युवाओं को नशे की गिरफ्त से बचा सकता है मीडिया  : श्री पराग चतुर्वेदी

नशाखोरी रोकने का स्थायी समाधान है जन-जागरूकता : प्रो. केजी सुरेश

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘भारत में मादक पदार्थों का दुरूपयोग और युवाओं की संवेदनशीलता’ पर विशेष व्याख्यान

भोपाल, 13 अक्‍टूबर, 2021: सशस्त्र सीमा बल के सेकण्ड इन कमांड श्री पराग चतुर्वेदी ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि युवाओं को नशे की गिरफ्त से दूर रखने में मीडिया बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रिंट मीडिया ने नशे के खतरों पर कई कवर स्टोरी करके समाज को जागरूक करने का काम किया है। ‘भारत में मादक पदार्थों का दुरूपयोग और युवाओं की संवेदनशीलता’ विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि नशे की बढ़ती समस्या का स्थायी समाधान जन-जागरूकता से ही आ सकता है और इसमें पत्रकारिता की महती भूमिका है।

पत्रकारिता एवं संचार के विद्यार्थियों से संवाद करते हुए मुख्य वक्ता श्री पराग चतुर्वेदी ने बताया कि राजस्थान, उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश के कुछ जिलों में लाइसेंस के आधार पर अफीम का उत्पादन किया जाता है जबकि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, बिहार, बंगाल, मणिपुर, कर्नाटक इत्यादि में गैर-कानूनी ढंग से अफीम का उत्पादन हो रहा है। इससे घातक मादक पदार्थ बनाकर युवाओं तक पहुँचाया जा रहा है। नशे का यह कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा है। सरकारी संस्थाएं इसे रोकने के लिए यथासंभव प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया इस विषय पर जन-जागरूकता के समाचार, लेख प्रकाशित करे तो और अधिक प्रभावी परिणाम प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि हम अपने लेख और समाचार के माध्यम से किसी एक बच्चे को भी नशे की लत से बचा पाए तो यह हमारी उपलब्धि होगी। सशस्त्र सीमा बल में सेकण्ड इन कमांड श्री चतुर्वेदी ने कहा कि युवा जब नशे के आदी हो जाते हैं, तो अपने परिवार की स्थिति को भूल जाता है। वह भूल जाता है कि उसके पिता ने किन कठिनाईयों से पैसा कमाकर उसको पढ़ने भेजा है। नशे की पूर्ति के लिए व्यक्ति अपराध की दिशा में भी आगे बढ़ जाता है।

नशे के विरुद्ध सोशल मीडिया पर लिखें पत्रकारिता के विद्यार्थी : कुलपति प्रो. सुरेश

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि नशे के कारण समाज में अनेक दुष्परिणाम दिखाई दे रहें हैं। परिवार टूट रहे हैं। महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहे हैं। विभिन्न प्रकार का अपराध भी बढ़ रहा है। भविष्य के भारत के लिए युवाओं को नशे से बचाना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के विद्यार्थी अपने ब्लॉग और अन्य सोशल मीडिया माध्यमों पर नशे के विरुद्ध लिख कर समाज को जागरूक कर सकते हैं। नशे को रोकने की जिम्मेदारी कानून व्यवस्था की तो है ही, लेकिन यह समाज जागरण का भी काम है। नशे की गिरफ्त से युवाओं को बचाने के लिए समाज को जागरूक करना बहुत आवश्यक है। नशे की प्रवृत्ति को रोकने का स्थायी उपाय जन-जागरूकता है।

विषय प्रवर्तन करते हुए पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष डॉ. राखी तिवारी ने कहा कि मादक पदार्थों के सेवन से न केवल व्यक्ति का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ता है अपितु परिवार भी बिखर जाता है। नशे की आदत को सामाजिक और आर्थिक तौर पर भी देखा जा रहा है। शिक्षा व्यवस्था को इस दिशा में आगे आकर काम करना चाहिए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की एनसीसी इकाई के समन्वयक लेफ्टिनेंट मुकेश चौरासे ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन एनसीसी की कैडेट चैताली पाटिल और आभार ज्ञापन कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने किया।