आदेश: विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की भौतिक रूप से 100% उपस्थिति के साथ शैक्षणिक गतिविधियां प्रारंभ करने बाबत्
भोपाल, 24 नवम्बर, 2021: सड़क सुरक्षा को लेकर हम अपनी जिम्मेदारी को समझें। हेलमेट पहनने, सीट बेल्ट लगाने और अन्य सुरक्षा मानकों का पालन करने के प्रति हमें जागरूक रहना चाहिए। पत्रकारिता के विद्यार्थी और संचार विशेषज्ञ सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। सड़क सुरक्षा को लेकर समाज का मानस और व्यवहार बदलने के प्रयास पत्रकारिता को करना चाहिए। यह विचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने व्यक्त किये। ‘सड़क यातायात पीड़ितों के लिए विश्व स्मरण दिवस’ के अवसर पर 24 नवम्बर को विश्वविद्यालय के मामाजी माणिकचन्द्र वाजपेयी सभागार में ‘वाहनों की गति को कम करते हुए सड़क दुर्घटनाओं और उससे लोगों की मौत को कम करने के उपाय’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन नेशनल सेंटर फॉर ह्यूमन सेटेलमेंट्स एंड एनवायरमेंट (एनसीएचएसई), भोपाल, कंज्यूमर वॉइस, नईदिल्ली और एमसीयू के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
बतौर मुख्य अतिथि कार्यशाला को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि सड़क दुर्घटनाएं ज्यादातर हमारी गलती से होती हैं। अगर हम नियमों का पालन करें तो सड़क दुर्घटनाओं को कम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वाहन चलाने को लेकर लापरवाह और अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए। सीट बेल्ट और हेलमेट आपको गंभीर चोट से बचाते हैं। अगर हम अपनी और अपने परिजनों की चिंता करते हैं, तब हम इतने लापरवाह कैसे हो सकते हैं। आंकड़ों के अनुसार सड़क सुरक्षा में हम सबसे अधिक युवाओं को खो देते हैं।
इस अवसर पर एनसीएचएसई के महानिदेशक डॉ. प्रदीप नंदी ने पीपीटी के माध्यम से आंकड़ों की जानकारी देकर सड़क सुरक्षा के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य युवाओं को यातायात नियमों का पालन करने के लिए प्रोत्साहन करना और दुर्घटनाओं से मौतों एवं चोटों को रोकना है। उन्होंने दुनियाभर और भारत में सड़क सुरक्षा परिदृश्य और मोटर वाहन संसोधन अधिनियम-2019 के प्रावधानों की जानकारी दी। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 2020 में प्रकाशित रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि 2019 में देश में लगभग 4 लाख 49 हजार सड़क दुर्घटनाओं में 1 लाख 51 हजार 113 लोगों की मौत हुई और 4 लाख 51 हजार 361 लोग घायल हुए। इस रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में लगभग 50 हजार 669 सड़क हादसों में 11 हजार 249 लोगों की मृत्यु हुई। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटना में ज्यादातर ऐसे लोगों की जान जाती है, जो परिवार के आधार होते हैं।
इस अवसर पर भोपाल के यातायात डीएसपी श्री मनोज खत्री ने पीपीटी प्रजेंटेशन के माध्यम से सड़क सुरक्षा मानकों एवं संकेतों की जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने बताया की मध्यप्रदेश सरकार सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। वहीं, मानवाधिकार आयोग के पूर्व चिकित्सा सलाहकार वरिष्ठ सिविल सर्जन डॉ. एसके सक्सेना ने कहा कि स्कूल से लेकर कॉलेज तक के विद्यार्थियों को प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों को मौके पर ही प्राथमिक उपचार देकर उनकी जान बचाई जा सके। वहीं, मैनिट के प्रो. राहुल तिवारी ने बताया कि नवीन तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देकर दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकती है।
कार्यशाला में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें 18-22 आयु वर्ग के विद्यार्थी, समाजसेवी, शिक्षक एवं अन्य नागरिक शामिल रहे। इस अवसर पर सभी प्रतिभागियों ने यातायात नियमों का पालन करने और अच्छे नागरिक के रूप में सड़क दुर्घटना में पीड़ितों की सहायता करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम का संचालन एनसीएचएसई के उपनिदेशक श्री अविनाश श्रीवास्तव ने किया और धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग के सह-प्राध्यापक डॉ. संजीव गुप्ता ने किया।







सड़क सुरक्षा को लेकर समाज का मानस एवं व्यवहार बदल सकता है मीडिया : प्रो. केजी सुरेश ‘सड़क यातायात पीड़ितों के लिए विश्व स्मरण दिवस’ के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में कार्यशाला का आयोजन भोपाल, 24 नवम्बर, 2021: सड़क सुरक्षा को लेकर हम अपनी जिम्मेदारी को समझें। हेलमेट पहनने, सीट…
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भोपाल, 19 नवम्बर, 2021: विश्व बाल दिवस (20 नवंबर) के प्रसंग पर शुक्रवार को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के प्रांगण में दो दिवसीय ‘मांदल’ फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन मध्य प्रदेश शासन के चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास सारंग ने किया। इस प्रदर्शनी में छह किशोरों द्वारा खींची हुई 60 तस्वीरें प्रदर्शित की गई हैं। इनमें झाबुआ के दो और धार के चार चाइल्ड फोटोग्राफर शामिल हैं। विश्व बाल दिवस को सेलिब्रेट करने के लिए इस गो ब्लू थीम पर नीले रंग के गुब्बारे भी सभी विशिष्ट अथितियों द्वारा आकाश में छोड़े गए। शाम को विश्वविद्यालय भवन पर नीली रोशनी की व्यवस्था की गई।
‘यूथ फॉर चिल्ड्रन’ के अंतर्गत यूनिसेफ, वसुधा विकास संस्थान एवं माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित प्रदर्शनी में ‘बाल अधिकार के साथ आदिवासी लोकदर्शन और मांडव’ थीम पर खींची गई तस्वीरों को विशेष रूप से सम्मिलित किया गया। इन तस्वीरों में सीमित संसाधनों के ग्रामीण परिवेश में बच्चों की मासूम मुस्कान और मानवीय भावनाएं तीव्रता से प्रकट होती हैं।
इस अवसर पर मंत्री श्री विश्वास सारंग ने अपने संबोधन में कहा कि बच्चे ही समाज के भविष्य का निर्धारण और देश का निर्माण करते हैं। इसलिए बच्चों को स्वस्थ वातावरण और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने होंगे। भगवान श्रीकृष्ण ने बचपन से अपना लीडरशिप कौशल दिखाया था। छोटे बच्चे गीली मिट्टी के समान होते हैं। उन्हें आकार देना हमारा काम है।
इस अवसर पर यूनिसेफ मध्यप्रदेश की चीफ मार्गरेट ग्वाडा ने कहा कि यूनिसेफ की 75 वर्षगांठ पर हम बच्चों का भविष्य उज्ज्वल देखना चाहते हैं। तस्वीरें शब्दों से ज्यादा सशक्त अभिव्यक्ति का माध्यम है और बच्चों ने इस माध्यम का बेहतरीन इस्तेमाल किया है
माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने इस अवसर पर कहा कि बाल अधिकार हमारे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेंगे। इन विषयों को लेकर समाज में जागरूकता पैदा करना बहुत ज़रूरी है और विश्वविद्यालय इसमें अपनी भूमिका ज़रूर निभाएगा। कार्यक्रम में यूनिसेफ के कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट श्री अनिल गुलाटी, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार श्री अविनाश बाजपेई जी एवं वसुधा विकास संस्थान से डॉ. गायत्री परिहार भी उपस्थित रहे।
प्रदर्शनी में फोटो शामिल होने पर बाल फोटोग्राफर ने यह कहा:
प्रदर्शनी में अपना फोटो लगाने वाली 16 साल की रिया सोनी झाबुआ के नौ गाँव से हैं और उन्होंने मांडव में पारम्परिक रूप से होने वाली खेती, पुराने किलों के मुंडेरों पे खेलते बच्चों आदि को अपने कैमरे में कैद किया है। रिया कहती हैं कि मांडव की सादगी भरी ज़िंदगी से ये सीखने को मिला कि कम में भी खुश रहा जा सकता है। वहीं, 16 साल की पूजा हटिला को भी तस्वीरें खींचने में बहुत मज़ा आया। वे कहती हैं कि हमारे गांव में पहले कोई भी लड़की तस्वीरें नहीं खींचती थी। लेकिन जब मुझे ये मौका मिला तो कैमरा चलाकर काफी अच्छा लगा। खिलखिलाते बचपन की तस्वीरें खींचकर मज़ा आया।
नालछा गांव में रहने वाले 17 वर्षीय ऋतिक यादव वैसे तो 11 कक्षा में कृषि की पढाई कर रहे हैं, लेकिन उनकी तस्वीरें देखकर लगता है कि जैसे उन्होंने प्रोफेशनल फोटोग्राफी सीखी हो। ऋतिक कहते हैं कि हम सुबह 12 बजे कैमरा लेकर निकले थे और शाम 6 बजे तक घूम-घूमकर ये तस्वीरें खींचते रहे। पता ही नहीं था यहां कौनसी तस्वीरें लगेंगी। यहां अपनी तस्वीरें देखकर अच्छा लग रहा है।
मांडव के ही रहने वाले 17 साल के हर्ष यादव कहते हैं कि हम जहां तस्वीरें खींचने गए थे, वहां के बच्चों के पास खिलौने नहीं हैं, तो वे टायर से खेल रहे थे। मैंने उनकी तस्वीरें लीं। गांव में काम कर रही महिलाओं को ग्रुप सेल्फी लेना सिखाया और उनकी सेल्फी लेते हुए तस्वीरें खींची। और जब हमारी वालंटियर दीदी बच्चों को कैमरा चलाना सीखा रही थीं, तो मैंने दोस्त के मोबाइल से उनकी तस्वीर ली। देखकर अच्छा लग रहा है कि वो तस्वीर भी यहां प्रदर्शनी में लगी है।







देश का निर्माण करते हैं बच्चे : श्री विश्वास सारंग हम बच्चों का भविष्य उज्ज्वल देखना चाहते हैं – मार्गरेट ग्वाडा बाल अधिकार हमारे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेंगे – प्रो. के.जी. सुरेश चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास सारंग ने किया ‘मांदल’ फोटो एग्जिबिशन का उद्घाटन भोपाल, 19 नवम्बर, 2021: विश्व बाल दिवस (20 नवंबर) के…
भोपाल, 19 नवम्बर,2021: लाइफ स्किल एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट पर आयोजित अटल एफडीपी प्रोग्राम नींव का पत्थर साबित होगा। ये कहना है जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट का। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा ऑनलाइन आयोजित एफडीपी को ऐतिहासिक बताते हुए उन्होंने विवि के कुलपति प्रो. केजी सुरेश, संयोजक प्रो. सीपी अग्रवाल और पूरी टीम को बधाई दी। वे एआईसीटीई एवं एमसीयू द्वारा आयोजित पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
एफडीपी के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि आजकल व्यक्ति हर तरह का संचार बार-बार कर रहा है, लेकिन अपने अंदर संचार नहीं कर रहा है, जबकि उसे सबसे अधिक आवश्यकता अपने भीतर संचार करने की है। प्रो. सुरेश ने कहा कि पांच दिवसीय एफडीपी में सभी प्रतिभागियों ने अपने भीतर संचार किया और स्वयं से संवाद किया। एफडीपी के अंतिम दिन श्री अमोल कराले, श्री गुरुनाथ, डॉ. मोक्क्षगुंडम और श्री साजन गलानी ने भी अपने विचार विचार व्यक्त किए।
कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने कहा कि शांति, संयम एवं एकाग्रचितता की आजकल बहुत कमी हो रही है। ऐसे कार्यक्रमों से व्यक्ति को तनाव प्रबंधन का कौशल सीखने को मिलता है। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. सीपी अग्रवाल ने पांच दिवसीय आयोजन की रिपोर्ट प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अरुण कुमार खोबरे ने किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के सह-संयोजक प्रो. मनीष माहेश्वरी एवं अन्य शिक्षक उपस्थित रहे।

नींव का पत्थर साबित होगा अटल कार्यक्रम : मंत्री तुलसी सिलावट जीवन कौशल है संचार : कुलपति प्रो.सुरेश पत्रकारिता विश्वविद्यालय में ‘लाइफ स्किल एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट’ पर पांच दिवसीय एफडीपी का समापन भोपाल, 19 नवम्बर,2021: लाइफ स्किल एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट पर आयोजित अटल एफडीपी प्रोग्राम नींव का पत्थर साबित होगा। ये कहना है जल संसाधन…
भोपाल, 19 नवम्बर, 2021: विश्व बाल दिवस की पूर्व संध्या पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय का परिसर नीला रोशनी से जगमगा उठा। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. केजी सुरेश ने बटन दबाकर लाइटिंग सेरेमनी का उद्घाटन किया। यूनिसेफ के इस अभियान के अंतर्गत मध्यप्रदेश टूरिज्म की लगभग 70 प्रॉपर्टीज को नीली रोशनी से सजाया गया।
भोपाल शहर की बात करें तो भोपाल नगर निगम के सहयोग से शहर के मुख्य स्थानों जैसे सदर मंज़िल, आधा वीआईपी रोड, रानी कमलापति ब्रिज आदि को नीला किया गया। वहीं, पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय के निर्देशानुसार ‘गो ब्लू’ अभियान के अंतर्गत लालबाग पैलेस इंदौर, जहांगीर महल ओरछा, लक्ष्मी मंदिर ओरछा, महाराजा छत्रसाल महल धुबेला, हिन्दूपत महल पन्ना, गुजरी महल ग्वालियर के अलावा ग्वालियर के ही शाहजहां महल, कर्ण महल और विक्रम महल शाम होते ही नीली रौशनी से जगमगा उठा।
यह है ‘गो ब्लू’ का उद्देश्य:
विश्व बाल दिवस के अवसर पर महत्वपूर्ण स्थानों को नीले रंग में रंगने के पीछे का उद्देश्य एकजुटता को दर्शाना है। इस माध्यम से यूनिसेफ ये संदेश देता है कि हर बच्चे के अधिकारों के लिए खड़े होना आवश्यक है। इस वर्ष चूंकि बच्चे कोविड-19 महामारी की चपेट में हैं, इसलिए यह कोई उत्सव नहीं है, बल्कि प्रत्येक बच्चे के लिए एक बेहतर दुनिया की फिर से कल्पना करने का संकल्प है। इस अभियान में एमसीयू यूनिसेफ के साथ मिलकर काम कर रहा है।




नीली रोशनी से जगमगा उठा एमसीयू विश्व बाल दिवस दिवस के मौके पर पत्रकारिता विश्वविद्यालय में कुलगुरु प्रो. केजी सुरेश ने बटन दबाकर की भवन पर की नीली लाइटिंग भोपाल, 19 नवम्बर, 2021: विश्व बाल दिवस की पूर्व संध्या पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय का परिसर नीला रोशनी से जगमगा उठा। इस…
भोपाल, 18 नवम्बर, 2021: विश्व बाल दिवस (20 नवंबर) के उपलक्ष्य पर फोटो एग्जीबिशन का आयोजन किया जा रहा है। युथ फॉर चिल्ड्रन के अंतर्गत ये एग्जीबिशन यूनिसेफ, माखनलाल राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय एवं वसुधा विकास संस्थान के सहयोग से आयोजित हो रहा है।
– 19 नवंबर को माखनलाल विश्वविद्यालय के परिसर में प्रदर्शनी का उद्घाटन किया जाएगा।
– इस प्रदर्शनी में 13-16 वर्ष की आयु के 6 बच्चों द्वारा खींची हुई 60 तस्वीरें प्रदर्शित की जाएंगी। इनमें झाबुआ के दो और धार के चार चाइल्ड फोटोग्राफर शामिल हैं।
– कार्यक्रम में माखनलाल विश्वविद्यालय के वाईस चांसलर प्रोफेसर केजी सुरेश, यूनिसेफ की चीफ सुश्री मार्ग्रेट ग्वाडा, यूनिसेफ के कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट श्री अनिल गुलाटी, एवं वसुधा विकास संस्थान से डॉ. गायत्री परिहार मौजूद होंगी।
विश्व बाल दिवस के उपलक्ष्य में 19 नवंबर को फोटो एग्जिबिशन का आयोजन भोपाल, 18 नवम्बर, 2021: विश्व बाल दिवस (20 नवंबर) के उपलक्ष्य पर फोटो एग्जीबिशन का आयोजन किया जा रहा है। युथ फॉर चिल्ड्रन के अंतर्गत ये एग्जीबिशन यूनिसेफ, माखनलाल राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय एवं वसुधा विकास संस्थान के सहयोग से आयोजित हो रहा…