विश्वविद्यालय में वापस आए डिग्री/डिप्लोमा प्राप्त करने सम्बंधी अध्ययन केन्द्रों को सूचना-तृतीय सूची
भोपाल, 09 अगस्त, 2021: अगस्त क्रांति के अवसर पर ‘स्वतंत्रता आन्दोलन का सिंहावलोकन’ पर विशेष व्याख्यान के साथ माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष : अमृत महोत्सव’ का प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर प्रख्यात पुरातत्ववेत्ता एवं इतिहासकार प्रो. मक्खन लाल ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन को समग्रता में देखने के आवश्यकता है। भारत की स्वतंत्रता के लिए अनेक प्रयास एक साथ चले हैं। अंग्रेजों के भारत छोड़ने में नेताजी सुभाषचन्द्र और आज़ाद हिन्द फौज का बहुत बड़ा योगदान है, इसे उस समय की ब्रिटिश हुकूमत ने स्वयं स्वीकार किया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने की। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का कार्य है कि सत्य को सामने लाये और स्वतंत्रता आन्दोलन के अबतक के अनछुए पहलुओं और नायकों पर बात करे।
विशेष व्याख्यान के मुख्य वक्ता प्रो. मक्खन लाल ने 1935 से 1947 तक स्वतंत्रता संग्राम के कई अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास को ईमानदारी, निष्पक्षता और नयी दृष्टि के साथ देखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा जब द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था तब भारत की स्वतंत्रता को लेकर एक ख़ामोशी पसरी हुई थी। लेकिन जब नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने जर्मनी पहुँच कर भारत को स्वतंत्र कराने के प्रयास प्रारम्भ किये तो देश में भी एक वातावरण बनने लगा। नेताजी ने बर्लिन रेडियो से भारत के नागरिकों को संबोधित किया। जो लोग नेताजी और महात्मा गाँधी को अलग-अलग चश्मे से देखते हैं, उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि असहयोग आन्दोलन के सन्दर्भ में ही नेताजी ने महात्मा गाँधी को बर्लिन रेडियो से ‘राष्ट्रपिता’ कहकर संबोधित किया था। प्रो. मक्खन लाला ने बताया कि जब तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट रिचर्ड एटली से पूछा गया कि ब्रिटेन को भारत क्यों छोड़ना पड़ा, तब उन्होंने कहा था कि ब्रिटेन को आज़ाद हिन्द फौज के कारण भारत छोड़ना पड़ा।
प्रो. लाल ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के साथ ही भारत विभाजन का दु:खद प्रकरण भी जुड़ा है। विभाजन की पृष्ठभूमि का भी गंभीरता से अध्ययन करना चाहिए। विभाजन के पीछे सिर्फ मोहम्मद जिन्ना नहीं थे, बल्कि इसके पीछे एक मानसिकता थी। जिन्ना को एकमात्र जिम्मेदार बताकर बाकी लोगों की भूमिका पर पर्दा डालने का कार्य किया जाता है। पाकिस्तान की मांग को आधार देने में सर सय्यद अहमद खान, अल्लामा इकबाल और रहमत अली की बहुत बड़ी भूमिका है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि असुविधाजनक सत्य को छिपाना पत्रकारिता का धर्म नहीं है, बल्कि पत्रकारिता को कड़वा सत्य भी बोलना ही चाहिए। वह सत्य चाहे वर्तमान का हो या इतिहास का। कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि अमूल्य स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए हमें अपने मतभेद और वैमनस्य को भुलाना होगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को इतिहास का अध्ययन करना चाहिए। इतिहास से सबक लेना चाहिए। जो लोग अपने इतिहास से सीखते नहीं हैं, वे उन्हीं गलतियों को दोहराते हैं, जो उन्होंने इतिहास में की होती हैं।
इससे पहले विश्वविद्यालय की ‘स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव आयोजन समिति’ के अध्यक्ष प्रो. श्रीकांत सिंह ने विषय का प्रवर्तन करते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के पूरे इतिहास का पुनरावलोकन करने की आवश्यकता है जिससे कि कई अनछुए पहलुओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाया जा सके। विश्वविद्यालय की ओर से यह पहला आयोजन है। इस श्रृंखला में वर्षभर आयोजन होंगे। कार्यक्रम का संचालन एवं समन्वय जनसंपर्क अधिकारी लोकेन्द्र सिंह ने किया और आभार ज्ञापन कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने व्यक्त किया।




भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन को समग्रता में देखें : प्रो. मक्खन लाल अंग्रेजों के भारत छोड़ने में नेताजी और आज़ाद हिन्द फौज का प्रमुख योगदान : प्रो. मक्खन लाल स्वतंत्रता आन्दोलन के अनछुए पहलुओं और नायकों पर हो चर्चा : प्रो. केजी सुरेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत ‘स्वतंत्रता…
भोपाल, 05 अगस्त, 2021: गुरु और शिष्य परंपरा के संस्कार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाएं, यह बहुत जरूरी है। नयी पीढ़ी को अपनी संस्कृति से परिचित कराना हम सबका दायित्व है। व्यास पूजा और गुरु सम्मान जैसे परंपरागत एवं सांस्कृतिक उत्सव समाज को जोड़कर रखते हैं और समाज को दिशा प्रदान करते हैं। यह विचार मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के अध्यक्ष श्री भरत शरण ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में आयोजित ‘व्यास पूजा एवं गुरु सम्मान’ कार्यक्रम में व्यक्त किये। वहीं, कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह शिक्षा नीति भारत को पुनः विश्वगुरु बनाएगी। शिक्षा नीति को सफल बनाने का सारा दारोमदार शिक्षकों के जिम्मे है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री भरत शरण ने कहा कि हमारे देश में ज्ञान एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाता था। इस ज्ञान मार्ग के कारण ही भारत को विश्वगुरु का दर्जा प्राप्त था। भारत में गुरु की महत्त बताने के लिए श्री शरण ने गुरु और शिष्य के कई उदाहरण बताये। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि इस देश में गुरुकुल की परंपरा रही है। उन्होंने कहा कि गुरु वह होता है जो जीवन को तैयार करता है और टीचर आपको एग्जाम के लिए तैयार करता है। गुरु आपके सम्पूर्ण जीवन को संवारने का काम करता है। उन्होंने कहा कि हमें उपभोक्तावादी सोच से बाहर आना चाहिए। शिक्षा समाज पोषित होनी चाहिए। प्रो. सुरेश ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति गुरु और शिष्य की परंपरा को केंद्र में रखकर तैयार की गई है जो देश को विश्वगुरु का दर्जा दिलाएगी।
गुरु सम्मान के कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्षों और अध्यापकों को सम्मानित किया गया। इससे पूर्व वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक डॉ. मणिकंठन नायर ने रिसर्च फॉर रिसर्जेन्स फाउंडेशन (आरऍफ़आरऍफ़) का परिचय दिया और आरऍफ़आरऍफ़ के अंतर्गत विश्वविद्यालय में किये गए कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन प्रोड्यूसर दीपक चौकसे ने और आभार ज्ञापन कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने किया। इस अवसर पर भारतीय शिक्षण मंडल के तुलसीदास, मिथिलेश कुमार, विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं अधिकारीगण उपस्थित रहे।



नई पीढ़ी में हस्तांतरित होने चाहिए गुरु-शिष्य परंपरा के संस्कार : भरत शरण भारत को विश्वगुरु बनाएगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति : प्रो. केजी सुरेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में व्यास पूजा एवं गुरु सम्मान कार्यक्रम का आयोजन भोपाल, 05 अगस्त, 2021: गुरु और शिष्य परंपरा के संस्कार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी…
भोपाल, 03 अगस्त, 2021: विश्वविद्यालय का परिसर पहले बहुत छोटा था लेकिन इसके स्वप्न बहुत बड़े थे। यही कारण है कि आज एमसीयू देश के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में गिना जा रहा है। इंडिया टुडे की देश के श्रेष्ठ शिक्षा संस्थानों की सूची में एमसीयू को 34वां स्थान प्राप्त हुआ है। इसी तरह छात्रों को अपने करियर को लेकर फोकस रहना चाहिए। आप भी देश में अपने नाम की मिसाल बना सकते हैं। मोटिवेशनल स्पीकर श्री पंकज चतुर्वेदी ने यह विचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में आयोजित विशेष व्याख्यान ‘करियर मंत्र’ में व्यक्त किये। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने की।
कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि विद्यार्थी जॉब सीकर नहीं बल्कि जॉब क्रिएटर बनें। इसलिए विश्वविद्यालय देश के अनुभवी विद्वानों के साथ विद्यार्थियों की बातचीत कराने का प्रयास कर रहा है। कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि कितना कठिन समय क्यों न रहा हो लेकिन हमने अपने संकल्प को कभी कमजोर नहीं होने दिया। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आज के समय में आपको किसी और से प्रतिस्पर्धा नहीं करनी है बल्कि अपने आप से प्रतिस्पर्धा करनी है।
मुख्य वक्ता श्री पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि जीवन में हमें अपना लक्ष्य स्पष्ट रखना चाहिए। उस लक्ष्य को कैसे प्राप्त करना है, उसका रोडमैप क्या होगा, इस पर भी गंभीरता से विचार करना चाहिए। पढ़ने-लिखने और सूचना जगत से जुड़े होने के कारण पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए करियर की अपार संभावनाएं हैं। आप सभी उद्यमशीलता की ओर आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि युवाओं को यह बात ध्यान रखना चाहिए कि अगर करियर मात्र दाल-रोटी की व्यवस्था करना है तो निश्चित ही आपको सफलता नहीं मिलेगी। जब आपका करियर आपके परिवार के साथ देश और समाज के लिए समर्पित होगा तो आप निश्चित ही आगे बढ़ जाएंगे। आपको सेवा भाव के लिए सोच बदलनी होगी। उन्होंने कहा कि अपने ऊपर विश्वास रखें। विश्वास के दीपक से ही हम समाज में प्रकाश फैला सकते हैं। श्री पंकज ने विद्यार्थियों से कहा कि अपने जीवन का मूल्याकंन करें। खुद से पूछें कि हम क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं? आखिर में श्री चतुर्वेदी ने विद्यार्थियों से बातचीत की और उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया।
कार्यक्रम का आयोजन प्लेसमेंट एवं एंटरप्रेन्योर सेल की और से हुआ। विषय प्रवर्तन कुलसचिव प्रो. अविनाश बाजपेयी ने किया। संचालन सहायक प्राध्यापक सुश्री मनीषा वर्मा ने और आभार ज्ञापन कार्यक्रम समन्वयक प्रो. कंचन भाटिया ने किया।





लक्ष्य को लेकर एकाग्र रहें, सफलता मिलेगी : पंकज चतुर्वेदी हमें अपने आप से करनी है प्रतिस्पर्धा : प्रो. केजी सुरेश एमसीयू में विद्यार्थियों के लिए विशेष व्याख्यान का आयोजन, करियर को लेकर हुई बातचीत भोपाल, 03 अगस्त, 2021: विश्वविद्यालय का परिसर पहले बहुत छोटा था लेकिन इसके स्वप्न बहुत बड़े थे। यही कारण है…