पत्र PDF में…
गुरूपूर्णिमा, 10 जुलाई 2025
प्रिय विद्यार्थियों,
नए सत्र की शुभकामनाएँ। एक जुलाई को जब सभी प्राध्यापक विश्वविद्यालय में काम पर लौटे तब उन्हें एक पत्र लिखा था और तब से यह विचार था कि आप सबसे भी संवाद करूँ। आज गुरुपूर्णिमा का दिन है। आप सबके प्रति मंगलकामना व्यक्त करने के लिए इससे श्रेष्ठ अवसर और क्या होगा।
नए सत्र में आपकी प्रतीक्षा है। आपको विदित होगा कि हम सबने परिसर में व्यापक पौधरोपण आरंभ कर दिया है। हर विभाग में कुछ नया करने की हलचल है। कक्षाओं की समय सारिणी बन रही है। समयानुकूल प्रभावशाली बनाने के लिए कोर्स की समीक्षा का भी यही समय है। मीडिया के शोधार्थियों के लिए यह सत्र शुभ समाचार लेकर आने वाला है। 35 वर्ष की यात्रा में विश्वविद्यालय कई पड़ावों से होता हुआ नए विशाल और भव्य परिसर में आया है तो “एक भारतीय आत्मा’ माखनलाल चतुर्वेदी जी की प्रतिमा स्थापित करने की तैयारी भी है, जिनके नाम से यह विश्वविद्यालय है।
नए सत्र में हम “एक विश्वविद्यालय, एक विश्व‘ की व्यापक भावना से आगे बढ़ेंगे। यह विश्वविद्यालय सच्चे अर्थों में मौलिक सृजन के अनंत अवसरों से भरपूर एक व्यापक विश्व ही हमारे सामने खोलता है। मगर इसके लिए आवश्यक है कि विद्यार्थी अपनी समस्त ऊर्जा और समय रचनात्मक गतिविधियों में लगा दें। अपने बौद्धिक विकास के लिए इस अध्ययनकाल का हर क्षण मूल्यवान है। हर प्रकार की नकारात्मकता से जितना संभव हो दूर रहें।
देश और प्रदेश के दूरस्थ अंचलों से आप केवल अपने करिअर को लेकर ही यहाँ नहीं आते, आपके पूज्य माता-पिता के भी ढेर स्वप्न आपकी जीवन यात्रा के इस आरंभिक पड़ाव से जुड़े हैं। इसलिए हर दिन उनके चेहरे याद रखिए। उनकी आशाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी आपकी है। इसलिए जीवन में कोई ऐसा कार्य न हो, जो उन्हें लेशमात्र भी दुख पहुँचाए।
मैं यह विश्वास दिला सकता हूँ कि विश्वविद्यालय की पढ़ाई एक नए आकाश में विचरण करने लायक शक्ति आपको देगी। यह बंधी-बंधाई नौकरियों सा नहीं होगा। मैं स्वयं इसी विश्वविद्यालय का पूर्व विद्यार्थी हूँ और यह मेरा अनुभव है कि मीडिया का जगत एक अनंत आकाश जैसा है। आपकी सृजनशीलता, बुद्धि-विवेक, कार्य के प्रति निष्ठा, समय प्रबंधन और कठोर अनुशासन ही आपको दूसरों से अलग और आगे रखेगा। अगले 20 साल देश के लिए महत्वपूर्ण हैं, जब 2047 में भारत स्वाधीनता के सौ वर्ष मनाएगा।
भविष्य के ज्ञानसंपन्न भारत में आपकी प्रभावशाली भूमिका के लिए पुन: मंगलकामनाएँ-
आपकी प्रतीक्षा में-
विजय मनोहर तिवारी
कुलगुरु
