मनुष्य की बायोलॉजिकल आवश्यकता है ‘संवाद’ : प्रो. बी.के. कुठियाला

मनुष्य की बायोलॉजिकल आवश्यकता है ‘संवाद’ : प्रो. बी.के. कुठियाला

समाजोन्मुखी हो संचार व्यवस्था : प्रो. केजी सुरेश

‘अहम् ब्रह्मास्मि’ की घोषणा को भी स्वीकार करती है भारतीय संवाद परंपरा : श्री विजय मनोहर तिवारी

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता : भारतीय दृष्टि’ पर संगोष्ठी का आयोजन एवं पुस्तक ‘संवाद का स्वराज’ का विमोचन

भोपाल, 26 अक्‍टूबर, 2021: कोरोना महामारी ने बता दिया है कि सिर्फ रोटी, कपड़ा और मकान ही मनुष्य की आधारभूत आवश्यकताएं नहीं हैं। भोजन और प्रजनन के साथ ही संवाद भी मानव की बायोलॉजिकल आवश्यकता है। बिना संवाद के मनुष्य का जीवन संभव नहीं है। यह विचार हरियाणा उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. बी.के. कुठियाला ने व्यक्त किए। वे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता : भारतीय दृष्टि’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए। इस अवसर पर उनकी पुस्तक ‘संवाद का स्वराज’ का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में राज्य सूचना आयुक्त श्री विजय मनोहर तिवारी उपस्थित रहे और अध्यक्षता कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने की।

‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और भारतीय दृष्टि’ पर अपने विचार रखते हुए उन्होंने भारतीय वांग्मय के प्रसंग बताए। उन्होंने कहा कि देवर्षि नारद जब महाराज युधिष्ठिर के दरबार में गए तब उन्होंने उत्तर की अपेक्षा किए बिना ही 133 प्रश्न पूछे। इन प्रश्नों में सुशासन के सूत्र हैं। प्रश्न यह है कि एक राजा से प्रश्न पूछने का अधिकार देवर्षि नारद को किसने दिया? जबकि उस समय तो कोई सूचना का अधिकार कानून भी नहीं था। इसी तरह जब श्रीकृष्ण ने मृत्युलोक को छोडऩे का निश्चय किया तब उनके मित्र उद्धव ने अनेक प्रश्न किए। इन प्रश्नों के उत्तर से पता चलता है कि जीवन कैसा होना चाहिए। श्री कृष्ण से प्रश्न करने का अधिकार उद्धव को किसने दिया? यह प्रश्न-उत्तर लोक कल्याण की भावना से पूछे गए। संवाद के प्रति भारतीय दृष्टि लोक कल्याण की है। प्रो. कुठियाला ने बताया कि श्रीमद् भगवत गीता के अनुसार भारतीय दृष्टि में संवाद में अधिकार की भावना से अधिक मर्यादा की बात है। समाज को लाभ पहुँचाना ही वाणी का तप है।

संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि श्री विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि सामान्य तौर पर हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को संवैधानिक अधिकारों तक सीमित करके देखते हैं। जबकि अभिव्यक्ति के प्रति भारत की दृष्टि बहुत व्यापक है। विश्व में भारत ही इकलौता देश है जहाँ ‘अहम् ब्रह्मास्मि’ की घोषणा की जाती है और उसकी स्वीकार्यता भी है। आत्मा भी ब्रह्म है और ज्ञान भी ब्रह्म। जो ब्रह्म मेरे भीतर है, वही तुम्हारे भीतर। भारत के लोगों ने इस अभिव्यक्ति को पेड़ों, नदियों और पर्वतों तक में किया है। श्री तिवारी ने कहा कि भारत में ऐसी घोषणाएं करने वालों के विरुद्ध कभी फतवा जारी नहीं किया गया। भारतीय दर्शन सब प्रकार के विचारों के पाचन का सामथ्र्य रखता है।

 संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने जम्मू-कश्मीर के चुनावों की रिपोर्टिंग का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारी अभिव्यक्ति में भारत के लोकतंत्र की जीत होनी चाहिए। जबकि देखने में आता है कि जम्मू-कश्मीर का प्रकरण हो, कुलभूषण जाधव का प्रकरण हो या फिर सर्जिकल स्ट्राइक, भारत के कुछ मीडिया संस्थानों ने भारत के प्रतिकूल रिपोर्टिंग की। कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि हमें संवाद पर पश्चिम के दृष्टिकोण को पढऩे के साथ ही भारत की संचार परंपरा का भी गंभीरता से अध्ययन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दादा माखनलाल चतुर्वेदी की पत्रकारिता एवं साहित्य में हमें भारतीय दृष्टि दिखाई देती है। शिकागो में स्वामी विवेकानंद का ऐतिहासिक व्याख्यान संवाद की भारतीय परंपरा का एक अनूठा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि हम लोकतंत्र एवं देश के हित में समाजोन्मुखी संचार व्यवस्था का निर्माण करें।

इससे पूर्व विषय का प्रतिपादन करते हुए विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक एवं कार्यक्रम के संचालक श्री लोकेन्द्र सिंह ने कहा कि हमारी परंपरा में है ‘संवाद का स्वराज’। यह संवाद ही तो है जो समाज को दिशा देता है। हमारे ग्रंथ क्या हैं? संवाद से उपजे दर्शन। एक ने प्रश्न पूछे और दूसरे ने उनके उत्तर दिए और दर्शन की उत्पत्ति हो गई। उन्होंने कहा कि संवाद का उद्देश्य समाधान होना चाहिए। लोक हित होना चाहिए। नये ज्ञान का सृजन होना चाहिए। लेकिन बाह्य विचारों के प्रभाव में आकर संवाद की यह परम्परा अपना हेतु खो बैठी है। उद्देश्यविहीन हो गई है। इस अवसर पर विमोचित पुस्तक ‘संवाद का स्वराज’ की संक्षिप्त जानकारी शोधार्थी अमरेन्द्र आर्य ने दी। स्वागत उद्बोधन डीन अकादमिक प्रो. पी. शशिकला ने दिया। आभार प्रदर्शन कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने किया।

कार्यक्रम में भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जयंत सोनवलकर, सांची विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीरजा गुप्ता, अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. खेम सिंह डहेरिया, शुल्क विनियामक आयोग के अध्यक्ष प्रो. रवीन्द्र कान्हेरे, एलएनसीटी के कुलपति प्रो. नरेन्द्र थापक, आरकेडीएफ के कुलपति डॉ. एसके सोहनी एवं आईसेक्ट के प्रतिकुलपति प्रो. अमिताभ सक्सेना सहित अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिव एवं अन्य अधिकारीगण सहित शहर के गणमान्य नागरिक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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युवाओं को समाज के प्रति संवेदनशील बनाती है एनएसएस : प्रो. केजी सुरेश

युवाओं को समाज के प्रति संवेदनशील बनाती है एनएसएस : प्रो. केजी सुरेश

एनएसएस में युवाओं का होता है व्यक्तित्व विकास : श्री राहुल सिंह परिहार

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई के नवागत विद्यार्थियों के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम का आयोजन

भोपाल, 25 अक्‍टूबर, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में सोमवार को राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई ने नवागत विद्यार्थियों के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि एनएसएस के कार्यकर्ताओं ने कोरोना महामारी में ज़मीन पर उतर कर समाजसेवा एवं जागरूकता के कार्य किये। एमसीयू में अब विद्यार्थी एनएसएस और एनसीसी को ‘जनरल इलेक्टिव पाठ्यक्रम’ के रूप में पढ़ भी सकेंगे। वहीं, बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय के एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी श्री राहुल सिंह परिहार एवं डॉ. अनंत सक्सेना ने विद्यार्थियों के एनएसएस की जानकारी दी।

अभिविन्यास कार्यक्रम में मुख्य वक्ता श्री राहुल सिंह परिहार ने कहा कि एनएसएस के माध्यम से युवाओं का सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास होता है। वहीं, मुख्य अतिथि डॉ. अनंत सक्सेना ने कहा कि एनएसएस से जुड़े विद्यार्थियों ने लॉकडाउन एवं कोरोनाकाल में बड़े स्तर पर लोगों की सहायता की है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि एनएसएस और एनसीसी की गतिविधियाँ युवाओं को समाज के प्रति संवेदनशील बनाती हैं। अब तक यह गतिविधियाँ को-करिकुलम एक्टिविटी में आती थीं लेकिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप अब इन्हें पाठ्यक्रम के रूप में लिया जा सकेगा। एमसीयू ने अपने नये पाठ्यक्रमों में एनएसएस और एनसीसी को ‘जनरल इलेक्टिव’ पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय की एनएसएस इकाई से जुड़े विद्यार्थियों को सक्रिय सहभागिता के लिए स्मृति चिन्ह दिए गए, जिनमें प्रवीण कुशवाह, अभिषेक द्विवेदी, प्रतीक मिश्रा, विधि सिंह और सौरभ चौकसे शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन विद्यार्थी हिमानी उपाध्याय ने किया जबकि आभार प्रदर्शन एवं समन्वयन एमसीयू के एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ. गजेंद्र सिंह अवास्या ने किया।

युवाओं को समाज के प्रति संवेदनशील बनाती है एनएसएस : प्रो. केजी सुरेश एनएसएस में युवाओं का होता है व्यक्तित्व विकास : श्री राहुल सिंह परिहार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई के नवागत विद्यार्थियों के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम का आयोजन भोपाल, 25 अक्‍टूबर, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय…

परिवार के साथ देखने वाली फिल्म बनाएं: कुलपति प्रो. केजी सुरेश

परिवार के साथ देखने वाली फिल्म बनाएं: कुलपति प्रो. केजी सुरेश

मेरठ में आयोजित नवांकुर लघु फिल्म महोत्सव को बतौर मुख्य अतिथि किया संबोधित, फरवरी-2022 में भोपाल में आयोजित हो रहा है चित्र भारतीय राष्ट्रीय लघु फिल्म फेस्टिवल

भोपाल/मेरठ, 23 अक्‍टूबर, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने मेरठ में आयोजित नवांकुर लघु फिल्म फेस्टिवल में कहा कि फिल्म निर्माताओं को साहित्य और समाज का अध्ययनकर ऐसी फिल्मों का निर्माण करना चाहिए, जिन्हें परिवार के साथ बैठकर देखा जा सके। फिल्म फेस्टिवल नये फिल्म निर्माताओं के लिए अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के बड़े अवसर होते हैं। प्रो. सुरेश ने कहा कि चित्र भारती की ओर से मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 18, 19 और 20 फरवरी, 2022 को ‘चित्र भारती राष्ट्रीय लघु फिल्म फेस्टिवल’ का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रतिष्ठित आयोजन में अपनी फ़िल्में भेजने की अंतिम तिथि 30 नवम्बर है। युवाओं को अधिक से अधिक संख्या में इस आयोजन में सहभागिता करनी चाहिए।

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग और मेरठ चलचित्र सोसाइटी की ओर से आयोजित नवांकुर फिल्म फेस्टिवल में एमसीयू के कुलपति प्रो. केजी सुरेश बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हर निर्माता का उद्देश्य फिल्म को अच्छा बनाना ही होता है। आजकल मोबाइल फ़ोन के माध्यम से भी फिल्म बनाई जा सकती है। लेकिन इसके लिए अध्ययनशीलता बनाए रखें। अगर अध्ययन और रचनात्मकता नहीं है तो फिल्म बनाने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि इतिहास को पढ़ना जरूरी है, फिल्मों में इतिहास को तोडमरोडकर पेश किया जाता है।

पत्रकारिता का साहित्य से नाता टूटा:

कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा पत्रकारिता का साहित्य से नाता टूट गया है। पत्रकारिता का स्तर गिरा है, साहित्य के बिना पत्रकारिता अधूरी है। पत्रकारिता को साहित्य से नाता जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के संस्कारों में बदलाव आया है, पत्रकारिता में अब उन्माद, आक्रमकता आ गई है। संयम, संवेदनशीलता एवं सौहार्द की भाषा ही पत्रकारिता है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने विश्वगुरु का मार्ग प्रशस्त किया:

कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने विश्वगुरु का मार्ग प्रशस्त किया है। हम परीक्षा देने के लिए न पढ़ें बल्कि जीवन के जिए पढ़ें। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर समय खराब करने से अच्छा है कि कहानी और जीवनी पढ़ें। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि धमेंद्र भारद्वाज एमआईटी ग्रुप ऑफ़ कॉलेज के चेयरमैन ने कहा कि समाज में सकारात्मक संदेश देने के लिए अच्छे विषयों पर फिल्म बननी चाहिए और इस प्रकार के प्लेटफार्म पर इनको प्रोत्साहन मिलना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेंद्र कुमार तनेजा ने की। निर्णायक भूमिका में नीता गुप्ता, सुमंत डोगरा व डा. दिशा दिनेश रही। पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के निदेशक प्रो. प्रशांत कुमार ने सभी का स्वागत किया। मेरठ चलचित्र सोसाईटी के अजय मित्तल ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

परिवार के साथ देखने वाली फिल्म बनाएं: कुलपति प्रो. केजी सुरेश मेरठ में आयोजित नवांकुर लघु फिल्म महोत्सव को बतौर मुख्य अतिथि किया संबोधित, फरवरी-2022 में भोपाल में आयोजित हो रहा है चित्र भारतीय राष्ट्रीय लघु फिल्म फेस्टिवल भोपाल/मेरठ, 23 अक्‍टूबर, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने…