वैक्सीन हम सबके लिए जीवनदायिनी : प्रो. केजी सुरेश

महत्वपूर्ण विषय है स्वास्थ्य पत्रकारिता : प्रमोद जोशी

चुनौतीपूर्ण विषय है स्वास्थ्य पत्रकारिता : संजय देव

जीवन के पक्ष में कलम उठाएं विद्यार्थी : संजय अभिज्ञान

पत्रकारिता विश्वविद्यालय-यूनिसेफ का संयुक्त आयोजन, एमसीयू में विद्यार्थियों के लिए जन-स्वास्थ्य और तथ्यपरक पत्रकारिता विषय पर कार्यशाला

भोपाल, 15 जनवरी, 2021: आजकल कोविड वैक्सीन को लेकर बहुत भ्रम फैलाया जा रहा है। ऐसे समय में पत्रकारिता के विद्यार्थी होने के नाते आपकी जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ जाती है कि पाठकों तक सही सूचना पहुंचे, क्योंकि वैक्सीन हम सबके लिए जीवनदायिनी है। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय और यूनिसेफ के द्वारा आयोजित ‘जन-स्वास्थ्य और तथ्यपरक पत्रकारिता’ विषय पर आधारित विद्यार्थियों की कार्यशाला में ये विचार कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने व्यक्त किए। कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ के रूप में वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रमोद जोशी, श्री संजय देव एवं श्री संजय अभिज्ञान ने विद्यार्थियों का प्रबोधन किया।

कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. सुरेश ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह वर्कशॉप जन स्वास्थ्य पत्रकारिता को लेकर ही की जा रही है और इसमें आपका योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण है। कोविड वैक्सीन के रोल आउट के दौरान कार्यक्रम चलते रहने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि ये बहुत व्यापक अभियान है। प्रो. सुरेश ने कहा कि विश्वविद्यालय का काम सिर्फ सीखना-सिखाना ही नहीं बल्कि थिंक-टैंक का भी है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि यदि जीवन को पटरी पर लाना है तो यह वैक्सीन सभी के लिए बहुत आवश्यक है। भ्रम एवं संशय फैलाने वाली रिपोर्टिंग की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की नकारात्मक रिपोर्टिंग पोलियो के टीके के दौरान भी की गई थी, लेकिन स्वास्थ्य पत्रकारिता करते समय हमें तथ्य आधारित रिपोर्टिंग करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का काम सिर्फ सूचना देना, शिक्षित करना ही नहीं है, बल्कि लोगों को जागरुक करना भी है। सामाजिक सरोकार हमारा विशेष दायित्व है जिसे हमें पूरी ईमानदारी से निभाना चाहिए। स्वास्थ्य पत्रकारिता के दौरान फेक कन्टेंट में ज्यादा सावधानी बरतने की सलाह देते हुए प्रो. सुरेश ने कहा कि क्या नहीं लिखना चाहिए, क्या नहीं छापना चाहिए आज के समय इस पर ध्यान देने की विशेष जरूरत है। कुलपति प्रो. सुरेश ने विद्यार्थियों को बताया कि अगले चरण में इसी माह फोटोग्राफर्स एवं पत्रकारों के लिए भी वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा।

वरिष्ठ पत्रकार श्री संजय अभिज्ञान ने कहा कि स्वास्थ्य पत्रकारिता करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम पाठक को सूचित करने की बजाय कहीं संशय में तो नहीं डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक पत्रकार को यह सोचना चाहिए कि वह मृत्यु के पक्ष में कलम उठा रहा है या जीवन के पक्ष में। श्री अभिज्ञान ने विद्यार्थियों को जीवन के पक्ष में लिखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जब भी आप कुछ लिखें तो सबसे पहले गरीब, मजदूर एवं आम आदमी का चेहरा याद रखें। 

वरिष्ठ पत्रकार श्री संजय देव ने कहा कि स्वास्थ्य पत्रकारिता चुनौती पूर्ण पत्रकारिता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य पत्रकारिता की गंभीरता बहुत व्यापक है। श्री देव ने कहा कि हेल्थ रिपोर्टिंग न केवल जीवन को बेहतर करती है बल्कि हमारी संवेदनाओं को समझने में भी मदद करती है।

वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद जोशी ने स्वास्थ्य पत्रकारिता को बड़ा विषय बताया। उन्होंने कहा कि इस विषय को कम महत्व दिया जाता है लेकिन यह अपने-आपमें बहुत बड़ा विषय है। उन्होंने विद्यार्थियों से स्वास्थ्य पत्रकारिता करते समय सावधानी रखने की सलाह दी। श्री जोशी ने कहा कि कुछ भी लिखते समय खबर की सत्यता, सच्चाई का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। साक्ष्य आधारिता पत्रकारिता की बात करते हुए उन्होंने समाज के हित में पत्रकारिता करने की बात कही।

कार्यक्रम का समन्वय एवं संचालन सहायक प्राध्यापक श्री लाल बहादुर ओझा ने किया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. (डॉ.) अविनाश वाजपेयी, यूनिवर्सिटी कैंपस मेंटर डॉ. मणिकंठन नायर, प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर अंकित पांडे, विश्वविद्यालय के पत्रकारिता, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, विज्ञापन एवं जनसंपर्क,संचार शोध, न्यू मीडिया टैक्नोलॉजी विभाग के विद्यार्थी उपस्थित थे।