छायावाद की प्रेरणा है ‘गीतांजलि’

गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर स्मृति दिवस पर पत्रकारिता विश्वविद्यालय में विशेष व्याख्यान का आयोजन

भोपाल, 07 अगस्‍त, 2019: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से 7 अगस्त को गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर स्मृति दिवस पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गाँधीवादी विचारक प्रो. अरुण त्रिपाठी ने गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अपने विचार रखते हुए कहा कि भारतीय दर्शन, चिंतन, कला, संस्कृति, संगीत और साहित्य को गुरुदेव ने एक नया आयाम दिया। गुरुदेव के चिंतन में हमें एक व्यापक फलक मिलता है। उनकी विश्व प्रसिद्ध रचना गीतांजलि है। छायावाद और छायावादी कवियों की प्रेरणा भी गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर एवं गीतांजलि है।

पत्रकारिता के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्रो. त्रिपाठी ने गुरुदेव और महात्मा गांधी के आपसी संबंधों और उनकी आपसी समझ पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गुरुदेव ने गांधीजी के असहयोग आंदोलन और विदेशी कपड़ों की होली जलाने के प्रति अपनी असहमति प्रकट की थी। अन्य अवसरों पर भी अपनी मतभिन्नता प्रकट की। किंतु, उनका आपसी संवाद और व्यवहार हमें बताता है कि विचारों में असहमति के बाद भी हम कैसे एक-दूसरे का सम्मान कर सकते हैं। प्रो. त्रिपाठी ने इस अवसर पर कहा कि आज श्रीरामचरितमानस के रचयिता संत तुलसीदास की जयंती भी है। उन्होंने कहा था- ‘परहित सरिस धर्म नहीं भाई, पर पीड़ा सम नहिं अधमाई।’ आज हमने उनकी इस सीख को उलट कर रख दिया है। तुलसीदास की यह शिक्षा आज प्रासंगिक है।

इस अवसर पर न्यूज़ क्लिक के संपादक डॉ. प्रबीर पुरकायस्थ भी उपस्थित थे। उन्होंने ‘चेंजिंग ट्रेंड्स इन जर्नलिज्म एंड फ्यूचर ऑफ़ डिजिटल मीडिया’ पर अपना व्यख्यान दिया। डॉ. पुरकायस्थ ने कहा कि इंटरनेट ने संचार माध्यमों के एकाधिकार को खत्म कर दिया है। पहले की तुलना में आज मीडिया अधिक लोकतांत्रिक हुआ है। किंतु, इंटरनेट आधारित मीडिया प्लेटफॉर्म की खराबी है कि इस पर फेक न्यूज अधिक तेजी से फैलती है। आज जबकि फेक न्यूज का बोलबाला है, तब कम्युनिकेशन की बड़ी भूमिका है कि वह सच्चाई और विवेक की पुनर्स्थापना करे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलाधिसचिव डॉ. श्रीकांत सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थी राघवेन्द्र प्रताप ने किया।