पत्रकारिता एवं संचार के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शोध को देंगे बढ़ावा : प्रो. केजी सुरेश

पत्रकारिता एवं संचार के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शोध को देंगे बढ़ावा : प्रो. केजी सुरेश

एमसीयू और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के बीच एमओयू

भोपाल, 22 अक्टूबर, 2021: तिलक स्कूल ऑफ़ मास कम्युनिकेशन, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के मध्य 22 अक्टूबर, 2021 को एक एमओयू हुआ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) में आयोजित कार्यक्रम में इस एमओयू पर एमसीयू के कुलपति प्रो. केजी सुरेश और सीसीएसयू के कुलपति प्रो. नरेन्द्र कुमार तनेजा ने हस्ताक्षर किये। कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि दोनों विश्वविद्यालय पत्रकारिता एवं संचार के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शोध को बढ़ावा देंगे और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में सहयोग करेंगे।

कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के बीच जो एमओयू साइन हुआ है, इससे दोनों को ही लाभ मिलेगा। दोनों विश्वविद्यालय शोधकार्य को बढ़ावा देंगे। वहीं, सीसीएसयू के कुलपति प्रो. नरेंद्र कुमार तनेजा ने कहा कि इस प्रकार के एमओयू अन्य विभागों को भी करने चाहिए। एक दूसरों की अच्छाईयों को ग्रहण करते हुए आगे बढ़ने का काम करना चाहिए। एमओयू होने के बाद सीसीएसयू की प्रति कुलपति प्रो. वाई विमला ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर सीसीएसयू के कुलसचिव धीरेंद्र कुमार वर्मा और पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के निदेशक प्रो. प्रशांत कुमार मौजूद रहे।

पत्रकारिता एवं संचार के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शोध को देंगे बढ़ावा : प्रो. केजी सुरेश एमसीयू और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के बीच एमओयू भोपाल, 22 अक्टूबर, 2021: तिलक स्कूल ऑफ़ मास कम्युनिकेशन, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के मध्य 22 अक्टूबर, 2021 को एक…

युवाओं को नशे की गिरफ्त से बचा सकता है मीडिया : श्री पराग चतुर्वेदी

युवाओं को नशे की गिरफ्त से बचा सकता है मीडिया  : श्री पराग चतुर्वेदी

नशाखोरी रोकने का स्थायी समाधान है जन-जागरूकता : प्रो. केजी सुरेश

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘भारत में मादक पदार्थों का दुरूपयोग और युवाओं की संवेदनशीलता’ पर विशेष व्याख्यान

भोपाल, 13 अक्‍टूबर, 2021: सशस्त्र सीमा बल के सेकण्ड इन कमांड श्री पराग चतुर्वेदी ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि युवाओं को नशे की गिरफ्त से दूर रखने में मीडिया बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रिंट मीडिया ने नशे के खतरों पर कई कवर स्टोरी करके समाज को जागरूक करने का काम किया है। ‘भारत में मादक पदार्थों का दुरूपयोग और युवाओं की संवेदनशीलता’ विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि नशे की बढ़ती समस्या का स्थायी समाधान जन-जागरूकता से ही आ सकता है और इसमें पत्रकारिता की महती भूमिका है।

पत्रकारिता एवं संचार के विद्यार्थियों से संवाद करते हुए मुख्य वक्ता श्री पराग चतुर्वेदी ने बताया कि राजस्थान, उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश के कुछ जिलों में लाइसेंस के आधार पर अफीम का उत्पादन किया जाता है जबकि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, बिहार, बंगाल, मणिपुर, कर्नाटक इत्यादि में गैर-कानूनी ढंग से अफीम का उत्पादन हो रहा है। इससे घातक मादक पदार्थ बनाकर युवाओं तक पहुँचाया जा रहा है। नशे का यह कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा है। सरकारी संस्थाएं इसे रोकने के लिए यथासंभव प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया इस विषय पर जन-जागरूकता के समाचार, लेख प्रकाशित करे तो और अधिक प्रभावी परिणाम प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि हम अपने लेख और समाचार के माध्यम से किसी एक बच्चे को भी नशे की लत से बचा पाए तो यह हमारी उपलब्धि होगी। सशस्त्र सीमा बल में सेकण्ड इन कमांड श्री चतुर्वेदी ने कहा कि युवा जब नशे के आदी हो जाते हैं, तो अपने परिवार की स्थिति को भूल जाता है। वह भूल जाता है कि उसके पिता ने किन कठिनाईयों से पैसा कमाकर उसको पढ़ने भेजा है। नशे की पूर्ति के लिए व्यक्ति अपराध की दिशा में भी आगे बढ़ जाता है।

नशे के विरुद्ध सोशल मीडिया पर लिखें पत्रकारिता के विद्यार्थी : कुलपति प्रो. सुरेश

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि नशे के कारण समाज में अनेक दुष्परिणाम दिखाई दे रहें हैं। परिवार टूट रहे हैं। महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहे हैं। विभिन्न प्रकार का अपराध भी बढ़ रहा है। भविष्य के भारत के लिए युवाओं को नशे से बचाना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के विद्यार्थी अपने ब्लॉग और अन्य सोशल मीडिया माध्यमों पर नशे के विरुद्ध लिख कर समाज को जागरूक कर सकते हैं। नशे को रोकने की जिम्मेदारी कानून व्यवस्था की तो है ही, लेकिन यह समाज जागरण का भी काम है। नशे की गिरफ्त से युवाओं को बचाने के लिए समाज को जागरूक करना बहुत आवश्यक है। नशे की प्रवृत्ति को रोकने का स्थायी उपाय जन-जागरूकता है।

विषय प्रवर्तन करते हुए पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष डॉ. राखी तिवारी ने कहा कि मादक पदार्थों के सेवन से न केवल व्यक्ति का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ता है अपितु परिवार भी बिखर जाता है। नशे की आदत को सामाजिक और आर्थिक तौर पर भी देखा जा रहा है। शिक्षा व्यवस्था को इस दिशा में आगे आकर काम करना चाहिए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की एनसीसी इकाई के समन्वयक लेफ्टिनेंट मुकेश चौरासे ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन एनसीसी की कैडेट चैताली पाटिल और आभार ज्ञापन कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने किया।

युवाओं को नशे की गिरफ्त से बचा सकता है मीडिया  : श्री पराग चतुर्वेदी नशाखोरी रोकने का स्थायी समाधान है जन-जागरूकता : प्रो. केजी सुरेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘भारत में मादक पदार्थों का दुरूपयोग और युवाओं की संवेदनशीलता’ पर विशेष व्याख्यान भोपाल, 13 अक्‍टूबर, 2021: सशस्त्र सीमा बल के सेकण्ड…

साहित्य के बिना पत्रकारिता संस्कारविहीन : प्रो. केजी सुरेश

साहित्य के बिना पत्रकारिता संस्कारविहीन : प्रो. केजी सुरेश

पटना, 11 अक्‍टूबर, 2021: पत्रकारिता में उन्माद, विद्वेष का कोई स्थान नहीं है। पत्रकारिता की भाषा संयम और संस्कार की भाषा होनी चाहिए, जिसमें पत्रकारिता को साहित्य से अपने टूटे रिश्ते को फिर से जोड़ना होगा। साहित्य के बिना पत्रकारिता संस्कारविहीन है। ‘पत्रकारिता और साहित्य’ विषय पर यह विचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने व्यक्त किये। व्याख्यान का आयोजन पटना विश्वविद्यालय के हिन्दी एवं पत्रकारिता विभाग के संयुक्त तत्वावधान आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. तरुण कुमार ने की। उल्लेखनीय है कि यह वर्ष दादा माखनलाल चतुर्वेदी की कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ का शताब्दी वर्ष है। एमसीयू इस वर्ष साहित्य और पत्रकारिता के विमर्श को देशभर में चला रहा है।

कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने आज की पत्रकारिता की भाषा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि समाज का विश्वास बनाए रखना आज पत्रकारिता के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि आज सबकुछ संशय के घेरे में है। सच दिखाने के नाम पर जैसी भाषा में जैसी चीजें दिखाई जा रही हैं, वह कई बार किसी सभ्य समाज से बाहर की चीज लगती है। आज जो मीडिया में प्रतिबिंबित हो रहा है, वह क्या भारतीय समाज का सत्य है। इस पर विचार किए जाने की जरूरत है।

पटना विश्वविद्यालय के हिन्दी एवं पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्रो. सुरेश ने कहा कि आज नए सिरे से पाठकों-दर्शकों की सच्ची रुचियों को ध्यान में रखने की आवश्यकता है और उनके भाषिक एवं सामाजिक-सांस्कृतिक सरोकारों को जनोन्मुख बनाने की भी आवश्यकता है। पहले से ही दर्शकों-श्रोताओं की रुचियों को निर्धारित करना सही नहीं है। इस अवसर पर पटना कॉलेज की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. कुमारी विभा, शिक्षक डॉ. मार्तण्ड प्रगल्भ, डॉ. पीयूष राज, डॉ. गौतम कुमार, प्रशांत रंजन समेत हिन्दी एवं जनसंचार विभाग के स्नातक एवं स्नातकोत्तर के विद्यार्थी उपस्थित थे।

साहित्य के बिना पत्रकारिता संस्कारविहीन : प्रो. केजी सुरेश पटना, 11 अक्‍टूबर, 2021: पत्रकारिता में उन्माद, विद्वेष का कोई स्थान नहीं है। पत्रकारिता की भाषा संयम और संस्कार की भाषा होनी चाहिए, जिसमें पत्रकारिता को साहित्य से अपने टूटे रिश्ते को फिर से जोड़ना होगा। साहित्य के बिना पत्रकारिता संस्कारविहीन है। ‘पत्रकारिता और साहित्य’ विषय…

सीईसी का संबद्ध सदस्य होगा एमसीयू

सीईसी का संबद्ध सदस्य होगा एमसीयू

शैक्षिक संचार संघ और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के बीच एमओयू

भोपाल, 06 अक्‍टूबर, 2021: एशिया के पहले पत्रकारिता विश्वविद्यालय माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय, भोपाल ने आज उच्च शिक्षा स्तर पर शिक्षण और सीखने की प्रथाओं को सुविधाजनक बनाने और मल्टीमीडिया शैक्षिक सामग्री विकसित करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अंतर विश्वविद्यालय संगठन शैक्षिक संचार संघ के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए। एमओयू पर कुलपति प्रो. केजी सुरेश और निदेशक, सीईसी प्रो. जेबी नड्डा ने हस्ताक्षर किए। इससे अब पत्रकारिता विश्वविद्यालय सीईसी का संबद्ध सदस्य बन जाएगा।

एमओयू के तहत विश्वविद्यालय अपने शिक्षाविदों/शिक्षकों को एमओओसीएस, सीईसी प्लेटफॉर्म के लिए डिजिटल सामग्री विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। शैक्षिक संस्थानों को दी जाने वाली डिजिटल सामग्री के अलावा एमओयू में मल्टीमीडिया सामग्री विकास के लिए कार्यशाला और प्रशिक्षण कार्यक्रम, क्षमता निर्माण की भी परिकल्पना की गई है। विशिष्ट ज्ञान क्षेत्रों में डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रदान करने और प्रमाणित करने के लिए संयुक्त रूप से समूहीकृत एमओओसी पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए भी कार्य करेगा

इस अवसर पर प्रो. नड्डा ने कहा कि दो संस्थानों के बीच तालमेल व्यापक शैक्षणिक समुदाय के लिए फायदेमंद साबित होगा। वहीं कुलपति प्रो. सुरेश ने एमओयू को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में मील का पत्थर बताया।

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गांधीजी के जीवन का नियामक तत्व था धर्म : श्री रामबहादुर राय

गांधीजी के जीवन का नियामक तत्व था धर्म : श्री रामबहादुर राय

अपने भीतर के गांधी को जागृत करें हम : प्रो. केजी सुरेश

स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव पर्व के अंतर्गत एवं गांधी जयंती के प्रसंग पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में विशेष व्याख्यान ‘गांधीजी की पत्रकारिता’ का आयोजन

भोपाल, 02 अक्‍टूबर, 2021: गांधीजी के जीवन का नियामक तत्व धर्म था। अध्यात्म से गांधीजी को आत्मबल प्राप्त होता था। ‘अनासक्ति योग’ शीर्षक से लिखी गई उनकी पुस्तक में गीता का जो भाष्य किया गया है, उससे गीता के दर्शन को समझने में सहयोग मिलता है। वरिष्ठ पत्रकार श्री राम बहादुर राय ने ये विचार महात्मा गांधी की जयंती पर आयोजित विशेष व्याख्यान ‘गांधीजी की पत्रकारिता’ को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। यह आयोजन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से किया गया। कार्यक्रम अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि समय की माँग है कि हम अपने भीतर के गांधी को जागृत करें। गांधीजी ने सनातन मूल्यों का प्रतिनिधित्व किया। उन मूल्यों का अनुसरण कर हम आज भी गांधीजी की पत्रकारिता को धरातर पर उतार सकते हैं।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष श्री राम बहादुर राय ने कहा कि गांधीजी की पत्रकारिता मूल्यों की पत्रकारिता थी। गांधीजी समाधान देने वाले राजनेता के रूप में जाने गए। महात्मा गांधीजी ने अपने जीवन में पाँच पुस्तकें लिखीं- हिन्द स्वराज, दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह का इतिहास, आत्मकथा, अनासक्ति योग और मंगल प्रभात। उन्होंने कहा कि पत्रकार के रूप में गांधीजी का जन्म लंदन में हुआ। वहाँ गांधीजी अपने स्वधर्म की रक्षा करना चाहते थे। अपनी माता को दिए गए वचन के कारण वे वहाँ अपने लिए शाकाहारी भोजन खोज रहे थे। वहाँ उन्होंने ‘वेजीटेरियन’ पत्रिका में 9 लेख लिखे। उनकी पत्रकारिता का दूसरा चरण दक्षिण अफ्रीका में शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि ‘इंडियन ओपिनियन’ पत्रिका गांधीजी की पत्रकारिता का दर्पण है। महात्मा गांधी अपनी इस पत्रिका में आत्मनिर्भरता, आश्रम के नियम, स्वास्थ्य, नैतिक जीवन, सामाजिक कार्य, अनुचित शासकीय कानून और सत्याग्रह सहित अन्य विषयों पर सामग्री पढऩे को मिलती है। गांधीजी ने ‘पत्र संपादक के नाम’ स्तम्भ का सबसे अधिक उपयोग किया है। जब वे भारत आए तब उन्होंने देखा कि भारत की पत्रकारिता पूँजी के प्रभाव में है। इसलिए उन्होंने संपादकों को लिखा कि आप अपने संवाददाता चंपारण सत्याग्रह में न भेजें। मुझे कुछ कहना होगा, तो मैं स्वयं ही समाचारपत्रों के कार्यालय में आ जाऊंगा। श्री राय ने कहा कि समाचारपत्र छोटा है या बड़ा, यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि उसमें प्रकाशित क्या होता है?

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि गांधीजी ने विश्वसनीयता को पत्रकारिता का पर्यायवाची बना दिया था। वे अपने समाचारपत्रों के लिए विज्ञापन नहीं लेते थे। आज पत्रकारिता के सामने विश्वसनीयता का संकट है। आज की पत्रकारिता को इस चुनौती से बाहर निकलना होगा। मीडिया को टीआरपी और प्रसार की दौड़ से बाहर निकलना होगा। उन्होंने कहा कि हमने व्यक्तिपूजन के चलते गांधीजी को महात्मा तो बना दिया लेकिन उनके मूल्यों का अनुसरण नहीं किया। कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि गांधीजी श्रेष्ठ संचारक थे। वे अपनी चुप्पी से भी संदेश देते थे। यदि वे चुप्पी साध लेते थे तो दंगे भी शांत हो जाते थे। विश्वसनीयता संचारक की शक्ति होती है। गांधीजी की नीयत एवं विश्वसनीयता पर उनसे असहमत लोगों को भी संदेह नहीं था। गांधीजी देश की स्वतंत्रता के लिए प्रयास कर रहे थे। 

इससे पूर्व एमसीयू में गठित स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव की आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. श्रीकांत सिंह ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि गांधीजी उच्च कोटि के पत्रकार थे। वे मानते थे कि समाचार-पत्र के अभाव में सत्याग्रह के विचार को जनता तक नहीं पहुँचाया जा सकता। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी ने यंग इंडिया, नवजीवन और हरिजन जैसे समाचार-पत्रों का प्रकाशन किया। कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक श्री लालबहादुर ओझा ने किया और आभार ज्ञापन कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी एवं रीवा परिसर के प्रभारी श्री दीपेन्द्र बघेल ने किया।

गांधीजी के जीवन का नियामक तत्व था धर्म : श्री रामबहादुर राय अपने भीतर के गांधी को जागृत करें हम : प्रो. केजी सुरेश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव पर्व के अंतर्गत एवं गांधी जयंती के प्रसंग पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में विशेष व्याख्यान ‘गांधीजी की पत्रकारिता’ का आयोजन भोपाल, 02 अक्‍टूबर,…