फिल्म निर्देशक कैमरे को कलम की तरह उपयोग करता है – आदित्य सेठ

फिल्म निर्देशक कैमरे को कलम की तरह उपयोग करता है – आदित्य सेठ

फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में फिल्म निर्माण की बारीकियों पर चर्चा

सिनेमैटिक कम्युनिकेशन पर एफडीपी प्रोग्राम का दूसरा दिन

भोपाल, 15 जून, 2021:  माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा एआईसीटीई ट्रेनिंग एंड लर्निंग (ATAL) अकादमी के सहयोग से आयोजित पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत दूसरे दिन कई सिनेमा प्रोफेशनल एवं अकादमिक विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण दिया।

फिल्म मेकर एवं फिल्म एकेडमीशियन आदित्य सेठ ने निर्देशन कला विषय के सैद्धांतिक एवं तकनीकी पहलुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि निर्देशक कैमरे को कलम की तरह प्रयोग में लाता है जिसके द्वारा वह विजुअल्स की निरंतरता बनाए रखता है। साथ ही एक निर्देशक को लेखन, कैमरा संचालन, सीन और स्टोरी सेटिंग, ब्लोकिंग एवं फिल्म एडिटिंग का भी अनुभव होना चाहिए।   

महात्मा गांधी अंतर्राष्टीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के फिल्म एवं थियेटर विभाग में असिस्टेंट प्रो. यशार्थ मंजुल ने फिल्म प्रोडक्शन एवं मैनेजमेंट की बारीकियों और चुनौतियों के बारे में विस्तार से बताया और अनेक उदाहरणों के माध्यम से फिल्म के प्री प्रोडक्शन, प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन के प्रैक्टिकल एसपेक्ट पर गहन चर्चा की। उन्होंने कहा कि रियल लोकेशन में शूटिंग के लिए कंट्रोल इंवायरमेंट पाने में दिक्कतें आती हैं। इसके विपरीत कंट्रोल लोकेशन में शूट करना आसान होता है।

विमलेश गोइदेश्वर ने स्क्रिप्ट लेखन के मूल बिंदुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि फिल्म लेखन से पूर्व कहानी को स्क्रिप्ट करना बहुत जरूरी है। बिना लिखे हम विजुअल्स को सही तरीके से इमेजिन नहीं कर सकते। एक्शन, विजुअल एवं इमेज प्रभावी रूप स्टोरी टेलिंग को आगे बढ़ाते है। साथ ही स्क्रिप्ट राइटिंग एवं स्क्रिप्ट टेलिंग का अभ्यास भी प्रतिभागियों को ऑनलाइन माध्यम से कराया।

एफडीपी प्रोगराम में कल दीसरे दिन फिल्म एप्रीशिएसन पर उत्पल दत्त, कंटेंपररी विजुअल आर्ट एवं राइटिंग पर प्रो. अमिताभ श्रीवास्तव एंड डायनिमिक विजुअल लैग्वेज पर सुरेश दीक्षित जी संवाद करेंगे।

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देश की आत्मा है भाषायी पत्रकारिता : संजय अभिज्ञान

देश की आत्मा है भाषायी पत्रकारिता : संजय अभिज्ञान

साक्ष्य आधारित पत्रकारिता के लिए जाना जाता है प्रिंट मीडिया : प्रो. केजी सुरेश

‘प्रिंट मीडिया में अवसर’ विषय पर एमसीयू में हुआ व्याख्यान

भोपाल, 15 जून, 2021: कोरोना संकट के दौर में समाचार पत्रों के समक्ष चुनौतियां हैं,परन्तु इस विषम परिस्थिति से जूझते हुए प्रिंट मीडिया का भविष्य आज भी उतना ही उज्ज्वल है जितना पहले था। भाषाई पत्रकारिता को हम भारत की आत्मा कह सकते हैं। लोग अपनी भाषा के समाचार पत्र की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। इसलिए भाषायी समाचार पत्रों की प्रसार संख्या तेजी से बढ़ रही है। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित व्याख्यान में यह विचार वरिष्ठ पत्रकार श्री संजय अभिज्ञान ने व्यक्त किये। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने की।

‘प्रिंट मीडिया में अवसर’ विषय पर अपने व्याख्यान में वरिष्ठ पत्रकार श्री संजय अभिज्ञान ने समाचार पत्र के न्यूजरूम हेतु जरूरी स्किल का उल्लेख करते हुए कहा कि नए पत्रकार को तकनीक में दक्ष होना चाहिए। नए पत्रकार को मल्टी लैंग्वेज के साथ-साथ मल्टी स्किल तथा मोबाइल जर्नलिज्म का उपयोग करना आना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का समाज पर व्यापक असर है, इसलिए पत्रकारिता के क्षेत्र में आने वाले विद्यार्थियों को सोशल मीडिया फ्रेंडली भी होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य, कृषि और ग्रामीण विकास जैसे अनेक विषयों की पत्रकारिता हेतु प्रिंट मीडिया में सुनहरा अवसर बना हुआ है।

उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया के बारे में समय-समय पर अफवाह फैलाई जाती है कि प्रिंट मीडिया अब खत्म होने जा रहा है लेकिन मैं तीन दशक की पत्रकारिता के बाद कह सकता हूं कि प्रिंट मीडिया का भविष्य उज्ज्वल है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1992 में जब प्रिंट मीडिया का एकक्षत्र राज था, उस वक्त टीवी चैनल के प्रवेश ने इस बात को बल दिया था कि प्रिंट मीडिया अब खत्म हो जाएगा परन्तु वह आज भी जिंदा है। 2005 के बाद से डिजिटल मीडिया के पैर पसारने पर भी ऐसी कोरी कल्पनाएं व्यक्त की जा रही हैं, जो यथार्थ से भिन्न हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म भी ई-पेपर के रूप में प्रिंट को ही लोग पढ़ रहे हैं। श्री अभिज्ञान ने कहा कि टीवी चैनल की तुलना में प्रिंट मीडिया में रोजगार के व्यापक अवसर हैं। यदि पत्रकारिता के विद्यार्थी अपने कौशल का उन्नयन करते हुए इस क्षेत्र में आते हैं तो वेतन की भी कोई समस्या नहीं है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि प्रिंट मीडिया में आज भी ग्राउंड रिपोर्ट प्रकाशित हो रही हैं। साक्ष्य आधारित पत्रकारिता के लिए प्रिंट मीडिया को जाना जाता है।उन्होंने कहा कि तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अखबार जिंदा है और जिंदा रहेगा। भारत में समाचार पत्र को किसान, मजदूर, अमीर, गरीब सब पढ़ते हैं। यह हमारी संस्कृति का हिस्सा बन चुका है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में प्रिंट मीडिया ने बहुत अच्छा काम किया है।

इससे पूर्व विषय प्रवर्तन करते हुए पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष डॉ. राखी तिवारी ने कहा कि प्रिंट मीडिया ने कठिन दौर में काफी बदलाव किए हैं और उनके कारण प्रिंट मीडिया के अस्तित्व को कोई खतरा नहीं है। कोरोना काल में विभिन्न समाचार पत्रों द्वारा चलाए गए जागरूकता अभियान को सभी ने सराहा है। कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक लोकेंद्र सिंह राजपूत ने किया। आभार प्रदर्शन प्लेसमेंट एवं एंटरप्रेन्योर सेल के निदेशक डॉ. अविनाश बाजपेई ने किया। सेमिनार में पत्रकारिता विद्यार्थियों की शंकाओं का समाधान श्री संजय अभिज्ञान ने किया।

देश की आत्मा है भाषायी पत्रकारिता : संजय अभिज्ञान साक्ष्य आधारित पत्रकारिता के लिए जाना जाता है प्रिंट मीडिया : प्रो. केजी सुरेश ‘प्रिंट मीडिया में अवसर’ विषय पर एमसीयू में हुआ व्याख्यान भोपाल, 15 जून, 2021: कोरोना संकट के दौर में समाचार पत्रों के समक्ष चुनौतियां हैं,परन्तु इस विषम परिस्थिति से जूझते हुए प्रिंट…