वैदिक संस्कृति आज भी प्रासंगिक है: डॉ भटकर

वैदिक संस्कृति आज भी प्रासंगिक है: डॉ भटकर

रामायण हमें वैज्ञानिक जाँच के लिए प्रोत्साहित करता है: मनोज श्रीवास्तव

राम चरित मानस संचारक की विश्वसनीयता को महत्व देता है: प्रो. के.जी. सुरेश

‘राम चरित मानस में विज्ञान और संचार’ पर एमसीयू में एक दिवसीय संगोष्ठी

भोपाल, 20 मार्च, 2021: प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ विजय भटकर ने शनिवार को कहा कि वैदिक संस्कृति शाश्वत है और अभी भी जीवित और प्रासंगिक है जबकि अन्य संस्कृतियां और सभ्यताएं लुप्त हो गई हैं। अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर परिसर में रामायण संस्कृति और इसकी गाथा को दर्शाया जाएगा। डॉ भटकर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, विज्ञान भारती और राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की  भोपाल इकाई के विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित  “रामचरितमानस में विज्ञान और संचार” विषय पर एक दिवसीय वेब राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता अपर मुख्य सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि संदेह पहला बिंदु है जहां विज्ञान शुरू होता है और इस तरह से रामायण में कई स्थानों पर संदेह को देखा जा सकता है, संदेह ही वैज्ञानिक प्रमाणिकता के लिए प्रोत्साहित करता है। विभिन्न वैज्ञानिकों को क्वांटम भौतिकी से लेकर अन्य क्षेत्रों में उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक सिद्धांतों को भी यदि काव्य के माध्यम से संप्रेषित किया जाए तो यह अधिक प्रभावी होता है जैसा कि रामायण में है। रामचरितमानस में दिए गए वैज्ञानिक स्वभाव पर शोध किया जाना चाहिए जिससे नई नए तथ्य सामने आ सकते हैं। संगोष्ठी में कुलपति प्रो. एस.पी. गौतम ने कहा कि  रामायण में उद्धृत ‘माया’ ‘इल्यूजन’ न होकर ऊर्जा का स्रोत है और इसे तुलसीदास ने समझाया है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे एमसीयू के कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश ने कहा कि भारतीय दर्श और साहित्य और विज्ञान के संदर्भ में व्यापक विचार-विमर्श किया जाना चाहिए, क्योंकि इस विषय के कई पहलुओं की खोज और व्याख्या नहीं की गई है। रामायण हमें स्टोरी टेलिंग के साथ ही संप्रेषक की विश्वसनीयता का महत्व भी बताती है। विज्ञान भारती के अध्यक्ष श्री अमोघ गुप्ता ने कहा कि रामायण में दिए गए सामाजिक पहलुओं पर तो शोध किया गया है, लेकिन इस महाकाव्य में विद्यमान वैज्ञानिक सूत्रों पर भी शोध होना चाहिए। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. राकेश कुमार पांडेय ने कार्यक्रम का संचालन किया, कुलसचिव डॉ. अविनाश वाजपेयी ने आभार व्यक्त किया।

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Vaidik culture is still relevant: Dr. Bhatkar

Vaidik culture is still relevant: Dr. Bhatkar

Ramayan encourages us for scientific investigation: Shri Shrivastava

Ram Charit Manas teaches importance of credibility of communicator: Prof Suresh

One Day symposium in MCU on ‘Science and Communication in Ram Charit Manas’

Bhopal, 20th March, 2021: Renowned scientist Dr Vijay Bhatkar today said Vaidik culture is eternal and still live and relevant whereas other cultures and civilisations have vanished. Ramayan culture and its story would be depicted in the campus of Ram Temple in Ayodhya. Dr Bhatkar was addressing a one-day national symposium on ‘Science and Communication in Ram Charit Manas’ today, organised by the Science and Technology Cell of Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication, Vigyan Bharati and National Science Academy, Bhopal Unit.

Keynote speaker of the programme, Additional Chief Secretary, Shri Manoj Shrivastava said, doubt is the first point where science begins and in this way, Ramayan points out doubts at many places and encourage for scientific examination. Quoting various scientists from quantum physics to other fields, he said, scientific facts have been written or communicated in poetry as is in the Ramayan. Scientific temper given in the Ram Charit Manas should be researched not to validate science but to explore new information. Former Vice Chancellor Prof SP Gautam said, ‘Maya’ as quoted in the Ramayan is not an illusion. It is a source of energy and it has been explained by Tulsidas. 

MCU Vice Chancellor Prof KG Suresh presided over the programme. He said, wide deliberations should be held because several aspects of this subject have not been explored and explained. Storytelling is what the Ramayan has taught us. It also teaches us the importance of credibility of communicator. Prant president of Vigyan Bharati, Amogh Gupta said social aspects given in Ramayan have been researched but there should be scientific research on the basis of this epic. Cell coordinator Dr Rakesh Kumar Pandey conducted the programme. Registrar Dr Avinash Bajpai proposed the vote of thanks.

Vaidik culture is still relevant: Dr. Bhatkar Ramayan encourages us for scientific investigation: Shri Shrivastava Ram Charit Manas teaches importance of credibility of communicator: Prof Suresh One Day symposium in MCU on ‘Science and Communication in Ram Charit Manas’ Bhopal, 20th March, 2021: Renowned scientist Dr Vijay Bhatkar today said Vaidik culture is eternal and…

उद्यमी वही है जो विपरीत समय में भी चुनौतियों को स्वीकार करे – प्रो. के.जी. सुरेश

उद्यमी वही है जो विपरीत समय में भी चुनौतियों को स्वीकार करे – प्रो. के.जी. सुरेश

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में उद्यमिता पर नेशनल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम संपन्न

भोपाल, 20 मार्च, 2021: शिक्षकों के अकादमिक उन्नयन एवं अद्यतनीकरण के उद्देश्य से माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा आंत्रप्रेन्योर डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सहयोग से नेशनल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का समापन शनिवार को हो गया। विश्वविद्यालय के मीडिया प्रबंधन विभाग द्वारा उद्यमिता पर आयोजित दो सप्ताह के इस फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में देश के कई उच्च शिक्षा संस्थानों के शिक्षक सम्मिलित हुए, जिसमें उद्यमिता एवं बिजनेस प्रोफेशनल्स एवं अकादमिक विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण प्रदान किया।

समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश ने कहा कि उद्यमी वही है जो विपरीत समय में चुनौतियों को स्वीकार करते हुए दृड़ता से खड़ा रहकर असफल नहीं हो। प्रो. सुरेश ने कहा कि समय दुनिया में कहीं नहीं मिलता है और न ही बिकता है। आप अपने प्रतिदिन 24 घंटे मिलते हैं, जिनका भरपूर और मूल्यवान उपयोग करना चाहिए। कोविड-19 के विपरीत समय में समय का सदुपयोग करके ही आज भारत न केवल वेंटिलेटर बना रहा है बल्कि वैक्सीन का एक्सपोर्ट दुनिया भर में कर रहा है, यह सफल कहानी हमारी उद्यम शक्ति को प्रेरित करती है।

फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के कोआर्डीनेटर डॉ. मोहम्मद हनीफ मेवाती ने दो सप्ताह के प्रशिक्षण कार्यक्रम का प्रतिवेदन रखते हुए मुख्य बिंदुओं को रखा। इससे पहले प्रतिभागी शिक्षकों ने अपने अनुभव साझा किए और अपना फीडबैक दिया। कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागी शिक्षकों को कुलपति जी ने प्रमाण पत्र प्रदान किए।

मीडिया प्रबंधन विभाग के अध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम प्रतिभागी शिक्षकों के लिए उपयोगी साबित होगा जिसका लाभ विदायर्थियों को मिलेगा। विश्वविद्यालय भविष्य में उद्यमिता जागरूकता अभियान में भी सहयोगी बनेगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. दिलप्रीत कौर साहनी ने किया।

उद्यमी वही है जो विपरीत समय में भी चुनौतियों को स्वीकार करे – प्रो. के.जी. सुरेश पत्रकारिता विश्वविद्यालय में उद्यमिता पर नेशनल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम संपन्न भोपाल, 20 मार्च, 2021: शिक्षकों के अकादमिक उन्नयन एवं अद्यतनीकरण के उद्देश्य से माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा आंत्रप्रेन्योर डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सहयोग से…

Manage time properly to become successful entrepreneur: Prof Suresh

Manage time properly to become successful entrepreneur: Prof Suresh

12-day FDP concludes in MCU

Bhopal, 20th March, 2021: A 12-day faculty development programme on Entrepreneurship Development, organised by Department of Media Management of Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication, Bhopal and Entrepreneurship Development Institute of India (EDII), Ahmadabad, concluded today.

Chief Guest of valedictory function, Vice Chancellor of the University, Prof KG Suresh said, time is very precious and cannot be obtained through money. An entrepreneur must manage the time. During covid-19 period, India used the difficult time to innovate and is now exporting vaccine to World. Entrepreneur is the one who accepts challenges and get success. Teachers must pass on the knowledge of the training to students, only then it will be useful.

EDII director Dr Hanif Mevati presented the report. Registrar Dr Avinash Bajpai proposed the vote of thanks. Dr Bajpai hopes that such FDPs would help teachers and useful for students as well. The university will associate in creating awareness on entrepreneurship. Prof Dilpreet Kaur conducted the programme.

Manage time properly to become successful entrepreneur: Prof Suresh 12-day FDP concludes in MCU Bhopal, 20th March, 2021: A 12-day faculty development programme on Entrepreneurship Development, organised by Department of Media Management of Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication, Bhopal and Entrepreneurship Development Institute of India (EDII), Ahmadabad, concluded today. Chief Guest of…

मीडिया में महिलाओं का रहना जरूरी क्योंकि वे ज्यादा संवेदनशील होती हैं – शिफाली पांडे

मीडिया में महिलाओं का रहना जरूरी क्योंकि वे ज्यादा संवेदनशील होती हैं – शिफाली पांडे

मीडिया में सबसे बड़ी चुनौती खुद को साबित करने की रहती है – दीप्ति चौरसिया

पत्रकारिता और पत्रकारिता शिक्षा में महिलाओं की भूमिका आवश्यक है – डॉ. उर्वशी परमार

मीडिया में महिलाओं की भूमिका क्लासरूम से शुरू होनी चाहिए – प्रो.  के.जी. सुरेश

भोपाल, 18 मार्च, 2021: मीडिया के क्षेत्र में भी महिलाओं के लिए चुनौतियां हमेशा से रहीं हैं, लेकिन महिलाओं ने इनका समाना कर अपनी जगह बनाई है। जिस दौर में हमने पत्रकारिता शुरू की उस समय समानता के लिए लड़ाई थी जो आज भी है। मगर आज समय आ गया है कि गिलास को आधा खाली न कह कर उसे आधा भरा हुआ कहकर सकारात्मक हुआ जाए। ये विचार न्यूज नेशन मध्यप्रदेश की हेड दीप्ति चौरसिया ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के विशेष संदर्भ में “पत्रकारिता और संचार के क्षेत्र में महिलाओं की उपस्थिति एवम् अवसर” विषय पर आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किए।

संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए वरिष्ठ पत्रकार रूबी सरकार ने अपने लंबे ग्रामीण पत्रकारिता के अनुभव साझा करते हुए कहा कि हम गांवों में महिलाओं को काफी आत्मनिर्भरता देखते हैं, लेकिन इन सभी चीजों को जानने के लिए ग्राउंड लेवल पर जा कर पत्रकारिता करनी होगी और अच्छा कंटेंट, स्टोरी महिलाओं की वास्तविक तस्वीर पेश कर सकती है। उन्होने कहा कि रिपोर्टिंग करते हुए देखा कि ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिला कर हर जगह खेत खलिहान में काम करती हैं बल्कि वो उनसे ज्यादा काम करती हैं मगर उन्हें कभी महिला किसान का दर्जा नहीं मिलता है।

पत्रकारिता और संचार शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका पर अपने विचार रखते हुए डॉ. उर्वशी परमार ने कहा कि हम मीडिया शिक्षा और नारी की बात करें तो इन्हे इन दो शब्दों संवाद और संवेदना से जोड़ कर देख सकते हैं। और इन दोनो का जिसने सामंजस्य बिठा लिया वो अपने क्षेत्र में सफल हुआ है। महिलाएं हर क्षेत्र में अपना दायित्व अच्छे से निभाती हैं। मीडिया की बात करें तो इस क्षेत्र में यदि कोई बच्ची आती है तो वो ये सोच कर आती है कि वो हर चुनौती के लिए तैयार है।

वक्तव्यों की कड़ी में अपने विचार रखते हुए न्यूज़18 की वरिष्ठ पत्रकार पांडे ने कहा कि हमे तो इपनी चुनौतियों को महसूस करने का भी समय नहीं मिला। मीडिया में अपने आप को साबित करने का साथ ही अवांछनीय व्यवहार से बचने की भी चुनौती रहती है। मीडिया में लड़कियों का रहना जरूरी है क्यों कि वो ज्यादा संवेदनशील होती हैं और मुद्दो को संवेदना के साथ पेश करती हैं।

कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रो. के जी सुरेश ने कहा कि लैंगिक असमानता जैसे विषयों पर चर्चा होनी चाहिए। ऐसे विषय आपको संवेदनशील बनाते हैं और इन विषयों पर चर्चा क्लासरूम से शुरू होनी चाहिए। प्रो. सुरेश ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को इनकी संघर्ष गाथा से परिचित कराना और प्रेरित करना था। जब आप 1057 में मात्र 57 हैं और आप एक दूसरे के प्रति संवेदनशील न हो तो ये चिंता का विषय होता है। वेतन में असमानता गलत है और इसे दूर किया जाना चाहिए। समाज में काफ़ी सकारात्मक परिवर्तन आ रहे हैं और उनका डॉक्यूमेंटेशन जरूरी है। इस राह में कठिनाइयां अधिक है और ये संघर्ष ही सफलता की खूबसूरती है।

यह आयोजन प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो, वूमंस प्रेस क्लब और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया। कार्यक्रम में पीआईबी के एडीजी प्रशांत पाठराबे ने स्वागत उद्बोधन और पीआईबी निदेशक अखिल नामदेव ने विषय प्रवर्तन किया। कार्यक्रम के अंत में कुलसचिव डॉ अविनाश वाजपेई ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन छात्रा दिव्या रघुवंशी ने किया।

मीडिया में महिलाओं का रहना जरूरी क्योंकि वे ज्यादा संवेदनशील होती हैं – शिफाली पांडे मीडिया में सबसे बड़ी चुनौती खुद को साबित करने की रहती है – दीप्ति चौरसिया पत्रकारिता और पत्रकारिता शिक्षा में महिलाओं की भूमिका आवश्यक है – डॉ. उर्वशी परमार मीडिया में महिलाओं की भूमिका क्लासरूम से शुरू होनी चाहिए – प्रो.  के.जी. सुरेश भोपाल, 18…

एमसीयू की प्रदर्शनी बनी संचार एवं विचार का केंद्र

एमसीयू की प्रदर्शनी बनी संचार एवं विचार का केंद्र

विश्वविद्यालय की शोध पत्रिका ‘मीडिया मीमांसा’ का विमोचन

सार्थक एजुविज़न-2021 में पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विद्यार्थी कर रहे हैं समाचार पत्र का प्रकाशन और प्रमुख व्यक्तियों का साक्षात्कार

भोपाल, 17 मार्च, 2021: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार एवं एक्सपो ‘सार्थक एजुविज़न-2021’ में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ने प्रदर्शनी लगाई है। यह प्रदर्शनी मीडिया संबंधी गतिविधियों के कारण आकर्षण का केंद्र बन गयी है। पत्रकारिता के विद्यार्थी यहां सेमिनार में आने वाले विद्वानों के साक्षात्कार कर रहे हैं और एक समाचार पत्र ‘सार्थक एजुविज़न न्यूज़’ का प्रकाशन कर रहे हैं। इसके साथ ही पत्रकारिता एवं संचार पर केंद्रित विश्वविद्यालय का प्रकाशन भी यह उपलब्ध है।

प्रशासन अकादमी में संचालित ‘सार्थक एजुविज़न-2021’ में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की प्रदर्शनी पर मीडिया संबंधी पाठ्यक्रमों की जानकारी भी प्रदर्शित की गई है, जिसकी जानकारी लेने के लिए विद्यार्थी, अभिभावक एवं अन्य संस्थान के प्रमुख लोग आ रहे हैं।

आकर्षण का केंद्र बने रिपोर्टिंग और इंटरव्यू लेते विद्यार्थी:

रिपोर्टिंग, एडिटिंग और इंटरव्यू लेते विद्यार्थी सबको आकर्षित कर रहे हैं। विद्यार्थियों द्वारा तैयार वीडियो डेलीगेट्स के साथ ही सोशल मीडिया पर भी शेयर किए जा रहे हैं। उनके द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र सेमिनार में हो रहे अकादमिक सत्रों, सांस्कृतिक गतिविधियों और एक्सपो की प्रदर्शनियों की जानकारी सब तक पहुंचा रहे हैं। विद्यार्थी वीडियो ब्लॉग भी बना रहे हैं और फोटोग्राफी का अभ्यास भी कर रहे हैं।

दादा माखनलाल जी के साथ सेल्फी का क्रेज:

‘एक भारतीय आत्मा’ के नाम से प्रसिद्ध महान स्वतंत्रता सेनानी पं. माखनलाल चतुर्वेदी की आदमकद प्रतिमा भी युवाओं के मध्य प्रेरणा का स्रोत बन गयी है। युवा दादा माखनलाल जी प्रतिमा के साथ सेल्फी ले रहे हैं।

शोध पत्रिका ‘मीडिया मीमांसा’ का विमोचन:

‘सार्थक एजुविज़न-2021’ के चर्चा सत्र में कुलपति प्रो. केजी सुरेश, एनबीए के सदस्य सचिव डॉ. अनिल कुमार नासा और प्रवेश एवं शुल्क नियंत्रण समिति के अध्यक्ष डॉ. रविन्द्र कान्हेरे ने एमसीयू की ब्लाइंड पीयर रिव्यु शोध पत्रिका ‘मीडिया मीमांसा’ का विमोचन भी किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी, आरएफआरएफ के नोडल अधिकारी डॉ. पवन सिंह मलिक, संपादक डॉ. राखी तिवारी, सह-संपादक लोकेन्द्र सिंह, डॉ. रामदीन त्यागी, डॉ. उर्वशी परमार और मनीष वर्मा उपस्थित रहीं।

विश्वविद्यालय की शोध पत्रिका ‘मीडिया मीमांसा’ में पत्रकारिता, संचार, प्रबंधन, कंप्यूटर, विज्ञापन, जनसंपर्क एवं फ़िल्म सहित अन्य क्षेत्रों में नवोन्मेषी, समाजोपयोगी एवं गुणवत्तापूर्ण शोध पत्रों को प्रकाशित किया जाता है। कुलपति और पत्रिका के मुख्य संपादक प्रो. केजी सुरेश ने बताया, राष्ट्रीय शिक्षा नीति की अपेक्षा है कि विश्वविद्यालय शोध संस्कृति को बढ़ावा दें। नये ज्ञान की रचना करें। नवोन्मेषी और लोकहित के शोध कार्यों को बढ़ावा दें। हमारा संकल्प है कि हम संचार के क्षेत्र में शोध कार्य संबंधी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आकांक्षा को पूरा करेंगे। मीडिया मीमांसा से हमने देशभर से संचार एवं शोध विशेषज्ञों को सलाहकार मंडल में शामिल किया है। इसके साथ ही शोध पत्रों के ब्लाइंड रिव्यु के लिए देशभर से विभिन्न विषयों के अध्येताओं एवं प्राध्यापकों को जोड़ा है।

एमसीयू की प्रदर्शनी बनी संचार एवं विचार का केंद्र विश्वविद्यालय की शोध पत्रिका ‘मीडिया मीमांसा’ का विमोचन सार्थक एजुविज़न-2021 में पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विद्यार्थी कर रहे हैं समाचार पत्र का प्रकाशन और प्रमुख व्यक्तियों का साक्षात्कार भोपाल, 17 मार्च, 2021: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार एवं एक्सपो ‘सार्थक एजुविज़न-2021’ में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता…

एमसीयू और महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मध्य शैक्षणिक एमओयू

एमसीयू और महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मध्य शैक्षणिक एमओयू

पत्रकारिता एवं संचार के क्षेत्र में शोध, पाठ्यक्रम निर्माण, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के विकास के लिए मिलकर काम करेंगे दोनों संस्थान

भोपाल, 16 मार्च, 2021: पत्रकारिता एवं संचार के क्षेत्र में शोध, पाठ्यक्रम निर्माण, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के विकास के लिए माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल और महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी (बिहार) के मध्य एमओयू हुआ। एमसीयू के कुलपति प्रो. केजी सुरेश और एमजीसीयू के कुलपति प्रो. संजीव शर्मा ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। यह एमओयू रिसर्च फॉर रिसर्जेंस फाउंडेशन (आरएफआरएफ) के अंतर्गत किया गया है। इस मौके पर भारती शिक्षण मंडल के संगठन मंत्री श्री मुकुल कानिटकर, महामंत्री श्री उमाशंकर पचौरी, अध्यक्ष डॉ. सच्चिदानंद जोशी और भोज मुक्त विश्विद्यालय के कुलपति डॉ. जयंत सोनवलकर उपस्थित थे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन का रोडमैप बनाने एवं अकादमिक विमर्श के उद्देश्य से आयोजित तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस एवं नेशनल एक्सपो ‘सार्थक एजुविज़न-2021’ में दोनों विश्वविद्यालयों ने शैक्षणिक एमओयू को स्वीकार किया। इस एमओयू के अनुसार दोनों संस्थान पत्रकारिता एवं संचार के क्षेत्र में अकादमिक सहयोग करेंगे, जिसमें नए पाठ्यक्रम निर्माण, पाठ्यक्रम अद्यतन करना, फैकल्टी एक्सचेंज एवं ट्रेनिंग प्रोग्राम, विद्यार्थियों का शैक्षणिक भ्रमण के साथ ही संयुक्त रूप में सेमिनार एवं कार्यशालाओं का आयोजन किया जायेगा। इसके साथ की संस्थागत विकास में परामर्श देने की सहमति भी बनी है।

इस अवसर पर कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि इस एमओयू के माध्यम से महात्मा गाँधी की कर्मभूमि चंपारण में हमारे छात्रों और शोधार्थियों को विकास पत्रकारिता समझने का अवसर प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि दोनों विश्वविद्यालय संचार के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शोधकार्य को बढ़ावा देंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विश्वविद्यालयों से अपेक्षा है कि वे नवोन्मेषी एवं समाजोपयोगी शोधकार्य को बढ़ावा दें। इस संकल्पना को लेकर दोनों विश्वविद्यालय काम करने वाले हैं। शोधार्थियों के अध्ययन एवं शोध कार्य हेतु दोनों संस्थाओं के मध्य रिसर्च स्कॉलर एक्सचेंज प्रोग्राम पर भी सहमति बनी है। महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के कुलपति प्रो.संजीव शर्मा ने एमसीयू के साथ एमओयू होने पर प्रसन्नता व्यक्त की और उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस एमओयू से दोनों संस्थाओं के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को लाभ होगा। इस एमओयू के माध्यम से दोनों विश्वविद्यालय अपने सामाजिक दायित्व को भी पूरा करेंगे।

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