एमसीयू एनसीसी कैडेट अनुष्का शुक्ला ने आईजीएससी-2021 शूटिंग में जीता रजत पदक

एमसीयू एनसीसी कैडेट अनुष्का शुक्ला ने आईजीएससी-2021 शूटिंग में जीता रजत पदक

भोपाल, 16 सितम्‍बर, 2021: एनसीसी एमपी एवं सीजी निदेशालय जबलपुर द्वारा इंटर ग्रुप शूटिंग चैंपियनशिप-2021 का आयोजन जबलपुर में 9 से 15 सितंबर 2021 तक किया गया। इसमें 04 एम.पी. बटालियन,  भोपाल एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की कैडेट अनुष्का शुक्ला को शूटिंग में सिल्वर मेडल प्राप्त हुआ। अनुष्का शुक्ला ने एनसीसी भोपाल ग्रुप का नेतृत्व करते हुए पीप साइट प्रोन पोजीशन में हिस्सा लिया। इसमें कुल 60 कैडेटों ने हिस्सा लिया।

एमसीयू के एनसीसी ऑफिसर लेफ्टिनेंट श्री मुकेश कुमार चौरासे ने बताया कि कैडेट अनुष्का शुक्ला बहुत ही मेहनती और उत्कृष्ट विद्यार्थी हैं। उन्होंने एमसीयू एनसीसी के प्रयासों से शूटिंग का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इस प्रशिक्षण में सीनियर अंडर ऑफिसर श्री अभय पाण्डेय की भूमिका सराहनीय रही है। आईजीसी शूटिंग में सिल्वर मेडल प्राप्त होने पर कैडेट- अनुष्का शुक्ला को कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में आगे बढ़ते हुए एमसीयू ने एनसीसी को पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया है। अब विद्यार्थी एनसीसी को एक पाठ्यक्रम के रूप में भी चुन सकेंगे। एमसीयू की एनसीसी ट्रूप युवाओं की प्रतिभाओं को निखारने हेतु हमेशा से ही प्रोत्साहित रहा है।

एमसीयू एनसीसी कैडेट अनुष्का शुक्ला ने आईजीएससी-2021 शूटिंग में जीता रजत पदक भोपाल, 16 सितम्‍बर, 2021: एनसीसी एमपी एवं सीजी निदेशालय जबलपुर द्वारा इंटर ग्रुप शूटिंग चैंपियनशिप-2021 का आयोजन जबलपुर में 9 से 15 सितंबर 2021 तक किया गया। इसमें 04 एम.पी. बटालियन,  भोपाल एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की कैडेट अनुष्का…

एम.सी.यू. ने बनाया दूरदर्शन स्थापना दिवस

एम.सी.यू. ने बनाया दूरदर्शन स्थापना दिवस

भोपाल, 15 सितम्‍बर, 2021: दूरदर्शन स्थापना दिवस के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्‍वविधालय के इलेक्ट्रानिक मीडिया विभाग द्वारा स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव अंर्तगत विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। स्वतंत्र भारत में दूरदर्शन की भूमिका विषय पर बोलते हुये डी.डी. न्यूज के पूर्व महानिदेशक श्री अक्षय राउत ने कहा कि दूरदर्शन ने सदैव ‘‘सबका विकास सबके साथ’’ वाली नीति पर चलकर काम किया है। दूरदर्शन भारतीय संस्कृति की आत्मा है। दूरदर्शन कार्यक्रमों एवं समाचारों में बदलाब और लचीलापन होना चाहिये इसके लिये आउट ऑफ बाक्स काम करना जरुरी है। विशिष्ट वक्ता भारतीय सूचना सेवा की वरिष्ठ अधिकारी तथा दूरदर्शन एवं आकाशवाणी म.प्र. की संयुक्त निदेषक (समाचार) श्रीमती पूजा वर्धन ने दूरदर्शन समाचारों में विश्‍वसनीयता के महत्व की चर्चा की। दूरदर्शन में फेक न्यूज के लिये कोई स्थान नहीं हैं। दूरदर्शन ने जन-जागरुकता के लिये पल्स पोलियो अभियान, एच.आई.व्ही. एड्स, मतदाता जागरुकता, खुले में शौच रोकने के लिये स्वच्छ भारत अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दूरदर्शन अनेकता में एकता के दर्शन कराने के प्रयास सदैव करता है।

अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश ने कहा कि दूरदर्षन ने देष की सांस्कृतिक विरासत एवं एकता को सुदृढ़ किया है। अनेक उभरते कलाकारों को दूरदर्शन एवं आकाशवाणी ने सशक्त मंच प्रदान कर स्थापित करने में सहयोग किया है। दूरदर्षन समाचारों की अंर्तवस्तु एवं पैकेजिंग में कई नवाचार होते रहें हैं इसलिये दूरदर्शन समाचारों की विश्‍वसनीयता एवं लोकप्रियता आज भी आम लोगों में है। दूरदर्शन द्वारा प्रसारित पॉजीटिव इंडिया इसका अच्छा उदाहरण है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में इलेक्ट्रानिक मीडिया विभाग के विधार्थियों द्वारा तैयार फिल्म टेलीविजन की कहानी विधार्थियों की जुबानी भी प्रसारित की गई इलेक्ट्रानिक मीडिया विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एवं कार्यक्रम समंवयक डॉ संजीव गुप्ता ने दूरदर्शन स्थापना दिवस के महत्व एवं दूरदर्शन की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला। आभार प्रदर्शन वि.वि. के कुलसचिव डॉ अविनाश बाजपेयी ने किया। कार्यक्रम में आभासी मंच से रीवा, खंडवा एवं दतिया परिसर के षिक्षक एवं विधार्थीगण जुडे साथ ही 1600 से अधिक संब़द्ध अध्ययन संस्थाओं से विधार्थीगण जुडे।

एम.सी.यू. ने बनाया दूरदर्शन स्थापना दिवस भोपाल, 15 सितम्‍बर, 2021: दूरदर्शन स्थापना दिवस के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्‍वविधालय के इलेक्ट्रानिक मीडिया विभाग द्वारा स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव अंर्तगत विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। स्वतंत्र भारत में दूरदर्शन की भूमिका विषय पर बोलते हुये डी.डी. न्यूज के पूर्व महानिदेशक श्री अक्षय…

14 सितम्बर हिन्दी दिवस नहीं, राजभाषा दिवस है : प्रो. उमेश सिंह

14 सितम्बर हिन्दी दिवस नहीं, राजभाषा दिवस है : प्रो. उमेश सिंह

हिन्दी को राष्ट्र संपर्क भाषा के तौर पर अपनाएं : श्री अनंत विजय

हिन्दी कविता में राष्ट्रीय चेतना और राष्ट्रबोध का भाव : प्रो. कुमुद शर्मा

हिन्दी को उन्नत करने के लिए हर संभव प्रयास हों : प्रो. केजी सुरेश

राजभाषा दिवस पर राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘हिन्दी हम सबकी’ का आयोजन, हिन्दी पत्रकारिता, साहित्य एवं भाषा पर हुआ विचार विमर्श

भोपाल, 14 सितम्‍बर, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत राष्ट्र भाषा दिवस पर राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘हिन्दी हम सबकी’ का आयोजन किया गया। वक्ता प्रो. उमेश सिंह ने कहा कि आज का दिन राजभाषा दिवस के नाते मनाया जाना चाहिए क्योंकि 14 सितम्बर, 1949 को संविधान में हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने उनकी इस बात को सहमती प्रदान की और कहा कि हिन्दी का कोई एक दिन नहीं, सभी दिन हिन्दी के हैं। आज के दिन को राजभाषा दिवस के रूप में मनाया जाना ही ठीक है।

‘भाषा और हिन्दी’ विषय पर उच्च शिक्षा विभाग की स्वामी विवेकानंद करियर मार्गदर्शन योजना के निदेशक प्रो. उमेश सिंह ने कहा कि दो प्रकार की सत्ता हैं- राष्ट्र सत्ता और राजसत्ता। भाषा को लेकर सारा विवाद राजसत्ता में है। हमारे यहाँ राष्ट्र सत्ता में भाषा को लेकर कोई विवाद नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पारलौकिक और लौकिक सत्ता के साथ जुड़कर भाषा हमारे साथ चलती है।

‘पत्रकारिता और हिन्दी’ विषय पर वरिष्ठ पत्रकार श्री अनंत विजय ने कहा कि हमें हिन्दी को दैनिक जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता है क्योंकि यही वह भाषा है जो संचार में आत्मीयता और माधुर्य लाती है। पत्रकारिता में सर्वाधिक प्रचलित यदि कोई भाषा है तो वह हिंदी ही है। हिन्दी पत्रकारिता के मूर्धन्य पत्रकारों के योगदान का उल्लेख भी श्री विजय ने अपने उद्बोधन में किया। उन्होंने कहा कि हिन्दी हमें राष्ट्र संपर्क भाषा के तौर पर अपनाना चाहिए। हिन्दी को हम राष्ट्रभाषा के तौर पर अपनाएंगे तो सभी भारतीय भाषाएँ ज्ञान का एक संसार रचेंगी। उन्होंने कहा कि हिन्दी का आज बहुत विस्तार हो गया है। उसने खुली बाहों से अन्य भाषाओँ के शब्दों को स्वीकार किया है। लेकिन किसी भी भाषा में शब्द को उस भाषा की प्रकृति एवं स्वाभाव के अनुरूप शामिल करना चाहिए।

‘साहित्य और हिन्दी’ विषय पर दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी माध्यम कार्यान्वयन निदेशालय की निदेशक एवं साहित्यकार प्रो. कुमुद शर्मा ने कहा कि सरस्वती पत्रिका हिन्दी की पाठशाला थी। निराला जैसे कवि को पहले हिन्दी नहीं आती थी। जब उनकी पत्नी ने कहा कि आपको हिन्दी तो आती ही नहीं। तब सरस्वती के माध्यम से उन्होंने हिन्दी सीखी और हिन्दी के बहुत बड़े कवि बन गए। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता के बाद की कविता में भी राष्ट्रीय चेतना और राष्ट्रबोध का भाव बना रहा है। स्वतंत्र के बाद के 75 वर्ष का साहित्य अगर हम देखें तो हमें उसमें राष्ट्रीय स्वर स्पष्ट रूप से सुनाई देते हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि हमें हर वह संभव प्रयास करना चाहिए जिससे हमारी भाषा और भी उन्नत हो सके। भाषाओं के नाम पर अनावश्यक विवाद नहीं होना चाहिए। यह समय की आवश्यकता है कि आज हम हिन्दी को संपर्क की भाषा के रूप में स्थापित करें। इस संगोष्ठी का समन्वय एवं संचालन जनसंपर्क अधिकारी श्री लोकेन्द्र सिंह ने किया। इस अवसर पर सभी विभागों के अध्यक्ष, शिक्षा एवं अधिकारीगण उपस्थित रहे। संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय की ‘प्रेमचंद साहित्य परिषद्’ द्वारा किया गया।

14 सितम्बर हिन्दी दिवस नहीं, राजभाषा दिवस है : प्रो. उमेश सिंह हिन्दी को राष्ट्र संपर्क भाषा के तौर पर अपनाएं : श्री अनंत विजय हिन्दी कविता में राष्ट्रीय चेतना और राष्ट्रबोध का भाव : प्रो. कुमुद शर्मा हिन्दी को उन्नत करने के लिए हर संभव प्रयास हों : प्रो. केजी सुरेश राजभाषा दिवस पर…

अच्छी और शुद्ध भाषा से डरने की आवश्यकता नहीं है – फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री

अच्छी और शुद्ध भाषा से डरने की आवश्यकता नहीं है फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री

सिनेमा विकल्प मांगता है, जो देगा वह चलेगा प्रो के.जी. सुरेश

भारतीय सिनेमा और हिन्दी” पर परिचर्चा में चर्चित फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री

भोपाल, 14 सितम्‍बर, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल में सोमवार को “भारतीय सिनेमा और हिन्दी” विषय पर आयोजित परिचर्चा में देश के जाने माने फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने संबोधित किया। श्री अग्निहोत्री ने कहा कि सिनेमा के माध्यम से बहुत कुछ अवांछनीय सामग्री दिखाई जाती है, जो न तो समाज की मांग है और न ही समाज की आवश्यकता है।

श्री अग्निहोत्री ने आजादी के 75 वर्षों की सिनेमा के कथानक की यात्रा  में आए बदलाव पर आलोचनात्मक समीक्षा रखते हुए बताया कि किस तरह समाज के बदलाव का प्रतिबिंब सिनेमा में दिखा ,जबकि कुछ लोगों ने जिनको भारत की समझ नहीं थी ने अपने फैशनेबल विचारों को सिनेमा पर थोपा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो के.जी. सुरेश ने कहा कि आज सिनेमा में विकल्प की जरूरत भी है और मांग भी है। जो विकल्प देगा वह चलेगा। आज कम बजट की सार्थक फिल्म भी समाज पर अधिक प्रभाव डालती है और हिट हो सकती है। श्री सुरेश ने कहा कि भारतीय सिनेमा ने हिन्दी समेत कई भारतीय भाषाओं को दुनियाभर में पहुंचाया है। इसलिए इसका उपयोग भाषाई विस्तार के लिए भी प्रभावी ढंग से होना चाहिए।

कार्यक्रम के प्रारंभ में विषय का प्रवर्तन करते हुए फिल्म पत्रकार श्री अतुल गंगवार ने आगामी फिल्म समारोह की भूमिका और रूपरेखा प्रस्तुत की। श्री गंवार ने कहा कि बाजार की मांग की आड़ लेकर भाषा को विकृत और कमजोर नहीं किया जा सकता। भाषा की शुद्धता बनाए रखकर भी सफल फिल्मों के कई उदाहरण हैं।

स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव श्रृंखला के अंतर्गत हिंदी दिवस पर आयोजित इस परिचर्चा में मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ भारत शरण ने आगामी फिल्म समारोह के लिए शुभकनाएं दी कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय में फिल्म समूह आयोजन सिटी के अध्यक्ष प्रो पवित्र श्रीवास्तव ने लिया। कार्यक्रम के समापन पर  विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ अविनाश वाजपेई ने आभार व्यक्त किया।

अच्छी और शुद्ध भाषा से डरने की आवश्यकता नहीं है – फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री सिनेमा विकल्प मांगता है, जो देगा वह चलेगा – प्रो के.जी. सुरेश “भारतीय सिनेमा और हिन्दी” पर परिचर्चा में चर्चित फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री भोपाल, 14 सितम्‍बर, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल में सोमवार को “भारतीय सिनेमा और…

भारत को नॉलेज सुपर पॉवर बनाएगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति : श्री आरिफ मोहम्मद खान, गवर्नर केरल

भारत को नॉलेज सुपर पॉवर बनाएगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति : श्री आरिफ मोहम्मद खान, गवर्नर केरल

अंग्रेजी के बिना प्रगति नहीं हो सकती यह एक भ्रम : डॉ. मोहन यादव, उच्च शिक्षा मंत्री

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश और एमसीयू अग्रणी : प्रो. केजी सुरेश, कुलपति

एमसीयू में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति : गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए क्रियान्वयन’ पर केन्द्रित पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का उद्घाटन, 17 सितम्बर तक होंगे विषय विशेषज्ञों के व्याख्यान

भोपाल, 13 सितम्‍बर, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति : गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए क्रियान्वयन’ पर केन्द्रित पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का उद्घाटन केरल के राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान, मध्यप्रदेश शासन में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव और कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने किया। एफडीपी में 23 राज्यों के 200 से अधिक प्रतिभागी ऑनलाइन शामिल हो रहे हैं। एफडीपी को संबोधित करते हुए राज्यपाल श्री खान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य दुनिया में भारत को शिक्षा के क्षेत्र में सुपर नॉलेज पावर बनाना है। यह शिक्षा नीति युवाओं को और अधिक स्किल्ड बनाएगी। वहीं, शिक्षा मंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं का सम्मान और संवर्धन करती है। यह एक भ्रम है कि सिर्फ अंग्रेजी से प्रगति हो सकती है। कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश और एमसीयू अग्रणी भूमिका में हैं।

एफडीपी के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि एवं केरल के राज्यपाल श्री आरिफ खान ने कहा कि हमारे देश का मंत्र है- ‘आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतो’। अर्थात हम अच्छे विचारों का सब ओर से स्वागत करते हैं। यह हमारी संस्कृति है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भी भारतीय संस्कृति के सर्वसमावेशी विचार पर जोर देती है। यह विविधताओं का सम्मान करती है। उन्होंने कहा कि सामाजिक उत्तरदायित्व के बिना शिक्षा का कोई महत्व नहीं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति विद्यार्थी के भीतर सामाजिक उत्तरदायित्व को बढ़ावा देने वाली है।

विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि यह एक भ्रम है कि अंग्रेजी के बिना प्रगति नहीं हो सकती। हमें जापान और फ़्रांस सहित दुनिया के अनेक देशों को देखना चाहिए, जो अपनी मातृभाषा में ही कार्य करते हैं। हमारे पास तो भाषाओं का गुलदस्ता है। उन्होंने कहा कि किसी भाषा से दिक्कत नहीं है लेकिन यदि अपनी मातृभाषा में शिक्षा मिले तो अधिक प्रभावी परिणाम प्राप्त होंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं का सम्मान और संवर्धन करती है। जब हम अपनी शिक्षा नीति की बात करते हैं तब हम अपनी जड़ों से जुड़ कर बात करते हैं। हमें 1947 में ही मैकाले की शिक्षा नीति से मुक्त हो जाना चाहिए था। शिक्षा मंत्री डॉ. यादव ने कहा कि दुनिया का सबसे युवा देश भारत है। हमारे देश बहुत संभावनाओं से भरा हुआ है। आज दुनिया के अनेक प्रश्नों का उत्तर देने का सामर्थ्य भारत में है। उन्होंने कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो गौरव का भाव पैदा करे और बलिदान के लिए प्रेरित करे। इस सन्दर्भ में उन्होंने श्रीकृष्ण के जन्म, माँ यशोदा और नन्द बाबा के बलिदान और पन्ना धाय के बलिदान के प्रसंग भी सुनाये।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि यह हमारे लिए प्रसन्नता का विषय है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने वाला पहला प्रदेश है। उन्होंने कहा कि हम पहले विश्वविद्यालय हैं, जिसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप 7 पाठ्यक्रम लागू किये हैं। जिनमें 5 मीडिया के पाठ्यक्रम हैं। कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को फिर से ज्ञान के क्षेत्र में विश्वगुरु बनाने वाला दस्तावेज है। उन्होंने बताया कि हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को क्रियान्वित करने के लिए अन्य विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू साइन किये हैं। जैसे एमसीयू के विद्यार्थी ओपन इलेक्टिव कोर्स में राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के ओपन इलेक्टिव कोर्स पढ़ सकेंगे और वहां के विद्यार्थी एमसीयू में संचालित ओपन इलेक्टिव कोर्स पढ़ सकेंगे।

विषय प्रवर्तन कुलसचिव और पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के संयोजक प्रो. अविनाश वाजपेयी ने किया। इस एफडीपी में पांच दिन तक देशभर के विषय विशेषज्ञ उद्बोधन देंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में यह एफडीपी बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में 23 राज्यों से 200 से अधिक प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। उद्घाटन सत्र का संचालन एफडीपी की सह-संयोजक सुश्री मनीष वर्मा ने किया। एफडीपी में पहले दिन आईटीएम यूनिवर्सिटी, ग्वालियर के कुलपति प्रो. एसएस भाकर ने एनईपी, एबीसी के क्रियान्वयन एवं शिक्षण पद्धति और जेएनयू के प्रो. मज़हर आसिफ ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के नवाचारी पाठ्यक्रम एवं शिक्षण पद्धति पर व्याख्यान दिए।

भारत को नॉलेज सुपर पॉवर बनाएगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति : श्री आरिफ मोहम्मद खान, गवर्नर केरल अंग्रेजी के बिना प्रगति नहीं हो सकती यह एक भ्रम : डॉ. मोहन यादव, उच्च शिक्षा मंत्री राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश और एमसीयू अग्रणी : प्रो. केजी सुरेश, कुलपति एमसीयू में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति : गुणवत्तापूर्ण…