वर्तमान चुनौतियों से मिला सबक, स्वदेशी और स्वाबलंबी व्यवस्था ही विकल्प- प्रो. संजय द्विवेदी

वर्तमान चुनौतियों से मिला सबक, स्वदेशी और स्वाबलंबी व्यवस्था ही विकल्प- प्रो. संजय द्विवेदी

“वैश्विक महामारी के दौर में हिंदी मीडिया” विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेब सिम्पोजियम का समापन

भोपाल, 26 जून,2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल तथा राजीव गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय,  ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेब सिम्पोजियम का समापन शुक्रवार को हो गया।

वेब सिम्पोजियम के समापन सत्र को संबोधित करते हुए माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय द्विवेदी ने कहा कि साहित्य पहले राजनीति के आगे चलने वाली मशाल हुआ करता था, लेकिन आज वह खुद विचारधारओं को थामे हुए दिखता है, यह दुर्भाग्य जनक है। मीडिया भी अपने मूल पत्रकारीय ध्येय से भटक गया जो कि आजादी के समय जन जागरण और लोक कल्याण  मूलक रहा था। टीवी मीडिया के शोर और कोलाहल ने जहां संकट को बढ़ाया है वहीं तकनीक की वजह से सूचनाओं को शेयर करने की होड़ से गलत और भ्रामक सूचनाएं ताकत पा रहीं हैं, जिससे समाज को खतरा है। हमें मीडिया की शक्ति का सदुपयोग चुनौतियों से निपटने और समाज निर्माण के लिए करना चाहिए।

वर्तमान हालात पर बात करते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि आपदा के समय हमें हमारी व्यवस्थाओं का पुनरावलोकन करना चाहिए। नब्बे के दशक में उदारीकरण के बाद जो व्यवस्था और तंत्र बना वह इस वैश्विक महामारी में दो माह भी खड़ा नहीं रह सका। हमारी अर्थव्यवस्था, रोज़गार, सामाजिक सुरक्षा सभी व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। इसलिए हमे गांधी जी के स्वदेशी और स्वाबलंबी व्यवस्था के बारे में सोचने का एक बार फिर मौका मिला है।     

वर्तमान राजनीति परिदृश्य पर प्रो. द्विवेदी ने कहा कि देश में संकटों के दौर में भी राजनीति करने के अवसर तलाश लिए जाते हैं। जिस तरह से देश में कोरोना वायरस के संकट में राजनीति की जा रही है वह दुर्भाग्यशाली है। भारत के नेतृत्व और भारत के संविधान पर कुछ लोग अविश्वास पैदा कर अपने हित साधने में लगे हैं, लेकिन यह भाव कहीं न कहीं भारत विरोधी ही है। कुछ लोग जनता को संकट और दुख दर्द में देखकर इस कारण खुश होते हैं कि देश के नेतृत्व को असफल बताया जा सके, यह दुर्भाग्य जनक है।

वर्तमान चुनौतियों से मिला सबक, स्वदेशी और स्वाबलंबी व्यवस्था ही विकल्प- प्रो. संजय द्विवेदी “वैश्विक महामारी के दौर में हिंदी मीडिया” विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेब सिम्पोजियम का समापन भोपाल, 26 जून,2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल तथा राजीव गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय,  ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेब सिम्पोजियम का समापन शुक्रवार…

Social Media is not life: Shefali Vaidya

Social Media is not life: Shefali Vaidya

Social media expert Ms. Vaidya addressed online lecture series ‘Stree Shakti Samvad’ of MCU on ‘Social Media and Narrative’

Bhopal, 25th June, 2020: Famous blogger and social media expert Shefali Vaidya said that we should keep in mind that social media cannot be the life of any person. It is only a part of our life so we should not be disappointed if not receiving more likes and shares.

Use social media carefully and avoid sharing fake news. Our personnel information and photographs should not be shared on social media accounts otherwise privacy may be affected.

Five lakh people follow Shefali Vaidya on twitter.

She was interacting with media students through Facebook live today in online lecture series ‘Stree Shakti Samvad’ of Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication.

Talking on ‘Social Media and Narrative’, she said that you can set your narrative on social media. Today, you have a medium where you can express views. Nobody has a monopoly to set a narrative. Politicians are also using social media to communicate. Prime Minister Shri Narendra Modi is the biggest example, who used social media for the first time in India to communicate his views to the people and achieved political success. You must have logical knowledge and views, verified facts and statements for setting down the tone for narratives on the subject.

‘A citizen can directly inform about his problem to the government through Twitter. Social media is now an effective tool to redress public grievances. In railways, passengers twitted their problems during traveling and they were resolved,’ she said.

She said readers and television viewers can bring full facts about any news before the public. Local languages and dialects are getting promotions thanks to social media and expert people are informing about their knowledge to the public. Access to information and news has increased and even rural public are getting the latest news, which was not possible.


Social Media is not life: Shefali Vaidya Social media expert Ms. Vaidya addressed online lecture series ‘Stree Shakti Samvad’ of MCU on ‘Social Media and Narrative’ Bhopal, 25th June, 2020: Famous blogger and social media expert Shefali Vaidya said that we should keep in mind that social media cannot be the life of any person.…

जिंदगी नहीं है सोशल मीडिया : शेफाली वैद्य

जिंदगी नहीं है सोशल मीडिया : शेफाली वैद्य

एमसीयू की ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ में ‘सोशल मीडिया और नरेटिव’ विषय पर सोशल मीडिया विशेषज्ञ सुश्री शेफाली वैद्य ने रखे विचार

भोपाल, 25 जून, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ के समापन सत्र में प्रख्यात ब्लॉगर एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ सुश्री शेफाली वैद्य ने कहा कि हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि सोशल मीडिया किसी भी व्यक्ति की जिंदगी नहीं हो सकती। यह सिर्फ हमारी जिंदगी का एक हिस्सा मात्र है। इसलिए अधिक लाइक और शेयर नहीं आने पर निराश नहीं होना चाहिए। सोशल मीडिया का उपयोग संभल कर और सावधानी से करना चाहिए। हमें फेक न्यूज़ शेयर करने से बचना चाहिए। अपनी व्यक्तिगत तस्वीरें और जानकारी भी सोशल मीडिया में साझा करने से बचाना चाहिए, अन्यथा हमारी निजता पर संकट आ सकता है। ज्ञात हो कि ट्वीटर पर शेफाली वैद्य को लगभग 5 लाख लोग फॉलो करते हैं।

‘सोशल मीडिया और नरेटिव’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सुश्री वैद्य ने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से आप अपना नरेटिव स्थापित कर सकते हैं। आज आपके पास एक माध्यम है, जहाँ आप अपने विचार को रख सकते हैं। विमर्श स्थापित करने में अब किसी का एकाधिकार नहीं। उन्होंने कहा कि राजनीतिज्ञ भी अपना नरेटिव स्थापित करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे बड़े उदाहरण हैं, जिन्होंने भारत में पहली बार सोशल मीडिया का उपयोग करके अपना विचार लोगों तक पहुँचाया और राजनीतिक सफलता हासिल की। उन्होंने कहा कि नरेटिव एक-दो दिन में स्थापित नहीं होते, काफी समय लगता है। नरेटिव स्थापित करने के लिए आपके पास अपने विचार या विषय की तार्किक जानकारी, प्रमाणित तथ्य और कथ्य होने चाहिए।

उन्होंने कहा कि आज ट्विटर जैसे प्लेटफार्म पर नागरिक अपनी परेशानियों को सीधे सरकार तक पहुंचा सकता है। लोगों की समस्यायों के समाधान में सोशल मीडिया प्रभावी सिद्ध हो रहा है। भारतीय रेलवे का उदाहरण देते हुए शेफाली वैद्य ने कहा कि सोशल मीडिया के कारण यह संभव हुआ कि यात्रा के दौर किसी प्रकार की असुविधा होने पर यात्रियों ने शिकायतें ट्वीट कीं और उसी समय उनकी शिकायतों का निरकरण हुआ। आज सरकार तक हमारी पहुँच है।  

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से नागरिक अब कई खबरों की पूर्ण सत्यता को भी सामने लाने में सक्षम हुए हैं। किसी भी मीडिया समूह द्वारा यदि कोई गलत खबर दिखाई या छापी जाती है तो नागरिक सोशल मीडिया के माध्यम से उस खबर की वास्तविकता लोगों तक पहुंचा देते हैं। आज अपनी बात कहने के लिए सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम है। सोशल मीडिया के माध्यम से स्थानीय बोलियों और भाषाओं बढ़ावा मिल रहा है। सोशल मीडिया के कारण प्रतिभाशाली लोग अपनी विशेषता से दुनिया को परिचित करा पा रहे हैं। सूचना और समाचारों की पहुँच बढ़ी है। पहले जो खबरें ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को पता ही नहीं चल पाती थीं, अब वहां तक प्रति क्षण खबरें पहुँच रही हैं।

विश्वविद्यालय फेसबुक पेज का लिंक – https://www.facebook.com/mcnujc91


जिंदगी नहीं है सोशल मीडिया : शेफाली वैद्य एमसीयू की ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ में ‘सोशल मीडिया और नरेटिव’ विषय पर सोशल मीडिया विशेषज्ञ सुश्री शेफाली वैद्य ने रखे विचार भोपाल, 25 जून, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ के समापन सत्र में…

Women are fighting a social battle in-ground and at home as well : Shreyasi Singh

Women are fighting a social battle in-ground and at home as well : Shreyasi Singh

International shooter addressed online lecture series ‘Stree Shakti Samvad’ of MCU

Bhopal, 24th June, 2020: International shooter and Arjun Award winner, Sushree Shreyasi Singh said women are battling a social and mental fight at the playground along with their home.

‘It looks nice when girls ask about sports. We try to nurture our children making disparity on the basis of gender. Boys are given cricket bat and ball whereas girls are given kitchen sets or dolls. Sports and males are linked together but it seems weak link in case of sports and female. There is a need to change this mindset. Media is doing this task at some extent’, She said in online lecture series ‘Stree Shakti Samvad’ of Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication today.

She said that she is the first girl in Bihar who participated in national level short term shooting competition and after one year, she became the first female player to bag silver medal in senior level in the state. She quoted an incident of Mexico and said she was given low quality cartridges for practice and male players were given good quality cartridges.

She told another incident of 2014. She returned to India after winning a silver medal in Commonwealth Games in shooting but did not receive even any welcome from the Bihar government. When media interviewed her and pointed out it, the chief minister then felicitated her three months later, she said.

She suggested that media should avoid one-sided and without facts reporting. She said women in our country are very talented and strong mentally and physically. They fight in every circumstance. What is needed to provide them a platform and there is a need to hone their skills.

She said that media is blamed for cricket-centric coverage but the media covers what people want. The media is doing its work well. Common people take an interest in all sports and avail opportunities to their children.

Lecture on ‘Social Media and Narrative’ today

Eminent blogger and social media expert Shaifali Vaidya will address the online lecture series on June 25 on ‘Social Media and Narrative’, at 4 pm. The lecture will be live on Facebook.

Women are fighting a social battle in-ground and at home as well : Shreyasi Singh International shooter addressed online lecture series ‘Stree Shakti Samvad’ of MCU Bhopal, 24th June, 2020: International shooter and Arjun Award winner, Sushree Shreyasi Singh said women are battling a social and mental fight at the playground along with their home.…

घर के साथ खेल मैदान में भी एक सामाजिक जंग लड़ रही हैं महिलाएं : श्रेयसी सिंह

घर के साथ खेल मैदान में भी एक सामाजिक जंग लड़ रही हैं महिलाएं : श्रेयसी सिंह

एमसीयू की ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ में अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज सुश्री श्रेयसी सिंह ने व्यक्त किए अपने विचार, 25 जून को शाम 4:00 बजे प्रख्यात ब्लॉगर एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ सुश्री शैफाली वैद्य ‘सोशल मीडिया और नरेटिव’ विषय पर करेंगी संवाद

भोपाल, 23 जून, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज एवं कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड मैडल विजेता सुश्री श्रेयसी सिंह ने कहा कि महिलायें घर के साथ खेलों के मैदान में भी एक सामाजिक और मानसिक जंग लड़ती हैं। आज बहुत अच्छा लगता हैं जब लड़कियां किसी खेल के बारे में पूछती हैं। क्योंकि हम बचपन से ही अपने बच्चों को जेंडर के आधार पर ढालने की कोशिश करते हैं। जब माता-पिता बच्चों को खिलौने दिलाने ले जाते हैं तो लड़के को क्रिकेट बैट-बॉल और लड़कियों को किचन सेट या बेबी डॉल इत्यादि दिलाते हैं। इसी तरह हम देखते हैं कि स्पोर्टस और मैन का सीधा रिश्ता जोड़ते हैं, मगर स्पोर्ट्स और वीमेन का रिश्ता कमज़ोर कड़ी है। इस मानसिकता को बदलने की आवश्यकता है। मीडिया इस काम को बहुत हद तक कर रहा है।

सुश्री सिंह ने बताया कि वे पहली लड़की हैं, जिन्होंने 2007 में बिहार राज्य से शॉर्ट टर्म शूटिंग की राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा में भागीदारी की। उसके वे एक साल बाद बिहार से सीनियर लेवल में सिलवर मैडल प्राप्त करने वाली पहली महिला बनी। उन्होंने मैक्सिको की एक घटना का भी उल्लेख करते हुए बताया कि उन्हें वहां कम गुणवत्ता वाले कारतूस से अभ्यास कराया गया, जबकि पुरुष खिलाडियों को उच्च गुणवत्ता के कारतूस आसानी से प्राप्त हो गए। उन्होंने 2014 की एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे मीडिया के कारण उन्हें उनका हक़ मिला। राष्ट्रमंडल खेलों में शूटिंग में सिल्वर मैडल प्राप्त कर वे भारत लौटीं। लेकिन बिहार सरकार ने किसी भी तरह से उनका स्वागत और सम्मान नहीं किया। दो-तीन दिन बाद जब मीडिया ने उनका इंटरव्यू लिया, तब मीडिया ने यह प्रश्न उठाया। तब जाकर लगभग तीन महीने बाद मुख्यमंत्री ने उनका सम्मान किया।

सुश्री सिंह ने कहा कि कई बार मीडिया एक तरफा और शोध रहित रिपोर्टिंग भी करता हैं। मीडिया को ऐसी रिपोर्टिंग से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे देश की महिलाएं बहुत ही प्रतिभाशाली हैं। हमारी महिलाएं शारीरिक और मानसिक मज़बूत हैं। हर हालात में लड़ना उन्हें आता है। उन्हें जरूरत सिर्फ एक मंच की है। उनके अंदर के कौशल को परखने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि खेल तो खेल है। आज जरूर यह कहा जाता है कि क्रिकेट को मीडिया बढ़ावा देता है। मीडिया तो वही दिखता है जो लोग चाहते हैं। मीडिया अपना काम बहुत ही बेहतर करता है। आम लोगों को ही सभी खेलों में रुचि लेनी चाहिए और अपने आस-पास अपने बच्चों के लिए अवसरों को उपलब्ध कराना चाहिये। हमें पहले अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है।

आज सोशल मीडिया और नरेटिव विषय पर संवाद:

एमसीयू की ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ के समापन सत्र में 24 जून को शाम 4:00 बजे ‘सोशल मीडिया और नरेटिव’ विषय पर प्रख्यात ब्लॉगर एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ शैफाली वैद्य अपना व्याख्यान देंगी। उनका व्याख्यान विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर शाम 4:00 बजे किया जाएगा।

विश्वविद्यालय फेसबुक पेज का लिंक – https://www.facebook.com/mcnujc91

घर के साथ खेल मैदान में भी एक सामाजिक जंग लड़ रही हैं महिलाएं : श्रेयसी सिंह एमसीयू की ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ में अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज सुश्री श्रेयसी सिंह ने व्यक्त किए अपने विचार, 25 जून को शाम 4:00 बजे प्रख्यात ब्लॉगर एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ सुश्री शैफाली वैद्य ‘सोशल मीडिया और नरेटिव’ विषय…

अरुणाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय तथा एमसीयू के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय वेब सिम्पोजियम का आयोजन

अरुणाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय तथा एमसीयू के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय वेब सिम्पोजियम का आयोजन

भोपाल, 24 जून, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल तथा राजीव गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, ईटा नगर, अरुणाचल प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 24 से 26 जून, 2020 को अंतरराष्ट्रीय वेब सिम्पोजियम का आयोजन किया जा रहा है। वैश्विक महामारी के दौर में हिंदी मीडिया’विषयक यह तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेब सिम्पोजियम 24 से 26 जून, 2020 आयोजित होगी। 24 जून, 2020 को इस सिम्पोजियम का उद्घाटन सम्पन्न हुआ। उद्घाटन सत्र में राजीव गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, ईटा नगर, अरुणाचल प्रदेश के कुलपति प्रो. साकेत कुशवाहा, पूर्वोत्तर के वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री श्री येशे दौर्जी, पूर्वोत्तर टाइम्स के संपादक श्री रवि शंकर सिंह, एमसीयू से डीन अकादमिक डा. पवित्र श्रीवास्तव, सहित विश्वविद्यालय के संकाय अध्यक्ष, प्राध्यापक उपस्थित थे। उद्घाटन सत्र में एमसीयू के मीडिया शिक्षा में उल्लेखनीय योगदान को रेखांकित किया गया।

इस वेब सिम्पोजियम का आयोजन अरुणाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के द्वारा किया जा रहा है। पूर्वोत्तर राज्यों से अनेक छात्र-छात्रायें प्रतिवर्ष विभिन्न मीडिया पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेते हैं। विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों एवं शोध कार्यों का प्रचार-प्रसार पूर्वोत्तर के राज्यों में अधिकाधिक हो, इसी दृष्टि से इस सिम्पोजियम में एमसीयू द्वारा भागीदारी की गई है। इस सिम्पोजियम का समापन 26 जून, 2020 को दोपहर 3.30 बजे होगा। समापन सत्र के मुख्य वक्ता एवं मुख्य अतिथि एमसीयू के कुलपति प्रो. संजय द्विवेदी होंगे।

इस सिम्पोजियम में देश-विदेश के अनेक विद्वान प्रतिभागिता कर रहे हैं। बुल्गारिया से वान्या गान्चेवा, बेल्जियम से श्री कपिल कुमार इस सिम्पोजियम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहेंगे। वरिष्ठ पत्रकार श्री अकु श्रीवास्तव, श्रीमती अमृता मौर्य, डा. किशोर वाधवानी तथा एमसीयू के श्री संदीप भट्ट इस सिम्पोजियम में अपने विचार रखेंगे।

पूर्वोत्तर से मीडिया शिक्षा में रुचि रखने वाले छात्र-छात्राओं के लिए एमसीयू सदैव ही आकर्षण का केन्द्र रहा है। असम, मेघालय, सिक्किम तथा मणिपुर आदि से प्रतिवर्ष अनेक छात्र-छात्रायें विश्वविद्यालय के मीडिया पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेते हैं। पूर्वोत्तर के विद्यार्थियों का प्रवेश सुलभ बनाने की दृष्टि से विश्वविद्यालय द्वारा कलकत्ता एवं गुवहाटी में प्रवेश परीक्षा केन्द्र भी बनाए जाते रहे हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों में विश्वविद्यालय की पहचान को और ज्यादा प्रभावी बनाने की दृष्टि से इस तरह के परिसंवादों का आयोजन किया जा रहा है।

अरुणाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय तथा एमसीयू के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय वेब सिम्पोजियम का आयोजन भोपाल, 24 जून, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल तथा राजीव गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, ईटा नगर, अरुणाचल प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 24 से 26 जून, 2020 को अंतरराष्ट्रीय वेब सिम्पोजियम का आयोजन किया जा रहा है। वैश्विक महामारी के दौर में हिंदी मीडिया’विषयक…

महिला सशक्तिकरण में प्रभावी भूमिका निभाएं फिल्में

महिला सशक्तिकरण में प्रभावी भूमिका निभाएं फिल्में

एमसीयू की ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ में प्रख्यात पटकथा लेखिका सुश्री अद्वैता काला ने व्यक्त किए अपने विचार, 24 जून को शाम 4:00 बजे अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज सुश्री श्रेयसी सिंह करेंगी संवाद

भोपाल, 23 जून, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ऑनलाइन  व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ में प्रख्यात फिल्म पटकथा लेखिका एवं उपन्यासकार सुश्री अद्वैता काला ने कहा है कि भारतीय फिल्में महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। फिल्म लेखन में सफलता के लिए भारतीयता, संस्कृति और सोच को भी पटकथा में शामिल किया जाना चाहिए। अनुभव, भारतीय परंपराओं सहित महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर फिल्म लेखन में असीम संभावनाएं हैं। इस तरह के विषयों पर लोगों में रुचि अधिक होती है। 

‘नये समय में पटकथा लेखन’ विषय पर अपने व्याख्यान में सुश्री अद्वैता काला ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि आप तभी लेखक हो जब तक आपकी किताब न छप जाए लेकिन ऐसा है नहीं, अगर आपका लेखन अच्छा है तो आपको जरूर मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि भारतीय फिल्म व्यवसाय कुछ हद तक पुरुष प्रधान माना जाता है। कुछ हद तक यह बात सही भी है लेकिन ऐसा नहीं कि महिलाओं ने इस व्यवसाय में सफलता हासिल नहीं की है। ऐसे कई नाम और उदाहरण हैं, जिनसे कहा जा सकता है कि यह क्षेत्र महिलाओं के लिए भी उतनी ही है जितनी पुरुषों के लिए। हालांकि फिल्म लाइन में दिखाई दे रहे नकारात्मक माहौल को दूर करने के लिए चिंतन जरूर किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आप जो भी लिख रहे हैं उसका कॉपीराइट जरूर कराना चाहिए। लेखन के क्षेत्र में चोरी एक सबसे बड़ी समस्या है। अपने विचार और आईडिया हर किसी से शेयर नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पटकथा लेखन के दौरान कहानी के साथ अपने आप को जोड़ कर देखना होता है तभी आप कहानी के साथ न्याय कर सकते हो। खुद के अनुभवों के आधार पर लेखन को नई दिशा दी जा सकती है। जरूरी नहीं हर कहानी पर फिल्म बनाई जाए लेकिन इस आधार पर आपको लिखना बंद नहीं करना चाहिए। लेखन को मन से जोड़ कर किया जाना जरूरी है। लेखन के लिए जरूरी है कि सबसे पहले आप डर और चिंता छोड़कर लिखना शुरू करें।

उन्होंने बताया कि ‘कहानी’ फिल्म की पटकथा लिखते समय उन पर मुंबई के आतंकवादी हमले का काफी असर हुआ। उनकी इस फिल्म में यह बात नजर भी आती है। उन्होंने कहा कि घटनाओं के आधार पर आपके लेखन की शैली तक बदल जाती है। उन्होंने कहा कि फिल्म में टीम वर्क के आधार पर काम होता है। इस क्षेत्र में आपसी विश्वास बनाना जरूरी होता है। फिल्म व्यवसाय में गुटबाजी और अविश्वास की समस्या भी देखने को मिलती है। आपसी समन्वयन के अभाव में फिल्म के क्षेत्र में कई तरह की समस्याएं आ सकती हैं।

आज स्त्री शक्ति, खेल और मीडिया पर संवाद:

एमसीयू की ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ में 24 जून को शाम 4:00 बजे ‘स्त्री शक्ति, खेल और मीडिया’ विषय पर अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज एवं कॉमनवेल्थ खेलों की गोल्ड मेडल विजेता सुश्री श्रेयसी सिंह अपना व्याख्यान देंगी। उनका व्याख्यान विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर शाम 4:00 बजे किया जाएगा।

विश्वविद्यालय फेसबुक पेज का लिंक – https://www.facebook.com/mcnujc91

महिला सशक्तिकरण में प्रभावी भूमिका निभाएं फिल्में एमसीयू की ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ में प्रख्यात पटकथा लेखिका सुश्री अद्वैता काला ने व्यक्त किए अपने विचार, 24 जून को शाम 4:00 बजे अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज सुश्री श्रेयसी सिंह करेंगी संवाद भोपाल, 23 जून, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की…

We must motivate children to participate in sports- Geetika Jakhar

We must motivate children to participate in sports- Geetika Jakhar

Arjun Awardee in MCU online lecture series ‘Stree Shakti Samvad’

Bhopal, 22nd June, 2020: Eminent wrestler and Arjun Award recipient, Geetika Jakhar called upon parents to motivate their children to participate in sports. Even if they do not make sports as a profession, they must play a game along with studies. If children participate in games, they perform better in studies as well.

Sushri Jakhar was addressing online lecture series ‘Stree Shakti Samvad’, organized by Makhanlal Chaturvedi National Journalism and Communication University, Bhopal, on ‘Sports and Media’ today. She said that in the 21st century, there is no disparity between boys and girls. Girls should be encouraged to participate in sports. She said that when players hoist the flag of their country after winning abroad, the happiness and satisfaction they get cannot be achieved by anything else.

She said that wrestling is not a male-dominated sport. Women players are also coming forward. Both female and male players get equal facilities and sponsorship and the Indian Wrestling Federation treats both in a similar manner. Movies based on sports personalities motivate people for sports. On a query, she replied that media give equal importance to all sports. Our country is a cricket lover, but if we give similar importance and encouragement to other sports, they will also get a boost.

Sharing her experiences, she said that her father motivated to take part in any sports activity. She won Arjun Award thanks to media which highlighted her matter as Wrestling Federation had not sent her name for the award even after she won a silver medal in Asian Games in 2006. It was the Haryana government that recommended her name to the Government of India for the award.

She said that the government has taken the right steps during Covid 19 crisis. Sportspersons are practicing at home, to remain fit.

Lecture on ‘Script Writing in New Age’ today

Film scriptwriter Sushri Advaita Kala will address online lecture series on June 23 on ‘Scriptwriting in New Age’. She has won Zee Cine Award for scriptwriting. Her novels ‘Almost Single’ and ‘Almost There’ are famous.

We must motivate children to participate in sports- Geetika Jakhar Arjun Awardee in MCU online lecture series ‘Stree Shakti Samvad’ Bhopal, 22nd June, 2020: Eminent wrestler and Arjun Award recipient, Geetika Jakhar called upon parents to motivate their children to participate in sports. Even if they do not make sports as a profession, they must…

बच्चों को खेलों के लिए करें प्रेरित: सुश्री गीतिका जाखड़

बच्चों को खेलों के लिए करें प्रेरित: सुश्री गीतिका जाखड़

एमसीयू की ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ में प्रख्यात पहलवान सुश्री गीतिका ने व्यक्त किये अपने विचार, 23 जून को शाम 4:00 बजे पटकथा लेखक सुश्री अद्वैता काला नये समय में पटकथा लेखन विषय पर करेंगी संवाद

भोपाल, 22 जून, 2020: अर्जुन अवार्ड से सम्मानित पहली महिला पहलवान सुश्री गीतिका जाखड़ ने माता-पिता से आह्वान किया कि वे अपने बच्चों को खेलने के लिए अवश्य प्रेरित करें। भले ही खेलों को अपना प्रोफेशन न बनाएं लेकिन पढ़ाई के साथ एक खेल अवश्य खेलना चाहिए। बच्चे यदि पढ़ाई के साथ खेल खेलते हैं तो वह पढ़ाई में भी अच्छा कर पाएंगे।

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल की ओर से आयोजित ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ में ‘खेल और मीडिया’ विषय पर चर्चा करते हुए सुश्री गीतिका जाखड़ ने कहा कि आज 21वीं सदी में बेटे और बेटियों के बीच कोई फर्क नहीं है। बेटियों को भी खेलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि खिलाड़ी विदेशों में जीत के बाद जब अपने देश का झंडा फहराते हैं, तब उन्हें जो खुशी और संतोष मिलता है वह किसी अन्य चीज से नहीं मिल सकता।

उन्होंने कहा कि कुश्ती पुरुष प्रधान खेल नहीं है। महिला खिलाड़ी भी अब आगे आ रही हैं। महिला और पुरुष दोनों खिलाड़ियों को बराबर सुविधाएँ मिलती हैं। कुश्ती संघ भी दोनों को एक ही तरह से ट्रीट करता है। उन्होंने कहा कि खेलों पर आधारित फिल्मों से लोगों में खेलों के प्रति रुझान बढ़ता है। आज मीडिया सभी खेलों को बराबर तवज्जो देता है। हमारा देश क्रिकेट कंट्री है, क्रिकेट हमारी रगों में है लेकिन ऐसी ही फीलिंग हम अन्य खेलों के प्रति भी हम महसूस करने लगें तो अन्य खेलों को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि खेलों में ज्यादा मेहनत लगती है, यह पढ़ाई जितना आसान नहीं है। सुबह उठकर हर मौसम में मेहनत करना पड़ती है और प्रैक्टिस में समय लगाना पड़ता है।

अपने अनुभव बांटते हुए उन्होंने कहा कि पिता की इच्छा थी कि वह किसी खेल में जाए। 2006 में एशियाई गेम्स में रजत पदक जीतने के बाद उन्हें अर्जुन अवार्ड मिला था। इस अवार्ड को प्राप्त करने वाली वे पहली महिला पहलवान हैं। इस अवार्ड के लिए कुश्ती संघ ने उनका नाम नहीं भेजा था, तीन अन्य पहलवानों के नाम भेजे थे। अवार्ड के लिए उनका नाम हरियाणा सरकार ने भेजा था। जब उन्होंने इस बारे में संघ के अध्यक्ष से बात की तो उन्होंने कहा कि अभी उनके पास बहुत उम्र है। इस बारे में जब वे संघ के अध्यक्ष चर्चा कर रही थी तब वहां एक पत्रकार भी मौजूद थे। पत्रकार ने यह सब सुनकर इस मुद्दे पर बड़ी खबर बनाई, जिससे सरकार तक उनकी बात पहुंची।

उन्होंने कहा कि कोरोना को लेकर सरकार ने सही कदम उठाए हैं। इस समय खिलाड़ी घर पर ही मेहनत कर रहे हैं। आज ऐसी परिस्थिति नहीं है कि खिलाड़ियों के लिए स्टेडियम खोल दिए जाएं। उनका स्वस्थ रहना और फिट रहना ज्यादा जरूरी है, घर में ही एक्सरसाइज करके ही स्वयं को स्वस्थ रहे।

आज नये समय में पटकथा लेखन पर संवाद:

एमसीयू की ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ में 23 जून को शाम 4:00 बजे ‘नये समय में पटकथा लेखन’ विषय पर फिल्म पटकथा लेखिका एवं उपन्यासकार सुश्री अद्वैता काला व्याख्यान देंगी। वे पटकथा लेखन के लिए ‘जी सिने पुरस्कार’ सम्मानित हैं। उन्होंने रोमांटिक ड्रामा ‘अंजाना अंजानी’ और थ्रिलर-सस्पेंस ‘कहानी’ जैसी फिल्मों की पटकथा लिखी है। फिल्मों के लिए उनके उपन्यास ‘आलमोस्ट सिंगल’ और ‘आलमोस्ट देयर’ भी चर्चित हैं।

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बच्चों को खेलों के लिए करें प्रेरित: सुश्री गीतिका जाखड़ एमसीयू की ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ में प्रख्यात पहलवान सुश्री गीतिका ने व्यक्त किये अपने विचार, 23 जून को शाम 4:00 बजे पटकथा लेखक सुश्री अद्वैता काला ‘नये समय में पटकथा लेखन’ विषय पर करेंगी संवाद भोपाल, 22 जून, 2020: अर्जुन अवार्ड से सम्मानित…