एमसीयू में एआई पर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन प्रतिभागियों ने पढ़े रोचक शोध पत्र

एमसीयू में एआई पर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन प्रतिभागियों ने पढ़े रोचक शोध पत्र


एआई ने विज्ञापन की दुनिया को दिलचस्प बना दिया है मगर खतरे पर भी रखना होगी नज़र

-200 से ज्यादा शोध पत्र पढ़े गए, सब एक से बढ़कर

एआई ने शब्द और दृश्य दोनों को ताकत दी है लेकिन सावधान भी रहना होगा

भोपाल 09 दिसंबर 2025: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के विज्ञापन और जनसंपर्क विभाग द्वारा दो दिवसीय मेगा इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस 8 और 9 दिसंबर को सफलतापूर्वक संपन्न हुई. विज्ञापन और जनसंपर्क के साथ हमारी पूरी दुनिया में हो रहे आश्चर्यजनक बदलाव और आधुनिकता की बयार को लेकर बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने शोध पढ़े। 
इन प्रतिभागियों में देश-विदेश के तकरीबन 200 विशेषज्ञ, शिक्षाविद्,पैनी पैठ के चिंतक,रिसर्च स्कॉलर्स,और विद्यार्थी शामिल हुए और सभी ने नए विषयों,नए मुद्दों और प्रभावशाली प्रस्तुतियों से ध्यान आकर्षित किया. दो दिवसीय आयोजन को 16 सत्रों में विभाजित किया गया और ऑनलाइन-ऑफलाइन समानांतर सत्रों के साथ सभी को धैर्यपूर्वक सुना गया। 

विश्वविद्यालय के अतिथि व्याख्याता व नियमित प्राध्यापकों के साथ छात्रों ने भी इस आयोजन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. इस कॉन्फ्रेंस में देश के विविध शासकीय-अशासकीय विश्वविद्यालयों के प्राध्यापकों ने भी एक मंच पर आकर कॉन्फ्रेंस की गरिमा बढ़ाई। अधिकांश शोधार्थियों ने सकारात्मक सोच और एप्रोच के साथ अपने पेपर प्रेजेंट किए. फैशन, बैंक,कुंभ मेला,ट्रेफिक मैनेजमेंट,डिजिटल स्टोरी टेलिंग,एआई निर्मित एनिमेशन फिल्म से लेकर स्मार्ट स्टोरी टेलिंग,ग्रीन मार्केटिंग और ओटीटी पर फिल्म प्रचार में एआई की भूमिका जैसे आकर्षक विषयों के साथ शोध पढ़े गए।

 वहीं कुछ प्रतिभागियों ने एआई के संभावित खतरों पर भी चिंता व्यक्त की और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के समाधान भी बताए. जनसंपर्क और विज्ञापन की दुनिया के बदलते रंगों पर भी रोशनी डाली गई और नित नए स्वरूप में आ रहे अल्गोरिदम पर भी नज़र रखी गई। कहीं किसी सत्र में सवाल उठा कि कहीं एआई ने भाषा के साथ खेलते हुए खुद की कोई भाषा बना ली तो क्या होगा ? कहीं इस बात पर चिंतन हुआ कि एआई मानव व्यवहार का अध्ययन करे वहाँ तक तो ठीक है पर मानवीय व्यवहार को अपने ही तरीके से प्रभावित न करने लग जाए। 

किसी प्रतिभागी की चिंता थी कि अगर एआई हमारा भविष्य है तो क्यों आज भी लोग उस पर भरोसा नहीं कर रहे हैं? वहीं यह प्रश्न भी आया कि जनसंपर्क अभियान को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए एआई का बेहतर इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं?

ऑनलाइन सत्र में प्रो.मनीष वर्मा(स्कूल ऑफ क्रिएटिव आर्ट्स,बहरीन पॉलिटेक्निक,बहरीन) ने बताया कि एआई किस तरह से मीडिया एनवॉयरमेंट को हमारी सोच से कहीं ज्यादा सुंदर और सरल आकार दे रहा है.उन्होंने बताया कि वर्ष 2030 तक हमारा विजन क्या होगा और बदलते परिदृश्य में किन खास स्किल्स की जरुरत होगी. एआई ने शब्द और दृश्य दोनों को ताकत दी है पर हमें सतर्क भी रहना होगा कि यह ताकत हम पर उलट कर हावी न हो जाए. उन्होंने प्रतिभागियों को कई आवश्यक नए मॉर्डन टूल्स की जानकारी भी दी। 

  इस संगोष्ठी में विशेषज्ञ के रूप में शामिल डॉ. सर्गेई सैमोइलैंको(जार्ज मैसन यूनिवर्सिटी, अमेरिका),प्रो.डॉ. निर्मलमणि अधिकारी,( काठमांडू विश्वविद्यालय,नेपाल) और श्री विनोद नागर(संस्थापक,सीबीएमडी,एआई) के शोध पत्र सराहनीय रहे.आज दूसरे दिन अंतिम सत्र में विशेष तौर पर कुलसचिव प्रो. पी.शशिकला, डीन अकादमिक प्रो. मनीष माहेश्वरी, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, शोधार्थी और विद्यार्थी मौजूद थे। 

एमसीयू में एआई पर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन प्रतिभागियों ने पढ़े रोचक शोध पत्र -एआई ने विज्ञापन की दुनिया को दिलचस्प बना दिया है मगर खतरे पर भी रखना होगी नज़र -200 से ज्यादा शोध पत्र पढ़े गए, सब एक से बढ़कर -एआई ने शब्द और दृश्य दोनों को ताकत दी है लेकिन सावधान…

एमसीयू में दो दिवसीय एआई पर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस

  एमसीयू में दो दिवसीय एआई पर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस

 

विज्ञापन और जनसंपर्क में एआई ने बढ़ाई रोचकता और काम किया आसान
एआई ने विज्ञापन और जनसंपर्क के क्षेत्र में परिदृश्य को पलट दिया
-MCU
में दो दिवसीय एआई पर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस
-8
और 9 दिसंबर को जुटेंगे देश-विदेश के एक्स्पर्ट
-200
से अधिक शोध पत्र पढ़े जाएंगे  
ऑनलाइन-ऑफलाइन प्रतिभागियों ने बताए चौंकाने वाले तथ्य
विविध शहरों से आए प्रतिभागी सहित MCU के छात्रों ने भी रखे विचार

भोपाल,08 दिसंबर  – एआई हमारी दुनिया को पल-प्रतिपल बदल रहा है खासकर विज्ञापन और जनसंपर्क के क्षेत्र में आए बदलाव चकित कर देने वाले हैं , इसी को केंद्र में रखते हुए माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के विज्ञापन और जनसंपर्क विभाग द्वारा एक मेगा इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. इस कॉन्फ्रेंस में देश और विदेश के 200 से अधिक शोध छात्र, शिक्षक, विशेषज्ञ और विद्वानों ने ऑनलाइन-ऑफलाइन अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से विज्ञापन और जनसंपर्क के साथ लाइफस्टाइल में आए क्रांतिकारी परिवर्तन संबंधी नई जानकारी, चिंता, चुनौती, विचार और संभावना को विस्तार से व्यक्त किया।

अतिथि वक्ता के रूप में शामिल एआई विशेषज्ञ श्री जयप्रकाश पाराशर ने बताया कि एआई चाहे जितना आगे बढ़ जाए पर वह मनुष्य से ज्यादा रचनात्मक सोच और कल्पना नहीं ला सकेगा लेकिन जीवन के हर क्षेत्र में एआई अब हमारी जरुरत है इसे हम जितनी जल्दी अपना साथी बना लेंगे उतना ही बेहतर होगा.हर हफ्ते एआई का नया टूल आ रहा है और हमें लगातार लर्निंग मोड में रहना होगा.हर कुछ जो हम सीख रहे हैं वह अगले कुछ दिनों में पुराना हो रहा है।

उन्होंने रोचक उदाहरणों  से बताया कि एआई कैसे विज्ञापन और प्रोडक्ट के प्रति लोगों के रुझान और मानवीय व्यवहार का अध्ययन कर सकता है और कैसे तत्काल अपनी रणनीति में रुचि,अपेक्षा और जरुरत के अनुसार बदलाव करने में मदद कर सकता है.यहाँ तक कि डिजाइन, वॉईजओवर और कॉपी राइटिंग में भी सहायक हो सकता है।

उनके अनुसार एआई को अभी इतनी समझ नहीं है किस बात या शब्द का समाज पर क्या असर होगा अत: मानव मस्तिष्क की जरूरत हमेशा रहेगी।

आयोजन की अध्यक्षता कर रहे कुलगुरु श्री विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि एआई पर कोई भी आयोजन इवेंट तक सीमित न हो बल्कि पाठ्यक्रम में इसे पूरी ताकत से शामिल करना होगा और एमसीयू इस दिशा में अपने चरण और प्रयास बढ़ा चुका है. 200 सालों जो परिवर्तन हुए वे अकल्पनीय थे लेकिन अब जो विगत 30 सालों में तकनीकी क्रांति आई है उसके साथ कदम ताल करना बेहद जरुरी है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी नकली मेधा. सोचिए मेधा नकली कैसे हो सकती है पर यह आज की सचाई है. हम चाहते हैं यहाँ से जब विद्यार्थी निकले तो इस भाव और तैयारी से निकले कि हमें वो सब कुछ आता है जिसकी हमारे प्रोफेशन में बने रहने और आगे बढ़ने के लिए जरुरत है।

कुलसचिव प्रो. पी शशिकला के बताया कि पिछले दिनों हर विभाग में एआई पर मास्टर क्लास, वर्कशॉप,ट्रेनिंग प्रोग्राम आदि किए जा रहे हैं और एआई व टेक्नॉलॉजी को मीडिया से जोड़ने की पहल भी जारी है. ज्ञान आधारित और तथ्य आधारित एआई को समझाते हुए उन्होंने कहा कि कंवर्जन्स और इंटीग्रेटेड तरीके से मीडिया में इसका लाभ लिया जा सकता है. जो भी जानकारी हम शेयर कर रहे हैं उसे ट्रांसफॉर्म भी करना होगा।

विभागाध्यक्ष डॉ. पवित्र श्रीवास्तव ने स्वागत उद्बोधन में बताया कि अमेरिका,बहरीन, बुल्गारिया, बांग्लादेश, नेपाल,श्रीलंका और दुबई सहित कई देशों से शोध प्राप्त हुए हैं. इस दो दिवसीय आयोजन को 16 सत्रों में विभाजित किया गया है और प्रस्तुति में तीन श्रेणी के अवॉर्ड भी दिए जाएंगे. सभी शोध पत्रों के एब्स्ट्रेक्ट को एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया है।

उद्घाटन सत्र के बाद हुई ऑनलाइन प्रस्तुति में डॉ.डायना पेट्कोवा(सोफिया यूनिवर्सिटी,बुल्गारिया), डॉ.मनोज जिनदासा (केलानिया विश्वविद्यालय,श्रीलंका) और प्रो. मोहम्मद शाहिदुल्लाह (चिटगांव विश्वविद्यालय,बांग्लादेश) ने प्रतिभागिता दी. अगले दिन 9 दिसंबर के सत्र में डॉ. सर्गेई सैमोइलैंको(जार्ज मैसन यूनिवर्सिटी, अमेरिका),डॉ. मनीष वर्मा( बहरीन पॉलिटेक्निक,बहरीन),प्रो.डॉ. निर्मलमणि अधिकारी,( काठमांडू विश्वविद्यालय,नेपाल) और श्री विनोद नागर(संस्थापक,सीबीएमडी,एआई) के शोध पत्र आकर्षण का केंद्र रहेंगे।

उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. जया सुरजानी ने किया और आभार डॉ. गजेंद्र सिंह अवास्या ने माना.इस कार्यक्रम में देश-विदेश के प्राध्यापकों, शोधार्थियों सहित विश्वविद्यालय के समस्त विभागों के शिक्षकों और विद्यार्थियों ने भी अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।

 

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कार्टून किसी अखबार का धड़कता हुआ दिल – कुलगुरू

अच्छा कार्टूनिस्ट बनने के लिए संवेदनशील होना जरूरी

कार्टून किसी अखबार का धड़कता हुआ दिल – कुलगुरू

एमसीयू में कार्टून शो, प्रदर्शनी और लाइव डिमोस्ट्रेशन

 

भोपाल 5 दिसंबर 2025 : अखबार का धड़कता हुआ दिल पन्नों पर दिखने वाली छोटी सी काठी नहीं, बल्कि वह तेज़, तीक्ष्ण और कभी-कभी दर्दनाक दृष्टि है जो हँसी के बहाने समाज को आईने में दिखाती है। राजधानी के इस अनूठे कार्टून कार्यक्रम में पेंसिलों ने शब्दों से भी ज़्यादा कुछ कह दिया। लाइव स्केचिंग, प्रदर्शनी और चर्चाओं ने यह प्रमाणित किया कि कार्टून केवल चुटकला नहीं, सोचने का माध्यम भी है। मंच पर हर रेखा में सवाल थे और हर हँसी के पीछे एक गहरी सीख नजर आ रही थी। यह नज़ारा था शुक्रवार को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में आयोजित कार्टून शो, प्रदर्शनी और लाइव डिमॉन्सट्रेशन का।

हम रेखाओं से दिमाग की तरह की नसों पर हल्का सा खरोंच करते हैं हँसी आती है तो सोच भी जग जाती है। अखबार का दिल तब और जोर से धड़कता है जब कार्टून उसकी सूनी राहों में परोक्ष सच फेंक देते हैं। और मंच से देशभर के नामी कार्टूनिस्टों ने भी कुछ ऐसे ही तीखे-मीठे बयान दिए जो मीडिया के विद्यार्थियों को हँसाते हुए सोचने पर मजबूर कर रहे थे।

“शब्द और शीर्षक अखबार का ढांचा खड़ा करते हैं, कार्टून किसी अखबार का धड़कता हुआ दिल है।” यह उद्गार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलगुरु श्री विजय मनोहर तिवारी ने उद्घाटन सत्र में कहे। उन्होंने कहा कि कार्टूनिंग अखबार का एक अभिन्न अंग है और मीडिया के पाठ्यक्रमों में कार्टूनिंग जैसे विषयों को शामिल करना चाहिए। उनका मानना था कि कार्टून की कला तब तक रहेगी जब तक मानव जीवन रहेगा, क्योंकि शब्दों की सीमाओं के बाहर भी चित्र और रेखाएँ बहुत कुछ बोल जाती हैं।    

कार्यक्रम में प्रदर्शनी, लाइव डिमॉन्स्ट्रेशन तथा कार्टून एप्रिशिएशन कार्यशाला से यह साबित हुआ कि कार्टून कला न केवल जीवित है, बल्कि बदलते मीडिया परिदृश्य और सोशल मीडिया की चुनौतियों के बीच नए आकार ले रही है। छात्रों के सवालों और कलाकारों के जवाबों ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह विधा अभी भी उस क्षमता से भरी है जो समाज को हँसाते हुए सोचने पर मजबूर कर दे।

कार्टून की कला के बारे में कहा जाता है कि यह सिमटती जा रही है। हर तरह के मीडिया में कार्टून के लिए जगह सिमटती जा रही है, इस विषय पर अपनी बात रखते हुए वरिष्ठ कार्टूनिस्ट डा. देवेंद्र शर्मा ने कहा कि मौजूदा वक्त में मीडिया में बहुत बदलाव आ गए हैं। कार्टून की कला में बहुत कमी आ रही है ऐसा पूरी तरह से सही नहीं है, दरअसल कार्टून को लोग अब भी देखना चाहते हैं। आज मीडिया में विचार कम दिखते हैं, विज्ञापन हावी है और बाजार के अन्य कारकों का दबाव भी है, लेकिन इसके बावजूद कार्टून की कला लगातार अपनी जगह बनाए हुए है और नए आकार ले रही है। इसी बात पर सुप्रसिद्ध कार्टूनिस्ट श्री हरिओम तिवारी ने कहा कि कार्टून में ह्यूमर और व्यंग्य दोनों ही होते हैं। आज कार्टून सोशल मीडिया पर भी पसंद किए जा रहे हैं और बहुत बड़ी तादाद में लोग उन्हें फालो करते हैं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर जिस तरह के रिएक्शन आते हैं उससे हार्ड विषयों पर कार्टून बनाना मुश्किल भी होता जा रहा है। लेकिन कार्टून के कलाकार लगातार व्यंग्य और हास्य के साथ कार्टून बना रहे हैं।

इस अवसर पर कार्टून की कला के विषयों पर बात करते हुए वरिष्ठ कार्टूनविद श्री त्र्यम्बक शर्मा ने कहा कि आज सोशल मीडिया जैसे नए माध्यमों में ह्यूमर का स्वरूप बदल गया है। हमारी सोच भी बदलती जा रही है। हमारे जीवन में एआई का दखल बढ़ रहा है। इन सब का असर स्वाभाविक तौर पर कार्टूनिंग की कला पर पड़ रहा है। पत्रकारिता और मीडिया में कार्टून के विषयों पर अपनी बात रखते हुए वरिष्ठ कार्टूनिस्ट श्री हरिमोहन ने कहा कि कार्टून जर्नलिज्म का शुद्धतम रूप है। इस विधा में ज्यादातर राजनैतिक विषयों पर ही कार्टून बनते हैं। कार्टूनिस्ट श्री शिरीष श्रीवास्तव ने कहा कि ज्यादातर कार्टूनिस्टों के लिए राजनीति एक सदाबहार विषय होता है लेकिन समसामयिक आधार पर विषयों का चयन बदलता रहता है।

मुंबई से इस अवसर पर आए वरिष्ठ कार्टून विशेषज्ञ श्री प्रशांत कुलकर्णी ने कहा कि कार्टूनिस्ट के नजरिये से हमें हर चीज ह्यूमर लगती है। चुनावी वक्त भी कार्टून निमार्ण के विषयों के लिहाज से बहुत अच्छा होता है। प्रसिद्ध कार्टूनिस्टर इस्माइल लहरी ने कहा कि कार्टून के कलाकार की दृष्टि अलग होती है। उसका नजरिया जरा हटकर होता है। वह चीजों को एक अलग तरह से देखता है। और उसमें इन गुणों का होना जरूरी है। तभी कार्टून अच्छे और प्रभावशाली बन पाते हैं। उन्होंने कहा कि कार्टून केवल चुटकला नहीं है। यह एक गंभीर विधा है।

वरिष्ठ कार्टूनिस्ट गोविंद लाहोटी ने कहा कि कार्टूनिस्ट के भीतर विचार हमेशा कौंधते रहते हैं। यह सतत चलने वाली एक प्रक्रिया है। इस अवसर पर वरिष्ठ कार्टूनविद श्री माधव जोशी ने कहा कि दरअसल कोई भी कलाकार दुनिया को अपनी कला से कुछ न कुछ देता है। कार्टून बनाने वाले हास्य और व्यंग्य के साथ आम जन को मीडिया के जरिये एक विषय देते हैं जिस पर वे सोच सकते हैं।

सभी विशेषज्ञों ने कहा कि कार्टून कलाकार निर्जीव चीजों में भी प्राण डाल देते हैं। यह हंसने की नहीं सोचने की चीज है। हम सभी में एक कार्टूनिस्ट होता है। वे उन्हें सजीव बनाने का सार्मथ्य रखते हैं।

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में आयोजित हुए इस अनूठे कार्टून शो एवं लाइव स्केचिंग में देश के प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट देवेंद्र शर्मा, त्रयंबक शर्मा, प्रशांत कुलकर्णी, माधव जोशी हरिमोहन वाजपेयी, चंद्रशेखर हाडा और अभिषेक तिवारी , इस्माइल लहरी और कुमार, हरिओम और शिरीष शामिल हुए। वरिष्ठ पत्रकार शिफाली पांडे ने इस पहले सत्र का संचालन किया।

दूसरे सत्र में सभी विशेषज्ञों ने दोपहर दो बजे तक्षशिला और विक्रमशिला परिसर में दो ज्वलंत विषयों शहरी विकास यात्रा और भ्रष्टाचार पर लाइव स्केचिंग भी की। अपनी तरह के अनूठे कार्टून शो के इस पहले सीजन में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने अलगअलग विषयों पर लाइव स्केच बनते हुए देखे तथा कलाकारों से संवाद भी किया।

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में कार्टून एप्रिशिएसन कार्यशाला आयोजित हुई। इसमें वरिष्ठ कार्टून कलाकार श्री प्रशांत कुलकर्णी  ने सोशल कार्टूनिंग पर अपनी बात रखी। इस अवसर पर श्री कुलकर्णी ने बताया कि विविध विषयों पर कार्टून कैसे तैयार किए जा सकते हैं, कार्टून के लिए विषयों का चयन कैसे किया जाता है श्री कुलकर्णी ने फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी तथा भारत के कई मशहूर कार्टूनिस्ट के कार्टून बताए तथा उनके विषयों पर चर्चा की। इसके साथ ही उन्होंने कई अन्य विषयों पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्र में विद्यार्थियों के लिए प्रश्नोत्तर सत्र भी रखा गया। इस कार्यशाला का संचालन विभाग के डा. संदीप भट्ट ने किया। इस कार्यक्रम में तीन दशकों में इनके बनाए चुनिंदा चर्चित कार्टूनों की एक प्रदर्शनी का शुभारंभ सुबह 10:30 बजे हुआ।

पूरे कार्यक्रम में विद्यार्थियों की उत्सुकता निर्देशकों की ओर से दिए गए प्रदर्शन से कहीं ज्यादा साफ दिखी। मुक्ताकाश मंच पर जब कार्टूनिस्टों ने तात्कालिक विषयों पर लाइव स्केच बनाकर दिखाया तो वह सत्र छात्रों की क्लास की तरह बन गया सवालों की झड़ी, विचारों का आदान-प्रदान और कलाकारों के साथ सीधे संवाद ने सीखने का ऐसा माहौल बनाया जो किसी पाठ्यपुस्तक में नहीं मिलता। दोपहर के सत्र में शहरी विकास यात्रा और भ्रष्टाचार जैसे ज्वलंत विषयों पर लाइव स्केचिंग ने खास तौर पर छात्रों की सोच को चुनौती दी और व्यंग्य की पंक्तियाँ सीधे जीवन से जुड़ी दिखीं।

इस पूरे कार्यक्रम का संयोजन विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर पवित्र श्रीवास्तव ने किया।। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षक, विद्यार्थी तथा अधिकारी उपस्थित थे।

अच्छा कार्टूनिस्ट बनने के लिए संवेदनशील होना जरूरी… कार्टून किसी अखबार का धड़कता हुआ दिल – कुलगुरू एमसीयू में कार्टून शो, प्रदर्शनी और लाइव डिमोस्ट्रेशन   भोपाल 5 दिसंबर 2025 : अखबार का धड़कता हुआ दिल पन्नों पर दिखने वाली छोटी सी काठी नहीं, बल्कि वह तेज़, तीक्ष्ण और कभी-कभी दर्दनाक दृष्टि है जो हँसी के बहाने समाज को आईने…

एमसीयू: पहली बार “कार्टून शो’ कल

 

एमसीयू: पहली बार “कार्टून शोकल  :  देश भर से आ रहे हैं 12 कार्टूनिस्ट 

 

भोपाल 04 दिसंबर 2025। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विवि (एमसीयू) में पहली बार 5 दिसंबर, शुक्रवार को “कार्टून शो’ हो रहा है। इसमें शामिल होने देश भर के 12 प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट भोपाल आ रहे हैं। ये हैं-सुभानी शेख (हैदराबाद), त्रयंबक शर्मा (रायपुर), प्रशांत कुलकर्णी (मुंबई), माधव जोशी (दिल्ली), हरिमोहन वाजपेयी (लखनऊ), चंद्रशेखर हाडा और अभिषेक तिवारी (जयपुर), देवेंद्र, इस्माइल लहरी और कुमार (इंदौर), हरिओम और शिरीष (भोपाल)। एमसीयू के मीडिया हेड डॉ. पवित्र श्रीवास्तव ने बताया कि बीते तीन दशकों में इनके बनाए चुनिंदा चर्चित कार्टूनों की एक प्रदर्शनी का शुभारंभ सुबह 10.30 बजे होगा। सुबह 11 बजे गणेश शंकर विद्यार्थी सभागार में सभी कार्टूनिस्ट पत्रकार शिफाली पांडे के साथ “टॉक शो’ में रहेंगे। दोपहर दो बजे तक्षशिला और विक्रमशिला परिसर में लाइव स्केचिंग में विद्यार्थियों के बीच दो ज्वलंत विषयों पर लाइव कार्टून बनाएंगे। अपनी तरह के अनूठे “कार्टून शो’ का यह पहला सीजन है।

  एमसीयू: पहली बार “कार्टून शो’ कल  :  देश भर से आ रहे हैं 12 कार्टूनिस्ट    भोपाल 04 दिसंबर 2025। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विवि (एमसीयू) में पहली बार 5 दिसंबर, शुक्रवार को “कार्टून शो’ हो रहा है। इसमें शामिल होने देश भर के 12 प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट भोपाल आ रहे हैं। ये…

 भारत सत्ता से नहीं, समाज से एक राष्ट रहा हैः डॉ. वैद्य

 

                                     भारत सत्ता से नहीं, समाज से एक राष्ट रहा हैः डॉ. वैद्य

                                            भारत धर्म से संचालित होता रहा हैः डॉ. वैद्य

                                                                   एमसीयू में भारत की भारतीय अवधारणापर युवा संवाद

 

भोपाल 02 दिसंबर 2025: सुपरिचित चिंतक डॉ. मनमोहन वैद्य ने भारत की भारतीय अवधारणा को स्पष्ट करते हुए कहा है कि राष्ट्र का अर्थ नेशन नहीं है। भारत में एक राजा और एक भाषा नहीं थी किंतु उत्तर से दक्षिण तक समाज अध्यात्म और संस्कृति के मूल्यों से एकरूप रहा है। इसने ही सनातन राष्ट्र का निर्माण किया। यह समाज राज्याश्रित नहीं था और स्वदेशी समाज था। 

डॉ. वैद्य माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता व संचार विश्वविद्यालय में आयोजित युवा संवाद को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन विद्यार्थियों के अध्ययन मंडल व पत्रकारिता विभाग ने संयुक्त रूप से किया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलगुरु श्री विजय मनोहर तिवारी ने की। डॉ. वैद्य की इस सिलसिले में हाल में एक पुस्तक ‘हम और यह विश्व’ प्रकाशित हुई थी जिसका पिछले दिनों ही राजधानी में लोकार्पण हुआ था। डॉ.वैद्य ने कहा कि भारतीय समाज पूरी तरह आत्मनिर्भर था और यह आयात नहीं, निर्यात करता था। विश्व के व्यापार में हमारी लगभग दो तिहाई भागीदारी थी जितनी ब्रिटेन व अमेरिका की मिलाकर भी नहीं थी। राष्ट्र के घर-घर में उद्यम होता था। उद्योग में मातृशक्ति का अद्भुद योगदान होता था। हमारे घर संपदा निर्माण के केन्द्र थे। इसी वजह से गृहिणी को गृहलक्ष्मी कहा गया है। आपने कहा कि उत्पादन में प्रचुरता, वितरण में समानता और उपभोग में संयम-यही भारत का विचार है।

डॉ. वैद्य ने कहा कि भारत में सांस्कृतिक विविधता नहीं थी अपितु एक ही संस्कृति विविध रूपों में प्रकट होती है। आध्यात्मिकता ने भारत के विचार को गढ़ा है। हमने विश्व कल्याण की बात की है। उन्होंने पराभूत मानसिकता को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि 2014 के बाद से भारत की बात को फिर से दुनिया में सुना जा रहा है। द संडे गार्जियन ने अपने संपादकीय में लिखा था कि भारत फिर से स्वाधीन हुआ है। उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि धर्म भारतीय अवधारणा है जिसका कोई अंग्रेजी पर्याय नहीं है। भारत में धर्म का व्यापक अर्थ रहा है। समाज के उपकार के लिए उसको लौटाना धर्म माना गया। भारत धर्म पर चला। लोकसभा से लेकर हमारी तमाम बड़ी संस्थाओं के बोधवाक्य को धर्म से लिया गया। तिरंगे के बीच अशोक चक्र वास्तव में धर्मचक्र है जिसका प्रवर्तन राजा अशोक ने किया। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता भारतीय शब्द नहीं है। यह शब्द ईसाईयत के सत्ता में हस्तक्षेप के बाद सरकारों का चरित्र तय करने के लिए पश्चिम का गढ़ा गया शब्द है। 1976 में बिना किसी बहस के इसे भारतीय संविधान में शामिल कर लिया गया। उन्होंने कहा कि राज्य को धर्म से ऊपर उठकर काम करना चाहिए, व्यक्ति धर्मनिरपेक्ष नहीं हो सकता। 

इस अवसर पर कुलगुरु श्री विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि भारत क्या है और इसे समझने के लिए हमारी दृष्टि क्या होनी चाहिए, यह डॉ. मनमोहन वैद्य के चिंतन व लेखन से स्पष्ट होता है। पत्रकारिता दुनिया को 360 डिग्री से देखने की कला है। यह दृष्टिकोण पत्रकारिता विश्वविद्यालय देता है। उन्होंने हम और यह विश्व की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें अल्लामा इकबाल के हम बुलबुले हैं इसको लेकर सर्वथा नया दृष्टिकोण दिया गया है। डॉ. वैद्य ने इसे आगे बढ़ाते हुए कहा कि बुलबुले बाग में संकट आने पर उड़ जाती हैं, पौधे जल जाते हैं किंतु बाग से डिगते नहीं हैं। हम सब इस बाग के पौधे हैं। कार्यक्रम का संचालन छात्र राजवर्धन सिंह ने किया।

                                       भारत सत्ता से नहीं, समाज से एक राष्ट रहा हैः डॉ. वैद्य                                             भारत धर्म…

एमसीयू में “निशंक’ ने सुनाई  “लेखक गाँव’ की कहानी

एमसीयू में “निशंकने सुनाई  “लेखक गाँवकी कहानी

 भोपाल 30 नवम्बर। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विवि (एमसीयू) में पूर्व केंद्रीय मंत्री और लेखक डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक रविवार को कैम्पस में विद्यार्थियों से मिले। देहरादून में बने देश के पहले लेखक गाँव की कहानी सुनाई। उन्होंने कहा कि हिमालय की गोद में देश-दुनिया के लेखकों और रचनाकारों के लिए एक गाँव बसाया गया है। यहाँ 40 हजार किताबों का संग्रह है। नई पीढ़ी के रचनाकारों के लिए आवास की सुविधा है। पूरा निर्माण हिमालय की वास्तुकला पर केंद्रित है। कवि और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का स्वप्न था कि लेखकों के लिए एक ऐसा परिसर विकसित किया जाए। यहाँ हिमालय की लोक संस्कृति पर केंद्रित एक संग्रहालय भी बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया को एक विश्व बाजार के रूप में देखा जा रहा है। जबकि भारतीय दृष्टि बाजार की नहीं है, वह पूरे विश्व को एक परिवार मानती है। मीडिया को भी भारतीय दृष्टि से ही विश्व को समझने और देखने की जरूरत है। हम बाजार नहीं हैं। हम मनुष्य हैं। हमारी सभ्यता-संस्कृति और सरोकार एक दूसरे से साझे हैं। मीडिया में यही भाव जगाना जरूरी है ताकि भारतीय मूल्यों की महान विरासत आगे बढ़े। कुलगुरू विजय मनोहर तिवारी ने परिसर में उनका स्वागत किया। उन्होंने दादा माखनलाल चतुर्वेदी की प्रतिमा का अवलोकन किया और शिलालेख के स्थान पर लगे “कर्मवीर’ अखबार के रचनात्मक प्रयोग को सराहा। उन्होंने कहा कि लेखक गाँव विश्वविद्यालय के साथ मिलकर भी कुछ रचनात्मक सृजन में अपनी भूमिका निभा सकता है।

एमसीयू में “निशंक’ ने सुनाई  “लेखक गाँव’ की कहानी  भोपाल 30 नवम्बर। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विवि (एमसीयू) में पूर्व केंद्रीय मंत्री और लेखक डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक रविवार को कैम्पस में विद्यार्थियों से मिले। देहरादून में बने देश के पहले लेखक गाँव की कहानी सुनाई। उन्होंने कहा कि हिमालय की गोद में…

“नो मोर पाकिस्तान”: एमसीयू भोपाल में राष्ट्रीय सुरक्षा पर विशेष व्याख्यान का आयोजन

        “नो मोर पाकिस्तान”: एमसीयू भोपाल में राष्ट्रीय सुरक्षा पर विशेष व्याख्यान का आयोजन

 

भोपाल, 29 नवम्बर । माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में शनिवार को “नो मोर पाकिस्तान” विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानंद सभागार में आयोजित हुआ। इस व्याख्यान का आयोजन राष्ट्रीय सुरक्षा मंच, द्वारा किया गया, जिसका उद्देश्य भारत के समक्ष मौजूद सुरक्षा चुनौतियों और क्षेत्रीय भू-राजनीतिक परिस्थितियों पर जागरूक एवं सूचित चर्चा को बढ़ावा देना था।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री गोलोक बिहारी राय, राष्ट्रीय संचालन समिति के सदस्य, उपस्थित रहे। उन्होंने अपने उद्बोधन में राष्ट्रीय सुरक्षा के बदलते आयामों पर प्रकाश डाला और कहा कि वर्तमान समय में नागरिकों, विशेषकर युवाओं को सुरक्षा से जुड़े मुद्दों, क्षेत्रीय तनावों और भारत की सामरिक स्थिरता को प्रभावित करने वाले कारकों की समझ विकसित करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने जिम्मेदार संवाद, संतुलित मीडिया रिपोर्टिंग और सजग नागरिक समाज की भूमिका पर भी ज़ोर दिया।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री विक्रमादित्य सिंह, संगठन के राष्ट्रीय महासचिव, रहे। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में राष्ट्रीय सुरक्षा जागरूकता पर होने वाली चर्चाएँ अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि युवा पत्रकार एवं मीडिया छात्र देश के मुद्दों पर तथ्यों को संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे जनमत और राष्ट्रीय विमर्श प्रभावित होता है।

 इस व्याख्यान की अध्यक्षता श्री एस. के. राउत, आईपीएस (सेवानिवृत्त), अध्यक्ष FANS भोपाल चैप्टर, ने की। उन्होंने कहा कि ऐसे सेमिनारों का उद्देश्य विद्यार्थियों में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों की समझ विकसित करना है, ताकि वे देश के समकालीन मसलों को व्यापक दृष्टि से समझें और राष्ट्रहित में रचनात्मक योगदान दे सकें। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलगुरू श्री विजय मनोहर तिवारी भी उपस्थित थे।

 कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के छात्रों और संकाय सदस्यों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। इंटरैक्टिव सत्र के दौरान विद्यार्थियों ने मीडिया की जिम्मेदारी, राष्ट्रीय मुद्दों में युवाओं की भागीदारी और भारत की भविष्य की क्षेत्रीय नीतियों से जुड़े कई प्रश्न पूछे, जिन पर वक्ताओं ने विस्तार से चर्चा की।

        “नो मोर पाकिस्तान”: एमसीयू भोपाल में राष्ट्रीय सुरक्षा पर विशेष व्याख्यान का आयोजन   भोपाल, 29 नवम्बर । माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में शनिवार को “नो मोर पाकिस्तान” विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानंद सभागार में आयोजित हुआ। इस…