माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय सम्बद्ध अध्ययन केंद्रों को करेगा मजबूत : कुलपति प्रो. केजी सुरेश

संकट के समय में रेडियो ने निभाई अहम भूमिका, आवाज की दुनिया का शहंशाह है रेडियो

विश्व रेडियो दिवस के उपलक्ष्य पर रेडियो दस्तक के कार्यक्रम में कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने रखे विचार

भोपाल, 14 फरवरी, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय अपने लगभग 1600 सम्बद्ध अध्ययन  संस्थाओं को और अधिक सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह बात माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने उज्जैन स्थित सम्बद्ध अध्ययन संस्था द्वारा संचालित रेडियो दस्तक 90.8 एफएम के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा।

कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि विश्वविद्यालय इन अध्ययन संस्थाओं में पढ़ रहे लगभग 80 हजार विद्यार्थियों को कोरोना काल में अध्ययन सामग्री ऑनलाइन पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही ऑनलाइन माध्यम से भी विश्वविद्यालय की गतिविधियों से इन संस्थाओं के विद्यार्थियों को जोड़ा जा रहा है। आने वाले दिनों में अध्ययन केंद्रों में नए पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे और केंद्रों के बीच सुविधाओं के आदान-प्रदान की एक व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाएगी। शिक्षा के स्तर को ठीक करने के लिए शिक्षकों के लिए संकाय संवर्धन कार्यक्रम चलाया जाएगा।

कुलपति ने कहा कि हाल में ही उन्होंने मध्यप्रदेश शासन के अधिकारियों से मिलकर अनुरोध किया है कि वह अनुसूचित जाति, जनजाति,  दिव्यांगजन इत्यादि को दी जाने वाली छात्रवृत्ति एवं अन्य सहायता अध्ययन केंद्र के छात्रों को भी उपलब्ध करायी जाये। इस दौरान प्रो. सुरेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रो. अखिलेश पांडे से सौजन्य भेंट की।

विश्व रेडियो दिवस के उपलक्ष पर रेडियो दस्तक से प्रसारित साक्षात्कार में प्रो. केजी सुरेश ने बताया कि रेडियो जितना पहले सार्थक एवं प्रासंगिक था, आज भी उतना ही सार्थक एवं प्रासंगिक है। रेडियो पर जनता का एक विश्वास है। रेडियो सबसे ज्यादा एक्सेसबल और पोर्टेबल है। आप रेडियो को कहीं भी आसानी से अपने साथ ले जा सकते हैं। जब देश के किसी भी कोने में कोई आपदा आती है और सभी मीडिया फेल हो जाते हैं तब रेडियो ही उन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को जानकारी पहुंचाता है। रेडियो की एक खासियत है कि किसान इसे अपने खेत में अपने साथ ले जा सकता है। मजदूर अपने काम के दौरान इसे अपने साथ रख सकता है। रेडियो आपका एक अच्छा दोस्त है। रेडियो ही एक ऐसा माध्यम है जहां आपको फेंक कंटेंट, मिस इंफॉर्मेशन कभी सुनाई नहीं देगी। उन्होंने कहा कि देश के विकास में रेडियो की अहम भूमिका है। यह देश के जन-जन तक विकास की भूमिका को, क्षेत्रीय संगीत, शास्त्रीय संगीत सहित देश की अन्य विधाओं को पहुंचाने में मदद करता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आकाशवाणी रेडियो के माध्यम से जब देश को संबोधित किया था, हम उसे आज भी नेशनल ब्रॉडकास्टिंग डे के रूप में मनाते हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भी रेडियो के माध्यम से देश के जन-जन तक अपना संदेश पहुंचाया था।

कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय देश का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। देश के सभी बड़े प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थाओं में विश्वविद्यालय के छात्र काम कर रहे हैं। भोपाल स्थित बिशन खेड़ी में 55 एकड़ में विश्वविद्यालय का नया परिसर लगभग तैयार है। कुलपति ने बताया कि यहाँ ‘कर्मवीर’ नाम से सामुदायिक रेडियो स्टेशन शुरू किया जायेगा। उन्होंने बताया कि खंडवा में भी विश्वविद्यालय का परिसर है। वह किशोर दा की जन्मस्थली है। वहां फिल्म स्टडीज का एक प्रोग्राम शुरू किया जायेगा। रीवा परिसर में ग्रामीण पत्रकारिता पर एक नया कोर्स शुरू किया जायेगा। विश्वविद्यालय की शोध पत्रिकाएं अब नियमित रूप से प्रकाशित होंगी। प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि हम विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को लिखने के साथ-साथ बोलने और सोशल मीडिया में काम करने की कला से रूबरू करवाएंगे। छात्रों को यूट्यूब ब्लॉगर सहित सोशल मीडिया के सभी माध्यमों में मजबूत करने की कोशिश होगी। उन्होंने कहा कि हम लोग भाषा के प्रति बहुत उदासीन हो गए हैं। भाषा पर बहुत अधिक महत्त्व देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मीडिया के क्षेत्र में ब्रॉडकास्ट बहुत बड़ा भविष्य है। बहुत बड़े-बड़े मीडिया संस्थान इन क्षेत्रों में उतर चुके हैं। मीडिया के क्षेत्र में एनिमेशन ग्राफिक्स बहुत ही पोटेंशियल है। विश्वविद्यालय में इनसे जुड़े हुए कोर्स शुरू कर दिए हैं। पूरे देश में इसकी बहुत ही डिमांड है।