संस्कृति हमारे आचार-विचार, वेशभूषा एवं मूल्यों में है : कुलगुरु प्रो. सुरेश

संस्कृति हमारे आचार-विचार, वेशभूषा एवं मूल्यों में है : कुलगुरु प्रो. सुरेश

विकृत कंटेंट समाज एवं संस्कृति के लिए बड़ा खतरा : उदय माहुरकर

सूचनाओं का विस्फोट चिंता का विषय : पुलिस आयुक्त हरिनारायणचारी मिश्रा

संस्कृति से राष्ट्र का निर्माण होता है : विकास दवे

भोपाल, 24 अगस्त, 2024:  माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय व मीडिया एंड सोशल मीडिया रिसर्च फाऊंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में संस्कृति और मीडिया की भूमिका विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन माखनपुरम स्थित स्वामी विवेकानंद सभागार में किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. (डॉ) के.जी. सुरेश ने की। जबकि संगोष्ठी के मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त श्री उदय माहुरकर, मुख्य वक्ता मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक श्री विकास दवे, विशिष्ट अतिथि भोपाल पुलिस आयुक्त श्री हरिनारायणचारी मिश्रा थे। इस अवसर पर कुलगुरु प्रोफेसर सुरेश ने कहा कि संस्कृति हमारे आचार-विचार वेशभूषा में है, हमारे मूल्यों में है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति तो हमारे जीवन दर्शन एवं हमारी विरासत में है। प्रो. सुरेश ने कहा कि संस्कृति का अंतिम सत्य समाज एवं राष्ट्र होना चाहिए।

मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त श्री उदय माहुरकर ने ओटीटी प्लेटफार्म पर विकृत कंटेंट को लेकर गहरी नाराजगी जताते हुए इसे समाज एवं संस्कृति के लिए बड़ा खतरा बताया। उन्होंने विकृत सामग्री के लिए कठोर कानून बनाए जाने की मांग की। श्री माहुरकर ने पोर्नोग्राफी को बहुत खतरनाक बताया एवं साथ ही कहा कि दुष्कर्म के पीछे का मुख्य कारण विकृत कंटेंट होता है।

विशिष्ट अतिथि भोपाल पुलिस आयुक्त हरिनारायणचारी मिश्रा ने कहा कि मीडिया का उद्देश्य सनसनीखेज खबर छापने की जगह सकारात्मक खबरें छापना होना चाहिए। मीडिया का समाज पर बहुत असर पड़ने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति के इस युग में सूचनाओं का विस्फोट हो रहा है, जो कि चिंता का विषय है।  मीडिया एवं तकनीक के दखल से जीवन प्रभावित होने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि जितना परिवर्तन 100 सालों में नहीं हुआ, उतना पिछले एक दशक में हो गया है।

मुख्य वक्ता मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक श्री विकास दवे ने कहा कि भारत का इतिहास गौरवशाली इतिहास रहा है। संस्कृति को पांचवा तत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि संस्कृति से राष्ट्र का निर्माण होता है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं जनसंचार विभाग द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री ब्रजेश श्रीवास्तव, कार्यक्रम संयोजक श्री शुभम वर्मा, सूत्रधार सुश्री मोनिका अरोरा, श्री भारत भूषण, विवि. के कुलसचिव प्रो. डॉ. अविनाश वाजपेयी, विवि. के शिक्षक एवं विद्यार्थी विशेष रुप से उपस्थित थे।

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शोध समाज हित में होना चाहिए : कुलगुरु प्रो. सुरेश

शोध समाज हित में होना चाहिए : कुलगुरु प्रो. सुरेश

डिजिटल मीडिया में अवसर, चुनौती दोनों : राकेश खर

एमसीयू में मीडिया प्रबंधन विभाग एवं दतिया परिसर द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन

भोपाल, 24 अगस्त, 2024: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय माखनपुरम बिशनखेड़ी परिसर में मीडिया प्रबंधन विभाग एवं विश्वविद्यालय के दतिया परिसर के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।रोडमैप टू विकसित भारत 2047 विषय पर आयोजित संगोष्ठी के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार श्री राकेश खर थे, वहीं अध्यक्षता कुलगुरु प्रो. (डॉ.) के. जी. सुरेश ने की।

सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलगुरु प्रो. सुरेश ने डिजिटल इंडिया के निर्माण में तीन मुख्य बिंदुओं ऐसेसिबिलिटी, अवैलबिलिटी एवं एफॉर्डिबिलिटी पर चर्चा की और बताया कि डिजिटल इंडिया में इनकी बहुत आवश्यकता है। उन्होंने डिजिटल मीडिया में टेक्नोलॉजी की उपयोगिता एवं इसकी चुनौतियों को विस्तार से समझाते हुए बताया कि टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से बढ़ रही है, जिसे हम पकड़ने में अभी असमर्थ है। प्रो. सुरेश ने कहा कि अमृतकाल देश के लिए सर्वोच्य काल रहेगा, इसलिए विश्वविद्यालयों को शोध पर जोर देना होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शोध समाज हित में होना चाहिए।

उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता श्री राकेश खर द्वारा मीडिया विशेषकर डिजिटल मीडिया में आ रही क्रांति के बारे में विस्तार से बताया गया। उन्होंने नवीन एवं डिजिटल मीडिया के अवसर एवं चुनौतियों के संबंध में उदाहरणों सहित वक्तव्य दिया गया। मीडिया प्रबंधन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ) अविनाश वाजपेयी ने प्रतिभागियों को उनके उत्कृष्ट शोध के लिए बधाई दी एवं इसी तरह शोध करते रहने के लिए प्रेरित किया। दतिया परिसर निदेशक एवं आयोजन सचिव डॉ. कपिल राज चंदोरिया ने बताया कि इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के 22 राज्यों से लगभग 484 से अधिक प्रतिभागियों ने अपनी सहभागिता दी एवं 90 से अधिक शोध पत्र प्राप्त हुए। जिनका प्रकाशन विश्वविद्यालय द्वारा आगामी एक माह में किया जाएगा। अंत में डॉ. चंदोरिया ने आभार प्रदर्शन करते हुए संगोष्ठी का समापन किया।

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