लीडर वही है जो आगे के दृश्य को देखे – दीपक तिवारी

लीडर वही है जो आगे के दृश्य को देखे – दीपक तिवारी

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में प्रो.बी.एस.निगम का भावुक विदाई समारोह

भोपाल 31 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में वरिष्ठ प्राध्यापक एवं नोएडा कैंपस के डायरेक्टर प्रो. बी.एस. निगम के सेवानिवृत होने पर विदाई समारोह का आयोजन हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति दीपक तिवारी ने प्रो. निगम की सेवानिवृति को जीवन की एक पारी का खत्म होना बताया। उन्होंने कामना की कि इसके बाद भी वे जीवन की दूसरी पारी भी इसी तरह पूरी ऊर्जा के साथ खेलते रहें । श्री तिवारी ने कहा कि लीडर वही है, जो आगे के दृश्य को देख सके। निगम साहब ने विश्वविद्यालय के आगे के दृश्य को देखा और उसे बनाने में अपना योगदान दिया। उन्होंने कहा कि व्यक्तियों से मिलकर ही संस्था बनती है और निगम साहब शुरुआती दिनों से विश्वविद्यालय के साथ रहे हैं। उन्होंने प्रो. निगम के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं।

          विश्वविद्यालय के कुलाधिसचिव प्रो. श्रीकांत सिंह ने प्रो. निगम के रचनात्मकता की बात की। उन्होंने कहा कि वे रचनात्मकता में विश्वास रखते हैं। विश्वविद्यालय के वार्षिक सांस्कृतिक,खेलकूद आयोजन को उन्होंने निगम साहब द्वारा शुरू किए जाने की बात कही । श्री सिंह ने कहा कि निगम साहब ने भोपाल परिसर के अलावा नोएडा परिसर में भी बहुत अच्छा कार्य किया है । उन्हें जो भी कार्य सौंपा गया, उन्होंने पूरी लगन और जिम्मेदारी के साथ उसे पूरा किया । कुलसचिव दीपेन्द्र सिंह बघेल ने कहा कि श्री निगम ने डाक्यूमेंटेशन को वैज्ञानिक तरीके से किया । पुस्तकालय में शुरुआती दौर में न्यूज कटिंग्स एवं लेखों को संजोकर रखना आसान नहीं था, लेकिन प्रो. निगम ने इसे आसान बना दिया।

          प्रो. बी.एस. निगम ने अपने सेवानिवृति के अवसर पर कहा कि वे विश्वविद्यालय में एक तपस्वी की तरह आए थे। उन्होंने कहा आज वे जो कुछ भी हैं, इस विश्वविद्यालय के कारण ही हैं। प्रो. निगम ने कहा कि उन्हें पूरे देश में जो भी मान-सम्मान और पहचान मिली है वो विश्वविद्यालय की ही देन है। प्रो. निगम ने कहा कि बिना वजह उन्होंने कभी भी छुट्टी नहीं ली और पूरी ईमानदारी के साथ अपने कार्य को किया। प्रो. सीपी.अग्रवाल, प्रो. अनुराग सीठा, डॉ. मणिकंठन नायर, समेत अन्य शिक्षकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भी सेवानिवृत प्रो. निगम के बारे में अपने अनुभव साक्षा किए। विदाई समारोह कार्यक्रम का संचालन सहायक कुलसचिव विवेक सावरीकर ने किया।

लीडर वही है जो आगे के दृश्य को देखे – दीपक तिवारी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में प्रो.बी.एस.निगम का भावुक विदाई समारोह भोपाल 31 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में वरिष्ठ प्राध्यापक एवं नोएडा कैंपस के डायरेक्टर प्रो. बी.एस. निगम के सेवानिवृत होने पर विदाई समारोह का आयोजन हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय…

सवाल पूछना पत्रकार का धर्म – सिद्धार्थ वरदराजन

सवाल पूछना पत्रकार का धर्म – सिद्धार्थ वरदराजन

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सुधार की संभावना नहीं, डिजिटल से उम्मीद

दो दिवसीय वसंत साहित्य उत्सव का समापन

भोपाल, 30 जनवरी, 2020: वरिष्ठ पत्रकार और ‘द वायर’ के संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने कहा कि सवाल पूछना पत्रकार का धर्म है। आपको संविधान सवाल पूछने पर सुरक्षा की गारंटी देता है। ऐसे भी पत्रकार हैं जो सवाल पूछते हैं तो ताकतवर लोगों के पसीने छूट जाते हैं। श्री वरदराजन गुरुवार को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता में संचार विश्वविद्यालय में वसंत साहित्य उत्सव के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे । समापन सत्र के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार शुक्ला थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति दीपक तिवारी ने की।

पत्रकारिता के विद्यार्थियों से रूबरू होते हुए उन्होंने कहा कि एक पत्रकार को सवाल पूछने से पीछे नहीं हटना चाहिए । उसे सत्ता में जो भी पार्टी हो उससे सवाल करना चाहिए। वह चाहे वामपंथी दल हो या दक्षिणपंथी। आज पत्रकार सत्ता से सवाल पूछने से डरते हैं या नहीं पूछते हैं । उन्होंने कहा कि यदि आप पत्रकारिता के व्यवसाय में आए हैं तो आपका जिगर मजबूत होना चाहिए। डिजिटल दौर को लेकर उन्होंने कहा कि आज नया इनीशिएटिव शुरू करना आसान है। आप अपना ब्लॉग लिख सकते हैं, अपनी बात लोगों तक पहुंचा सकते हैं जबकि बीस साल पहले ऐसा नहीं था। उन्होंने मीडिया में साम्प्रदायिकता को लेकर चल रही चर्चाओं पर चिंता जताई और इसे एक खतरनाक ट्रेंड बताया। उन्होंने कहा कि आज कुछ पत्रकार समाज हित के मुद्दों को ना उठाकर हिंदू-मुस्लिम विवाद को बढ़ावा दे रहे हैं।

एनआरसी और सीएए के मसले पर देश में चल रही बहस को लेकर उन्होंने कहा कि इस बहस में आप किसी भी पक्ष में हो, लेकिन एक खास बात यह है कि लोग संविधान को अहमियत दे रहे हैं। संविधान की उद्देशिका को पढ़ रहे हैं, सड़क पर उतरकर संविधान की भावना को समझ रहे हैं। श्री वरदराजन ने कहा कि फ्रीडम ऑफ प्रेस इंडेक्स में हिंदुस्तान की गिरती रैंक चिंता की बात है। अफसोस की बात यह है देश के पाठकों, दर्शकों के लिए जैसा मीडिया होना चाहिए वैसा नहीं है। टीवी चैनल्स पर खबरें कम शोर-शराबा ज्यादा है, जिसका आम लोगों की जिंदगी से कोई लेना-देना नहीं है। रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक मंदी जैसे मुद्दों पर बहस नहीं होती । इसीलिए लोग इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से दूर जा रहे हैं।

श्री वरदराजन ने कहा कि विकसित देशों में अखबारों की प्रसार संख्या कम हो रही है। अखबारों और टेलीविजन को मिलने वाला रेवेन्यू इंटरनेट की तरफ जा रहा है, इससे अखबार का पुराना बिजनेस मॉडल प्रभावित हो रहा है। जबकि भारत में स्थिति थोड़ी अलग है यहां मीडिया में रोजगार की संभावनाएं बढ़ रही है। क्योंकि देश में न तो अखबारों की संख्या घट रही है और न ही उनकी प्रसार संख्या। उधर राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर कुल 200 चैनल ऐसे हैं  जो 24×7  वाले हैं।

सत्य के कई रूप: संजय शुक्ला

वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार शुक्ला ने कहा कि जिस तरह से बैटरी को रिचार्ज करने की आवश्यकता पड़ती है, वैसे ही सृजनात्मकता को भी रिचार्ज करना पड़ता है। बसंत साहित्य उत्सव जैसे आयोजनों से सृजनात्मकता को पोषण मिलता है। उन्होंने कहा कि सत्य के कई रूप और चेहरे होते हैं। हर विषय को समझने के लिए उसके सभी पक्षों को जानना समझना जरूरी होता है। आज मुख्यधारा के मीडिया में सभी पक्षों पर कम बात हो रही है। श्री शुक्ला ने कहा कि भौगोलिक स्थिति के कारण हमारे देश में वसंत ऋतु का अलग स्थान है, ऐसी वसंत ऋतु विश्व के अन्य किसी देश में नहीं होती है।

महात्मा गांधी  तूफान से कश्ती निकाल कर लाए – दीपक तिवारी

समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलपति दीपक तिवारी ने कहा कि आज न केवल महात्मा गांधी को याद करने की जरूरत है, बल्कि जिन मूल्यों, आदर्शों के लिए जाने जाते थे, उन्हें जीने और जानने की जरूरत है। महात्मा गांधी जैसे व्यक्ति ही तूफान से इस देश की कश्ती निकालकर लाए । वसंत साहित्य उत्सव पर उन्होंने कहा कि इस आयोजन में पुस्तकों पर हर तरह की जीवंत चर्चाएं हुई।  श्री तिवारी ने कहा कि इन दो दिनों में राजनीति, प्रौद्योगिकी, संस्कृति, साहित्य एवं पंडित जवाहर लाल नेहरू जैसे महापुरुषों पर सकारात्मक चर्चा हुई। उन्होंने आश्वस्त किया कि आने वाले समय में भी पूर्व विद्यार्थियों को साथ लेकर इस तरह के आयोजन विश्वविद्यालय में होते रहेंगे। कार्यक्रम का सफल संचालन विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव एवं लेखक विवेक सावरीकर ‘मृदुल’ ने किया। आभार प्रदर्शन प्रोफेसर डॉ. अनुराग सीठा ने किया।

सवाल पूछना पत्रकार का धर्म – सिद्धार्थ वरदराजन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सुधार की संभावना नहीं, डिजिटल से उम्मीद दो दिवसीय वसंत साहित्य उत्सव का समापन भोपाल, 30 जनवरी, 2020: वरिष्ठ पत्रकार और ‘द वायर’ के संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने कहा कि सवाल पूछना पत्रकार का धर्म है। आपको संविधान सवाल पूछने पर सुरक्षा की गारंटी देता है। ऐसे भी पत्रकार…

राम प्रकृति हैं लेकिन रावण जीवन हैः शैलेंद्र तिवारी

राम प्रकृति हैं लेकिन रावण जीवन हैः शैलेंद्र तिवारी

एमसीयू में वसंत साहित्य उत्सव का समापन

भोपाल30 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) के समानांतर सत्रों में विभिन्न लेखकों की पुस्तकों पर आज भी चर्चा हुई । नंदकिशोर त्रिखा विमर्श सदन में शैलेंद्र तिवारी ने अपनी पुस्तक ‘रावण एक अपराजित योद्धा’ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह रावण को लेकर के समाज में प्रचलित भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास करती है। राम प्रकृति हैं लेकिन रावण जीवन है। डॉ.दीपक राय ने ‘सोशल मीडिया राजनीति और समाज’ पर कहा कि यह पुस्तक पत्रकारिता के विद्यार्थियों को केंद्र में रखकर लिखी गई है जो शोध परक है। पुस्तक हर उस व्यक्ति के लिए उपयोगी हो सकती है जो अपने पास स्मार्ट फोन रखता है।  अंतिम सत्र में अनुज खरे की पुस्तक ‘बातें बेमतलब’ पर जब उनसे चर्चा में पूछा गया कि आप पुस्तक में रूमानी सामग्री कहां से लाते हैं तो उन्होंने कहा कि ये उनका पेशा है और जरूरी नहीं कि कोई चीज लिखने के लिए आपको उस चीज का अनुभव हो।

अंबा प्रसाद श्रीवास्तव विमर्श सदन में श्रुति कुशवाहा ने काव्य संग्रह ‘कशमकश’ पर चर्चा के दौरान कहा कि आज के युवा सोशल मीडिया पर आ रहे लाइक कमेंट्स पर अपने आपको जज न करें। कविता लिखने के लिए तकलीफों से दोस्ती करना चाहिए। ‘सृजन पथ’ के लेखक विवेक मृदुल ने कहा कि सृजन पथ चलने की एक शैली है। लेखन का उद्देश्य समाज और देश की विसंगतियों को समाज के सामने लाना होता है, ताकि इनमें बदलाव लाया जा सके । ‘लौटेगी नदी एक दिन’ के कवि और लेखक दीपक पगारे ने कहा कि कवि का उद्देश्य  परिवेश को रेखांकित करना होता है। अपनी पुस्तक के बारे में उन्होंने कहा कि उनकी पुस्तक पवित्र प्रेम और रूमानियत नजर आती है।

के.एम. श्रीवास्तव विमर्श सदन में हिमांशु द्विवेदी के आलेख संग्रह ‘अलाव’ पर चर्चा हुई । चर्चा के दौरान श्री द्विवेदी ने कहा कि दो तरह के लेखक होते है, एक वह जो देखता है और दूसरा वह जो सोचता है। उन्होंने खुद को सोचने वाला लेखक बताया। चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि बुद्धि से लिखने वाले लेखक की अपेक्षा सह्दय सोच रखने वाला लेखक श्रेष्ठ  होता है । ‘सागर से झील तक’ यात्रा वृत्तांत पुस्तक के लेखक अनुराग ढेंगुला ने चर्चा के दौरान कहा कि  जहां घूमने  जाता हूं वहां के  रह- सहन,  खान-पान भौगोलिक स्थिति को देखने के साथ  महसूस करता हूं । यह गुण ही किसी को एक अच्छा और महान लेखक बनाता है।  विनय त्रिपाठी ने अपने काव्य संग्रह ‘आ जाएगा कोई साथ’ को प्रकृति संरक्षण एवं सर्वागीण विकास के प्रति संकल्पित बताया । महात्मा गांधी से प्रेरित श्री त्रिपाठी  ने चर्चा के दौरान कहा कि इस संसार में हजारों  व्यक्ति जन्म लेते है, मरते हैं लेकिन संसार कुछ विरले लोगों को ही याद रखता है।

रघुनाथ प्रसाद तिवारी विमर्श सदन में सुश्री प्रीति शर्मा जैन ने ‘सशक्त अभिभावक सफल बच्चे’  प्रेरक प्रसंग पर चर्चा के दौरान अच्छे पड़ोसी को बच्चे के सकारात्मक दृष्टिकोण के विकास में महत्त्वपूर्ण बताया । पड़ोसी भी बच्चे पर पैनी नजर रखकर उसे गलत कार्यो से अवगत करा सकता है। सोमिल जैन ‘सोमू’ की पुस्तक सच संघर्ष और सादगी से भरी ‘उड़ान एक परिंदे की’ पर विमर्श हुआ। उन्होंने  कहा कि यह पुस्तक एक उपन्यास है और इसकी सभी घटनाएं काल्पनिक हैं। लेकिन आत्मप्रेरक  हैं ।  विविध एवं समसामायिक विषय पर लिखी गई पुस्तकों पर विमर्श के आखिरी चरण में ‘कुंवर इंद्रजीत सिंह’ की पुस्तक ‘ड्रीम गर्ल’ पर विमर्श किया गया। यह एक प्रेम प्रसंग पर केंद्रित यह उपन्यास एक अधूरी प्रेम कहानी है।

राम प्रकृति हैं लेकिन रावण जीवन हैः शैलेंद्र तिवारी एमसीयू में वसंत साहित्य उत्सव का समापन भोपाल, 30 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) के समानांतर सत्रों में विभिन्न लेखकों की पुस्तकों पर आज भी चर्चा हुई । नंदकिशोर त्रिखा विमर्श सदन में शैलेंद्र तिवारी ने अपनी पुस्तक ‘रावण एक अपराजित…

गांधी के आंदोलन और नवजागरण में माखनलाल चतुर्वेदी का अद्वितीय योगदान: श्रीधर

गांधी के आंदोलन और नवजागरण में माखनलाल चतुर्वेदी का अद्वितीय योगदान: श्रीधर

बापू और दादा की पुण्यतिथि पर पत्रकारिता विश्वविद्यालय में विशेष व्याख्यान

भोपाल, 30 जनवरी, 2020: महात्मा गांधी जब आज़ादी की लड़ाई को जनांदोलन बना रहे थे, तब मध्य भारत में माखनलाल चतुर्वेदी अपने समाचार पत्र ‘कर्मवीर’ के माध्यम से आजादी और नवजागरण की अलग जगा रहे थे। यह बातें सप्रे संग्रहालय के संस्थापक निदेशक विजयदत्त श्रीधर ने गुरुवार को यहां अपने मुख्य वक्तव्य में कहीं। वे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और उनके अनुयायी व स्वतंत्रता सेनानी माखनलाल चतुर्वेदी की पुण्यतिथि पर विशेष व्याख्यान में अपनी बात रख रहे थे।

श्रीधर ने कहा कि दादा माखनलाल चतुर्वेदी के समाचार पत्र ‘कर्मवीर’ को 17 जनवरी को 100 वर्ष पूर्ण हुए हैं। उनकी पत्रकारिता निबंध लेखन की प्रतियोगिता में प्रथम स्थान आने के बाद प्रारंभ हुई। माधवराव सप्रे ने उन्हें ‘प्रभा’ के संपादन की जिम्मेदारी सौंपी। दादा ने 1927 में भरतपुर संपादक सम्मेलन में उन्होंने पत्रकारिता के शिक्षण के लिए एक अच्छे संस्थान की आवश्यकता को रेखांकित किया था। उस सम्मेलन में उन्होंने पत्रकारिता की जिम्मेदारी पर भी महत्वपूर्ण वक्तव्य दिया था, जिसे आज पढ़ाये जाने की जरूरत है। विजयदत्त श्रीधर ने बताया कि महात्मा गांधी पर पहली कविता माखनलाल जी ने लिखी, जो `प्रताप’ में प्रकाशित हुई। उन्होंने रतौना गोरक्षा सत्याग्रह और झंडा आंदोलन में माखनलाल चतुर्वेदी के योगदान को रेखांकित किया।

इस अवसर पर कुलपति दीपक तिवारी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि विविधता ही भारत है। विविधता ही भारत की ताकत है। विविधता बचेगी तो भारत बचेगा और भारत बचेगा तो दुनिया बचेगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय माखनलाल जी के भाव को आगे बढ़ा रहा है। विवि ने दादा की जन्मस्थली बाबई में उनकी स्मृति में पुस्तकालय की स्थापना की है।

17 जून को रतौना आंदोलन के 100 वर्ष पूर्ण होने पर विश्वविद्यालय सागर में संगोष्ठी का आयोजन कर रहा है। इस अवसर पर प्रो. बीएस निगम ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कुलाधिसचिव डॉ. श्रीकांत सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया और कार्यक्रम का संचालन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग की अध्यक्ष डॉ. राखी तिवारी ने किया।

गांधी के आंदोलन और नवजागरण में माखनलाल चतुर्वेदी का अद्वितीय योगदान: श्रीधर बापू और दादा की पुण्यतिथि पर पत्रकारिता विश्वविद्यालय में विशेष व्याख्यान भोपाल, 30 जनवरी, 2020: महात्मा गांधी जब आज़ादी की लड़ाई को जनांदोलन बना रहे थे, तब मध्य भारत में माखनलाल चतुर्वेदी अपने समाचार पत्र ‘कर्मवीर’ के माध्यम से आजादी और नवजागरण की अलग जगा रहे…

आरटीआई सवाल पूछने के लिए नहीं जानकारी लेने के लिए हैः श्यामलाल

आरटीआई सवाल पूछने के लिए नहीं जानकारी लेने के लिए हैः श्यामलाल

वसंत साहित्य उत्सव में विद्यार्थियों ने भी की भागीदारी, पूछे प्रश्न

भोपाल, 29 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित `वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) के पहले दिन राजनीति, पत्रकारिता, साहित्य और विविध विषयों से जुड़ी पुस्तकों पर रोचक और आकर्षक चर्चा हुई। लेखकों ने सुरुचिपूर्ण तरीके से पुस्तक पर विचार रखे। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने भी चर्चा में उत्साहपूर्वक भाग लिया। पत्रकारिता विषय पर केंद्रित सत्र में वरिष्ठ पत्रकार श्यामलाल यादव ने अपनी किताब ‘जर्नलिस्ट थ्रू आरटीआई’ इनफार्मेशन इन्वेस्टीगेशन इम्पेक्ट’ ने कहा कि यह किताब सूचना के अधिकार पर केंद्रित है, जिसमें उनके द्वारा आरटीआई से प्राप्त जानकारी के आधार पर खबरें बनाई गई है। आरटीआई प्रश्न पूछने के लिए नहीं है बल्कि जानकारी निकालने के लिए है।

सुश्री प्रियंका दुबे की पत्रकारिता ‘नो नेशन फॉर वुमेन’,पर राकेश दीक्षित ने कहा कि दुष्कर्म पीड़ितों से संबंधित पुस्तक समाज को झकझोरती है। मनोज द्विवेदी ने ‘जनसंपर्क :बदलते आयाम’ पुस्तक पर कहा कि नई तकनीकी का जनसंपर्क में किस तरह से उपयोग किया जाता है, यह किताब इस बात को स्पष्ट करती है। डॉ. संजीव गुप्ता ने ‘पर्यटन लेखन’ पुस्तक पर कहा कि किस तरह से प्रभावी लेखन किया जाए इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देती है। उन्होंने कहा कि पर्यटन में रोजगार के अवसर भी हैं। सचिन कुमार जैन ने संविधान पर ‘भारतीय संविधान की विकास गाथा’, पुस्तक पर कहा कि यह किताब संविधान मूल्यों पर केंद्रित है। वरिष्ठ पत्रकार राजेश सिरोठिया ने अपनी पुस्तक ‘खबर नवीसी आपबीती आंखों-देखी’ पर कहा कि यह उनके अनुभव को बांटती है, ताकि आने वाली पीढ़ी पत्रकारिता के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके। विजय मनोहर तिवारी ने यात्रा वृतांत ‘भारत की खोज में मेरे पांच साल’ को लेकर कहा कि यह पुस्तक उन घटनाओं पर केंद्रित है जो पहले कभी मीडिया में कवर नहीं की गई थी।

साहित्य पर केंद्रित समानांतर सत्र में पुष्यमित्र के उपन्यास ‘जब नील का दाग मिटाः  चम्पारण 1917’पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि गुलामी के दौर में लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया तो आज अपनों के खिलाफ तो जरूर करना चाहिए। व्यंग्यकार सतीश एलिया ने अपनी किताब `अन्नम् ब्रह्मा’ पर कहा कि लेखन आजीविका, पैसे और शोहरत के लिए नहीं संतुष्टि के लिए करना चाहिए।

आशुतोष नाडकर ने अपनी पुस्तक शकुनी पासों का महारथी के बारे में बताया कि यह उपन्यास शकुनी को एक किरदार के रूप में प्रस्तुत करती है। खलनायक होने के बावजूद उनमें कुछ अच्छे गुण थे। वरुण सखाजी श्रीवास्तव ने अपनी व्यंग्य कृति परलोक में सेटेलाइट पर चर्चा के दौरान कहा कि खुरदरी जमीन पर ही पत्रकार पैदा होते हैं।

सुदर्शन व्यास ने अपने काव्य संग्रह `रिश्तों की बूंदें’ पर चर्चा करते हुए कहा कि जन्म से लेकर मृत्यु तक व्यक्ति किसी न किसी तरह के प्रेम का अनुभव करता है। विविध विषयों की पुस्तकों के समांतर सत्र में आदित्य श्रीवास्तव ने अपनी किताब `तुम ही मैं हूं’ पर चर्चा में कहा कि कविता अपनी मर्जी से उपजती है, आप लाख कोशिश कर लें वह खुद पैदा नहीं होती। अंकुर जैन ने `ये हौंसला कैसे झुके’ के बारे में बताया कि जिंदगी का महत्व हम तभी जान पाते हैं जब हम संघर्ष करते हैं। डा विष्णु राजगढ़िया ने `पुस्तक सूचना का अधिकार व्यावहारिक मार्गदर्शिका’ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक आम नागरिक अपने लिए आरटीआई का उपयोग करता है लेकिन एक पत्रकार समाज और लोकतंत्र की मजबूती के लिए आरटीआई का प्रयोग करता है। अभिषेक खरे ने `कैरियर समाधान’ के बारे में बताया कि नौकरी रुचि की होनी चाहिए नहीं तो वह एक बोझ बन जाती है।

राजनीतिक पुस्तकों पर आधारित समांतर सत्र में ब्रजेश राजपूत ने कहा कि अधिकतर चुनाव नकारात्मक होते हैं क्योंकि हम किसी को हराते नहीं हटाते हैं। `चुनाव है बदलाव का’ शीर्षक से प्रकाशित उनकी किताब एक हजार से ज्यादा बिक चुकी हैं। कृष्णकांत शुक्ला ने अपनी किताब `वचनबद्ध मध्यप्रदेश’ पर चर्चा में कहा कि आने वाले समय में डिजिटल मीडिया  का भी एक पाठ्यक्रम होगा।

आरटीआई सवाल पूछने के लिए नहीं जानकारी लेने के लिए हैः श्यामलाल वसंत साहित्य उत्सव में विद्यार्थियों ने भी की भागीदारी, पूछे प्रश्न भोपाल, 29 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित `वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) के पहले दिन राजनीति, पत्रकारिता, साहित्य और विविध विषयों से जुड़ी पुस्तकों पर रोचक और…

लेखन के लिए कोई एक सांचा नहीं – मधुकर उपाध्याय

लेखन के लिए कोई एक सांचा नहीं – मधुकर उपाध्याय

एमसीयू में वसंत साहित्य उत्सव का शुभारंभ

पूर्व विद्यार्थियों, लेखकों का समागम

महात्मा गांधी के जीवन, संदेशों पर केंद्रित पोस्टर प्रदर्शनी का हुआ शुभारंभ

भोपाल, 29 जनवरी, 2020: लेखन का कोई एक सिद्धांत नहीं होता, फार्मूला या सांचा नहीं हो सकता, कोई एक वैचारिकता नहीं हो सकती है, जो यह स्पष्ट कर दे कि लेखन अच्छा है या बुरा । अच्छा लेखक वही है जो सह्दय है और साधारण तरीके से अपनी बात लोगों से कहता है । यह विचार वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार और लेखक मधुकर उपाध्याय ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित वसंत साहित्य उत्सव (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए । भरत मुनि के नाट्यशास्त्र, तुलसीदास और महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए उन्होंने समानधर्मा, सह्दय, साधारणीकरण की अवधारणा को संचार के सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और द इंडियन एक्सप्रेस के वरिष्ठ संपादक श्यामलाल यादव ने कहा कि पुस्तक लिखना चुनौतीपूर्ण कार्य है। लेखन में गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाना चाहिए, ऐसा न हो कि हम बायोडाटा में उल्लेख करने के लिए किताबें लिखें। उन्होंने कहा कि चार की बजाय एक पुस्तक लिखें, लेकिन ऐसी लिखें जिसे हम गर्व से अपनी कह सकें।

विशिष्ट अतिथि और मध्यप्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने पत्रकारिता के विद्यार्थियों से कहा कि विश्वविद्यालय की डिग्री सिर्फ गेटपास का काम कर सकती है, लेकिन आपकी खबर आपकी नौकरी सुरक्षित रखेगी, इसलिए आप खूब लिखने और पढ़ने की आदत बनाएं। पत्रकार अपनी डेली डायरी को संभालकर रखें। श्री तिवारी ने पांच सालों में आठ बार भारत का भ्रमण किया । इस दौरान उन्होंने जो डायरी में लिखा वही ‘भारत की खोज में मेरे पांच साल’ किताब का आधार बना।

उद्घघाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति दीपक तिवारी ने वसंत साहित्य उत्सव के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय साहित्य उत्सव के रूप में वसंत पंचमी मना रहा है और इसमें पूर्व विद्यार्थियों की कृतियों पर चर्चा की जा रही है, यह उनके लेखन का सम्मान है। पत्रकारिता को सीमाओं से परे बताते हुए कुलपति श्री तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता का काम सवाल करना, सूचनाओं को जन-जन तक पहुंचाना, भ्रांतियां दूर करना,फेक न्यूज पर रोक लगाना और वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को जगाना है । उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के 30 साल पूरे होने पर इस वर्ष को उत्कृष्टता वर्ष के रूप में मना रहा है। विश्वविद्यालय की उत्कृष्टता में सभी की भागीदारी होगी, इसमें पूर्व विद्यार्थियों का भी सहयोग लिया जाएगा। इससे पूर्व वसंत साहित्य उत्सव का प्रारंभ वसंत राग की प्रस्तुति से हुआ। इसे रेडियो की जानीमानी कलाकार सुलेखा भट्ट और उनके साथियों ने मंत्रमुग्ध कर देने वाली शैली में प्रस्तुत किया।

महात्मा गांधी के जीवन और संदेशों पर आधारित पोस्टर प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र रही : इस मौके पर विश्वविद्यालय परिसर के राधेश्याम शर्मा विमर्श सदन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन संबंधी 115 पोस्टरों की प्रदर्शनी का शुभारंभ अतिथियों ने किया। पोस्टरों में गांधी जी के जीवन दर्शन को छायाचित्रों और टिप्पणियों के माध्यम से दर्शाया गया है।

लेखन के लिए कोई एक सांचा नहीं – मधुकर उपाध्याय एमसीयू में वसंत साहित्य उत्सव का शुभारंभ पूर्व विद्यार्थियों, लेखकों का समागम महात्मा गांधी के जीवन, संदेशों पर केंद्रित पोस्टर प्रदर्शनी का हुआ शुभारंभ भोपाल, 29 जनवरी, 2020: लेखन का कोई एक सिद्धांत नहीं होता, फार्मूला या सांचा नहीं हो सकता, कोई एक वैचारिकता नहीं…

वसंत साहित्य उत्सव में लेखकों का समागम आज

वसंत साहित्य उत्सव में लेखकों का समागम आज

एमसीयू में दो दिवसीय लिटरेचर फेस्टिवल

महात्मा गांधी के जीवन, संदेशों पर केंद्रित पोस्टर प्रदर्शनी का होगा शुभारंभ

भोपाल, 28 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा  पूर्व विद्यार्थियों एवं प्रतिष्ठित लेखकों की कृतियों पर केंद्रित ‘वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) का आज 29 जनवरी को शुभारंभ होगा। दो दिवसीय इस साहित्य समागम में देश के वरिष्ठ पत्रकार, प्रसिद्ध साहित्कार एवं विश्वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थी भाग लेंगे। कार्यक्रम में विभिन्न विषयों पर केंद्रित 34 पुस्तकों, कविता संग्रह, उपन्यास आदि पर चार समानान्तर सत्रों में चर्चा होगी। इस अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन, संदेशों पर केंद्रित पोस्टर प्रदर्शनी भी लगेगी।

          विद्यार्थियों के सृजनात्मक उपलब्धियों से जुड़े इस कार्यक्रम का उद्घाटन सुबह 10:30 बजे विश्वविद्यालय के राधेश्याम शर्मा विमर्श सदन में होगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि लेखक एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री मधुकर उपाध्याय होंगे। विशिष्ट अतिथि राज्य सूचना आयुक्त श्री विजय मनोहर तिवारी एवं इंडियन एक्सप्रेस के वरिष्ठ संपादक श्री श्यामलाल यादव होंगे। उद्घघाटन सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति श्री दीपक तिवारी करेंगे।

          वसंत साहित्य उत्सव में पहले दिन अलग-अलग सत्र आयोजित होंगे। दूसरे दिन समापन सत्र के अतिरिक्त तीन अलग-अलग सत्रों में पुस्तकों पर चर्चा होगी । इन सत्रों में लेखक पुस्तक के संबंध में विचार रखेंगे एवं इसके बाद पुस्तक पर चर्चा होगी एवं सत्र में प्रश्नोतर भी होंगे।  इस आयोजन हेतु विश्वविद्यालय ने पूर्व विद्यार्थियों एवं लेखकों से ऑनलाइन इंट्री आमंत्रित की थी।

         वसंत साहित्य उत्सव का समापन 30 जनवरी को दोपहर दो बजे होगा। द वायर के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार श्री सिद्धार्थ वरदराजन समापन सत्र के मुख्य अतिथि होंगे। जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव श्री संजय कुमार शुक्ला विशिष्ट अतिथि होंगे। विश्वविद्यालय अपने 30वें वर्ष को उत्कृष्टता वर्ष के रुप में मना रहा है, इसी क्रम में यह साहित्य उत्सव हो रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व विद्यार्थियों की रचनात्मक उपलब्धियों को प्रोत्साहित करने के लिए पहली बार यह एकाग्र आयोजन किया जा रहा है।

इनकी पुस्तकों पर होगी चर्चा : वरिष्ठ पत्रकार श्यामलाल यादव की पत्रकारिता पर आधारित ‘जर्नलिस्ट थ्रू आरटीआई’, सुश्री प्रियंका दुबे की पत्रकारिता पर ‘नो नेशन फॉर वुमेन’, श्री मनोज द्विवेदी की जनसंपर्क विषय पर ‘जनसंपर्क :बदलते आयाम’, डॉ. संजीव गुप्ता की पर्यटन विषय पर पुस्तक ‘पर्यटन लेखन’, श्री सचिन कुमार जैन की संविधान पर ‘भारतीय संविधान की विकास गाथा’, श्री हेमेन्द्र शर्मा के उपन्यास ‘सेहला मसूद : द मर्डर देट शॉक द नेशन’, वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेश सिरोठिया की पत्रकारिता पर केंद्रित ‘खबर नवीसी आपबीती आंखों-देखी’, श्री विजय मनोहर तिवारी के साहित्यिक उपन्यास ‘भारत की खोज में मेरे पांच साल’, डॉ.दीपक राय की ‘सोशल मीडिया, राजनीति और समाज’, श्री अनुज खरे के व्यंग्य संग्रह ‘बातें बेमतलब’, श्री पीयूष बबेले के साहित्यिक उपन्यास ‘नेहरु : मिथक और सत्य’, श्री दयाशंकर मिश्र की ‘जीवन संवाद: डिप्रेशन और आत्महत्या के विरुद्ध’, श्री ब्रजेश राजपूत की राजनीतिक गतिविधियों पर केंद्रित पुस्तक ‘चुनाव है बदलाव का’, श्री अखिलेश्वर पाण्डेय के काव्य संग्रह ‘पानी उदास है’, श्री कृष्णकांत शुक्ल की पुस्तक ‘वचनबद्ध मध्यप्रदेश’, श्री हिमांशु द्विवेदी के आलेख संग्रह ‘अलाव’,  श्री अनुराग ढेंगुला के यात्रा वृतांत ‘सागर से झील तक’, श्री विनय त्रिपाठी के काव्य संग्रह ‘आ जाएगा कोई साथ’, श्री पुष्यमित्र के उपन्यास ‘जब नील का दाग मिटा:चम्पारण 1917’, वरिष्ठ पत्रकार श्री सतीश एलिया के व्यंग्य ‘अन्नं ब्रम्हं’, श्री आशुतोष नाडकर के साहित्यिक उपन्यास ‘शकुनि: पासों का महारथी’, श्री बरुण सखाजी श्रीवास्तव की ‘परलोक में सैटेलाइट’, श्री सुदर्शन व्यास के काव्य संग्रह ‘रिश्तों की बूंदें’, सुश्री श्रुति कुशवाहा के काव्य संग्रह ‘कशमकश’, श्री विवेक मृदुल के काव्य संग्रह ‘सृजन पथ’, श्री दीपक पगारे के काव्य संग्रह ‘लौटेगी नदी एक दिन’, श्री आदित्य श्रीवास्तव के काव्य संग्रह ‘तुम ही मैं हूं’, अंकुर जैन के प्रेरक साहित्य ‘ये हौंसला कैसे झुके’, डॉ. विष्णु राजगढ़िया की ‘सूचना का अधिकार : व्यावहारिक मार्गदर्शिका’, श्री अभिषेक खरे की ‘कैरियर समाधान’, श्री देवेश पाण्डे की ‘आज के दौर की मीडिया’,सुश्री प्रीति शर्मा जैन की पुस्तक ‘सशक्त अभिभावक, सफल बच्चे’, श्री सोमिल जैन के उपन्यास ‘उड़ान एक परिंदे की’, श्री कुंवर इंद्रजीत सिंह के उपन्यास ‘ड्रीम गर्ल’ पर समान्तर सत्रों में चर्चा होगी।

वसंत साहित्य उत्सव में लेखकों का समागम आज एमसीयू में दो दिवसीय लिटरेचर फेस्टिवल महात्मा गांधी के जीवन, संदेशों पर केंद्रित पोस्टर प्रदर्शनी का होगा शुभारंभ भोपाल, 28 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा  पूर्व विद्यार्थियों एवं प्रतिष्ठित लेखकों की कृतियों पर केंद्रित ‘वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) का आज…

29-30 को होगा वसंत साहित्य उत्सव में लेखकों का समागम

29-30 को होगा वसंत साहित्य उत्सव में लेखकों का समागम

एमसीयू में दो दिवसीय लिटरेचर फेस्टिवल

भोपाल, 27 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा  पूर्व विद्यार्थियों एवं प्रतिष्ठित लेखकों की कृतियों पर केंद्रित ‘वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) का 29 जनवरी को शुभारंभ होगा। दो दिवसीय इस साहित्य समागम में देश के वरिष्ठ पत्रकार, प्रसिद्ध साहित्कार एवं विश्वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थी भाग लेंगे। कार्यक्रम में विभिन्न विषयों पर केंद्रित 34 पुस्तकों, कविता संग्रह, उपन्यास आदि पर चार समानान्तर सत्रों में चर्चा होगी।

विद्यार्थियों के सृजनात्मक उपलब्धियों से जुड़े इस कार्यक्रम का उद्घाटन 29 जनवरी को सुबह 10:30 बजे विश्वविद्यालय के राधेश्याम शर्मा विमर्श सदन में होगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि लेखक एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री मधुकर उपाध्याय होंगे। विशिष्ट अतिथि राज्य सूचना आयुक्त श्री विजय मनोहर तिवारी एवं इंडियन एक्सप्रेस के वरिष्ठ संपादक श्री श्यामलाल यादव होंगे। उद्घघाटन सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति श्री दीपक तिवारी करेंगे।

वसंत साहित्य उत्सव में पहले दिन अलग-अलग सत्र आयोजित होंगे। दूसरे दिन समापन सत्र के अतिरिक्त तीन अलग-अलग सत्रों में पुस्तकों पर चर्चा होगी। 30 जनवरी को दोपहर दो बजे समापन सत्र आयोजित किया जाएगा। द वायर के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार श्री सिद्धार्थ वरदराजन सत्र के मुख्य अतिथि होंगे। जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव श्री संजय कुमार शुक्ला विशिष्ट अतिथि होंगे। विश्वविद्यालय अपने 30वें वर्ष को उत्कृष्टता वर्ष के रुप में मना रहा है, इसी क्रम में यह साहित्य उत्सव हो रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व विद्यार्थियों की रचनात्मक उपलब्धियों को प्रोत्साहित करने के लिए पहली बार यह एकाग्र आयोजन किया जा रहा है।

इनकी पुस्तकों पर होगी चर्चा : रामनाथ गोयनका उत्कृष्ट पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित श्यामलाल यादव की पत्रकारिता पर आधारित ‘जर्नलिस्ट थ्रू आरटीआई’, सुश्री प्रियंका दुबे की पत्रकारिता पर ‘नो नेशन फॉर वुमेन’, श्री मनोज द्विवेदी की जनसंपर्क विषय पर ‘जनसंपर्क :बदलते आयाम’, डॉ. संजीव गुप्ता की पर्यटन विषय पर पुस्तक ‘पर्यटन लेखन’, श्री सचिन कुमार जैन की संविधान पर ‘भारतीय संविधान की विकास गाथा’, श्री हेमेन्द्र शर्मा के उपन्यास ‘सेहला मसूद : द मर्डर देट शॉक द नेशन’, वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेश सिरोठिया की पत्रकारिता पर केंद्रित ‘खबर नवीसी आपबीती आंखों-देखी’, श्री विजय मनोहर तिवारी के साहित्यिक उपन्यास ‘भारत की खोज में मेरे पांच साल’, डॉ.दीपक राय की ‘सोशल मीडिया, राजनीति और समाज’, श्री अनुज खरे के व्यंग्य संग्रह ‘बातें बेमतलब’, श्री पीयूष बबेले के साहित्यिक उपन्यास ‘नेहरु : मिथक और सत्य’, श्री दयाशंकर मिश्र की ‘जीवन संवाद: डिप्रेशन और आत्महत्या के विरुद्ध’, श्री ब्रजेश राजपूत की राजनीतिक गतिविधियों पर केंद्रित पुस्तक ‘चुनाव है बदलाव का’, श्री अखिलेश्वर पाण्डेय के काव्य संग्रह ‘पानी उदास है’, श्री कृष्णकांत शुक्ल की पुस्तक ‘वचनबद्ध मध्यप्रदेश’, श्री हिमांशु द्विवेदी के आलेख संग्रह ‘अलाव’,  श्री अनुराग ढेंगुला के यात्रा वृतांत ‘सागर से झील तक’, श्री विनय त्रिपाठी के काव्य संग्रह ‘आ जाएगा कोई साथ’, श्री पुष्यमित्र के उपन्यास ‘जब नील का दाग मिटा:चम्पारण 1917’, श्री सतीश एलिया के व्यंग्य ‘अन्नं ब्रम्हं’, श्री आशुतोष नाडकर के साहित्यिक उपन्यास ‘शकुनि: पासों का महारथी’, श्री बरुण सखाजी श्रीवास्तव की ‘परलोक में सैटेलाइट’, श्री सुदर्शन व्यास के काव्य संग्रह ‘रिश्तों की बूंदें’, सुश्री श्रुति कुशवाहा के काव्य संग्रह ‘कशमकश’, श्री विवेक मृदुल के काव्य संग्रह ‘सृजन पथ’, श्री दीपक पगारे के काव्य संग्रह ‘लौटेगी नदी एक दिन’, श्री आदित्य श्रीवास्तव के काव्य संग्रह ‘तुम ही मैं हूं’, अंकुर जैन के प्रेरक साहित्य ‘ये हौंसला कैसे झुके’, डॉ. विष्णु राजगढ़िया की ‘सूचना का अधिकार : व्यावहारिक मार्गदर्शिका’, श्री अभिषेक खरे की ‘कैरियर समाधान’, श्री देवेश पाण्डे की ‘आज के दौर की मीडिया’,सुश्री प्रीति शर्मा जैन की पुस्तक ‘सशक्त अभिभावक, सफल बच्चे’, श्री सोमिल जैन के उपन्यास ‘उड़ान एक परिंदे की’, श्री कुंवर इंद्रजीत सिंह के उपन्यास ‘ड्रीम गर्ल’ पर समान्तर सत्रों में चर्चा होगी।

29-30 को होगा वसंत साहित्य उत्सव में लेखकों का समागम एमसीयू में दो दिवसीय लिटरेचर फेस्टिवल भोपाल, 27 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा  पूर्व विद्यार्थियों एवं प्रतिष्ठित लेखकों की कृतियों पर केंद्रित ‘वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) का 29 जनवरी को शुभारंभ होगा। दो दिवसीय इस साहित्य समागम में देश के वरिष्ठ पत्रकार, प्रसिद्ध साहित्कार एवं विश्वविद्यालय…