भावनात्मक राजनीति के दौर में जनता के मुद्दे : संजीव श्रीवास्तव
चुनाव के वक्त – हरेक राजनीतिक दल का वादा और दावा होता है, ‘उसे सत्ता में आने का अवसर…
भावनात्मक राजनीति के दौर में जनता के मुद्दे : संजीव श्रीवास्तव
चुनाव के वक्त – हरेक राजनीतिक दल का वादा और दावा होता है, ‘उसे सत्ता में आने का अवसर…
कोरोनावायरस: सोशल मीडिया अफवाह और नियंत्रण- डॉ. पवन सिंह
चीन के तेजी से फैल रहे कोरोनावायरस के साथ–साथ, सोशल मीडिया में इससे संबंधित…
दर्द पैदा करता है मीडिया का बदलता चेहरा! – विकास कुमार जैन
मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। पत्रकार इस स्तंभ का प्रहरी है। पत्रकार की भूमिका इसलिए…
सुभाष बाबू ने दी थी गांधीजी को राष्ट्रपिता की ‘उपमा’ : प्रमोद भार्गव
बापू, जी हां महात्मा गांधी – हमारे राष्ट्रपिता हैं। आप जानते हैं बापू – राष्ट्रपिता कैसे कहलाये? दरअसल बापू को…
यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि भारत ही एक मात्र ऐसा देश है, जहाँ सबसे पुरातन सभ्यता में भी…
मध्यप्रदेश में बाघ के पुनर्वास की पुनर्खोज – घनश्याम सक्सेना
सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया है कि ऑक्सीजन समेत वनों से मिलने वाली पर्यावरणीय सेवाओं-सुविधाओं…
स्वामी विवेकानंद जी का फलसफा : बड़ा संघर्ष, महान सफलता – कीर्ति राणा
विश्व के शीर्षतम मैनेजमेंट गुरु युवा पीढ़ी को मोटीवेट करने के लिए समझाते हैं कि संघर्ष से घबराओ मत…
भारतीय राजनीति के श्लाका पुरूष : लाल बहादुर शास्त्री – रवि सक्सेना
भारतीय राजनीति में असाधारण व्यक्तित्व, सादगी, सच्चरित्रता की विरल प्रतिमूर्ति के रूप में यदि किसी…
सादगी और विनम्रता की मिसाल थे मेरे पापा लाल बहादुर शास्त्री – अनिल शास्त्री
मैं केवल आठ वर्ष का था जब दक्षिण भारत में एक भीषण रेल दुर्घटना के कारण मेरे पिता श्री लाल बहादुर शास्त्री ने…
शरमाइए नहीं हिंदी को अपनाइए – विष्णुकांत तिवारी
शरमाइए नहीं अपनाइए क्योंकि हिंदी हमारी उस अमिट पहचान का हिस्सा है जो एक भारतीय को…
अल्पसंख्यकों को अधिकार खोलेंगे विकास के नये रास्ते : विष्णुकांत तिवारी
सामाजिक नियम, फिजिक्स अथवा मैथ्स की तरह स्थायी नहीं होते। इसके मूल्यों एवं नियमों में…
बांग्लादेश ने मजहब के आधार पर भारत विभाजन को गलत साबित किया : सतीश एलिया
मजहब के आधार पर भारत के विभाजन के दंश के 24 बरस बाद यानी अब से 38 बरस पहले…