बाल अधिकारों को पत्रकारिता के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा: प्रो. केजी सुरेश

बाल अधिकारों को पत्रकारिता के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा: प्रो. केजी सुरेश

गुड टच नहीं अब सेफ टच की बात करनी जरूरी: विशाल नाडकर्णी

बच्‍चों के अधिकारों का संरक्षण एक विभाग नहीं, सभी की जिम्‍मेदारी: ब्रजेश चौहान

एमसीयू में यूनिसेफ के सहयोग से ‘बाल अधिकार को लेकर मीडिया विमर्श’ का आयोजन

भोपाल, 18 नवम्‍बर, 2021: अंतर्राष्‍ट्रीय बाल दिवस (29 नवंबर) और बाल अधिकार संरक्षण सप्‍ताह के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्‍ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय और यूनिसेफ ने मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यक्रम में माखनलाल चतुर्वेदी राष्‍ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि बाल अधिकारों के प्रति मीडिया की भूमिका को बढ़ाने के लिए पत्रकारिता के पाठ्यक्रम में बाल अधिकारों को शामिल करने की घोषणा की। उन्‍होंने कहा कि पाठ्यक्रम तैयार करने लिए विश्‍वविद्यालय प्रशासन, महिला एवं बाल विकास विभाग और यूनिसेफ के प्रतिनिधि मिल कर विमर्श करेंगे।

बाल अधिकार और मीडिया विषय पर आयोजित इस कार्यशाला में विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि कोविड 19 महामारी के दौरान अध्‍ययन जरूर बंद था लेकिन विश्‍वविद्यालय ने स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍बन्धित मुद्दों पर जागरूकता के लिए अनेक वेबिनार और कार्यक्रम आयोजित किए। विश्‍वविद्यालय को पत्रकार और समाज के बीच सेतु बताते हुए प्रो. सुरेश ने कहा कि पत्रकारिता का अंतिम लक्ष्‍य व्‍यवहार परिवर्तन है। उन्‍होंने कहा कि विश्‍वविद्यालय के विद्यार्थियों को यूं तो बाल अधिकारों के बारे में पढ़ाया जाता है लेकिन अब बाल अधिकारों को व्‍यवस्थित रूप से पाठ्यक्रम का हिस्‍सा बनाया जाएगा।

कार्यक्रम में बतौर विशेष अतिथि मौजूद महिला एवं बाल विकास विभाग के अतिरिक्‍त संचालक विशाल नाडकर्णी ने कहा कि बच्‍चों के लिए कोरोना काल बड़ी मुसीबत साबित हुआ है। विभाग ने बच्‍चों को राहत पहुंचाने का हर संभव प्रयास किया है। स्‍वयं मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संवेदनशीलता के साथ बच्‍चों को राहत देने की योजनाओं को प्राथमिकता दी है। यही कारण है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना में कोरोना काल में माता-पिता को खो देने वाले बच्चों की आर्थिक सहायता के साथ उन्हें निःशुल्क शिक्षा और निःशुल्क राशन दिए जाने का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री कोविड बाल सेवा योजना में 1365 अनाथ बच्चों को लाभ दिया जा रहा है। पाक्‍सो और जेजे एक्‍ट की जानकारी देते हुए अतिरिक्‍त संचालक विशाल नाडकर्णी ने कहा कि बाल अधिकारों का हनन होने या शोषण की जानकारी होने पर भी सूचना नहीं देना अपराध है। सभी की जिम्‍मेदारी है कि वे बच्‍चों के संरक्षण पर ध्‍यान दें। उन्‍होंने कहा कि पहले गुड टच और बैड टच की बात होती थी। लेकिन अब बच्‍चों को गुड टच नहीं सेफ टच की समझ देनी होगी। बच्‍चों को समझाना होगा कि उनके लिए सुरक्षित टच क्‍या है।

बाल अधिकार विशेषज्ञ के रूप में मौजूद मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्‍य ब्रजेश चौहान ने बाल अधिकारों पर विस्‍तार से बात की। उन्‍होंने कहा कि आयोग ने बच्‍चों अधिकारों के मामलों को गंभीरता से सुना है। यही कारण है कि प्रदेश में बाल अधिकारों के उल्‍लंघन की लंबित शिकायतों की संख्‍या 100 से भी कम है। उन्‍होंने कहा कि मीडिया को बाल अधिकरों के उल्‍लंघन और शोषण के मामलों की रिपोर्टिंग संवेदनशीलता और जिम्‍मेदारी से काम करना चाहिए।

यूनिसेफ के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी ने बाल अधिकारों और उनसे जुड़े कानूनों की जानकारी दी। उन्‍होंने कहा कि पाक्‍सो और जेजे एक्‍ट में स्‍पष्‍ट प्रावधान है कि बाल अधिकार उल्‍लंघन या शोषण की खबरों में किसी भी तरह से बच्‍चे की पहचान उजागर करना अपराध है। यहां तक कि नवजात शिशुओं के लिए मां के दूध के विकल्‍प के रूप में किसी भी सामग्री का प्रचार प्रसार भी अपराध है। यदि किसी को ऐसी जानकारी मिलती है तो उसे तुरंत प्रशासन की जानकारी में लाना चाहिए।

कार्यशाला में मौजूद वरिष्‍ठ पत्रकार गिरीश उपाध्‍याय ने सुझाव दिया कि सरकार की ओर से बच्‍चों को दी जाने वाली कॉपियों में बाल अधिकारों को प्रकाशित करना चाहिए। इसी तरह पाठ्यपुस्‍तकों में चाइल्‍ड हेल्‍प लाइन के नंबर प्रकाशित करना अनिवार्य‍ किया जाना चाहिए।

कार्यशाला का संचालन विश्‍वविद्यालय के कुलसचिव अविनाश वाजपेयी ने किया। कार्यशाला में वरिष्‍ठ पत्रकार संदीप पौराणिक, सरमन नगेले, मयंक चतुर्वेदी, प्रशांत जैन, अजीत द्विवेदी, दिनेश शुक्‍ला, शरबानी बनर्जी आदि उपस्थित थे।

बाल अधिकारों को पत्रकारिता के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा: प्रो. केजी सुरेश गुड टच नहीं अब सेफ टच की बात करनी जरूरी: विशाल नाडकर्णी बच्‍चों के अधिकारों का संरक्षण एक विभाग नहीं, सभी की जिम्‍मेदारी: ब्रजेश चौहान एमसीयू में यूनिसेफ के सहयोग से ‘बाल अधिकार को लेकर मीडिया विमर्श’ का आयोजन भोपाल, 18 नवम्‍बर, 2021:…

बदलाव के लिए मुहूर्त की प्रतीक्षा न करें – कुलपति केजी सुरेश

बदलाव के लिए मुहूर्त की प्रतीक्षा न करें – कुलपति केजी सुरेश

ज्ञान एवं योग से भी बढ़कर है भक्तियोग – मां शिवांगी

जो भी करें, पूरे भाव से करें – संगीत वर्मा

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में लाइफ स्किल एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट पर एफडीपी

भोपाल, 17 नवम्‍बर, 2021: बदलाव के लिए मुहूर्त की प्रतीक्षा न करें। अटल जीवन महोत्सव के अंतर्गत लाइफ स्किल एंड स्ट्रेश मैनेजमेंट पर आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में ये विचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने व्यक्त किए। कोरोनाकाल के बाद जिंदगी विषय एवं अपने अब तक के अनुभवों पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि हर परिस्थिति, समस्या, चुनौतियों का सामना करते हुए एवं उनसे कुछ सीखते हुए जीवन को सकारात्मकता एवं खुशी के साथ जीना चाहिए।

कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि यदि जीवन में आगे बढ़कर सफलता हासिल करना है तो हमें बीते हुए कल को भुलाकर, उन गलतियों से सबक लेकर अपने आज को बेहतर बनाने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने जीवन में बदलाव पर बोलते हुए कहा कि यदि जिंदगी को बेहतर बनाना है तो व्यक्ति को बदलाव कल और आज नहीं बल्कि अभी से ही कर देना चाहिए। यदि ऐसा कर देंगे तो जीवन खुशियों से भर जाएगा।

पांच दिवसीय एफडीपी प्रोग्राम के तीसरे दिन के प्रथम सत्र में स्ट्रेस फ्री लाइफ बाय भक्ति योग पर देवी मां शिवांगी नंद गिरि ने कहा कि ज्ञान एवं योग से भी बढ़कर भक्तियोग है। उन्होंने कहा कि भक्ति योग से जीवन की दशा और दिशा बदल सकती है। शिवांगी जी ने जीवन में संस्कार का महत्व बताते हुए कहा कि संस्कार का होना बहुत जरुरी है यदि संस्कार नहीं है तो व्यक्ति का जीवन पूर्ण नहीं है। उन्होंने श्रीरामचरित मानस के अरण्य कांड में माता सबरी और भगवान राम के बीच भक्ति पर हुए अद्भुत सत्संग नवधा भक्ति के नौ प्रकारों पर भी प्रकाश डाला।

मोटिवेशनल स्पीकर श्री संगीत वर्मा ने अपने उद्वबोधन में कहा कि जो भी करें, आनंद के साथ आनंदचित होकर करें, आपको हर कार्य में आनंद आएगा। उन्होंने कहा कि सभी को अपने मन का विस्तार करना चाहिए। यदि इसका विस्तार कर लिया गया तो व्यक्ति अपने अंदर छिपी हुई अनंत शक्तियों से परिचित हो सकता है। इसके साथ श्री वर्मा ने कहा कि व्यक्ति जो भी कार्य करे उसे पूरे भाव से करना चाहिए। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. सीपी अग्रवाल ने बताया कि इस कार्यक्रम में देशभर से 200 शिक्षक एवं बढ़ी संख्या में विद्यार्थी ऑनलाइन जुड़कर अपनी चेतना का विस्तार कर रहे हैं।

ऑनलाइन आयोजित एआईसीटीई के अटल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी, कार्यक्रम के संयोजक प्रो. सीपी अग्रवाल, प्रो. मनीष माहेश्वरी, प्रो. श्रीकांत सिंह, डॉ. राखी तिवारी, डॉ. सुनीता द्विवेदी, डॉ.मनोज पचारिया, डॉ. रविमोहन शर्मा, डॉ. आरती सारंग विवि के शिक्षक एवं स्कालर भी जुड़े हुए थे।

बदलाव के लिए मुहूर्त की प्रतीक्षा न करें – कुलपति केजी सुरेश ज्ञान एवं योग से भी बढ़कर है भक्तियोग – मां शिवांगी जो भी करें, पूरे भाव से करें – संगीत वर्मा पत्रकारिता विश्वविद्यालय में लाइफ स्किल एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट पर एफडीपी भोपाल, 17 नवम्‍बर, 2021: बदलाव के लिए मुहूर्त की प्रतीक्षा न करें।…

भारत का मीडिया कभी सोने की चिड़िया था, आज चांदी का है : श्री प्रभु चावला

भारत का मीडिया कभी सोने की चिड़िया था, आज चांदी का है : श्री प्रभु चावला

सम्पूर्ण मीडिया की प्रतिनिधि संस्था बने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया : प्रो. केजी सुरेश

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर पत्रकारिता विश्वविद्यालय में ‘मीडिया – कल, आज और कल’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन

भोपाल, 16 नवम्‍बर, 2021: भारत की मीडिया कभी सोने की चिड़िया थी, अब वह चांदी की हो गयी है, आने वाले समय में वह तांबे की होगी या उससे भी नीचे जाएगी, अभी कह नहीं सकते। यह विचार वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रभु चावला ने व्यक्त किये। उन्होंने राष्ट्रीय प्रेस दिवस के प्रसंग पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित कार्यक्रम ‘मीडिया – कल, आज और कल’ में विद्यार्थियों को ऑनलाइन संबोधित किया। वहीं, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति ने कहा कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के स्वरूप में परिवर्तन आवश्यक है। आज जब मीडिया का विस्तार हो चुका है तब इसे सम्पूर्ण मीडिया का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था का स्वरूप देना चाहिए।

मुख्य अतिथि श्री प्रभु चावला ने कहा कि पत्रकार ठीक है तो पत्रकारिता ठीक रहेगी। पत्रकारिता की स्थिति के लिए पत्रकार ही जिम्मेदार हैं। कुछ लोगों के कारण आज समूची पत्रकारिता को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज न्यूज़ से ज्यादा, नाटकीयता महत्वपूर्ण हो गई है। पांच डब्ल्यू और एक एच पत्रकारिता का आधार है। उन्होंने बताया कि आज की पत्रकारिता में एक महत्वपूर्ण आयाम जुड़ गया है- व्हाट नेक्स्ट (आगे क्या)। यानी कोई घटना हुई उसका आगे क्या प्रभाव पड़ेगा, यह भी पाठकों/दर्शकों को बताना है।

‘मीडिया – कल, आज और कल’ को स्पष्ट करते हुए श्री चावला ने कहा कि पहले समाचार बनने के बाद शीर्षक बनते थे लेकिन अब शीर्षक के आधार पर हम समाचार को तैयार करते हैं। उन्होंने कहा कि पहले का मीडिया विचारधारा को आगे बढ़ाने वाला था। एक विशेष वर्ग द्वारा संचालित होता था। पहले का मीडिया धरती से जुड़ा हुआ था। आज का मीडिया आसमान से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि आज की पत्रकारिता में फील्ड रिपोर्टिंग कम हो गयी है। आज हम दूसरों के बताई सूचना के आधार पर खबर बना रहे हैं। आज हम पकी-पकाई खबरों को परोस रहे हैं। पत्रकारिता बदनाम इसलिए हो रही है क्योंकि हम मेहनत करने से पीछे हटने लगे हैं। हमें देवर्षि नारद से प्रेरणा लेनी चाहिए। नारद जी प्रत्यक्ष जाकर समाचारों का संकलन करते थे और उसे वैसे का वैसा परोस देते थे। उन्होंने कहा कि किसी से डरो नहीं, किसी का पक्ष नहीं लो। श्री चावला ने कहा कि आने वाले समय में न्यूज़ को पूरी तरह प्रोडक्ट की तरह बेचा जाएगा। हालांकि यह काम कुछ हद तक अभी से शुरू हो चुका है।

पत्रकार की विचारधारा समाचारों पर हावी नहीं हो:

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि सामान्य व्यक्तियों की तरह पत्रकारों की भी कोई विचारधारा हो सकती है। इसमें कोई दिक्कत नहीं। लेकिन रिपोर्टिंग करते समय पत्रकार को अपनी विचारधारा से मुक्त रहना चाहिए। समाचार लेखन में हमें विचारों की घालमेल नहीं करना चाहिए। हाँ, लेख लिखते समय आप किसी मुद्दे/घटना पर अपने विचार लिख सकते हैं। समाचार में तथ्यों की शुचिता का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपनी मीडिया की जो कमियां हैं, वे हमें ही सुधारनी होंगी, उन्हें बाहर का कोई व्यक्ति नहीं सुधार सकता। इसके साथ ही कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि आज समय आ गया है कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया सम्पूर्ण मीडिया के लिए जिम्मेदार हो। मीडिया को जिम्मेदार बनाने के लिए उसके पास कुछ अधिकार भी हों। उसके स्वरूप को अधिक पारदर्शी, जवाबदेही और सक्षम बनाया जाए। इस अवसर श्री प्रभु चावला ने विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया।

शोध पत्रिका ‘मीडिया मीमांसा’ के नये अंक का विमोचन:

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की शोध पत्रिका ‘मीडिया मीमांसा’ के नये अंक का भी विमोचन किया गया। मीडिया मीमांसा का नया अंक स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के सन्दर्भ में ‘भारत@75 : मीडिया एवं जनसंचार के बदलते आयाम’ थीम पर केन्द्रित रहा। इसका आगामी अंक ‘भारतीय सिनेमा और स्वतंत्रता के 75 वर्ष’ पर केन्द्रित है। कार्यक्रम का संचालन एवं समन्वय जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ. आशीष जोशी ने और आभार ज्ञापन कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में ‘मामाजी माणिकचंद्र वाजपेयी सभागार’ में शिक्षक, अधिकारी एवं विद्यार्थी भी उपस्थित रहे।

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स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा था ‘भारत का स्वत्व’ : श्री जे. नंदकुमार

स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा था ‘भारत का स्वत्व’ : श्री जे. नंदकुमार

गलतियां नहीं दोहरानी तो इतिहास याद रखें : प्रो. केजी सुरेश

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘स्वतंत्रता आंदोलन एवं भारतीय दृष्टिकोण’ पर विशेष व्याख्यान का आयोजन

भोपाल, 09 नवम्‍बर, 2021: औपनिवेशिक मानसिकता के लेखकों ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को राजनीति तक सीमित करके प्रस्तुत किया है जबकि स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा ‘भारत का स्वत्व’ था। इस ‘स्व’ को जगाने के लिए हमारे स्वतंत्रतासेनानी बहुआयामी स्तर पर प्रयास कर रहे थे। यह विचार प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक श्री जे. नंदकुमार ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में आयोजित विशेष व्याख्यान में व्यक्त किए। ‘स्वतंत्रता आंदोलन एवं भारतीय दृष्टिकोण’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन विश्वविद्यालय स्तर पर गठित अमृत महोत्सव आयोजन समिति की ओर से किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने की।

लेखक एवं चिंतक श्री जे. नंदकुमार ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के संबंध में अनेक भ्रम स्थापित करने के प्रयास किए गए हैं। ब्रिटिश और औपनिवेशिक मानसिकता के लेखकों ने यह स्थापित करने का प्रयास किया कि भारत का स्वतंत्रता आंदोलन केवल उत्तर भारत तक सीमित था। यह अंग्रेजी पढ़े-लिखे तथाकथित उच्च वर्ग का आंदोलन था। यही कारण रहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने वाले अनेक स्वतंत्रतासेनानियों एवं उनके आंदोलनों को जानबूझकर जबरन दबाया गया है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को शोध करके भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के नये तथ्यों को समाज के सामने लाना चाहिए। श्री नंदकुमार ने अपने उद्बोधन में पूर्वोत्तर, दक्षिण भारत और शेष अन्य भारत में चलाए गए आंदोलनों और उसमें शामिल हुए नायकों का उल्लेख करके बताया कि भारत की स्वतंत्रता में समूचा देश और सब प्रकार के नागरिक एक भाव के साथ शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि हम सदैव याद रखें कि हम जो सांस लेते हैं, उस हवा में वीर सावरकर, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, सरदार भगत सिंह, प्रफुल्ल चाको और ऊधम सिंह जैसे अनेक नायकों के खून, पसीने और आंसुओं के कण भी शामिल हैं।

शोध की दिशा का आधार हो भारत का स्वत्व:

श्री नंदकुमार ने कहा कि भारत का गहन अध्ययन करके महर्षि अरविंद ने बताया है कि स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा अध्यात्म और भारतीय मूल्य थे। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सत्ता बहुआयामी स्तर पर अपनी व्यवस्था को थोपने का कार्य कर रही थी। नाटकों में अभिव्यक्त होने वाली देशभक्ति को रोकने के लिए अंग्रेजों ने थियेटर एक्ट बनाया। मणिपुर और मोहिनी अट्टम नृत्य तक पर प्रतिबंध लगा दिया था। यही कारण है कि भारत के स्वतंत्रतासेनानी न केवल राजनीतिक क्षेत्र में अपितु शिक्षा, संस्कृति, कला, कृषि, उद्योग और विज्ञान इत्यादि क्षेत्रों में भारत के स्वत्व को जगाने का प्रयास कर रहे थे। इसलिए हमारे शोध की दिशा भारत के स्वत्व के आधार पर होनी चाहिए।

गलतियां नहीं दोहरानी तो इतिहास याद रखें : प्रो. केजी सुरेश

कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि इतिहास को याद रखने का बहुत महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इतिहास भूल जाते हैं, वे इतिहास की गलतियों को दोहराते हैं। यदि हमें अपनी गलतियों को दोहराना नहीं है तो हमें अपना इतिहास याद रखना चाहिए। इतिहास गलतियों से सीखकर आगे बढऩे की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि भारत का स्वतंत्रता आंदोलन एक जनांदोलन था। कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत विश्वविद्यालय ने एक समिति का गठन किया है। हमारा उद्देश्य है कि उन लोगों को सामने लाया जाए, जिनके बारे में हम अधिक नहीं जानते हैं। इससे पूर्व विषय का प्रतिपादन करते हुए समिति के अध्यक्ष प्रो. श्रीकांत सिंह ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास लिखने में तथ्यों के साथ मिलावट की गई है। ज्यादातर लेखन अंग्रेजियत के दृष्टिकोण से किया गया है। वर्तमान समय में आवश्यकता है कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को भारतीय दृष्टिकोण से लिखा जाए। कार्यक्रम का संचालन डीन अकादमिक प्रो. पी. शशिकला ने और आभार ज्ञापन कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्राध्यापक एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।

स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा था ‘भारत का स्वत्व’ : श्री जे. नंदकुमार गलतियां नहीं दोहरानी तो इतिहास याद रखें : प्रो. केजी सुरेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘स्वतंत्रता आंदोलन एवं भारतीय दृष्टिकोण’ पर विशेष व्याख्यान का आयोजन भोपाल, 09 नवम्‍बर, 2021: औपनिवेशिक मानसिकता के लेखकों ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को…