समाज के लिए “एआई लिटरेसी” आवश्यक – प्रत्यूष रंजन
एमसीयू में एआई और डीपफेक विषय पर मास्टर क्लास और कार्यशाला आयोजित
भोपाल 29 सितंबर। कई लोगों का मानना है कि आने वाले समय में एआई का प्रभाव हमारे समाज और जीवन पर पड़ेगा। जबकि वास्तविकता यह है कि एआई हमारे बीच में अपनी पैठ बना चुका है और वह रोज खुद को अपडेट भी कर रहा है। जब भी कोई नई तकनीक आती है तो अपने साथ संभावनाओं के साथ ही चुनौतियां भी लेकर आती है। एआई के आने से जहां एक ओर कई काम आसान हो रहे हैं तो दूसरी तरफ कई नई चुनौतियां भी सामने आ रही हैं। मीडिया इंडस्ट्री को देखें तो आज न्यूजरूम एआई के साथ काम कर रहे हैं। एआई के आने से डेटा एनालिसिस सहित कई और काम आसान हो गए हैं वहीं कंटेंट की विश्वसनीयता की चुनौतियां बढ़ी हैं। मिसइन्फर्मेशन और डिसइन्फर्मेशन जैसे खतरे लगातार बढ़ रहे हैं। इसके चलते आज डिजिटल तकनीकों की बुनियादी समझ के साथ ही एआई लिटरेसी भी समाज की आवश्यकता है। उक्त बातें एआई तथा फैक्ट चेकिंग के विशेषज्ञ वरिष्ठ और पत्रकार श्री प्रत्यूष रंजन जी ने कहीं। वे एमसीयू में एआई और डीपफेक विषय पर आयोजित मास्टर क्लास और कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।
श्री प्रत्युष रंजन ने कहा कि आज ह्यूमन इंटेलिजेंस के लिए एआई एक चुनौती जरूर है लेकिन हमेशा ह्यूमन इंटेलिजेंस ही आगे रहेगा। उन्होंने विद्यार्थियों को एआई के साथ कदमताल करते हुए अपने कार्यक्षेत्र के लिए तैयार रहने के लिए कहा। इस अवसर पर श्री रंजन ने डिजिटल टूल्स के माध्यम से न्यूज स्टोरीज पर काम करने, न्यूजरूम वर्कफ्लो को सुव्यवस्थित करने, कंटेंट प्लानिंग, वितरण और डेटा एनालिसिस जैसे विषयों पर चर्चा की। उन्होंने कई फैक्ट चेकिंग और एआई टूल्स के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी दी।
इस अवसर पर विषय प्रवर्तन करते हुए विश्वविद्यालय के कुलगुरू श्री विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि मीडिया न्यूजरूम में एआई जैसी तकनीक के आने से बहुत कुछ बदल चुका है। इस माहौल में काम करने वाले पत्रकारों को इन महत्वपूर्ण बदलावों को समझते हुए काम करना होगा। उन्होंने कहा कि कुछ दशकों पहले जहां पत्रकारिता की दुनिया में भाषा और वर्तनी के लिए प्रूफरीडिंग होती थी वहीं आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का हस्तक्षेप न्यूज इंडस्ट्री में हर तरफ बढ़ गया है। मीडिया में एआई और फैक्ट चैकिंग के क्षेत्रों में बहुत अधिक काम हो रहा है।
कार्यशाला के दूसरे सत्र में पीटीआई के चीफ सब एडिटर ललित गौरव और आशीषा सिंह राजपूत ने विद्यार्थियों को एआई से बने फेक कंटेंट का पता लगाने के गुर सिखाए। उन्होंने कई फैक्ट चेकिंग टूल्स के बारे में विद्यार्थियों को बताया और उनका इस्तेमाल करना भी बताया। श्री गौरव और सुश्री आशीषा ने विद्यार्थियों को कई उदाहरणों के माध्यम से पीटीआई फैक्ट चेकिंग यूनिट की कार्यशैली से भी अवगत कराया। कार्यशाला के ये सत्र व्यवहारिक प्रशिक्षण पर केंद्रित थे। इस कार्यशाला में विद्यार्थियों ने अपने लैपटॉप, टैबलेट और स्मार्टफोन के जरिये कई फैक्ट चेकिंग टूल्स का उपयोग किया। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र का संचालन तथा विशेषज्ञों का आभार विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. पवित्र श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रोफेसर पी. शशिकला, सहित समस्त प्राध्यापक तथा विभागों के विद्यार्थी उपस्थित थे।
सादर।
डॉ. पवित्र श्रीवास्तव
विभागाध्यक्ष
विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग
एमसीयू, भोपाल
समाज के लिए “एआई लिटरेसी” आवश्यक – प्रत्यूष रंजन एमसीयू में एआई और डीपफेक विषय पर मास्टर क्लास और कार्यशाला आयोजितभोपाल 29 सितंबर। कई लोगों का मानना है कि आने वाले समय में एआई का प्रभाव हमारे समाज और जीवन पर पड़ेगा। जबकि वास्तविकता यह है कि एआई हमारे बीच में अपनी पैठ बना चुका…