इमोजी ने सुख-दुख की परिभाषा बदल दी है – कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश

न्यू मीडिया के बाद मीडिया आयोग का गठन होना चाहिए – हर्षवर्धन त्रिपाठी

विद्यार्थी ताव और जोश का सहीं उपयोग करें – सुशांत सिन्हा

कारपोरेट कम्युनिकेशन में कैरियर की बहुत संभावनाएं हैं – के.एम. प्रशांत

स्वतंत्रता आंदोलन में मध्यप्रदेश की पत्रकारिता की बड़ी भूमिका रही है – शिवकुमार विवेक

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय उन्मुखीकरण 2021 के अंतर्गत दूसरा दिन  

भोपाल, 08 दिसम्‍बर, 2021: आजकल सोशल मीडिया पर इमोजी ने सुख-दुख की परिभाषा बदल दी है। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय उन्मुखीकरण 2021 के द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए ये बात कुलपति प्रो. सुरेश ने कही। प्रो. सुरेश ने कहा कि न्यू मीडिया और सोशल मीडिया के आने के बाद दोस्तों, रिश्तेदारों के घरों में लोगों का आना-जाना कम हो गया है और मोबाइल के इमोजी के जरिए लोग सुख और दुख भेजने लगे हैं। सोशल मीडिया पर युवाओ में तनाव एवं हीन भावना के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए कुलपति  प्रो. सुरेश ने कहा कि आजकल के युवा सोशल मीडिया में कम या ज्यादा फालोअर्स होने से हीन भावना ग्रसित होते जा रहे हैं जो कि बिल्कुल भी उचित नहीं है । उन्होंने युवाओं को इससे सावधान रहने का संदेश दिया। ओरिएंटेशन प्रोग्राम में कार्यक्रम की संयोजक एवं पत्रकारिता विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. राखी तिवारी, कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार एवं विश्लेषक हर्षवर्धन त्रिपाठी ने “लोकतंत्र और न्यू मीडिया” विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यदि कोई विचार की ओर जाएगा तो एक पक्ष की तरफ जाएगा। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में निष्पक्ष जैसा कुछ नहीं होता है। श्री त्रिपाठी ने कहा कि  डिजिटल मीडिया एवं सोशल मीडिया में कोई अंतर नहीं है। टेलीविजन मीडिया एवं वर्तमान समय में न्यू मीडिया के आने के बाद श्री त्रिपाठी ने मीडिया आयोग के गठन किए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि यदि आयोग का गठन होता है तो इसमें न्यू मीडिया एवं सोशल मीडिया को जरुर शामिल किया जाना चाहिए। सत्र का संचालन सहायक प्राध्यापक श्री सूर्यप्रकाश द्वारा किया गया।

द्वितीय सत्र “टीवी पत्रकारिता का बदलता स्वरुप” विषय पर आयोजित हुआ। जिसमें मुख्य वक्ता के रुप में जाने-माने टीवी एंकर एवं वरिष्ठ पत्रकार सुशांत सिन्हा ने कहा कि टेलीविजन में शुरुआत से लेकर अभी तक प्रयोग किए गए हैं और यह आज भी जारी है। उन्होंने टीआरपी को लेकर भी अपनी बेबाक राय रखी। उन्होंने कहा कि आजकल दर्शक जो देखना चाहते हैं वही दिखाया जा रहा है, अच्छी और बढ़िया चीजें भी टीवी पर आती हैं, लेकिन दर्शक बहुत कम देखते हैं, इसलिए इसके लिए दर्शक भी जिम्मेदार हैं । ताव और जोश शब्द का अर्थ बताते हुए उन्होंने नवीन विद्यार्थियों को सलाह दी कि वे ताव और जोश का सहीं उपयोग करें । उन्होंने ताज हमले में लाइव टीवी रिपोर्टिंग पर भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कंटेट पर कहा कि हिंदी चैनल्स और अंग्रेजी चैनल्स के कंटेंट में जमीन आसमान का अंतर है। सत्र का संचालल सहा. प्राध्यापक डॉ.अरुण खोबरे द्वारा किया गया।

तृतीय सत्र में एनटीपीसी के एडिश्नर जनरल मैनेजर के.एम.प्रशांत ने कारपोरेट कम्युनिकेशन में संभावनाएं विषय पर आपनी बात रखी। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि कारपोरेट कम्युनिकेशन में कैरियर की बहुत संभावनाएं एवं अवसर है। इसके साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आपको राईटिंग स्किल, स्टोरी राइटिंग पर भी ध्यान देना चाहिए। श्री प्रशांत से सोशल मीडिया में बहुत संभावनाएं होने की बात कही। उन्होंने कहा कि आजकल इंटरनेट पर भी डिजिटल मार्केटिंग हो रही है। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में हार्ड वर्क की बात करते हुए विद्यार्थियों को बेहतर काम करने और हमेशा कुछ नया सीखते रहने की सलाह दी। सत्र का संचालन जनसंपर्क एवं विज्ञापन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) पवित्र श्रीवास्तव द्वारा किया गया।

चतुर्थ एवं अंतिम सत्र में वरिष्ठ पत्रकार शिवकुमार विवेक ने मध्यप्रदेश की पत्रकारिता पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पहले समाचार-पत्रों, पत्रकारों एवं संपादकों में नैतिक सिद्धांत हुआ करते थे जो आजकल की पत्रकारिता में बहुत कम देखने को मिलता है। उन्होंने आजादी के लिए देश की पत्रकारिता में मध्यप्रदेश की पत्रकारिता का भी बहुत बड़ा योगदान होने की बात कही। श्री विवेक ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में मध्यप्रदेश की पत्रकारिता की भी अग्रणी भूमिका रही है। विद्यार्थियों को गुरु मंत्र देते हुए उन्होंने कहा कि उनके अंदर सतत् ज्ञान सीखने की जिज्ञासा होना चाहिए। श्री विवेक ने इसके साथ ही कहा कि हर पत्रकारिता के क्षेत्र में आने वाले हर, विद्यार्थी और पत्रकार को अपने प्रदेश की पत्रकारिता के बारे में जरुर जानना चाहिए । सत्र का संचालन सहायक प्राध्यापक डॉ. रंजन सिंह द्वारा किया गया।