50 सालों तक हिन्दी को कोई संकट नहीं है – पंकज सुबीर

रोजी-रोटी के लिए हिन्दी बहुत जरुरी है – शिफाली

साहित्य, शरीर को हिला देता है  – कुलपति

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में मना हिन्दी दिवस समारोह   

भोपाल, 14 सितम्‍बर, 2019: हिन्दी को लेकर आजकल बहुत भ्रम है, लेकिन मैं पूरे विश्वास के साथ कहना चाहूंगा कि अगले 50 सालों तक हिन्दी को कोई संकट नहीं है। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्विविद्यालय में हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में ये विचार प्रख्यात कथाकार एवं लेखक पंकज सुबीर ने व्यक्त किए। विश्वविद्यालय के साहित्य क्लब, मुंशी प्रेमचंद साहित्य परिषद के द्वारा आयोजित इस समारोह में वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखिका सुश्री शिफाली, विश्वविद्यालय के कुलपति श्री दीपक तिवारी, कुलाधिसचिव प्रो. श्रीकांत सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

श्री पंकज सुबीर ने हिन्दी भाषा की प्रशंसा करते हुए कहा कि जितने अच्छे से संचार आप अपनी मातृभाषा में करते हैं अन्य भाषाओं में ऐसा नहीं होता है। उन्होंने हिन्दी एवं अंग्रेजी की पुस्तकों पर कहा कि अंग्रेजी की पुस्तकें एयरपोर्ट पर बिकती हैं, जबकि हिन्दी की रेलवे स्टेशन पर । कई पुरस्कारों से सम्मानित श्री सुबीर ने हिन्दी को वैज्ञानिक एवं समय के आगे की भाषा बताते हुए कहा कि यह बहुत ही अच्छी भाषा है और इससे जादू सा निकलता है। उन्होंने हिन्दी को आम बोल-चाल की भाषा बताते हुए कहा कि यह एक ऐसी भाषा है, जिसमें हिन्दी में बात करते हैं तो ये आपके दिल को छूती है।

समारोह में वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखिका सुश्री शिफाली ने हिन्दी भाषा पर  कहा कि भाषा के हाथ पकड़कर यदि आप आगे बढ़ते हैं तो कोई बाधा नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि आप अपनी भाषा का दामन कभी न छोड़ें। शिफाली ने विद्यार्थियों को शब्दकोश को बढ़ाने की बात कहते हुए हिन्दी को आमजन की भाषा बताया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रौब जमाने के लिए अंग्रेजी ठीक है लेकिन रोजी-रोटी के लिए हिन्दी बहुत जरुरी है । उन्होंने इस अवसर अपनी कुछ चुनिंदा कविताओं का पाठ भी किया।

हिन्दी दिवस समारोह की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति श्री दीपक तिवारी ने अपने संबोधन में हिन्दी साहित्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये आपको अंदर से हिला देता है । उन्होंने इसे साहित्य की ताकत बताते हुए कहा कि इसके प्रभाव से आप हिले बिना नहीं रह सकते हैं। उन्होंने रामचरित मानस के साथ ही अन्य ग्रंथों का उल्लेख करते हुए इसे हिन्दी से जोड़ा। कुलपति ने आजादी के आंदोलन का विशेष जिक्र करते हुए कहा कि इसमें हिन्दी का बहुत बड़ा योगदान था। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे हिन्दी मजबूत होती गई है, वैसे-वैसे आंदोलन और बढ़ता गया। अंत में कुलाधिसचिव प्रो. श्रीकांत सिंह ने आभार प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। समारोह का संचालन सहा. प्राध्यापक अरुण कुमार खोबरे ने किया।