियों के साथ अंतर्राष्ट्रीय…

संसदीय लोकतंत्र में कानून की संवैधानिक वैधता न्यायालय ही प्रमाणित कर सकता है- आशुतोष वार्ष्णेय

संसदीय लोकतंत्र में कानून की संवैधानिक वैधता न्यायालय ही प्रमाणित कर सकता है- आशुतोष वार्ष्णेय

भोपाल, 06 जनवरी, 2020: ब्राउन युनिवर्सिटी अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन, समाज विज्ञान एवं राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर, जाने-माने राजनीति विज्ञानी और स्तंभकार आशुतोष वार्ष्णेय ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल में सोमवार को मीडिया शिक्षकों के साथ संसदीय लोकतंत्र और संविधान विषय पर व्याख्यान दिया। प्रो. आशुतोष ने कहा कि चुनाव के बिना लोकतंत्र नहीं चलता परंतु चुनाव ही लोकतंत्र नहीं चलाता है, यह हमें समझना होगा। निर्वाचन प्रक्रिया के अतिरिक्त भी कई महत्वपूर्ण बातें हैं, जो लोकतंत्र को सार्थक और परिपक्व रखती हैं।

अपने संक्षिप्त व्याख्यान में प्रो. आशुतोष ने अमेरिका में अश्वेत क्रांति के अग्रदूत मार्टिन लूथर किंग के समारक पर अंकित उस कथन का विशेष रूप से उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था कि वे अपने जीवन में प्रभु यीशु से धर्म सीखे हैं तो महात्मा गांधी से प्रभावशाली अहिंसक प्रतिरोध। प्रो. आशुतोष ने भारत एवं अमेरिकी संसदीय लोकतंत्र की महत्वपूर्ण घटनाओं और मुद्दों की चर्चा करते हुए अमेरिका में नस्लीय भेदभाव के खिलाफ अहिंसक क्रांति की सफलता की कहानी बयां की। उन्होंने कहा कि संसदीय प्रणाली में करीब मात्र 37 प्रतिशत जनता के वोट पाकर भी सरकार बन सकती है और देश के लिए कानून बनाए या बदले जा सकते हैं, परंतु कोई भी कानून संविधान सम्मत है या नहीं इसका निर्णय केवल न्यायपालिका ही कर सकता है, इसका अधिकार न तो विधायिका को है और न ही जनमत को। न्यायपालिका एक तरह से बहुसंख्यक राजनीति के प्रति प्रतिपक्षी भूमिका में होती है।

संविमर्श में विश्वविद्यालय के कुलपति श्री दीपक तिवारी ने कहा कि महात्मा गांधी, बाबा अंबेडकर और नेहरू जी के विजन की वजह से भारतीय नागरिकों को वे अधिकार 1950 में ही मिल गए थे जो अमेरिकी लोगों को करीब डेढ़ दशक बाद मिले, यह हमारे संसदीय लोकतंत्र के लिए गौरव की बात है।

संसदीय लोकतंत्र में कानून की संवैधानिक वैधता न्यायालय ही प्रमाणित कर सकता है- आशुतोष वार्ष्णेय भोपाल, 06 जनवरी, 2020: ब्राउन युनिवर्सिटी अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन, समाज विज्ञान एवं राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर, जाने-माने राजनीति विज्ञानी और स्तंभकार आशुतोष वार्ष्णेय ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल में सोमवार को मीडिया शिक्षकों के साथ…