जम्मू-कश्मीर पर अपना दृष्टिकोण बदले मीडिया

जम्मू-कश्मीर पर अपना दृष्टिकोण बदले मीडिया

धारा 370 पर बोले, दीवार टूट गई है, अब कश्मीर की आवाज बदलेगी

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के ‘कुलपति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला के समापन सत्र में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने ‘जम्मू-कश्मीर और मीडिया दृष्टि’ विषय पर रखे विचार

भोपाल, 15 जून, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘कुलपति संवाद’ के समापन सत्र में जम्मू-कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने कहा कि भारतीय भाषाओं का मीडिया जब जम्मू-कश्मीर पर लिखता है तो जमीनी हकीकत लिखता है लेकिन विदेशी मीडिया जानबूझकर ऐसे शब्दों को लिखता है, जिसका अर्थ कुछ और होता है। एक मीडिया कहता है कि पांच आतंकवादी मारे गए, वहीं दूसरा मीडिया कहता है कि पांच नागरिक मारे गए। यह जो शब्दों का चयन है, इसके अर्थ और इसके पीछे छिपे एजेंडे को समझना होगा। भारतीय सैनिकों के लिए लिखा जाता है कि सैनिक मारे गए, जबकि उनके लिए लिखा जाना चाहिए कि सैनिक शहीद हुए या बलिदान हुए।

हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने ‘जम्मू कश्मीर और मीडिया दृष्टि’ विषय पर अपने व्याख्यान में कहा कि जम्मू-कश्मीर को लेकर विदेशी भाषा के मीडिया में कुछ वर्षों से एक अलग तरह का नैरेटिव चलाया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर पर विदेशी भाषा का मीडिया और भारतीय भाषाई मीडिया अलग–अलग भाषा बोल रहा है। जम्मू-कश्मीर को लेकर मीडिया को अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को लेकर भ्रम बहुत उत्पन्न किये गए हैं। जम्मू-कश्मीर की समस्याओं को 6 हिस्सों में बांटते हुए उऩ्होंने कहा कि वहां की अपनी तरह की अलग-अलग समस्याएं हैं। लेकिन विदेशी भाषा का मीडिया का एकांकी दृष्टिकोण रहा है। उन्होंने कहा कि राजा हरीसिंह के हस्ताक्षर से जम्मू-कश्मीर बाकी राज्यों की तरह ही भारत में शामिल हुआ था, लेकिन जयपुर, जोधपुर, ग्वालियर और पांच सौ से ज्यादा रियासतों पर बात नहीं की जाती। उन्होंने कहा कि 1952 के अखबारों को देखिए शेख अब्दुल्ला ने महाराजा हरीसिंह के खिलाफ आंदोलन चलाया था। शेख अब्दुल्ला को एसटीएम के मुसलमानों ने समर्थन किया। ये तुर्क, मुगल मंगोल से आए मुसलमान थे, जो हमले के वक्त भारत आए थे।

जम्मू-कश्मीर के तीन नहीं, पांच हिस्से हैं:

अनुच्छेद-370 पर बोलते हुए प्रो. अग्निहोत्री ने कहा कि इसके खत्म होने से दीवार टूट गई है और अब कश्मीर की आवाज बदलेगी। उन्होंने जम्मू कश्मीर के तीन हिस्सों पर कहा कि इसके तीन नहीं पांच हिस्से हैं। गिलगित और बल्तिस्तान भी हैं। ये पाकिस्तान में है। जहां की मीडिया पाकिस्तान की सरकार के साथ है, वहां उन लोगों पर बहुत जुल्म हो रहा है, लेकिन अब वहां के युवा आगे आ रहे हैं।

विदेशी मीडिया का नैरेटिव देश को तोड़ने वाला:

विदेशी भाषाई अखबारों पर बोलते हुए प्रो. अग्निहोत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में उनका नैरेटिव देश को तोड़ने वाला था। कश्मीर में जो अखबार छप रहे थे, वह आतंकवाद के समर्थन में छापते थे। कश्मीर घाटी में मीडिया को बाहर से बहुत पैसा मिलता था। सरकार से विज्ञापन भी मिलता था। उन्होंने कहा कि कश्मीर में ये आम जनता की आवाज का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि जो मीडिया आतंकवाद के साये में जीता हो, वह आम जनता का प्रतिनिधित्व कैसे कर सकता है? प्रो. अग्निहोत्री ने कहा कि कश्मीर में कश्मीरी भाषा के अखबार एवं पत्रिकाएँ बहुत ही कम निकलती हैं। ज्यादातर उर्दू में निकलती हैं।

जम्मू-कश्मीर पर अपना दृष्टिकोण बदले मीडिया धारा 370 पर बोले, दीवार टूट गई है, अब कश्मीर की आवाज बदलेगी माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के ‘कुलपति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला के समापन सत्र में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने ‘जम्मू-कश्मीर और मीडिया दृष्टि’ विषय पर रखे विचार भोपाल, 15 जून, 2020: माखनलाल…

शिक्षण प्रणाली को लोकतान्त्रिक बना रहे हैं ऑनलाइन माध्यम : प्रो. संजय द्विवेदी

शिक्षण प्रणाली को लोकतान्त्रिक बना रहे हैं ऑनलाइन माध्यम : प्रो. संजय द्विवेदी

एमपी पोस्ट के फेसबुक लाइव  में माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा डिजिटल मीडिया में असीम संभावनाएं हैं

भोपाल,15 जून 2020: ऑनलाइन शिक्षा ने शिक्षण की प्रक्रिया को और ज्यादा लोकतान्त्रिक बनाया है। अब छात्र परम्परागत शिक्षण की चुनौतियों का सामना किये बिना विभिन्न विषयों के विद्वानों से जुड़कर अपनी पसंद के विषय सीख सकते हैं। कई बार कक्षाओं में भी छात्रों को अपने सवाल पूछने का अवसर नहीं मिल पाता लेकिन इस माध्यम से आप अपनी जिज्ञासाओं का समाधान कर सकते हैं। भारत जैसे एक देश में जहाँ आवागमन सुलभ नहीं है, ऑनलाइन शिक्षा देश के हर कोने में पहुंची है। आज देश के सुदूर कोने में बैठा छात्र भी देश के प्रतिष्ठित विद्वानों से जुड़ सकता है, यह एक बड़ा अवसर है। यह बात माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय द्विवेदी ने ‘ऑनलाइन मीडिया : शिक्षा की भूमिका और नई दिशा’ विषय पर ऑनलाइन व्याखानमाला का आयोजन मध्यप्रदेश के प्रतिष्ठित डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म ‘एमपी पोस्ट’ की ओर से स्थापना के दो दशक पूरे होने पर फेसबुक लाइव के दौरान कही। उन्होंने इस क्षेत्र में सरकार और मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा किये जा रहे प्रयासों की भी सराहना की और इसे आने वाले समय की आवश्यकता बताया।

प्रो. द्विवेदी ने एमपी पोस्ट के संस्थापक संपादक श्री सरमन नगेले के साथ ऑनलाइन मीडिया के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि ऑनलाइन मीडिया शिक्षा पर सभी को विचार करना होगा। इस पर भी विचार करना होगा कि ऑनलाइन शिक्षा का मूल्यांकन कैसे और किस पद्धति से हो। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया के समक्ष कोरोना के संकट से कोई बड़ी चुनौती नहीं है।

सूचना की इस सदी में वरदान है ऑनलाइन माध्यम:

प्रो. द्विवेदी ने कहा कि 21वीं सदी सूचना की सदी है और जिस समाज के पास जितनी ज्यादा सूचनाएं होंगी वह उतना सशक्त और समृद्ध होगा। पहले जो सूचनाएं सिर्फ बड़े शहरों की लाइब्रेरी में मिल पाती थी, वे अब मोबाइल और इन्टरनेट के माध्यम से कहीं भी प्राप्त की जा सकती हैं। यह सशक्तिकरण का एक बहुत बड़ा माध्यम है जिसका इस्तेमाल हमें समझदारी से करना होगा।

उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय का उदहारण देते हुए बताया कि विश्वविद्यालय के छात्रों ने लॉकडाउन के दौरान इन्हीं माध्यमों का प्रयोग करके 250 से ज्यादा वीडियो बनाये। ऐसी स्थिति बनी की अलग-अलग शहरों में रह रहे छात्रों ने अपने स्थान की सूचनाएं और खबरें निरंतर एक-दूसरे के साथ साझा की।  उन्होंने कहा कि डिजिटल मीडिया का इस समय दायरा बड़ा है, इस क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं।

शिक्षकों के प्रशिक्षण की आवश्यकता:

फेसबुक लाइव के दौरान पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा के अनुरूप शिक्षक तैयार करने के लिए हमें ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित करने की आवश्यकता है। टेक्नो फ्रेंडली शिक्षक इन माध्यमों का इस्तेमाल ज्यादा प्रभावी तरीके से कर पाएंगे। एक और प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि नए दौर के अनुसार पाठ्यक्रम को भी अपडेट करने की जरुरत है। आज का दौर मीडिया कन्वर्जेन्स का दौर है, ऐसे में हर छात्र को प्रिंट, वेब और इलेक्ट्रॉनिक सभी के जरूरतों के अनुसार खुद को तैयार करना चाहिए। उन्होंने ऑनलाइन शिक्षा के लिए परीक्षा और मूल्यांकन सम्बन्धी चुनौतियों पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन कक्षाएं ली, जिसके परिणाम सुखद रहे हैं। उन्होंने बताया कि दूरस्थ शिक्षण प्रणाली के साथ ऑनलाइन अध्ययन को जोड़ा जा सकता है। कोरोना काल ने ऑनलाइन शिक्षा के नए अवसर बनाये हैं।

शिक्षण प्रणाली को लोकतान्त्रिक बना रहे हैं ऑनलाइन माध्यम : प्रो. संजय द्विवेदी एमपी पोस्ट के फेसबुक लाइव  में माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा डिजिटल मीडिया में असीम संभावनाएं हैं भोपाल,15 जून 2020: ऑनलाइन शिक्षा ने शिक्षण की प्रक्रिया को और ज्यादा लोकतान्त्रिक बनाया है। अब छात्र परम्परागत शिक्षण की…

‘मेड इन इंडिया’ के भ्रम में न पड़ें, ‘मेड बाइ भारत’ उत्पाद खरीदें

मेड इन इंडिया के भ्रम में न पड़ें, मेड बाइ भारत उत्पाद खरीदें

कुलपति संवाद व्याख्यानमाला में आत्मनिर्भर भारत : प्रभावी रीति-नीति विषय पर प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने रखे विचार

15 जून को शाम 4:00 बजे जम्मू-कश्मीर और मीडिया दृष्टि विषय पर हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री का व्याख्यान

भोपाल, 14 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ‘कुलपति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला में आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि आत्मनिर्भर होना आज के समय की आवश्यकता है। भारत को आत्मनिर्भर होने के लिए अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ानी होगी और आयात की तुलना में निर्यात बढ़ाना होगा। इसके लिए देश के नागरिकों को आर्थिक राष्ट्रभक्त होना होगा। हमारी खरीदारी में स्वदेशी उत्पाद प्राथमिक होने चाहिए। हमें ‘मेड इन इंडिया’ के भ्रम में पडऩे से बचना होगा। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘मेड बाइ भारत’ प्रोडक्ट ही खरीदने चाहिए।

            ‘आत्मनिर्भर भारत : प्रभावी रीति-नीति’ विषय पर अपने ऑनलाइन व्याख्यान में गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, गौतम बुद्ध नगर (उत्तर प्रदेश) के कुलपति प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि विश्व उत्पादन में हमारा योगदान केवल 3 प्रतिशत है। इसमें भी विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों का हिस्सा है, जो भारत में अपने प्रोडक्ट बना रही हैं या फिर असम्बल कर रही हैं। मेड इन इंडिया उत्पाद से विश्व उत्पादन में भारत का दबदबा नहीं बढ़ेगा। इसलिए मेड इन इंडिया की अपेक्षा मेड बाइ भारत उत्पादन को बढ़ाना होगा। यह स्पष्ट समझ लेना चाहिए कि हम मेड इन इंडिया से आत्मनिर्भर नहीं बनेंगे। इससे तो बहुराष्ट्रीय कंपनियों का दबदबा भारत में बना रहेगा। हमें जापान जैसे अन्य देशों से सीखना चाहिए, जहाँ के नागरिकों में आर्थिक राष्ट्रभक्ति अधिक है। वहाँ के नागरिक स्वदेशी कंपनियों के उत्पाद को ही प्राथमिकता देते हैं। हम स्वदेशी उत्पाद खरीदेंगे तो उससे न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा, बल्कि तकनीक के विकास में भी सहयोग होगा। उन्होंने कहा कि यह निश्चित है कि आने वाला दशक भारत का होगा। इसलिए हम आर्थिक राष्ट्रभक्त बनें और ऐसी तकनीक का विकास करें जो भारत के लिए आवश्यक है।

            प्रो. शर्मा ने कहा कि जूते की पालिश से लेकर कंप्यूटर हार्डवेयर तक हम विदेशी कंपनियों के खरीद रहे हैं। इससे बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तकनीक मजबूत होती है। भारत के उत्पादन पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का कब्जा बढ़ता जा रहा है। स्थिति यह है कि हम डेयरी प्रोडक्ट, चॉकलेट, बिस्कट और रेडीमेड फूड भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों से खरीद रहे हैं, जबकि उनको बनाया यहीं जा रहा है। हमारा ही कच्चा माल लेकर यहीं उसे फिनिशिंग देकर बहुराष्ट्रीय कंपनियां पूरा मुनाफ बाहर ले जा रही हैं।

चाइना का उत्पाद खरीद कर हम किसे लाभ पहुँचा रहे हैं:

प्रो. शर्मा ने कहा कि चाइना का उत्पाद खरीद कर हम किसको लाभ पहुँचा रहे हैं? हम चाइना को लाखों करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता पहुँचाते हैं। जबकि वह हमारे लिए शत्रुता का भाव रखता है। आतंकवाद के मुद्दे पर कई बार वह भारत के विरुद्ध वीटो पावर का उपयोग कर चुका है। उन्होंने बताया कि चाइना ने भारत में सस्ते उत्पादों की डंपिंग शुरू की, जिसके कारण भारतीय कंपनियों को नुकसान हुआ। सोलर क्षेत्र का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि एक समय में भारत की कई कंपनियां सोलर पैनल बनाती थीं, जिनका यूरोपीय देश में निर्यात भी होता था। लेकिन, जैसे ही चाइना ने सस्ते सोलर पैनल भारत में बेचना शुरू किया, हमारी इन कंपनियों को नुकसान हुआ। ये कंपनियां बंद हो गईं और अनेक लोगों की नौकरी भी गई। उन्होंने कहा कि सरकार को भी चाइनीय प्रोडक्ट पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगानी चाहिए। इससे भारतीय कंपनियों को संरक्षण प्राप्त होगा।

विदेशी व्यापार में घाटा होने से गिरती है रुपये की कीमत:

प्रो. शर्मा ने कहा कि आत्मनिर्भरता होने के लिए आवश्यक है कि हम जितना निर्यात करते हैं, उससे कम आयात करें। हमें आयात पर अंकुश लगाने और निर्यात को बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए। जो वस्तुएं हमें आयात करनी पड़ रही हैं, उनका उत्पादन यहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विदेशी व्यापार में आत्मनिर्भरता नहीं होने से भी महंगाई बढ़ती है। विदेश व्यापार में घाटा होने के कारण ही रुपये की कीमत गिरती है। 

साम्यवादी विचार के कारण भारतीय उद्योग पर विपरीत प्रभाव पड़ा:

प्रो. शर्मा ने बताया कि साम्यवादी-समाजवादी विचार के प्रभाव में हमारी शुरुआती सरकार ने स्वतंत्रता के बाद से ही बहुत से उद्योगों की उत्पादन क्षमता वृद्धि को रोके रखा। हमने अनेक क्षेत्रों में उत्पादन शुरू करने की अनुमति नहीं दी। हमारी जो शुरुआती उद्योग नीति थी, उसने भारतीय उद्योगों को पनपने नहीं दिया। जिसके कारण हम विश्व उत्पादन में पिछड़ते गए। उन्होंने कहा कि प्रख्यात आर्थिक इतिहासकार एंगस मेडिसन ने लिखा है कि शून्य से 1500 ईस्वी तक विश्व के उत्पादन में सबसे अधिक योगदान भारत का था। इसलिए यह भ्रम भी दूर कर लेना चाहिए कि भारत सिर्फ कृषि प्रधान देश था, बल्कि भारत उद्योग प्रधान देश था। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमें उत्पादन क्षमता को बढ़ाने पर जोर देना होगा। सरकारों को भारतीय उद्योगों को संरक्षण देने और प्रोत्साहित करने वाली नीति बनानी होगी और नागरिकों को स्वदेशी उत्पाद को खरीदने का मानस बनाना होगा।

आज जम्मू-कश्मीर और मीडिया दृष्टि विषय पर व्याख्यान:

‘कुलपति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला के समापन व्याख्यान में 15 जून, सोमवार को शाम 4:00 बजे ‘जम्मू-कश्मीर और मीडिया दृष्टि’ विषय पर हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री व्याख्यान देंगे। उनका व्याख्यान एमसीयू के फेसबुक पेज पर लाइव रहेगा।

विश्वविद्यालय फेसबुक पेज का लिंक – https://www.facebook.com/mcnujc91


‘मेड इन इंडिया’ के भ्रम में न पड़ें, ‘मेड बाइ भारत’ उत्पाद खरीदें ‘कुलपति संवाद’ व्याख्यानमाला में ‘आत्मनिर्भर भारत : प्रभावी रीति-नीति’ विषय पर प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने रखे विचार 15 जून को शाम 4:00 बजे ‘जम्मू-कश्मीर और मीडिया दृष्टि’ विषय पर हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री का व्याख्यान…

कोरोना के बाद बदला जा सकता है भारत के ‘ब्रेन ड्रेन’ को ‘ब्रेन रेन’ में

कोरोना के बाद बदला जा सकता है भारत के ब्रेन ड्रेन को ब्रेन रेन में

एमसीयू की कुलपति संवाद व्याख्यानमाला में ‘’सूचना प्रौद्योगिकी और आत्मनिर्भर भारत विषय पर प्रो. राज नेहरू ने रखे विचार

14 जून को शाम 4:00 बजे आत्मनिर्भर भारत : प्रभावी रीति नीति विषय पर प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा का व्याख्यान

भोपाल, 13 जून, 2020: कोरोना महामारी के चलते भारत में कई अवसर पैदा हुए हैं। इस देश को फिर से सोने की चिड़िया बनाया जा सकता है। इसे हम सिलिकॉन वैली बना सकते हैं। भारत की जो प्रतिभाएं बाहर चली गयीं, उन्हें हम वापस यहां अवसर प्रदान कर ‘ब्रेन ड्रेन’ को ‘ब्रेन रेन’ के रूप में बदल सकते हैं। यह बात विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय, पलवल के कुलपति प्रो. राज नेहरू ने ‘सूचना प्रौद्योगिकी और आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘कुलपति संवाद’ व्याख्यानमाला में कही।

प्रो. नेहरू ने कहा कि भारत में तकनीक और कौशल उपलब्ध है। हमारे यहां के युवाओं ने सिलिकॉन वैली में योगदान दिया और आईटी सेक्टर को खड़ा किया। भारतीय युवाओं का उदाहरण देते कहा उन्होंने कहा कि सिलिकॉन वैली के विकास में भारत का बड़ा योगदान है। वहां अधिकांश कंपनियों में भारतीय कार्यरत हैं लेकिन अब स्थितियां बदल रही हैं। वहां काम करने वाले युवा अपने देश में काम करना चाहते हैं। इसके साथ ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपने शोध और विकास से संबंधित संस्थान भारत में खोलना शुरू किये हैं। अभी तक 880 संस्थान खोले जा चुके हैं जिनका पेटेंट गुणवत्तापूर्ण आया है।

आत्मनिर्भर ही था भारत:

प्रो. नेहरू ने कहा कि भारत शताब्दियों तक आत्मनिर्भर रहा है। हमारी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संरचना ऐसी थी, जिसके कारण हम हर क्षेत्र में दक्ष और उन्नत थे। जीने की कला ऐसी थी जिसमें सभी विधाओं का समावेश था। यह बात विदेशियों ने भी स्वीकार की है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एंगस मेडिसन ने अपने किताब में उल्लेख किया है कि भारत पहली से लेकर 17वीं शताब्दी तक उन्नत अर्थव्यवस्था से परिपूर्ण था। विश्व की कुल जीडीपी में भारत का योगदान 35 से 40% तक था। भारत के शैक्षणिक संस्थान बहुत विकसित थे। दुनिया भर के लोग भार की ओर आकर्षित होते थे। प्रो. नेहरू ने कहा कि हमने पेटेंट और कॉपीराइट नहीं कराए, जो भी विकास किया उसे समाज कल्याण के लिए समाज के साथ बांटा लेकिन पिछले 200-300 वर्षों में औपनिवेशिक राज्यों ने इसका दोहन किया। हमारे यहां के संसाधनों को लेकर गए और उन्हें फिर बनाकर महंगे दामों पर यहीं बेचा।

सॉफ्टवेयर उद्योग में करना होगा काम:

उन्होंने कहा कि भारत की कुल जीडीपी में आईटी सेक्टर का योगदान अब बढ़कर 8% हो गया है। हमें सॉफ्टवेयर उद्योग में लगातार काम करना होगा। मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को कम करना होगा। साथ ही मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नई तकनीक से लैस करना होगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर के उत्पाद बनाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करना होगा। भारत डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के माध्यम से ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल कर कई बड़े क्रांतिकारी बदलाव कर सकता है। ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग कर भ्रष्टाचार मुक्त भारत बना सकते हैं। सरकारी व्यवस्था से बिचौलियों को समाप्त कर सकते हैं। मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ा सकते हैं। स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुदृढ़ और उन्नत किया जा सकता है।

प्रो. नेहरू ने कहा कि मीडिया सेक्टर में भी कई बड़े बदलाव आ सकते हैं। दर्शकों की रुचि को जानने में मदद मिल सकती है। न्यूज़ रूम का व्यावसायिक तरीके से उपयोग किया जा सकता है। भारत में इंटरनेट के उपयोगकर्ता लगातार बढ़ रहे हैं।

आज आत्मनिर्भर भारत : प्रभावी रीति-नीति विषय पर व्याख्यान:

‘कुलपति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला के अंतर्गत 14 जून, रविवार को शाम 4:00 बजे ‘आत्मनिर्भर भारत : प्रभावी रीति-नीति’ विषय पर गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय, गौतमबुद्ध नगर (उत्तरप्रदेश) के कुलपति प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा व्याख्यान देंगे। उनका व्याख्यान एमसीयू के फेसबुक पेज पर लाइव रहेगा।

विश्वविद्यालय फेसबुक पेज का लिंक – https://www.facebook.com/mcnujc91


कोरोना के बाद बदला जा सकता है भारत के ‘ब्रेन ड्रेन’ को ‘ब्रेन रेन’ में एमसीयू की ‘कुलपति संवाद’ व्याख्यानमाला में ‘’सूचना प्रौद्योगिकी और आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर प्रो. राज नेहरू ने रखे विचार 14 जून को शाम 4:00 बजे ‘आत्मनिर्भर भारत : प्रभावी रीति नीति’ विषय पर प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा का व्याख्यान भोपाल,…

स्त्री मुद्दों को जनांदोलन बनाये मीडिया

स्त्री मुद्दों को जनांदोलन बनाये मीडिया

कुलपति संवाद व्याख्यानमाला में मीडिया में स्त्री मुद्दे विषय पर प्रो. आशा शुक्ला ने रखे विचार, 13 जून को शाम 4:00 बजे सूचना प्रौद्योगिकी और आत्मनिर्भर भारत विषय पर प्रो. राज नेहरू का व्याख्यान

भोपाल, 12 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ‘कुलपति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला में प्रो. आशा शुक्ला ने कहा कि निर्भया प्रकरण में मीडिया ने आंदोलनकर्ता की भूमिका निभाई, जिसके कारण उस मुद्दे पर सबका ध्यान गया। निर्भया को न्याय मिला या नहीं, यह बहस का विषय हो सकता है लेकिन मीडिया के कारण उसके अपराधियों को सजा अवश्य मिली है। यदि आज स्त्री मुद्दों के साथ मीडिया के संपादकीय और उनके स्लोगन जन आंदोलन बनकर प्रस्तुत होंगे, तो समाज में बहुत परिवर्तन आ सकता है। मीडिया की यह शक्ति है कि वह स्त्री मुद्दों पर देश-समाज में जनांदोलन खड़ा कर सकती है।

‘मीडिया में स्त्री मुद्दे’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, महू, इंदौर की कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने कहा कि महिलाओं को न देवी के रूप में और न ही दासी के रूप में प्रस्तुत किया जाये, बल्कि उसके मुद्दे यथार्थ मानवीय दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किये जायें। उन्होंने कहा कि मीडिया को अपने प्रत्येक विमर्श में स्थिरता के उन ध्रुव बिंदुओं की पड़ताल और पहचान करना आवश्यक है, जो स्त्री और पुरुष के दैहिक, बौद्धिक, अकादमिक एवं विभिन्न आर्थिक विभेद के प्रश्न चिन्हों के साथ प्रस्तुत होते हैं। मीडिया की प्रभावशाली भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया पर पूंजी के नियंत्रण के बावजूद भी वह लोकतंत्र का ऐसा चौथा स्तम्भ है, जो किसी के भी समर्थन में खड़ी होकर उसे बचा सकती हैं। यदि स्त्री मुद्दों में मीडिया की भूमिका को देखा जाए तो स्त्रियों का केवल एक वर्ग मीडिया जगत में ऐसा है, जो पूरी बेबाकी निर्भीकता और अपनी योग्यता के साथ समाज के समक्ष प्रस्तुत होता है।

प्रो. शुक्ला ने समाज की दोहरी मानसिकता पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए कहा कि सार्वजानिक तौर पर स्त्री के अधिकारों का समर्थन करने वाला समाज अक्सर उसके निर्णयों पर विचलित हो जाता है। क्यों स्त्री और पुरुष, दोनों के परस्पर संबंधों में स्त्रियों को अलग दृष्टिकोण से देखा जाता है? उन्होंने मीडिया क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं से अनुरोध किया कि मीडिया क्षेत्र में कदम रखने वाली वरिष्ठ महिला पत्रकार इस क्षेत्र में आने वाली लड़कियों का हाथ पकड़ कर उनका मार्गदर्शन करें, उन्हें हौसला दें।

आज सूचना प्रौद्योगिकी और आत्मनिर्भर भारत विषय पर व्याख्यान :

‘कुलपति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला के अंतर्गत 13 जून, शनिवार को शाम 4:00 बजे ‘सूचना प्रौद्योगिकी और आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर विश्वकर्मा स्किल विश्वविद्यालय, पलवल (हरियाणा) के कुलपति प्रो. राज नेहरू व्याख्यान देंगे। उनका व्याख्यान एमसीयू के फेसबुक पेज पर लाइव रहेगा।

विश्वविद्यालय फेसबुक पेज का लिंक- https://www.facebook.com/mcnujc91

स्त्री मुद्दों को जनांदोलन बनाये मीडिया ‘कुलपति संवाद’ व्याख्यानमाला में ‘मीडिया में स्त्री मुद्दे’ विषय पर प्रो. आशा शुक्ला ने रखे विचार, 13 जून को शाम 4:00 बजे ‘सूचना प्रौद्योगिकी और आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर प्रो. राज नेहरू का व्याख्यान भोपाल, 12 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित…

पत्रकारिता और साहित्य में आवश्यक है लोकमंगल

पत्रकारिता और साहित्य में आवश्यक है लोकमंगल

कुलपति संवाद व्याख्यानमाला में साहित्य और पत्रकारिता विषय पर प्रो. सुरेन्द्र दुबे ने रखे विचार, 12 जून को शाम 4:00 बजे मीडिया में स्त्री मुद्दे विषय पर डॉ. आशा शुक्ला का व्याख्यान

भोपाल, 11 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ‘कुलपति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला में प्रो. सुरेन्द्र दुबे ने कहा कि साहित्य के बिना पत्रकारिता की बात और पत्रकारिता के बिना साहित्य का जिक्र करना बेमानी सा लगता है। पत्रकारिता अपने उद्भव से ही लोकमंगल का भाव लेकर चली है। साहित्य का भी यही भाव हमेशा रहा है। इसीलिए यह दोनों हमेशा साथ-साथ चले हैं।

‘साहित्य और पत्रकारिता’ विषय पर अपने उद्बोधन में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र दुबे ने कहा कि भारत में पत्रकारिता आधुनिकता के साथ आती है। यह आधुनिकता का विशेष उपहार है। पत्रकारिता के साथ ही भारत में पुनर्जागरण शुरू हुआ, इस पुनर्जागरण में कई साहित्यकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कुछ साहित्यकारों ने पत्रिकाओं का प्रकाशन कर राष्ट्रबोध कराने का प्रयास किया, तो कुछ साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से देश के लोगों को जगाने का प्रयास किया। इस दौर में पत्रकारिता और साहित्य का एक ही उद्देश्य था- पराधीनता से मुक्ति।

उन्होंने कहा कि पत्रकारिता अपनी शुरुआत से ही अन्याय, अनीति, अत्याचार एवं शासन के खिलाफ रही है। यही कारण था कि हिक्की के समाचार पत्र को प्रतिबंधित किया गया, क्योंकि वह अंग्रेज अधिकारियों के भ्रष्टाचार को उजागर करता था। पत्रकारिता हमेशा से ही बेहतर प्रतिपक्ष की भूमिका निभाती आई है।

प्रो. दुबे ने बताया कि साहित्य और पत्रकारिता का जो अन्योन्याश्रित संबंध है वह भारतेंदु हरिश्चंद्र युग की पत्रकारिता में देखा जा सकता है। भारतेंदु हरिश्चंद्र अपने साहित्य को पत्रकारिता का माध्यम बनाते हैं और लोकमंगल की भावना से पत्रकारिता की शुरुआत करते हैं। भारतेंदु युग में ही राष्ट्रीय प्रेम से ओत-प्रोत कविताओं का भी आग्रह हुआ, साथ ही इसी समय स्वदेशी का आवाह्न भी हुआ। उस समय स्वदेशी के आवाह्न में कहा गया कि हम यह प्रतिज्ञा करें कि हम अब विलायती वस्त्र मोल नहीं खरीदेंगे, लेकिन जो वस्त्र पहले से मोल लिया है उसे जीर्ण होने तक पहनेंगे। राष्ट्रबोध के ऐसे कई प्रयास उस समय के साहित्यकारों ने पत्रिकाओं के माध्यम से ही किये थे। साहित्य, समाज और राष्ट्रप्रेम एक दूसरे में बंधे हुए हैं इसलिए भारतेंदु कहते हैं कि ऐसे साहित्य की रचना करना चाहिए जिसमें राष्ट्रप्रेम का भाव छुपा हो।

उन्होंने बताया कि साहित्य और पत्रकारिता का यह अभेद नाता महावीर प्रसाद द्विवेदी जी द्वारा समझा जा सकता है। उनके विषय में यह तय करना कठिन है कि वे एक अच्छे साहित्यकार थे या अच्छे पत्रकार, दोनों ही विधाओं को उन्होंने साथ-साथ आगे बढ़ाया। साहित्य और पत्रकारिता का संबंध बताते हुए प्रो. दुबे ने बताया कि प्रायः सभी साहित्यकार कहीं ना कहीं पत्रकार ही होते हैं। वह अपनी रचनाओं को प्रकाशित कराते हैं, लोगों तक पहुंचाते हैं, साहित्य से समाज में बदलाव लाने का प्रयास करते हैं। यही पत्रकारिता के भी कार्य हैं।

अपने उद्बोधन में प्रो. दुबे ने कहा कि साहित्य और पत्रकारिता ने अपनी विकास यात्रा लगभग एक साथ ही तय की है। वीणा, सरस्वती, मतवाला आदि कई पत्रिकाओं ने कई बड़े साहित्यकारों को जन्म दिया है, तो वही कई साहित्यकारों ने सुप्रसिद्ध पत्रिकाओं का प्रकाशन भी किया है। ऐसे में साहित्य और पत्रकारिता दोनों ही समाज को जागृत करने का प्रयास सदैव करते रहे हैं।

आज मीडिया में स्त्री मुद्दे विषय पर व्याख्यान:

‘कुलपति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला के अंतर्गत 12 जून, शुक्रवार को शाम 4:00 बजे ‘मीडिया में स्त्री मुद्दे’ विषय पर डॉ. बीआर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू, इंदौर (मध्यप्रदेश) की कुलपति डॉ. आशा शुक्ला व्याख्यान देंगी। उनका व्याख्यान एमसीयू के फेसबुक पेज पर लाइव रहेगा।

विश्वविद्यालय फेसबुक पेज का लिंक – https://www.facebook.com/mcnujc91

पत्रकारिता और साहित्य में आवश्यक है लोकमंगल ‘कुलपति संवाद’ व्याख्यानमाला में ‘साहित्य और पत्रकारिता’ विषय पर प्रो. सुरेन्द्र दुबे ने रखे विचार, 12 जून को शाम 4:00 बजे ‘मीडिया में स्त्री मुद्दे’ विषय पर डॉ. आशा शुक्ला का व्याख्यान भोपाल, 11 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ‘कुलपति…