We should avoid seeing bad: Dr Nanda

We should avoid seeing bad: Dr Nanda

Media professor Dr Varkita Nanda in the online lecture series ‘Stree Shakti Samvad’ of MCU on ‘Jail and Media’

Bhopal, 21st June, 2020: ‘We should see the bad where there is needed to notice it. We should see the positive things. If we continue to see the bad, we will not be able to do good.’ Media professor Dr Vartika Nanda said this in online lecture series ‘Stree Shakti Samvad’ today, organised by Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication, Bhopal.

Dr Nanda, who is famous for her work on welfare of prisoners, has been a crime reporter in electronic media.

On her lecture on ‘Jail and Media’, she shared her experience of launching Tinka Tinka, a movement for jail prisoners. She said she gave up her approach what she continued to follow in media and had dialogue with prisoners without any prejudice. Life in jails is difficult and full of pressure. There are many in jails who have not committed any crime. There are many other prisoners who have committed crimes and they regret. She had sympathy with all such prisoners. But, in the jails and outside, there are many people who have committed crimes but do not regret. We should not have sympathy with them.

Dr Nanda said corona made us felt the jail life and we should not forget it. She said whoever need justice, must be helped. But we should not publicise it. Many prisoners want to share their creativity with the outside people. Some women prisoners drew pictures and penned poems.

Sharing her experiences, Dr Nanda said the life taught her that we should speak less and should be seen less if we want to take a big task. She suggested that one more ‘H’ – humanity, should be added with five W and one H – what we are taught in basics of journalism. As a journalist, one should maintain secrecy and follow commitments. Home work should be done before taking interview.

International Yoga Day celebrated

University teachers, officers and other staff members celebrated International Yoga Day. Yoga instructor Devendra Sharma conducted Yoga exercise through facebook live. Vice Chancellor Prof Sanjay Dwivedi Bharat has got opportunity to connect with the world and feel our identity. When many countries join with Bharat on Yoga Day, it makes us feel what Bharat is.

Wrestler Ms Geetika Jakhar to address online lecture series today

Eminent wrestler Ms Geetika Jakhar will address the online lecture series on June 22 in ‘Sports and Media’. She is the first Indian wrestler awarded with Arjuna Award. Her lecture will be live on Facebook at 4 pm.

We should avoid seeing bad: Dr Nanda Media professor Dr Varkita Nanda in the online lecture series ‘Stree Shakti Samvad’ of MCU on ‘Jail and Media’ Bhopal, 21st June, 2020: ‘We should see the bad where there is needed to notice it. We should see the positive things. If we continue to see the bad,…

हमें बुरा देखने से बचना चाहिए : डॉ. नंदा

हमें बुरा देखने से बचना चाहिए : डॉ. नंदा

एमसीयू की ऑनलाइन व्याख्यानमाला स्त्री शक्ति संवाद में मीडिया प्राध्यापक डॉ. वर्तिका नंदा ने जेल और मीडिया विषय पर रखे विचार, 22 जून को शाम 4:00 बजे सुश्री गीतिका जाखड़ खेल और मीडिया विषय पर करेंगी संवाद

भोपाल, 21 जून 2020: जहाँ बुरा देखने की जरूरत हो, हमें वहीं बुरा देखना चाहिए। जहाँ बुरा न हो, वहाँ जबरन बुरा देखने की जगह अपने मन की आँखों को खोल कर सकारात्मक देखना चाहिए। बुरा देखने के लिए सारी दुनिया पड़ी है। यदि हम बुरा ही देखते रहेंगे तो अच्छा नहीं कर पाएंगे। यह विचार मीडिया प्राध्यापक डॉ. वर्तिका नंदा ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ में व्यक्त किए। डॉ. नंदा मीडिया अध्यापन के साथ ही जेलों और बंदियों के जीवन पर काम करती हैं। उन्होंने लंबे समय तक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में क्राइम रिपोर्टिंग भी की है।

‘जेल और मीडिया’ विषय पर अपने व्याख्यान में लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली के पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष एवं ‘तिनका-तिनका’ की संस्थापक डॉ. वर्तिका नंदा ने बताया कि उन्होंने तिनका-तिनका पर काम करने से पहले मीडिया का चश्मा उतार दिया था। अपने सभी पूर्वाग्रह त्याग कर बंदियों के साथ संवाद किया। उन्होंने कहा कि जेलों की जिंदगी कठिन है। दबाव से भरी है। जेलों में कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने कोई अपराध नहीं किया है। कई बंदी ऐसे भी हैं, जिनसे अपराध तो हुआ है लेकिन उन्हें अपने अपराध पर पछतावा है। उन्होंने बताया कि उनकी संवेदना ऐसे सभी बंदियों के साथ रहती है। लेकिन, जेल में और जेल के बाहर ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने अपराध किए हैं और उन्हें किसी तरह का पछतावा नहीं है। ऐसे लोगों के साथ किसी प्रकार की संवेदना नहीं होनी चाहिए। डॉ. नंदा ने कहा कि कोरोना ने हम सबको जिंदगी की जेल से जो परिचय कराया है, उसे हमें भूलना नहीं चाहिए। हालांकि, हम सब अपने घर में बंद थे, जो मन करता था वह खा सकते थे, दिनचर्या भी अपने मन के अनुसार थी। इसके बाद भी घर के बाहर जाने की बेचैनी रहती थी। उन्होंने कहा कि जिसको भी न्याय की जरूरत हो, हमें उसकी मदद करनी चाहिए। लेकिन, हमें मदद का शोर नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण जेल के बंदियों से मुलाकात बंद हुई, तो फोन पर उनसे बात हुई। वे अपनी रचनात्मकता को दुनिया के सामने लाना चाहते हैं। तिहाड़ जेल में काम करते हुए कैदियों पर एक गीत लिखा, जिसे महिला और पुरुष बंदियों ने गाया। कई महिलाओं ने चित्र बनाये हैं और कई ने कविताएं लिखीं।

अपने अनुभवों को साझा करते हुए डॉ. नंदा ने कहा कि तिनका-तिनका पर काम करते हुए जिंदगी ने उन्हें सिखाया कि बड़ा काम करना है तो बोलना भी कम चाहिए और दिखना भी कम चाहिए। कम कहेंगे, कम दिखेंगे, तभी बड़ा काम कर सकते हैं। बहुत ज्यादा दिखने के चक्कर में हम वह काम नहीं कर पाते जिसे करने के लिए ऊपरवाले ने हमें बनाया और यहाँ भेजा। डॉ. नंदा ने बताया कि लंबे समय तक पत्रकारिता करने के बाद जेल पर काम करते हुए उन्होंने सबसे जरूरी बात यही सीखी कि अपने लालच और अपने प्रचार पर, कैसे नियंत्रण कैसे रखा जाए।

पत्रकारिता की पढ़ाई में एक एच और शामिल किया जाए:

मीडिया प्राध्यापक डॉ. वर्तिका नंदा ने कहा कि पत्रकारिता की पढ़ाई में हम पाँच ‘डब्ल्यू’ और एक ‘एच’ पढ़ाया जाता है। अब उसमें हमें एक ‘एच’ और जोड़ लेना चाहिए- ह्यूमैनिटी। यदि आप किसी पीडि़त से बात करें, तब उसकी जगह अपने को रखकर सोचें। मैं बड़े चैनल का पत्रकार हूँ, यह भाव छोडऩा चाहिए। मानवीय संवेदना से उसके पक्ष को जानने और लिखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें गोपनीयता का पालन करना चाहिए। अगर किसी ने आपसे कहा है कि यह बात किसी को नहीं बताना तो मरते दम तक उसे किसी को नहीं बताना चाहिए। इसके साथ ही पत्रकारिता के विद्यार्थियों को उन्होंने कहा कि किसी का साक्षात्कार करना है तो पहले तैयारी कर लेनी चाहिए। यूँ ही किसी का साक्षात्कार करने नहीं जाना चाहिए। अपने संबोधन के आखिर में उन्होंने कहा कि हमें प्रयास करना चाहिए कि हमारी जिंदगी किसी के काम आए, हम किसी के मददगार बन सकें, लेकिन उस काम और मदद का शोर न करें।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन:

विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने अपने घर पर योग कर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया। योग शिक्षक देवेन्द्र शर्मा ने फेसबुक लाइव के माध्यम से सबको योगाभ्यास कराया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा विश्व योग दिवस के बहाने भारत को विश्व से जुडऩे और अपनी पहचान कराने का अवसर मिला है। दुनिया के अनेक देश जब योग के बहाने भारत के साथ जुड़ते हैं तो उन्हें भारतबोध होता है।

आज संवाद करेंगी प्रख्यात रेसलर सुश्री गीतिका जाखड़:

एमसीयू की ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ मे 22 जून को प्रख्यात रेसलर सुश्री गीतिका जाखड़ ‘खेल और मीडिया’ विषय पर संवाद करेंगी। वे अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित पहली भारतीय महिला रेसलर हैं। उनका व्याख्यान विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर शाम 4:00 बजे किया जाएगा।

विश्वविद्यालय फेसबुक पेज का लिंक – https://www.facebook.com/mcnujc91

हमें बुरा देखने से बचना चाहिए : डॉ. नंदा एमसीयू की ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ में मीडिया प्राध्यापक डॉ. वर्तिका नंदा ने ‘जेल और मीडिया’ विषय पर रखे विचार, 22 जून को शाम 4:00 बजे सुश्री गीतिका जाखड़ ‘खेल और मीडिया’ विषय पर करेंगी संवाद भोपाल, 21 जून 2020: जहाँ बुरा देखने की जरूरत…

सफल साहित्यकार की कुंजियां हैं प्रतिभा, अध्ययन और अभ्यास

सफल साहित्यकार की कुंजियां हैं प्रतिभा, अध्ययन और अभ्यास

ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ के अंतर्गत चर्चित उपन्यासकार-कथाकार सुश्री इंदिरा दांगी का ‘सृजनात्मक लेखन’ पर व्याख्यान आयोजित, 21 जून को शाम 4:00 बजे जेल और मीडिया विषय विचार रखेंगी मीडिया प्राध्यापक डॉ. वर्तिका नंदा

भोपाल, 20 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल की व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ के अंतर्गत चर्चित उपन्यासकार-कथाकार सुश्री इंदिरा दांगी ने कहा कि सफल साहित्यकार बनने के लिए तीन आवश्यक तत्व होना जरूरी है- प्रतिभा, अध्ययन और अभ्यास। जिन लोगों में इन तीनों की पर्याप्तता है, वे निश्चित रूप से अच्छे और सफल लेखक बन सकते हैं। सफल साहित्यकार बनने के लिए मौलिकता और नवीनता एक अनिवार्य आवश्यकता है। बिना मौलिकता के कोई भी साहित्यकार लंबे समय तक नहीं चल सकता क्योंकि समाज या पाठकों को भी नित नई-नई रचनाएं चाहिए। इसलिए हर साहित्यकार को अपने पाठकों के लिए कुछ ना कुछ नया देने की चुनौती हमेशा रहती है।

‘सृजनात्मक लेखन’ विषय पर अपने व्याख्यान में सुश्री इंदिरा गांधी ने अपने अनुभवों के आधार पर विद्यार्थियों को साहित्यकार बनने के लिए न केवल टिप्स दिए बल्कि इस क्षेत्र की चुनौतियों से भी अवगत कराया। साहित्यकार के लिए भाषायी क्षमता को जरूरी बताते हुए सुश्री इंदिरा ने कहा कि भाषा पर मजबूत पकड़ बनाने के लिए बोलियों और लोकोक्तियों की गहरी पहचान जरूरी है। लेखक को परकाया प्रवेश की कला भी आनी चाहिए है। परकाया प्रवेश का तात्पर्य है कि आप जिस विषय या जिस व्यक्ति पर लेखन कर रहे हैं, उसमें पूर्ण रूप से समा जाना, साहित्य की भाषा में इसे ही परकाया प्रवेश कहते हैं। उन्होंने कहा कि आप व्यक्ति के रूप में भले सीमित हैं लेकिन सामाजिक रूप से आपका दायरा बड़ा और व्यापक होता है।

सुश्री इंदिरा ने कहा कि हर कोई भी व्यक्ति या साहित्यकार कभी भी पूर्ण या परिपक्व नहीं होते हैं, वह जीवन भर सीखता हैं और अपनी क्षमता में निखार लाता है। इसलिए लिखने की शुरुआत में कोई संकोच नहीं होना चाहिए। सुश्री दांगी ने कहा कि अमूमन हर व्यक्ति के अंदर एक सोया हुआ साहित्यकार होता है जिसे जगाने की मेहनत करने की आवश्यकता होती है। जो इसमें सफल हो जाता है वह लेखक साहित्यकार बन जाता है। इसलिए बिना संकोच के आपको पहले लिखना होगा और जब आप बार-बार लिखेंगे तो आपकी लेखनी मजबूत होती जाएगी।

अच्छे लेखन के लिए आपको अपने आप की सुनना चाहिए, आप वह काम करें जो  आप अच्छे से कर सकते हैं। जब आप लिखते हैं तो साधन से ज्यादा महत्व साध्य का होता है। लेकिन असली चीज मौलिकता है और प्रतिभा भी यही है। कैरियर बनाने के लिए अपनी मौलिकता को बनाए रखिए, साहित्य में जो नया है वही लोकप्रिय होकता है।

आज के दौर में व्यावसायिक लेखन पर उन्होंने कहा कि इसका कारोबार भले बढ़ रहा है लेकिन व्यावसायिक लेखन का रास्ता भी साहित्य से होकर ही गुजरता है, इसलिए साहित्य के बिना यह भी सार्थक और प्रभावी नहीं रह जाता है।

आज ‘जेल और मीडिया’ विषय पर डॉ. वर्तिका नंदा का व्याख्यान:

‘स्त्री शक्ति संवाद’ व्याख्यानमाला के अंतर्गत 21 जून को शाम 4 बजे ‘जेल और मीडिया’ विषय पर लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली के पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष एवं ‘तिनका-तिनका’ की संस्थापक डॉ. वर्तिका नंदा का व्याख्यान रहेगा। उन्होंने जेल बंदियों पर काफी काम किया है। उनका व्याख्यान विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर शाम 4:00 बजे किया जायेगा।

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सफल साहित्यकार की कुंजियां हैं प्रतिभा, अध्ययन और अभ्यास ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ के अंतर्गत चर्चित उपन्यासकार-कथाकार सुश्री इंदिरा दांगी का ‘सृजनात्मक लेखन’ पर व्याख्यान आयोजित, 21 जून को शाम 4:00 बजे ‘जेल और मीडिया’ विषय विचार रखेंगी मीडिया प्राध्यापक डॉ. वर्तिका नंदा भोपाल, 20 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय…

Talent, study and practice are keys for successful writer

Talent, study and practice are keys for successful writer

Noted writer Sushri Indira Dangi in online lecture series ‘Stree Shakti Samvad’ on creative writing

Bhopal, 20th June, 2020: Noted litterateur Sushri Indira Dangi said that there are three things which make a writer successful – talent, study and practice. Those who have the skills can become good and successful. Originality and novelty are very necessary and without them, a writer cannot continue for long time. Readers and society always want new ideas and creations.

Sushri Dangi shared tips with students on writing skills in the online lecture series ‘Stree Shakti Samvad’, organised by Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication today in the session on ‘Creative Writing’. She also highlighted challenges in the field.

Pointing out a need to have good language ability, she said that one must have good understanding of dialect and proverbs. Writer should embrace with the subject on which he or she is writing. As an individual, a writer is limited but his or her area is larger socially.

She said that no writer is perfect and he or she learns throughout the life and sharpens skills. One should not hesitate in beginning of writing. Everyone has writing ability but efforts are needed to improve it. One should start writing without hesitation and if you write again and again, your writing skills will be improved.

One should listen his own voice for good writing and work what you like the most. Originality is essence and it is also talent. Maintain your originality to make career. What is new in literature is popular.

Scope of commercial writing is growing but road to this, passes through literature. It is not  and effective meaningful without literature.

Dr Vartika Nanda to deliver lecture on ‘Jail and Media’ today

Head of Journalism Department of Lady Shriram College, Delhi, and founder of Tinka-Tinka, Dr Vartika Nanda will address the online lecture series on June 21, at 4 pm on ‘Jail and Media’. She has done exemplary work on jail inmates. The lecture will be live on Facebook.

Talent, study and practice are keys for successful writer Noted writer Sushri Indira Dangi in online lecture series ‘Stree Shakti Samvad’ on creative writing Bhopal, 20th June, 2020: Noted litterateur Sushri Indira Dangi said that there are three things which make a writer successful – talent, study and practice. Those who have the skills can…

Decline in credibility of TV new media is a cause of concern

‘Decline in credibility of TV new media is a cause of concern’

Television news anchor Naghma Sahar on ‘Future of Television News’ in ‘Stree Shakti Samvad’, online lecture series of MCU

Litterateur Indira Dangi to address online lecture series today

Bhopal, 19th June, 2020: Prominent television news anchor Naghma Sahar said credibility of Television news media has been declining. Television news is viewed with doubts today. Media Groups should take measures to tackle the problem. The importance of virtual sets has increased in television media coverage during Covid 19 crisis. Work from home has been made possible.

Addressing online lecture series on ‘Future of TV news’ Naghma said that we should discuss the present to know the future. Television news is changing continuously. Many mediums are available to get news today. Mobile technology has sped up the source of news in many folds. New media has become major competitor of television media. Despite that, television media is a major source of information in rural area and small towns. Television can be considered a people’s medium. TV has its reach to 850 million people in India. 250 million people watch television daily and this figure touched 400 million during cricket match or other major events that’s why TV is considered more powerful than other medium of news.

She said that TV news is more powerful because you watch pictures and listen news round the clock and news are repeated. This medium is more effective to build public opinion. It can change public sentiments. Electronic media can be used socially culturally and politically.

Broadcasting technology has changed a lot after Asian Games. Many channels come up and after arrival of private channels, it has changed thoroughly. Sharing her experience of reporting and anchoring, she said, a reporter should be neutral and fair and present analysis of news without going in haste. Technology will reduce the number of television crew in coming days and coverage will be easier. More people are watching television on mobile than on television sets.

Litterateur Smt Indira Dangi to address online lecture series today

Litterateur Smt Indira Dangi will address the online lecture series ‘Stree Sakti Samvad’ today on June 20 on ‘Creative Writing’. The lecture will be live on Facebook at 4 pm.

The link is – https://www.facebook.com/mcnujc91

‘Decline in credibility of TV new media is a cause of concern’ Television news anchor Naghma Sahar on ‘Future of Television News’ in ‘Stree Shakti Samvad’, online lecture series of MCU Litterateur Indira Dangi to address online lecture series today Bhopal, 19th June, 2020: Prominent television news anchor Naghma Sahar said credibility of Television news…

टीवी मीडिया के प्रति कम हो रही विश्वसनीयता पर चिंतन जरूरी

टीवी मीडिया के प्रति कम हो रही विश्वसनीयता पर चिंतन जरूरी

एमसीयू के ‘स्त्री शक्ति संवाद’ कार्यक्रम में चर्चित एंकर सुश्री नगमा सहर ने टीवी न्यूज़ के भविष्य पर रखे विचार, 20 जून को शाम 4:00 बजे उपन्यासकार श्रीमती इंदिरा दांगी करेंगी संवाद

भोपाल, 19 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल की ओर से आयोजित ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ में वरिष्ठ टीवी न्यूज एंकर सुश्री नगमा सहर ने कहा कि टीवी मीडिया में विश्वसनीयता का संकट दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। पहले की तुलना में अब टीवी समाचारों को और अधिक संदेह से देखा जाने लगा है। इस समस्या से निपटने के लिए मीडिया समूह को चिंतन कर आवश्यक कदम उठाना चाहिए। उन्होंने बताया कि कोविड-19 आपदा के दौरान टीवी मीडिया में वर्चुअल सेट का महत्व बढ़ा है। बिना स्टूडियो में जाए घर से भी काम किया जाना इस माध्यम से संभव हुआ है।

‘टीवी न्यूज़ का भविष्य’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए पत्रकार सुश्री नगमा सहर ने कहा कि टीवी के भविष्य को जानने के लिए सबसे पहले इसके वर्तमान पर चर्चा आवश्यक है। उन्होंने कहा कि टीवी समाचारों में भी लगातार बदलाव आ रहा है। आज के समय में समाचार प्राप्त करने के कई माध्यम मौजूद हैं। मोबाइल तकनीक ने समाचारों के स्त्रोतों को पहले से कई गुना अधिक गति दे दी है। न्यू मीडिया को टेलीविजन मीडिया का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह भी सच है कि टीवी मीडिया पूरे समाज के लिए आज भी समाचार का सबसे बड़ा जरिया बना हुआ है। ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में टीवी देखने वाले बड़ी तादाद में हैं। इसलिए टीवी को भारत में आम लोगों का माध्यम कहा जा सकता है। एक शोध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले साल के आंकड़े के अनुसार आठ सौ पचास मिलियन लोग तक हिन्दुस्तान में टीवी की पहुंच है और इनमें से ढाई सौ मिलियन लोग हर रोज टीवी देखते हैं। इसके अलावा क्रिकेट मैच या अन्य इंवेट के दौरान ये आंकड़ा 400 मिलियन तक पहुंच जाता हैं। इसलिए टीवी मीडियम और समाचारों को अन्य माध्यमों की तुलना में ताकतवर माध्यम माना जाता है।

उन्होंने कहा कि टीवी मीडिया में विश्वसनीयता की बहुत बड़ी समस्या है। टीवी न्यूज बहुत ज्यादा शक्तिशाली इस मायने में है क्यों कि आप तस्वीरों को 24 घंटे देखते-सुनते हैं और इसमें खबरों को कई बार दोहराया भी जाता है, इसलिए पब्लिक ओपिनियन बनाने में ये माध्यम कारगर साबित हो रहा है। यह माध्यम लोगों की भावना को बदल सकता है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपयोग भी किया जा सकता है। उन्होंने टीवी का इतिहास बताते हुए कहा कि टीवी तकनीक में एशियाई खेलों के बाद काफी तेजी से बदलाव हुआ, इसके बाद कई चैनल्स आए फिर प्राईवेट चैनल्स के आने के बाद इसमें आमूलचूल बदलाव हुए।

सुश्री नगमा ने कुंभ सहित कई बड़े इंवेट में अपनी रिपोर्टिंग के अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि अब टीवी एंकरिंग और रिपोर्टिंग की तकनीक बहुत बदल गई है। अब मोबाइल तकनीक के माध्यम से टीवी आपके हाथों तक पहुंच गया है। पहले ब्रेकिंग न्यूज हुआ करती थी लेकिन आज के दौर में तो बस ब्रेकिंग न्यूज ही दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया ने खबरों के मिजाज को बदल कर रख दिया है क्योंकि अब हमारे पास समाचार के कई माध्यम उपलब्ध हैं। इसलिए ताजा खबरें कभी भी मिल जाती हैं। पहले टीवी पर ताजा खबरें केवल प्राइम टाइम में मिला करती थी।

उन्होंने मीडिया छात्रों को समझाते हुए कहा कि खबरों के माध्यम से बांटने की नहीं, जोड़ने की कोशिश की जानी चाहिए। उन्होंने रिपोर्टिंग और एंकरिंग के दौरान तटस्थता और निष्पक्षता को जरूरी बताया। उन्होंने युवा पत्रकारों को कहा कि ओपिनियन देने से बचकर खबरें ज्यादा प्रसारित करना चाहिए। जल्दबाजी या हड़बड़ी में खबर को परोसना की बजाय समाचारों का विश्लेषण करके प्रस्तुत करना चाहिए। टीवी के भविष्य पर जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले समय में टीवी कवरेज की टीम और छोटी होगी। काफी तकनीकी बदलाव आ रहे हैं जिसके चलते अब सारी तकनीक एक फोन और छोटे से बाक्स में आ जाने वाली है। पहले की तुलना में कवरेज आसान हुआ है। टीवी बॉक्स की तुलना में अब लोग मोबाइल पर टीवी का ज्यादा देख रहे हैं।

आज कथाकार श्रीमती इंदिरा दांगी करेंगी ‘सृजनात्मक लेखन’ पर चर्चा:

ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ के अंतर्गत 20 जून, रविवार को शाम 4:00 बजे चर्चित उपन्यासकार एवं कथाकार श्रीमती इंदिरा दांगी ‘सृजनात्मक लेखन’ विषय पर चर्चा करेंगी। उनका व्याख्यान विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर शाम 4:00 बजे किया जायेगा।

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टीवी मीडिया के प्रति कम हो रही विश्वसनीयता पर चिंतन जरूरी एमसीयू के ‘स्त्री शक्ति संवाद’ कार्यक्रम में चर्चित एंकर सुश्री नगमा सहर ने टीवी न्यूज़ के भविष्य पर रखे विचार, 20 जून को शाम 4:00 बजे उपन्यासकार श्रीमती इंदिरा दांगी करेंगी संवाद भोपाल, 19 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल…

लोक संस्कृति से होती है देश की पहचान

लोक संस्कृति से होती है देश की पहचान

पद्मश्री से सम्मानित प्रख्यात लोक गायिका श्रीमती मालिनी अवस्थी ने ‘लोक संस्कृति और मीडिया’ पर रखे अपने विचार, कहा- भोपाल के पत्रकारों की सांस्कृतिक समझ अच्छी

19 जून को शाम 4:00 बजे ‘टीवी न्यूज का भविष्य’ विषय पर चर्चा करेंगी न्यूज एंकर एवं पत्रकार सुश्री नगमा सहर

भोपाल, 18 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ के शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए प्रख्यात लोक गायिका श्रीमती मालिनी अवस्थी  ने कहा कि दुनिया में किसी भी देश या समाज की पहचान उस देश की लोक संस्कृति के माध्यम से बनती है। अमूर्त विरासत (लोक संस्कृति) का गहरा प्रभाव पड़ता है। आज मीडिया समाज में परिवर्तनकर्ता की भूमिका निभा रहा है एवं इसलिए मीडिया में लोक संस्कृति को प्रमुख स्थान प्राप्त होना चाहिए। भोपाल के पत्रकारों के सन्दर्भ में उन्होंने कहा कि यहाँ के पत्रकारों की सांस्कृतिक समझ बहुत अच्छी है। वे जब भी मध्यप्रदेश में आई हैं, उन्हें मीडिया की रिपोर्टिंग ने प्रभावित किया है।

‘लोक संस्कृति और मीडिया’ के विषय पर अपने विचार साझा करते हुए पद्मश्री से अलंकृत प्रख्यात लोक गायिका श्रीमती मालिनी अवस्थी ने कहा कि आज जो लोक संस्कृति, लोकगीत, लोकगाथाएं हमारे सामने प्रचलित हैं, वे हमारे पूर्वजों के अथक प्रयासों का परिणाम हैं। हमारे पूर्वजों ने इन्हें कहीं परंपराओं के माध्यम से तो कहीं लोकगीतों के रूप में संस्कारों में ढाल कर संजोए रखा।

उन्होंने कहा कि हमारी पूरी संस्कृति चूंकि वैज्ञानिकता की कसौटी पर कसी हुई है उसको ध्यान रखते हुए हमारे पूर्वजों ने उसका सरलीकरण करके लोक विश्वास, लोकगीतों, छंदों, त्योहारों के अनुरूप अपनी जीवनशैली में ढ़ाला और न केवल उसका पालन किया बल्कि दायित्व के साथ इसे अगली पीढ़ी के हाथों में भी सौंपा भी। आज के युवाओं का कर्तव्य है कि पुरखों से मिली अपनी संस्कृति का अनुसरण करें और उसे जीवंत रखें।

श्रीमती अवस्थी ने कहा कि श्रुति परंपरा का सहारा लेते हुए लोक संस्कृति का उद्भव हुआ और आज यह हमारे बीच डिजिटल रूप में भी उपस्थित है। इसके संरक्षण और संवर्धन में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि न केवल हिंदी अखबारों ने बल्कि अंग्रेजी के अखबारों ने भी लोक संस्कृति को बचाने के महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। लोक संस्कृति एक ऐसा विषय है जिसके बारे में पत्रकारों को समझ होना आवश्यक है। यह हमारा दायित्व भी है एवं पूर्वजों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करने का तरीका भी है। उन्होंने यह भी कहा कि जिज्ञासा के साथ दायित्वबोध होना बहुत जरूरी है। यह दायित्व बोध मुझे मध्यप्रदेश के पत्रकारों में दिखाई देता है। भोपाल के पत्रकारों की सांस्कृतिक समझ बहुत अच्छी है। इसका अनुभव उनसे बातचीत और उनकी रिपोर्टिंग में हुआ है।

उन्होंने कहा कि ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना भारत की लोक संस्कृति में समाहित है। श्रीमती अवस्थी ने हिरणी और कौशल्या का उदाहरण देकर बताया कि किस प्रकार लोकगीतों के माध्यम से त्योहारों एवं उत्सवों में भी करुण प्रसंगों को याद किया जाता है और सबके हितों को ध्यान में रखा जाता है। लोक संस्कृति समाज को सम दृष्टि से देखने का नजरिया प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि आधुनिकता के समय में लोक संस्कृति अर्थात अपनी जड़ों से जुड़ा होना अत्यंत आवश्यक है।

आज न्यूज़ एंकर सुश्री नगमा सहर करेंगी ‘टीवी न्यूज़ के भविष्य’ पर चर्चा:

ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ के अंतर्गत 19 जून, शुक्रवार को शाम 4:00 बजे चर्चित न्यूज एंकर एवं पत्रकार सुश्री नगमा सहर ‘टीवी न्यूज का भविष्य’ विषय पर चर्चा करेंगी। उनका व्याख्यान विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर शाम 4:00 बजे किया जायेगा।

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लोक संस्कृति से होती है देश की पहचान पद्मश्री से सम्मानित प्रख्यात लोक गायिका श्रीमती मालिनी अवस्थी ने ‘लोक संस्कृति और मीडिया’ पर रखे अपने विचार, कहा- भोपाल के पत्रकारों की सांस्कृतिक समझ अच्छी 19 जून को शाम 4:00 बजे ‘टीवी न्यूज का भविष्य’ विषय पर चर्चा करेंगी न्यूज एंकर एवं पत्रकार सुश्री नगमा सहर…

आज ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ का शुभारम्भ करेंगी लोक गायिका मालिनी अवस्थी

आज ऑनलाइन व्याख्यानमाला स्त्री शक्ति संवाद का शुभारम्भ करेंगी लोक गायिका मालिनी अवस्थी

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर शाम 4:00 बजे से प्रसारित होगा कार्यक्रम

भोपाल, 17 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से 18 से 25 जून तक सात दिवसीय ‘स्त्री शक्ति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला का आयोजन किया जा रहा है। इसका शुभारम्भ गुरुवार को शाम 4:00 बजे पद्मश्री से अलंकृत प्रख्यात लोक गायिका श्रीमती मालिनी अवस्थी करेंगी। इस अवसर पर श्रीमती अवस्थी ‘लोक संस्कृति और मीडिया’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करेंगी।

कुलसचिव डॉ. अविनाश वाजपेयी ने बताया कि इस महत्वपूर्ण व्याख्यानमाला में सात दिन तक विभिन्न क्षेत्रों की प्रसिद्ध महिलाएं महत्वपूर्ण विषयों पर संवाद करेंगी। सभी व्याख्यानों का प्रसारण प्रतिदिन शाम 4 बजे विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर किया जायेगा। 19 जून को ‘टीवी न्यूज का भविष्य’ विषय पर न्यूज एंकर एवं पत्रकार सुश्री नगमा सहर, 20 जून को ‘सिनेमा में करियर’ पर प्रख्यात फिल्म एवं टीवी अभिनेत्री सुश्री मेघना मलिक, 21 जून को ‘जेल और मीडिया’ विषय पर लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली के पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष एवं ‘तिनका-तिनका’ की संस्थापक डॉ. वर्तिका नंदा, 22 जून को ‘खेल और मीडिया’ विषय पर अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित पहली भारतीय रेसलर सुश्री गीतिका जाखड़, 23 जून को ‘नये समय में पटकथा लेखन’ विषय पर फिल्म पटकथा लेखिका एवं उपन्यासकार सुश्री अद्वैता काला, 24 जून को ‘स्त्री शक्ति, खेल और मीडिया’ विषय पर अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज एवं कॉमनवेल्थ खेलों की गोल्ड मेडल विजेता सुश्री श्रेयसी सिंह अपना व्याख्यान देंगी। 25 जून को समापन सत्र में प्रख्यात ब्लॉगर एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ सुश्री शैफाली वैद्य का व्याख्यान ‘सोशल मीडिया और नरेटिव’ विषय पर रहेगा।

विश्वविद्यालय फेसबुक पेज का लिंक – https://www.facebook.com/mcnujc91

आज ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ का शुभारम्भ करेंगी लोक गायिका मालिनी अवस्थी माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर शाम 4:00 बजे से प्रसारित होगा कार्यक्रम भोपाल, 17 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से 18 से 25 जून तक सात दिवसीय ‘स्त्री शक्ति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला का आयोजन…

पत्रकारिता विश्वविद्यालय की ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ 18 जून से

पत्रकारिता विश्वविद्यालय की ऑनलाइन व्याख्यानमाला स्त्री शक्ति संवाद 18 जून से

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर प्रतिदिन शाम 4:00 बजे विभिन्न क्षेत्रों की प्रसिद्ध महिलाएं रखेंगी अपने विचार

भोपाल, 16 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से 18 से 25 जून तक सात दिवसीय ‘स्त्री शक्ति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला का आयोजन किया जा रहा है। इस व्याख्यानमाला में सात दिन तक विभिन्न क्षेत्रों की प्रसिद्ध महिलाएं महत्वपूर्ण विषयों पर संवाद करेंगी। 

कुलसचिव डॉ. अविनाश वाजपेयी ने बताया कि इस महत्वपूर्ण व्याख्यानमाला का सीधा प्रसारण प्रतिदिन शाम 4:00 बजे विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर किया जाएगा। ‘स्त्री शक्ति संवाद’ व्याख्यानमाला का शुभारंभ 18 जून को पद्मश्री से अलंकृत प्रख्यात लोक गायिका श्रीमती मालिनी अवस्थी करेंगी। इस अवसर पर श्रीमती अवस्थी गुरुवार को शाम 4:00 बजे ‘लोक संस्कृति और मीडिया’ विषय पर संवाद करेंगी। 19 जून को ‘टीवी न्यूज का भविष्य’ विषय पर न्यूज एंकर एवं पत्रकार सुश्री नगमा सहर, 20 जून को ‘सिनेमा में करियर’ पर प्रख्यात फिल्म एवं टीवी अभिनेत्री सुश्री मेघना मलिक, 21 जून को ‘जेल और मीडिया’ विषय पर लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली के पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष एवं ‘तिनका-तिनका’ की संस्थापक डॉ. वर्तिका नंदा, 22 जून को ‘खेल और मीडिया’ विषय पर अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित पहली भारतीय रेसलर सुश्री गीतिका जाखड़, 23 जून को ‘नये समय में पटकथा लेखन’ विषय पर फिल्म पटकथा लेखिका एवं उपन्यासकार सुश्री अद्वैता काला, 24 जून को ‘स्त्री शक्ति, खेल और मीडिया’ विषय पर अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज एवं कॉमनवेल्थ खेलों की गोल्ड मेडल विजेता सुश्री श्रेयसी सिंह अपना व्याख्यान देंगी। 25 जून को समापन सत्र में प्रख्यात ब्लॉगर एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ सुश्री शैफाली वैद्य का व्याख्यान ‘सोशल मीडिया और नरेटिव’ विषय पर रहेगा।

विश्वविद्यालय फेसबुक पेज का लिंक – https://www.facebook.com/mcnujc91

पत्रकारिता विश्वविद्यालय की ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ 18 जून से माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर प्रतिदिन शाम 4:00 बजे विभिन्न क्षेत्रों की प्रसिद्ध महिलाएं रखेंगी अपने विचार भोपाल, 16 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से 18 से 25 जून तक सात दिवसीय ‘स्त्री शक्ति संवाद’ ऑनलाइन…