आजादी से बहुत पहले नेहरू ने देश के विकास का खाका खींच दिया था – मृदुला मुखर्जी

नेहरू के बारे में कई गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं, यह चिंता का विषय है – प्रो. अपूर्वानंद

नेहरू के समय तो मीडिया आजाद था, लेकिन आज नहीं है – रघु ठाकुर

भोपाल, 14 नवम्बर, 2019: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल ने आधुनिक भारत के निर्माता और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को उनकी जयंती पर एक विशेष कार्यक्रम “संवाद” के माध्यम से याद किया। “नेहरू का भारत” विषय पर इस विशेष संवाद कार्यक्रम का आयोजन धर्मपाल शोध पीठ के सहयोग से हुआ, जिसमें इतिहासकार मृदुला मुखर्जी, समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर, प्रोफेसर अपूर्वानंद एवं कवि-साहित्यकार ध्रुव शुक्ल ने विचारों और इतिहास के माध्यम से नेहरू जी को याद किया।

कार्यक्रम में प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा कि आज जिस तरह से देश में कई मुद्दों को लेकर नेहरू के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है और उनके बारे में कई गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं, लेकिन उम्मीद है कि आज के विद्यार्थी इतिहास और तथ्यों को सही अर्थ में समझेंगे। उन्होने कहा कि नेहरू और हिंदुस्तान के रिश्ते को ठीक से समझा नहीं गया, आज के नेता देश की जनता के ख्यालों से टकराना नहीं चाहते।

समाजवादी कार्यकर्ता श्री रघु ठाकुर ने अपने संवाद में नेहरूजी से संबंधित कई प्रसंगों को याद करते हुए कहा कि नेहरू अपनी आलोचनाओं को भी पूरा सम्मान देते थे। नेहरू के जमाने में मीडिया आजाद था, लेकिन आज सरकार की आलोचना करने पर मुसीबत आ जाती है। श्री ठाकुर ने लोहिया के समाजवाद और नेहरू के विचार संबंधों की तारतम्यता को रेखांकित करते हुए कई तथ्यों को रखा।

प्रधानमंत्री काल से इतर नेहरू जी के स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका और उनके प्रभाव को रेखांकित करने वाले ऐतिहासिक तथ्यों की चर्चा करते हुए इतिहासकार मृदुला मुखर्जी ने कहा कि संभावित आजादी के एक दशक पहले ही नेहरूजी ने देश के विकास का खाका खींचना शुरू कर दिया था। वे जेल में रहकर भी नए भारत के निर्माण के लिए भारत की खोज कर रहे थे जो उनकी पुस्तक “द डिस्कवरी ऑफ इंडिया” में दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि 1931 का कराची रिजोल्यूशन दरअसल भावी स्वतंत्र भारत के संविधान की रूपरेखा ही थी, जो नेहरू की दूरदर्शिता का उदाहरण है।

कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति श्री दीपक तिवारी ने कहा कि सोशल मीडिया से इतिहास समझ रहा आज का समाज संशय में है। आज नेहरूजी के महान व्यक्तित्व और कृतित्व को चंद विवादित घटनाओं तक सीमित रखने की कोशिश की जा रही है, जो घातक है। नेहरू को समझने के लिए हमें 1947 और इससे पहले जाने की आवश्यकता है।

इस संवाद कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा प्रायोगिक रूप से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “विकल्प” के अंक का विमोचन किया गया जो, नेहरूजी पर केंद्रित था। कार्यक्रम का संचालन कवि-साहित्यकार धुव शुक्ल ने किया, मंच पर संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव श्री पंकज राग ने सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम के अवसर पर नगर के कई गणमान्य नागरिक एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिसचिव डॉ. श्रीकांत सिंह, डीन अकादमिक डॉ. पवित्र श्रीवास्तव, कुलसचिव श्री दीपेंद्र सिंह बघेल समेत विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं विद्यार्थीगण उपस्थित थे।