युवाओं को समाज के प्रति संवेदनशील बनाती है एनएसएस : प्रो. केजी सुरेश

युवाओं को समाज के प्रति संवेदनशील बनाती है एनएसएस : प्रो. केजी सुरेश

एनएसएस में युवाओं का होता है व्यक्तित्व विकास : श्री राहुल सिंह परिहार

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई के नवागत विद्यार्थियों के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम का आयोजन

भोपाल, 25 अक्‍टूबर, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में सोमवार को राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई ने नवागत विद्यार्थियों के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि एनएसएस के कार्यकर्ताओं ने कोरोना महामारी में ज़मीन पर उतर कर समाजसेवा एवं जागरूकता के कार्य किये। एमसीयू में अब विद्यार्थी एनएसएस और एनसीसी को ‘जनरल इलेक्टिव पाठ्यक्रम’ के रूप में पढ़ भी सकेंगे। वहीं, बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय के एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी श्री राहुल सिंह परिहार एवं डॉ. अनंत सक्सेना ने विद्यार्थियों के एनएसएस की जानकारी दी।

अभिविन्यास कार्यक्रम में मुख्य वक्ता श्री राहुल सिंह परिहार ने कहा कि एनएसएस के माध्यम से युवाओं का सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास होता है। वहीं, मुख्य अतिथि डॉ. अनंत सक्सेना ने कहा कि एनएसएस से जुड़े विद्यार्थियों ने लॉकडाउन एवं कोरोनाकाल में बड़े स्तर पर लोगों की सहायता की है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि एनएसएस और एनसीसी की गतिविधियाँ युवाओं को समाज के प्रति संवेदनशील बनाती हैं। अब तक यह गतिविधियाँ को-करिकुलम एक्टिविटी में आती थीं लेकिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप अब इन्हें पाठ्यक्रम के रूप में लिया जा सकेगा। एमसीयू ने अपने नये पाठ्यक्रमों में एनएसएस और एनसीसी को ‘जनरल इलेक्टिव’ पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय की एनएसएस इकाई से जुड़े विद्यार्थियों को सक्रिय सहभागिता के लिए स्मृति चिन्ह दिए गए, जिनमें प्रवीण कुशवाह, अभिषेक द्विवेदी, प्रतीक मिश्रा, विधि सिंह और सौरभ चौकसे शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन विद्यार्थी हिमानी उपाध्याय ने किया जबकि आभार प्रदर्शन एवं समन्वयन एमसीयू के एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ. गजेंद्र सिंह अवास्या ने किया।

युवाओं को समाज के प्रति संवेदनशील बनाती है एनएसएस : प्रो. केजी सुरेश एनएसएस में युवाओं का होता है व्यक्तित्व विकास : श्री राहुल सिंह परिहार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई के नवागत विद्यार्थियों के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम का आयोजन भोपाल, 25 अक्‍टूबर, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय…

परिवार के साथ देखने वाली फिल्म बनाएं: कुलपति प्रो. केजी सुरेश

परिवार के साथ देखने वाली फिल्म बनाएं: कुलपति प्रो. केजी सुरेश

मेरठ में आयोजित नवांकुर लघु फिल्म महोत्सव को बतौर मुख्य अतिथि किया संबोधित, फरवरी-2022 में भोपाल में आयोजित हो रहा है चित्र भारतीय राष्ट्रीय लघु फिल्म फेस्टिवल

भोपाल/मेरठ, 23 अक्‍टूबर, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने मेरठ में आयोजित नवांकुर लघु फिल्म फेस्टिवल में कहा कि फिल्म निर्माताओं को साहित्य और समाज का अध्ययनकर ऐसी फिल्मों का निर्माण करना चाहिए, जिन्हें परिवार के साथ बैठकर देखा जा सके। फिल्म फेस्टिवल नये फिल्म निर्माताओं के लिए अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के बड़े अवसर होते हैं। प्रो. सुरेश ने कहा कि चित्र भारती की ओर से मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 18, 19 और 20 फरवरी, 2022 को ‘चित्र भारती राष्ट्रीय लघु फिल्म फेस्टिवल’ का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रतिष्ठित आयोजन में अपनी फ़िल्में भेजने की अंतिम तिथि 30 नवम्बर है। युवाओं को अधिक से अधिक संख्या में इस आयोजन में सहभागिता करनी चाहिए।

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग और मेरठ चलचित्र सोसाइटी की ओर से आयोजित नवांकुर फिल्म फेस्टिवल में एमसीयू के कुलपति प्रो. केजी सुरेश बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हर निर्माता का उद्देश्य फिल्म को अच्छा बनाना ही होता है। आजकल मोबाइल फ़ोन के माध्यम से भी फिल्म बनाई जा सकती है। लेकिन इसके लिए अध्ययनशीलता बनाए रखें। अगर अध्ययन और रचनात्मकता नहीं है तो फिल्म बनाने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि इतिहास को पढ़ना जरूरी है, फिल्मों में इतिहास को तोडमरोडकर पेश किया जाता है।

पत्रकारिता का साहित्य से नाता टूटा:

कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा पत्रकारिता का साहित्य से नाता टूट गया है। पत्रकारिता का स्तर गिरा है, साहित्य के बिना पत्रकारिता अधूरी है। पत्रकारिता को साहित्य से नाता जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के संस्कारों में बदलाव आया है, पत्रकारिता में अब उन्माद, आक्रमकता आ गई है। संयम, संवेदनशीलता एवं सौहार्द की भाषा ही पत्रकारिता है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने विश्वगुरु का मार्ग प्रशस्त किया:

कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने विश्वगुरु का मार्ग प्रशस्त किया है। हम परीक्षा देने के लिए न पढ़ें बल्कि जीवन के जिए पढ़ें। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर समय खराब करने से अच्छा है कि कहानी और जीवनी पढ़ें। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि धमेंद्र भारद्वाज एमआईटी ग्रुप ऑफ़ कॉलेज के चेयरमैन ने कहा कि समाज में सकारात्मक संदेश देने के लिए अच्छे विषयों पर फिल्म बननी चाहिए और इस प्रकार के प्लेटफार्म पर इनको प्रोत्साहन मिलना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेंद्र कुमार तनेजा ने की। निर्णायक भूमिका में नीता गुप्ता, सुमंत डोगरा व डा. दिशा दिनेश रही। पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के निदेशक प्रो. प्रशांत कुमार ने सभी का स्वागत किया। मेरठ चलचित्र सोसाईटी के अजय मित्तल ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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पत्रकारिता एवं संचार के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शोध को देंगे बढ़ावा : प्रो. केजी सुरेश

पत्रकारिता एवं संचार के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शोध को देंगे बढ़ावा : प्रो. केजी सुरेश

एमसीयू और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के बीच एमओयू

भोपाल, 22 अक्टूबर, 2021: तिलक स्कूल ऑफ़ मास कम्युनिकेशन, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के मध्य 22 अक्टूबर, 2021 को एक एमओयू हुआ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) में आयोजित कार्यक्रम में इस एमओयू पर एमसीयू के कुलपति प्रो. केजी सुरेश और सीसीएसयू के कुलपति प्रो. नरेन्द्र कुमार तनेजा ने हस्ताक्षर किये। कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि दोनों विश्वविद्यालय पत्रकारिता एवं संचार के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शोध को बढ़ावा देंगे और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में सहयोग करेंगे।

कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के बीच जो एमओयू साइन हुआ है, इससे दोनों को ही लाभ मिलेगा। दोनों विश्वविद्यालय शोधकार्य को बढ़ावा देंगे। वहीं, सीसीएसयू के कुलपति प्रो. नरेंद्र कुमार तनेजा ने कहा कि इस प्रकार के एमओयू अन्य विभागों को भी करने चाहिए। एक दूसरों की अच्छाईयों को ग्रहण करते हुए आगे बढ़ने का काम करना चाहिए। एमओयू होने के बाद सीसीएसयू की प्रति कुलपति प्रो. वाई विमला ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर सीसीएसयू के कुलसचिव धीरेंद्र कुमार वर्मा और पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के निदेशक प्रो. प्रशांत कुमार मौजूद रहे।

पत्रकारिता एवं संचार के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शोध को देंगे बढ़ावा : प्रो. केजी सुरेश एमसीयू और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के बीच एमओयू भोपाल, 22 अक्टूबर, 2021: तिलक स्कूल ऑफ़ मास कम्युनिकेशन, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के मध्य 22 अक्टूबर, 2021 को एक…

युवाओं को नशे की गिरफ्त से बचा सकता है मीडिया : श्री पराग चतुर्वेदी

युवाओं को नशे की गिरफ्त से बचा सकता है मीडिया  : श्री पराग चतुर्वेदी

नशाखोरी रोकने का स्थायी समाधान है जन-जागरूकता : प्रो. केजी सुरेश

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘भारत में मादक पदार्थों का दुरूपयोग और युवाओं की संवेदनशीलता’ पर विशेष व्याख्यान

भोपाल, 13 अक्‍टूबर, 2021: सशस्त्र सीमा बल के सेकण्ड इन कमांड श्री पराग चतुर्वेदी ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि युवाओं को नशे की गिरफ्त से दूर रखने में मीडिया बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रिंट मीडिया ने नशे के खतरों पर कई कवर स्टोरी करके समाज को जागरूक करने का काम किया है। ‘भारत में मादक पदार्थों का दुरूपयोग और युवाओं की संवेदनशीलता’ विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि नशे की बढ़ती समस्या का स्थायी समाधान जन-जागरूकता से ही आ सकता है और इसमें पत्रकारिता की महती भूमिका है।

पत्रकारिता एवं संचार के विद्यार्थियों से संवाद करते हुए मुख्य वक्ता श्री पराग चतुर्वेदी ने बताया कि राजस्थान, उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश के कुछ जिलों में लाइसेंस के आधार पर अफीम का उत्पादन किया जाता है जबकि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, बिहार, बंगाल, मणिपुर, कर्नाटक इत्यादि में गैर-कानूनी ढंग से अफीम का उत्पादन हो रहा है। इससे घातक मादक पदार्थ बनाकर युवाओं तक पहुँचाया जा रहा है। नशे का यह कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा है। सरकारी संस्थाएं इसे रोकने के लिए यथासंभव प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया इस विषय पर जन-जागरूकता के समाचार, लेख प्रकाशित करे तो और अधिक प्रभावी परिणाम प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि हम अपने लेख और समाचार के माध्यम से किसी एक बच्चे को भी नशे की लत से बचा पाए तो यह हमारी उपलब्धि होगी। सशस्त्र सीमा बल में सेकण्ड इन कमांड श्री चतुर्वेदी ने कहा कि युवा जब नशे के आदी हो जाते हैं, तो अपने परिवार की स्थिति को भूल जाता है। वह भूल जाता है कि उसके पिता ने किन कठिनाईयों से पैसा कमाकर उसको पढ़ने भेजा है। नशे की पूर्ति के लिए व्यक्ति अपराध की दिशा में भी आगे बढ़ जाता है।

नशे के विरुद्ध सोशल मीडिया पर लिखें पत्रकारिता के विद्यार्थी : कुलपति प्रो. सुरेश

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि नशे के कारण समाज में अनेक दुष्परिणाम दिखाई दे रहें हैं। परिवार टूट रहे हैं। महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहे हैं। विभिन्न प्रकार का अपराध भी बढ़ रहा है। भविष्य के भारत के लिए युवाओं को नशे से बचाना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के विद्यार्थी अपने ब्लॉग और अन्य सोशल मीडिया माध्यमों पर नशे के विरुद्ध लिख कर समाज को जागरूक कर सकते हैं। नशे को रोकने की जिम्मेदारी कानून व्यवस्था की तो है ही, लेकिन यह समाज जागरण का भी काम है। नशे की गिरफ्त से युवाओं को बचाने के लिए समाज को जागरूक करना बहुत आवश्यक है। नशे की प्रवृत्ति को रोकने का स्थायी उपाय जन-जागरूकता है।

विषय प्रवर्तन करते हुए पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष डॉ. राखी तिवारी ने कहा कि मादक पदार्थों के सेवन से न केवल व्यक्ति का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ता है अपितु परिवार भी बिखर जाता है। नशे की आदत को सामाजिक और आर्थिक तौर पर भी देखा जा रहा है। शिक्षा व्यवस्था को इस दिशा में आगे आकर काम करना चाहिए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की एनसीसी इकाई के समन्वयक लेफ्टिनेंट मुकेश चौरासे ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन एनसीसी की कैडेट चैताली पाटिल और आभार ज्ञापन कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने किया।

युवाओं को नशे की गिरफ्त से बचा सकता है मीडिया  : श्री पराग चतुर्वेदी नशाखोरी रोकने का स्थायी समाधान है जन-जागरूकता : प्रो. केजी सुरेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘भारत में मादक पदार्थों का दुरूपयोग और युवाओं की संवेदनशीलता’ पर विशेष व्याख्यान भोपाल, 13 अक्‍टूबर, 2021: सशस्त्र सीमा बल के सेकण्ड…

साहित्य के बिना पत्रकारिता संस्कारविहीन : प्रो. केजी सुरेश

साहित्य के बिना पत्रकारिता संस्कारविहीन : प्रो. केजी सुरेश

पटना, 11 अक्‍टूबर, 2021: पत्रकारिता में उन्माद, विद्वेष का कोई स्थान नहीं है। पत्रकारिता की भाषा संयम और संस्कार की भाषा होनी चाहिए, जिसमें पत्रकारिता को साहित्य से अपने टूटे रिश्ते को फिर से जोड़ना होगा। साहित्य के बिना पत्रकारिता संस्कारविहीन है। ‘पत्रकारिता और साहित्य’ विषय पर यह विचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने व्यक्त किये। व्याख्यान का आयोजन पटना विश्वविद्यालय के हिन्दी एवं पत्रकारिता विभाग के संयुक्त तत्वावधान आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. तरुण कुमार ने की। उल्लेखनीय है कि यह वर्ष दादा माखनलाल चतुर्वेदी की कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ का शताब्दी वर्ष है। एमसीयू इस वर्ष साहित्य और पत्रकारिता के विमर्श को देशभर में चला रहा है।

कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने आज की पत्रकारिता की भाषा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि समाज का विश्वास बनाए रखना आज पत्रकारिता के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि आज सबकुछ संशय के घेरे में है। सच दिखाने के नाम पर जैसी भाषा में जैसी चीजें दिखाई जा रही हैं, वह कई बार किसी सभ्य समाज से बाहर की चीज लगती है। आज जो मीडिया में प्रतिबिंबित हो रहा है, वह क्या भारतीय समाज का सत्य है। इस पर विचार किए जाने की जरूरत है।

पटना विश्वविद्यालय के हिन्दी एवं पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्रो. सुरेश ने कहा कि आज नए सिरे से पाठकों-दर्शकों की सच्ची रुचियों को ध्यान में रखने की आवश्यकता है और उनके भाषिक एवं सामाजिक-सांस्कृतिक सरोकारों को जनोन्मुख बनाने की भी आवश्यकता है। पहले से ही दर्शकों-श्रोताओं की रुचियों को निर्धारित करना सही नहीं है। इस अवसर पर पटना कॉलेज की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. कुमारी विभा, शिक्षक डॉ. मार्तण्ड प्रगल्भ, डॉ. पीयूष राज, डॉ. गौतम कुमार, प्रशांत रंजन समेत हिन्दी एवं जनसंचार विभाग के स्नातक एवं स्नातकोत्तर के विद्यार्थी उपस्थित थे।

साहित्य के बिना पत्रकारिता संस्कारविहीन : प्रो. केजी सुरेश पटना, 11 अक्‍टूबर, 2021: पत्रकारिता में उन्माद, विद्वेष का कोई स्थान नहीं है। पत्रकारिता की भाषा संयम और संस्कार की भाषा होनी चाहिए, जिसमें पत्रकारिता को साहित्य से अपने टूटे रिश्ते को फिर से जोड़ना होगा। साहित्य के बिना पत्रकारिता संस्कारविहीन है। ‘पत्रकारिता और साहित्य’ विषय…