रीवा परिसर में आगामी सत्र से शुरू होगा ‘ग्रामीण पत्रकारिता’ का पाठ्यक्रम

रीवा परिसर में आगामी सत्र से शुरू होगा ग्रामीण पत्रकारिता का पाठ्यक्रम

एमसीयू के रीवा परिसर में ग्रामीण पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित करने का निर्णय लिया गया है, बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक में विशेषज्ञों ने पाठ्यक्रम को दिया अंतिम रूप

भोपाल, 14 मई, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के रीवा स्थित परिसर में आगामी अकादमिक सत्र से ‘ग्रामीण पत्रकारिता’ में एक वर्षीय (दो सेमेस्टर) स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित किया जाएगा। 14 मई, 2021 को हुई बोर्ड ऑफ स्टडीज (बीओएस) की बैठक में पाठ्यक्रम को विषय विशेषज्ञों ने अंतिम रूप दिया। कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था से लेकर समाज जीवन में गाँवों का बहुत बड़ा योगदान है। परंतु मीडिया में ग्रामीण विषयों, मुद्दों एवं समस्याओं का कवरेज पाँच प्रतिशत से भी कम है। मीडिया के क्षेत्र में गाँव, किसान, खेती, उनकी समस्याएं, चुनौतियों एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों को अधिक से अधिक स्थान मिले, ऐसी दृष्टि रखने वाले पत्रकारों की आवश्यकता है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए विश्वविद्यालय अपने रीवा स्थित परिसर में ‘ग्रामीण पत्रकारिता’ पर एक वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित करने जा रहा है।

कुलपति प्रो. सुरेश ने बताया कि मीडिया में गाँव से जुड़े विषयों का कवरेज इसलिए भी कम होता है, क्योंकि इन विषयों पर लिखने वाले पत्रकारों की कमी है। गाँव से जुड़े विषयों को अधिक शोधपूर्ण ढंग से लिखने और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। ‘ग्रामीण पत्रकारिता’ पाठ्यक्रम के माध्यम से विश्वविद्यालय इस तरह के प्रशिक्षित पत्रकारों को तैयार करने का प्रयास करेगा। उन्होंने बताया कि यह पाठ्यक्रम सिर्फ रीवा परिसर में संचालित किया जाएगा। यह पाठ्यक्रम रीवा परिसर की पहचान बनेगा। उल्लेखनीय है कि कुलपति प्रो. सुरेश ने रीवा प्रवास के दौरान ग्रामीण पत्रकारिता का डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रारंभ करने की घोषणा की थी।

पत्रकारिता विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. राखी तिवारी की अध्यक्षता में शुक्रवार को आयोजित बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक में श्री नीलेश मिश्रा, सुश्री आकांक्षा शुक्ला, डॉ. प्रवीण सिंह, श्री आशुतोष सिंह, सुश्री रूबी सरकार, श्री दीपेन्द्र सिंह बघेल और डॉ. ब्रजेन्द्र शुक्ला शामिल हुए। पाठ्यक्रम के महत्व को रेखांकित करते हुए विषय विशेषज्ञों ने कहा कि वर्तमान स्थिति ने बता दिया है कि रूरल कम्युनिकेशन का कितना महत्व है। कोरोना महामारी के संबंध में ग्रामीण क्षेत्र में अनेक प्रकार के भ्रम फैले हुए हैं, जिन्हें पत्रकारिता के माध्यम से दूर किया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना की क्या स्थिति है और वहाँ किस प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता है, इसे भी ग्रामीण पत्रकारिता के माध्यम से सरकार के सामने लाकर समाज का हित किया जा सकता है। बैठक में डीन अकादमिक प्रो. पवित्र श्रीवास्तव और रीवा-खंडवा परिसर के अकादमिक समन्वयक डॉ. मणिकंठन नायर भी उपस्थित रहे।

रीवा परिसर में आगामी सत्र से शुरू होगा ‘ग्रामीण पत्रकारिता’ का पाठ्यक्रम एमसीयू के रीवा परिसर में ‘ग्रामीण पत्रकारिता’ में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित करने का निर्णय लिया गया है, बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक में विशेषज्ञों ने पाठ्यक्रम को दिया अंतिम रूप भोपाल, 14 मई, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के…

खण्डवा में आगामी सत्र से फिल्म पत्रकारिता का पाठ्यक्रम होगा शुरू

खण्डवा में आगामी सत्र से फिल्म पत्रकारिता का पाठ्यक्रम होगा शुरू

एमसीयू के खण्डवा स्थित कर्मवीर परिसर में फिल्म पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित करने का निर्णय लिया गया है, बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक में विशेषज्ञों ने पाठ्यक्रम को दिया अंतिम रूप

भोपाल, 13 मई, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के खण्डवा स्थित ‘कर्मवीर परिसर’ में आगामी अकादमिक सत्र से ‘फिल्म पत्रकारिता’ में एक वर्षीय (दो सेमेस्टर) स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित किया जाएगा। 13 मई, 2021 को हुई बोर्ड ऑफ स्टडीज (बीओएस) की बैठक में इस पाठ्यक्रम को विषय विशेषज्ञों ने अंतिम रूप दिया। बीओएस की अध्यक्षता कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने की। पाठ्यक्रम को अंतिम रूप देने के लिए बीओएस में फिल्म, फिल्म पत्रकारिता एवं अकादमिक क्षेत्र के प्रमुख हस्ताक्षर श्री उत्पल दत्ता (फिल्म पत्रकार एवं फिल्म निर्माता), श्री अशोक शरण (डाक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता), श्री पंकज सक्सेना (संकाय सदस्य, एफटीआईआई, पुणे), सुश्री सुरभी बिपल्व (सहायक प्राध्यापक, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय), श्री आदित्य सेठ (फिल्म निर्माता एवं शिक्षाविद), श्री अतुल गंगवार (प्रोड्यूसर) एवं श्री आशीष भवालकर (सहायक प्राध्यापक, पोलीटेक्निक महाविद्यालय, भोपाल) सहित अन्य शामिल हुए। उल्लेखनीय है कि कुलपति प्रो. सुरेश जब खण्डवा प्रवास पर गए थे, तब वहाँ स्थानीय नागरिकों एवं विद्यार्थियों की माँग पर उन्होंने कर्मवीर परिसर में फिल्म पत्रकारिता पर पाठ्यक्रम प्रारंभ करने की घोषणा की थी। 

कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने बताया कि यह पाठ्यक्रम विशेषतौर पर खण्डवा परिसर के लिए तैयार कराया गया है। यह पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय के अन्य किसी परिसर में संचालित नहीं किया जाएगा। हमारा प्रयास है कि विश्वविद्यालय के परिसरों की अपनी विशिष्ठ पहचान बने। उन्होंने बताया कि खण्डवा यशस्वी पत्रकार-संपादक दादा माखनलाल चतुर्वेदी की कर्मस्थली है और महान गायक किशोर कुमार की जन्मस्थली, इसलिए हमने यहाँ ‘फिल्म पत्रकारिता’ का एक वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रारंभ करने का निर्णय लिया। फिल्म पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रशिक्षित पत्रकारों की बहुत माँग है। यह पाठ्यक्रम इस माँग को पूरा करने का प्रयास करेगा। बीओएस की बैठक में श्री उत्पल दत्ता, श्री अशोक शरण, श्री पंकज सक्सेना, सुश्री सुरभी बिपल्व, श्री आदित्य सेठ, श्री अतुल गंगवार एवं श्री आशीष भवालकर ने कहा कि यह पाठ्यक्रम फिल्म पत्रकारिता के लिए सुयोग्य पत्रकारों का निर्माण करेगा। बैठक में डीन अकादमिक एवं प्रभारी कुलसचिव प्रो. पवित्र श्रीवास्तव, एमसीयू के परिसरों के अकादमिक समन्वयक डॉ. मणिकंठन नायर एवं कर्मवीर परिसर के प्रभारी डॉ. संदीप भट्ट भी उपस्थित रहे।

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सामाजिक सहभागिता से हारेगी कोरोना महामारी : डॉ. आनंद पाण्डेय

सामाजिक सहभागिता से हारेगी कोरोना महामारी : डॉ. आनंद पाण्डेय

मन को सकारात्मक रखकर करें सामना : डॉ. कार्तिक गुप्ता

एमसीयू द्वारा ऑनलाइन आयोजित ‘कोविड-19 जिज्ञासा और समाधान’ सत्र में विशेषज्ञों ने दी महत्वपूर्ण जानकारी

भोपाल, 12 मई, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ने नवाचारी पहल करते हुए विद्यार्थियों, कर्मचारियों एवं शिक्षकों के साथ समाज के अन्य लोगों के लिए कोविड-19 के संदर्भ में जिज्ञासा एवं समाधान पर ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया। कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें नित नये प्रश्न लोगों के सामने आ रहे हैं। हमने यह एक प्रयास शुरू किया है कि लोगों को उचित जानकारी उपलब्ध करा सकें। फेसबुक पर चैट बॉक्स में आ रहे प्र्रश्नों का उत्तर धर्मशीला सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, नईदिल्ली के हृदय विभाग के निदेशक डॉ. आनंद कुमार पाण्डेय और मनोचिकित्सक डॉ. कार्तिक गुप्ता ने दिया।

जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए डॉ. आनंद कुमार पाण्डेय ने कहा कि अब कोरोना महामारी केवल मेडिकल क्षेत्र की समस्या नहीं रह गई है, बल्कि यह सोशल क्राइसिस में परिवर्तित हो गई है। इसलिए कोविड महामारी को मेडिकल प्रयासों के साथ ही सामाजिक सहभागिता से ही हराया जा सकता है। डॉ. पाण्डेय स्वयं भी कोरोना संक्रमित रहे और लंबी लड़ाई के बाद उन्होंने बीमारी को हराया। अपना अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि कोविड ने सिखाया है कि हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए। खान-पान का ध्यान रखना चाहिए। कोविड महामारी में अन्य संसाधन काम नहीं आए, सिर्फ मानव संसाधन ही सहयोगी रहा। इसलिए ध्यान रखें कि सामाजिक संबंध हमारी सबसे बड़ी पूँजी है। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद और एलोपैथी की आपसी प्रतिस्पर्धा नहीं है। हमें इन्हें एक-दूसरे का पूरक समझना चाहिए।

अपना क्रम आने पर वैक्सीन अवश्य लगवाएं :

डॉ. पाण्डेय ने बताया कि हम सबको वैक्सीन लगवाना है। लेकिन वैक्सीन लगने के बाद भी हमें शारीरिक दूरी, मास्क पहनना एवं स्वच्छता के नियमों का हर हाल में कड़ाई से पालन करना है। उन्होंने बताया कि मैंने दोनों वैक्सीन ली लेकिन हम लगातार गंभीर संक्रमण के बीच काम कर रहे थे, इसके कारण मैं वैक्सीन के बाद भी संक्रमित हुआ। लेकिन वैक्सीन के कारण जल्दी ठीक हो गए। वैक्सीन को लेकर सोशल मीडिया में अनेक प्रकार के भ्रम फैलाए जा रहे हैं। यदि आपको किसी भी प्रकार का संशय है तो सोशल मीडिया के आधार पर अपना मन न बताएं, अपने चिकित्सक से परामर्श करें। उन्होंने बताया कि एक बार वैक्सीन लेने पर हम छह से नौ माह तक सुरक्षित हो जाते हैं। आगे हमें वैक्सीन की जरूरत होगी या नहीं, यह आने वाले समय में पता चलेगा।

ब्लैक फन्गस एवं थक्के बनने की समस्या सबके साथ नहीं :

डॉ. पाण्डेय ने बताया कि हमें कोविड संक्रमण को इग्नोर नहीं करना चाहिए। शरीर हमें संकेत देता है, उनको हमें सुनना चाहिए। समय पर संक्रमण की पहचान कर हम उसका ठीक से उपचार कर सकते हैं। ब्लैक फन्गस और खून के थक्के बनने की समस्या सबके साथ नहीं आती है। यह समस्या ज्यादातर उन लोगों में देखने को मिली है, जो पूर्व में अनेक प्रकार की बीमारी से ग्रसित रहे हैं और कोविड से गंभीर संक्रमित रहे हैं। इस समस्या पर नजर रखने के लिए हमें डी-डायमर सहित कुछ अन्य टेस्ट डॉक्टर के परामर्श पर कराना चाहिए।

डरना नहीं, जागरूक रहना है :

डॉ. पाण्डेय ने बताया कि अब यह बात सामने आ चुकी है कि यह संक्रमण हवा से भी फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मान लिया है। इसलिए सबसे जरूरी है कि हम जब भी घर से बाहर निकलें, मास्क लगाकर रखें। उन्होंने बताया कि बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए भी कोविड-१९ के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि डर और सावधानी में एक बारीक फर्क है। हमें डरना नहीं है लेकिन जागरूक और सावधान अवश्य रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि आंकड़ों को देखने का हमारा दृष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए। आज की स्थिति में भी भारत की स्थिति अन्य बड़े देशों के मुकाबले अच्छी है। भारत में मृत्यु दर जनसंख्या की दृष्टि से बाकी दुनिया की तुलना में बहुत कम है।

मन को सकारात्मक रखें :

ओविहैम्स मेडिकल सेंटर, नईदिल्ली के क्लीनिकल मनोचिकित्सक डॉ. कार्तिक गुप्ता ने बताया कि यह समय दोषारोपण का नहीं है। हमें दोषारोपण पर नहीं जाना चाहिए, बल्कि एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए। सोशल मीडिया एवं अन्य माध्यमों से कोविड संक्रमण के संबंध में अनेक समाचार आ रहे हैं, जिन सबकी जरूरत हमें नहीं है। कई बार यह समाचार अनेक लोगों के मन में भय उत्पन्न करते हैं। इसलिए लोगों को उतने ही समाचार देखने-सुनने चाहिए, जितनी आवश्यकता है। हमें सकारात्मक रहना चाहिए। मन को अच्छा लगे, उन गतिविधियों में शामिल रहना चाहिए। यह ध्यान रखें कि इस बीमारी से ठीक होने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक है। इसलिए मन में सकारात्मक विचार रखें। मन सकारात्मक रहेगा, तो हम इस बीमारी को जल्द हरा सकेंगे।

‘कोविड-19 : जिज्ञासा एवं समाधान’ पर आयोजित इस ऑनलाइन सत्र का संचालन वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक लालबहादुर ओझा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रभावी कुलसचिव प्रो. पवित्र श्रीवास्तव ने दिया।

सामाजिक सहभागिता से हारेगी कोरोना महामारी : डॉ. आनंद पाण्डेय मन को सकारात्मक रखकर करें सामना : डॉ. कार्तिक गुप्ता एमसीयू द्वारा ऑनलाइन आयोजित ‘कोविड-19 जिज्ञासा और समाधान’ सत्र में विशेषज्ञों ने दी महत्वपूर्ण जानकारी भोपाल, 12 मई, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ने नवाचारी पहल करते हुए विद्यार्थियों, कर्मचारियों एवं शिक्षकों…

एमसीयू के प्राध्यापक डॉ. अनुराग सीठा का दु:खद निधन

एमसीयू के प्राध्यापक डॉ. अनुराग सीठा का दु:खद निधन

भोपाल, 09 मई, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. अनुराग सीठा के निधन का अत्यधिक दुःखद समाचार है। वे पिछले कुछ दिनों से कोरोना महामारी से लड़ रहे थे। इलाज के दौरान निजी अस्पताल में उनका दुर्भाग्यपूर्ण निधन हुआ।  

कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ. सीठा का जाना विश्वविद्यालय ही नहीं, बल्कि कंप्यूटर एवं तकनीक शिक्षा क्षेत्र की अपूरणीय क्षति है। मातृभाषा हिंदी में कंप्यूटर शिक्षा के प्रसार में उनका अविस्मरणीय योगदान है। इस हेतु मध्यप्रदेश सरकार ने उनका सम्मान भी किया है। उल्लेखनीय है कि 14 सितंबर, 2018 को हिंदी दिवस के अवसर पर मध्यप्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग की ओर से डॉ. अनुराग सीठा को ‘हिंदी भाषा सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान 2017-18’ से सम्मानित किया गया था। उन्हें यह सम्मान रवीन्द्र भवन में आयोजित सूचना प्रौद्योगिकी के अलंकरण समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिया।

कंप्यूटर एवं तकनीक शिक्षा के क्षेत्र में उनकी एक विशिष्ट पहचान रही। उन्होंने हिंदी सॉफ्टवेयर, सर्च इंजन, वेब डिजाइनिंग,डिजिटल भाषा प्रयोगशाला, सोशल मीडिया, प्रोग्रामिंग, डिजिटल ऑडियो विजुअल एडिटिंग आदि में उत्कृष्ट योगदान दिया है। कंप्यूटरों में परिशुद्ध हिंदी लिखने हेतु शब्द संशोधक सॉफ्टवेर ‘माला’ का निर्माण भी उनके नेतृत्व में किया है, जिसे विश्वविद्यालय ने सबके लिए नि:शुल्क एवं मुक्त स्रोत के रूप में उपलब्ध कराया है।

डॉ. सीठा विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण प्रोग्राम के समन्वयक थे। उनके मार्गदर्शन में पिछले दिनों मध्यप्रदेश के जनसंपर्क अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। डॉ. सीठा के निधन पर विश्वविद्यालय में शोक का वातावरण है। प्रभारी कुलसचिव प्रो. पवित्र श्रीवास्तव, समस्त विभागाध्यक्ष, शिक्षक, अधिकारी एवं कर्मचारियों ने स्वर्गीय सीठा जी के प्रति अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए हैं।

एमसीयू के प्राध्यापक डॉ. अनुराग सीठा का दु:खद निधन भोपाल, 09 मई, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. अनुराग सीठा के निधन का अत्यधिक दुःखद समाचार है। वे पिछले कुछ दिनों से कोरोना महामारी से लड़ रहे थे। इलाज के दौरान निजी अस्पताल में उनका दुर्भाग्यपूर्ण निधन हुआ।   कुलपति…

निविदा तिथि संशोधन सूचना: प्री एवं पोस्‍ट परीक्षा डाटा इन्‍ट्री और प्रोसेसिंग कार्य निविदा की तिथि में वृद्धि कर अंतिम तिथि 17 मई, 2021 निर्धारित करने बाबत्

निविदा तिथि संशोधन सूचना: प्री एवं पोस्‍ट परीक्षा डाटा इन्‍ट्री और प्रोसेसिंग कार्य निविदा की तिथि में वृद्धि कर अंतिम तिथि 17 मई, 2021 निर्धारित करने बाबत्।

निविदा तिथि संशोधन सूचना: प्री एवं पोस्‍ट परीक्षा डाटा इन्‍ट्री और प्रोसेसिंग कार्य निविदा की तिथि में वृद्धि कर अंतिम तिथि 17 मई, 2021 निर्धारित करने बाबत्।

कोरोना की दूसरी लहर मानव रचित : डॉ सरमन सिंह

कोरोना की दूसरी लहर मानव रचित : डॉ सरमन सिंह

अफवाहों से बचें और सेल्फ लाकडाउन में रहे लोग : प्रो. केजी सुरेश

वैक्सीन से ही टूट सकेगी चेन: मार्गरेट ग्वाडा

एमसीयू में ‘युवा और कोविड-19’ विषय पर विशेष व्याख्यान

भोपाल, 04 मई, 2021: एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. सरमन सिंह ने कहा कि कोरोना को रोकने के लिए वैक्सीन और सोशल वैक्सीन यानी मास्क बहुत आवश्यक है। इन दोनों तरीकों से हम अपने परिवार और दुनिया को बचा सकते हैं। कोरोना से निपटने के लिए यही हथियार है। उन्होंने कहा कि मास्क कोरोना वायरस के नए रूप को भी रोक सकेगा। आमजन स्वयं इलाज न करें, डॉक्टरों के अनुसार चलें। वहीं, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने आव्हान किया कि लोग सेल्फ लाकडाउन में रहें और फेक कंटेंट से बचें। इसे शेयर न करें। आज इस परिस्थिति में जागरूकता ही सबसे महत्वपूर्ण है और एसएमएस यानी कि सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग करें।

एमसीयू और यूनिसेफ की ओर से ‘युवा और कोविड-19’ विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान में एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. सिंह ने कहा कि कोरोना के कारण स्वास्थ्य सेवाएं भारी दबाव में हैं। हमारे हेल्थ केयर वर्कर्स बहुत तनाव का सामना कर रहे हैं और बीमार पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर मानव रचित है, इसे मानव ही रोक सकते हैं। पहले दौर में हम मान रहे थे कि युवा इससे प्रभावित नहीं होंगे और उस दौरान अधिक उम्र वाले व्यक्ति कोरोना से ज्यादा प्रभावित हुए और मृत्यु भी उन्हीं लोगों की ज्यादा हुई। इस बीच इकोनामी को सुधारने के लिए हमने कई तरह की छूट दी और उसके बाद युवा वर्ग ही सबसे पहले बाहर आया। आज युवा सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वायरस का इनफेक्टिव डोज 25 परसेंट हो गया है, जिसमें अब कम संख्या में वायरस से भी लोग संक्रमित हो रहे हैं। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि पहले और दूसरे वैक्सीन के बीच में 6 से 8 सप्ताह का अंतराल रखना चाहिए।

कार्यक्रम में यूनिसेफ की चीफ मार्गरेट ग्वाडा ने कहा कि युवा मध्यप्रदेश में परिवर्तन के उत्प्रेरक हैं और वे कोविड को लेकर सही जानकारी को फ़ैलाने में मददगार हो सकते हैं। सभी के लिए कोरोना से लड़ाई का तरीका है- कोविड अनुरूप व्यवहार, टीकाकरण, और फेस्मास्क का उपयोग। यह सभी को करने की आवश्यकता है। उन्होंने आव्हान किया कि युवा खुद भी वैक्सीन लगाएं और अपने रिश्तेदारों को भी लगवाने के लिए प्रेरित करें। तभी यह चेन टूट सकेगी।

कार्यक्रम में यूनिसेफ के कम्युनिकेशन विशेषज्ञ अनिल गुलाटी ने कहा कि युवाओं को यह जानकारी होना चाहिए कि टीकाकरण से क्या लाभ होगा।  मीडिया से जुड़े विद्यार्थी अपनी क्रिएटिव स्किल्स का उपयोग करके इस बारे में जानकारी समाज में संप्रेषित कर सकते हैं। यूनिसेफ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ रविंद्र बगल ने युवाओं से आह्वान किया कि वे अधिकारिक सूचना स्त्रोतों पर ही भरोसा करें और उनके द्वारा दी गई जानकारी ही सोशल मीडिया पर शेयर करें। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक लालबहादुर ओझा ने किया। आभार प्रभारी रजिस्ट्रार डॉ पवित्र श्रीवास्तव ने माना।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय की पूर्व संकाय सदस्य डॉ. दविंदर कौर उप्पल और शिक्षक श्रीमती संगीता जैन, कर्मचारी भरत हरतालकर के प्रति शोक व्यक्त किया। कुलपति प्रो. केजी सुरेश, कुलसचिव एवं विश्वविद्यालय के सदस्यों ने उनके योगदान को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

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