अपने सुख-दुःख का रिमोर्ट किसी को न दें : साध्वी प्रज्ञा भारती

अपने सुख-दुःख का रिमोर्ट किसी को न दें : साध्वी प्रज्ञा भारती

शारीरिक के साथ मानसिक स्वस्थ का रखें ध्यान : प्रो. केजी सुरेश

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर एमसीयू में विशेष आयोजन, वैक्सीनेशन कैंप भी लगाया, विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं कर्मचारियों सहित अन्य लोगों ने लगवाया कोरोना का टीका

भोपाल, 21 जून, 2021:  अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से ‘घर पर और परिवार के साथ योग’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके साथ ही मध्यप्रदेश सरकार द्वारा आयोजित कोरोना टीकाकरण महाअभियान के अंतर्गत विश्वविद्यालय परिसर में वैक्सीनेशन कैंप का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर प्रख्यात आध्यात्मिक एवं होलिस्टिक वेलनेस एक्सपर्ट साध्वी प्रज्ञा भारती ने कहा कि हमें अपने सुख-दुःख का रिमोर्ट किसी दूसरे के हाथ में नहीं देना चाहिए। दूसरे को यह अधिकार नहीं देना चाहिए कि वह चाहे तो हमें हंसाये और वह चाहे तो रुला दे। योग के माध्यम से हम अपने मन पर नियंत्रण करना भी सीखते हैं। वहीं, कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि कोरोना ने बताया कि हमारे लिए स्वास्थ्य का क्या महत्व है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम सिर्फ शारीरिक ही नहीं, अपितु मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहें।

‘घर पर और परिवार के साथ योग’ कार्यक्रम में प्रख्यात आध्यात्मिक एवं होलिस्टिक वेलनेस एक्सपर्ट साध्वी प्रज्ञा भारती ने कहा कि योग एक उत्सव है। योग हमारे अंदर ही स्थित है। लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं, यह बात भूल जाते हैं और बाहर से योग सीखते हैं। उन्होंने बताया कि योग को घर पर भी किया जा सकता है। योग के लिए मेहनत नहीं करनी होती, बस संकल्प लेना होता है। योग का महत्व बताते हुए साध्वी प्रज्ञा भारती ने कहा कि गीता में कहा गया है कि योग आपको कार्य मे कुशलता प्रदान करता है। यह हमें पूर्णता की ओर ले जाता है। इस अवसर पर उन्होंने विभिन्न योग मुद्राओं का अभ्यास कराया और उनकी उपयोगिता बताई। उन्होंने कहा कि ध्यान केंद्रित करने में ज्ञान मुद्रा का बहुत लाभ होता है। यह हमारी स्मरण शक्ति बढ़ाता है। जबकि वायु मुद्रा वजन कम करने में बहुत उपयोगी है। वहीं, वरुण मुद्रा से हमारी इम्युनिटी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि विभिन्न मुद्राओं के इस्तेमाल से हम अनेक बीमारियों से दूर रह सकते हैं। विभिन्न मुद्राओं का 20-22 सेकंड का अभ्यास भी बहुत लाभदायक हो सकता है। इस अवसर पर ताड़ासन, वृक्षासन, भुजंगासन जैसे आसान का प्रशिक्षण भी दिया गया। योग शिक्षक डॉ. देवेंद्र शर्मा ने योगासनों का प्रदर्शन किया और अभ्यास कराया। कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन कुलसचिव प्रो. पवित्र श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक डॉ. मीता उज्जैन ने किया।

विश्वविद्यालय में टीकाकरण शिविर का आयोजन, वैक्सीन के लिए लोगों को किया प्रोत्साहित:

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और टीकाकरण महाअभियान के अंतर्गत आज विश्वविद्यालय के भोपाल परिसर में वैक्सीनेशन कैम्प का आयोजन किया गया। इसमें विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने टीका लगवाया। एनसीसी और एनएसएस के विद्यार्थियों ने आसपास के क्षेत्र में कोरोना टीकाकरण के प्रति जन-जागरूकता अभियान चलाया और लोगों को वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित किया। इस टीकाकरण शिविर का आयोजन प्रशासन के सहयोग से विश्वविद्यालय की ‘कोविड-19 रेस्पोंस टीम’ ने किया। एमसीयू पहला विश्वविद्यालय है, जहाँ कोरोना संकट में लोगों को सहयोग करने के लिए ‘कोविड-19 रेस्पोंस टीम’ का गठन किया गया। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश सरकार के कोरोना टीकाकरण महाभियान में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है। लगभग 200 वीडियो सन्देश के माध्यम से पत्रकारिता के विद्यार्थियों ने वैक्सीन के लिए लोगों को प्रेरित एवं प्रोत्साहित करने का प्रयास किया है।

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एमसीयू में 21 जून को कोविड वैक्सीनेशन शिविर

एमसीयू में 21 जून को कोविड वैक्सीनेशन शिविर

एमसीयू कर रहा लोगों को वैक्सीनेशन शिविर जाने के लिए  प्रेरित, वैक्सीनेशन महाअभियान में कोविड रेस्पॉन्स टीम, एनसीसी एवं एनएसएस इकाई सक्रिय

भोपाल, 20 जून, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय अपने सामाजिक दायित्वों के निर्वहन की प्रतिबद्धता लिए देशभर में चलाए जा रहे कोविड वैक्सीनेशन महाअभियान को कई तरीकों से सहयोग कर रहा है। कुलपति प्रो. केजी सुरेश की पहल पर गठित कोविड रिस्पॉन्स टीम द्वारा 21 जून को सुबह 10:30 बजे से विश्वविद्यालय के भोपाल परिसर में कोविशील्ड वैक्सीनेशन कैंप का आयोजन जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित किया गया है, जिसमें 18 वर्ष से अधिक के विद्यार्थी एवं स्टाफ के अलावा सभी नागरिकों के लिए वैक्सीनेशन की सुविधा रहेगी।

भारत सरकार और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा देश को कोरोना मुक्त करने के लिए 21 जून को आयोजित विशेष वैक्सीनेशन महा अभियान के समर्थन एवं सहयोग के लिए विश्वविद्यालय अपनी राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) तथा राष्ट्रीय छात्र सेना (एनसीसी) की इकाइयों के माध्यम से जन जागरण अभियान भी चला रहा है। विद्यार्थी विभिन्न प्रेरक और अपील वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर समाज में जन जागरण कर रहे हैं। कोरोना वैक्सीन के प्रति लोगों का रुझान बढ़े और वैक्सीन के प्रति जो संदेह फैलाया जा रहा है वह दूर किया जा सके, इसके लिए एनएसएस और एनसीसी की इकाइयों द्वारा विभिन्न माध्यमों से जागरूकता संदेश दिए जा रहे हैं।

एमसीयू में 21 जून को कोविड वैक्सीनेशन शिविर एमसीयू कर रहा लोगों को वैक्सीनेशन शिविर जाने के लिए  प्रेरित, वैक्सीनेशन महाअभियान में कोविड रेस्पॉन्स टीम, एनसीसी एवं एनएसएस इकाई सक्रिय भोपाल, 20 जून, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय अपने सामाजिक दायित्वों के निर्वहन की प्रतिबद्धता लिए देशभर में चलाए जा रहे कोविड…

ध्यान को बनाएं दिनचर्या का हिस्सा : डॉ. हर्ष वर्धन, केंद्रीय मंत्री

ध्यान को बनाएं दिनचर्या का हिस्सा : डॉ. हर्ष वर्धन, केंद्रीय मंत्री

योग से आती है सकारात्मकता, दूर होता है भय : डॉ. नवदीप जोशी

कोरोना काल में एमसीयू ने किया स्वस्थ्य के प्रति जागरूकता लाने का काम : प्रो. केजी सुरेश

एमसीयू में ‘कोविड-19: नादयोग एवं प्राकृतिक चिकित्सा’ पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन संपन्न, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आज शाम 4:00 बजे विशेष आयोजन

भोपाल, 20 जून, 2021: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के परिप्रेक्ष्य में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय और नवयोग सूर्योदय सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में ‘कोविड-19 नादयोग एवं प्राकृतिक चिकित्सा’ पर तीन‌ दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। ऑनलाइन आयोजित कार्यक्रम को केंद्रीय मंत्री ने वीडियो सन्देश के माध्यम से संबोधित किया। अपने सन्देश में केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि जीवन को शांत, सहज और खुशहाल बनाने के लिए हमारे ऋषियों ने अनेक विधाओं का अन्वेषण किया। ध्यान भी उसी परंपरा का अंग है। यदि व्यक्ति ध्यान को अपनी दिनचर्या में शामिल कर ले तो वह अपने व्यक्तित्व को नयी ऊंचाई दे सकता है। उन्होंने कहा कि नादयोग से सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है। इस अवसर पर कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि मीडिया संस्थान के नाते हमने कोरोना महामारी के प्रति समाज को लगातार जागरूक करने का काम किया है। हम पिछले सितंबर से साक्ष्य आधारित पत्रकारिता को बढ़ावा देने के प्रयास कर रहे हैं। समाज में व्याप्त भ्रामक जानकारी के निवारण के लिए हमने देश के प्रसिद्ध चिकित्सकों के संवाद का आयोजन किया है। विश्वविद्यालय स्तर पर हमने सबसे पहले कोविड-19 रिस्पान्स टीम का गठन किया, जिसने इस कोरोना महामारी के दौरान बहुत अच्छा काम किया।

इस तीन दिवसीय कार्यशाला में विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों एवं अन्य को योग, आसन, प्राणायाम, ध्यान एवं प्राकृतिक जीवन का प्रशिक्षण दिया। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने इस आयोजन की सराहना की है। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय नादयोग गुरु डॉ. नवदीप जोशी ने डर को दूर करने के तरीके प्रतिभागियों को बताए। उन्होंने कहा कि हमारी कुछ इच्छाएं जो पूरी नहीं होती, वे चिंता का रूप ले लेती हैं। यह चिंता ही हमें डराती हैं। चिंताओं में पड़ कर कई बार व्यक्ति अवसाद में चला जाता है। इन परिस्थितियों से बाहर निकालने में योग बहुत उपयोगी है। उन्होंने कहा कि जीवन में कठिनाईयां तो हैं, लेकिन आनंद ज्यादा है। ध्यान हमें उस आनंद की अनुभूति कराता है। डॉ. जोशी ने कहा कि डर को दूर भगाने के लिए हमें सकारात्मक सोचना चाहिए, योग करना चाहिए और स्वयं पर विश्वास रखना चाहिए। अहंकार को दूर रखना चाहिए। इस अवसर पर जेएनयू के शारीरिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ सहायक निदेशक डॉ. विक्रम सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि आप एक्सरसाइज से शारीरिक स्वस्थ तो हो जाते है लेकिन मानसिक रूप से स्वस्थ्य होने के लिए मेडिटेशन करना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नादयोग के निरंतर अभ्यास से आप अपने अंतर्मन को सुनना शुरू कर देते है। आप अपने मन के साथ वार्तालाप करना शुरू कर देते है।

समापन सत्र की अध्यक्षता कर रही प्रो. पी. शशिकला ने कहा कि मंत्रों में बहुत शक्ति होती है। ये हमें ऊर्जा देते हैं। उन्होंने कहा कि योग के साथ प्राकृतिक भोजन करने से अधिक लाभ होता है। हमें अपने भोजन में फलों को अवश्य शामिल करना चाहिए। आभार प्रदर्शन कुलसचिव प्रो. पवित्र श्रीवास्तव ने किया और संचालन वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक लालबहादुर ओझा ने किया। कार्यशाला में योग और आसन का प्रशिक्षण एवं अभ्यास योगाचार्य मंजरी जोशी ने कराया।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष आयोजन आज:

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर 21 जून को विश्वविद्यालय की ओर से ‘घर पर और परिवार के साथ योग’ कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। प्रख्यात आध्यात्मिक एवं होलिस्टिक वेलनेस एक्सपर्ट साध्वी प्रज्ञा भारती कार्यक्रम को संबोधित करेंगी और स्वस्थ जीवन जीने के विधि पर अपने विचार रखेंगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. केजी सुरेश करेंगे।

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सिनेमा में पृष्ठभूमि की वास्तविकता दिखाना चुनौतिपूर्ण है – कामाख्या नारायण

सिनेमा में पृष्ठभूमि की वास्तविकता दिखाना चुनौतिपूर्ण है – कामाख्या नारायण

सिनेमा के माध्मय से अछूती और महत्वपूर्ण सूचनाएं लोगों के बीच पहुंचाएं – प्रो. के.जी. सुरेश

आंतरिक शक्ति के माध्यम से हम किसी भी महामारी को जीत सकते हैं – मीना अग्रवाल

सिनेमैटिक कम्युनिकेशन पर फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम संपन्‍न

भोपाल, 18 जून, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय एवं एआईसीटीई ट्रेनिंग एंड लर्निंग (ATAL) अकादमी के सहयोग से ‘सिनेमैटिक कम्युनिकेशन’ पर केंद्रित 5 दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का शुक्रवार को समापन हो गया। समापन सत्र के मुख्य वक्ता के रूप में ‘भोर’ फिल्म से चर्चित फिल्म निर्देशक श्री कामाख्या नारायण सिंह ने संबोधित किया। श्री कामाख्या नारायण सिंह ने कहा कि प्रभावी और समाज उत्प्रेरक फिल्में तभी बन सकती हैं जब आप वह दिखाएं जो आप खुद दिखाना चाहते हैं, न कि वह, जो आपसे बनवाया जा रहा है, समसामयिक मुद्दों को स्क्रीन पर उतार कर भी प्रभावी फिल्में बनाई जा सकती हैं। श्री सिंह ने कहा कि आज सिनेमा में फॉर्मूले बनाना और तोड़ना भी क्रिएटिविटी है, सिनेमा की कहानी में पृष्ठभूमि की वास्तविकता दिखाना और कहानी के लिए सही चरित्र गढ़ना काफी चुनौतीपूर्ण है।

एफडीपी प्रोग्राम में विशेष अतिथि के रूप में एआईसीटीई के क्षेत्रीय निदेशक श्री सी.एस. वर्मा ने कहा कि इस तरह के फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम से शैक्षिक संस्थाओं में अकादमिक गुणवत्ता बढ़ती है, जिसका फायदा समाज को मिलता है।

समापन सत्र के अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश ने कहा कि सिनेमा आज भी एक लोकप्रिय और प्रभावी जनमाध्यम है, जो अब डिजीटल तकनीक से और भी सशक्त हो रहा है। लेकिन अभी भी हमारी समृद्ध प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत के कई अनछुए पहलुओं को जनता तक पहुंचाने में सिनेमा की भूमिका का इंतजार है, फिल्मकारों के लिए इसमें काफी संभावनाएं है।

शुक्रवार को अंतिम दिन के पहले सत्र को मैनिट में सहायक प्राध्यापक और डॉ. मीना अग्रवाल ने उर्जा सशक्तिकरण विषय पर अपने व्याख्यान में कहा कि आयुर्वेद योग, एवं भारतीय अध्यात्म में मनुष्य के अंदर विद्यमान सात अदृश्य चक्रों का बड़ा महत्व है, जिनकी सक्रियता से हम अपनी सृजनात्मक शक्ति को बढ़ा सकते हैं। आंतरिक शक्ति के माध्यम से हम किसी भी महामारी पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

विश्वविद्यालय द्वारा ‘सिनैमैटिक कम्युनिकेशन’ पर आयोजित पांच दिवसीय ऑनलाइन फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में देशभर के लगभग 200 मीडिया और जनसंचार के शिक्षकों ने भाग लिया। विश्वविद्यालय में एआईसीटीई के को-ऑर्डीनेटर प्रो. सी.पी. अग्रवाल के समन्वय एवं प्रो. पवित्र श्रीवास्तव के संयोजन में आयोजित इस सफल कार्यक्रम के समापन पर सहायक प्राध्यापक डॉ. गजेंद्र अवासिया ने सभी प्रतिभागियों, आमंत्रित विशेषज्ञों एवं व्यवस्था में लगे लोगों का आभार व्यक्त किया।

सिनेमा में पृष्ठभूमि की वास्तविकता दिखाना चुनौतिपूर्ण है – कामाख्या नारायण सिनेमा के माध्मय से अछूती और महत्वपूर्ण सूचनाएं लोगों के बीच पहुंचाएं – प्रो. के.जी. सुरेश आंतरिक शक्ति के माध्यम से हम किसी भी महामारी को जीत सकते हैं – मीना अग्रवाल सिनेमैटिक कम्युनिकेशन पर फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम संपन्‍न भोपाल, 18 जून, 2021: माखनलाल…

एडिटिंग सिनेमैटिक की बैकबोन है – अनिमेश सहाय

एडिटिंग सिनेमैटिक की बैकबोन है – अनिमेश सहाय

सही एडिटिंग कहानी को गुणवत्तापूर्ण बनाती है – डॉ. चंदन गुप्ता

शूटिंग में हाथ खुले रहते है जबकि एडिटिंग में हाथ बंधे रहते है – पी. के. निगम

एमसीयू में सिनेमैटिक कम्युनिकेशन पर एफडीपी प्रोग्राम

भोपाल, 17 जून, 2021:  एमसीयू में सिनेमैटिक कम्युनिकेशन पर रहे एफडीपी प्रोग्राम के अंतर्गत गुरूवार को चौथा दिन सिनेमा एडिटिंग एंड एस्थैटिक पर केंद्रित रहा। सिनेमैटिक से जुड़े तीन प्रोफेशनल ने शिक्षकों को एडिटिंग एवं मल्टीमीडिया से संबंधित अद्यतन जानकारी प्रदान की। जी जेस्ट चैनल के ऑनएयर प्रमोशन्स हेड अनिमेश सहाय ने मल्टीमीडिया टूल्स आफ एडिटिंग पर चर्चा में कहा कि एडिटिंग ही पूरी प्रक्रिया की बैकबोन है, यह इंडिपेंडेंट न होकर एक डिपेंडेंट प्रोसेस है। पोस्ट प्रोडक्शन प्रोसेस आपने आप में एक बड़ी इंडस्ट्री है, जहां तकनीकी स्किल्स के आलावा पोस्ट प्रोडक्शन में कार्य करने की अनेक संभावनाएं है।

इवोल्विंग ट्रेण्ड्स इन एडिटिंग विषय पर एनआईटीटीआर के सीनियर एडिटर पीके निगम जी ने डिटिंग की तकनीक से संबंधित बारीक जानकारी बताते हुए कहा कि फिल्म मेकिंग गुणवत्ता की मांग करती है। किसी भी शॉट की सही एडिटिंग कहानी को गुणवत्तापूर्ण एवं अच्छी तरीके से कह पाती है।

इंस्ट्रक्शनल/एजुकेशनल फिल्म विषय पर ईएमआरसी इंदौर के डायरेक्टर एवं प्रोड्यूसर डा. चंदन गुप्ता ने कहा कि एजुकेशनल फिल्म समय की मांग है लेकिन इसे बनाना चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि सच्चाई हमेशा इंटरटेनिंग नहीं होती है न ही रियल एक्टर और लोकेशन इतने आकर्षक होते है। वर्तमान में एक बड़ा टीचिंग लर्निंग प्लेटफार्म भी एजुकेशनल फिल्म को बनाने की तरफ बढ़ा है

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल द्वारा एआईसीटीई ट्रेनिंग एंड लर्निंग (ATAL) अकादमी के सहयोग से ‘सिनेमैटिक कम्युनिकेशन’ पर केंद्रित फेकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में कल पांचवे और अंतिम दिन चर्चित फिल्म निर्देशिका सुश्री कामाख्या नारायण सिंह प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करेंगी, इसके साथ ही समापन सत्र के अवसर पर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् के क्षेत्रीय निदेशक श्री टी.एस. वर्मा भी मार्गदर्शन देंगे, जबकि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश सत्र की अध्यक्षता करेंगे।  

एडिटिंग सिनेमैटिक की बैकबोन है – अनिमेश सहाय सही एडिटिंग कहानी को गुणवत्तापूर्ण बनाती है – डॉ. चंदन गुप्ता शूटिंग में हाथ खुले रहते है जबकि एडिटिंग में हाथ बंधे रहते है – पी. के. निगम एमसीयू में सिनेमैटिक कम्युनिकेशन पर एफडीपी प्रोग्राम भोपाल, 17 जून, 2021:  एमसीयू में सिनेमैटिक कम्युनिकेशन पर रहे एफडीपी प्रोग्राम के अंतर्गत…

कोविड-19 के विरुद्ध डिजिटल शपथ अभियान

कोविड-19 के विरुद्ध डिजिटल शपथ अभियान

दो लाख लोगों से शपथ दिलाने का लक्ष्य

भोपाल, 16 जून, 2021: लोकसंवाद संस्था जयपुर एवं यूनिसेफ राजस्थान की पहल पर देश की दर्जन भर शैक्षिक संस्थाओं ने मिलकर कोविड-19 को लेकर एक डिजिटल शपथ अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भी शामिल है। इसके तहत दो लाख लोगों को डिजिटल शपथ दिलाने का लक्ष्य है। कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि यह अभियान टीकाकरण और कोविड अनुरूप व्यवहार के प्रति समाज में जागरुकता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।

इस डिजिटल शपथ अभियान में सभी भागीदारों को ई-प्रमाण पत्र मिलेगा। खासकर युवाओं के लिए अपनी रचनात्मकता दिखाने का अवसर भी इसमें है। कोविड-19 से बचाव के संबंध में मोबाइल से फिल्में बनाकर अपलोड की जा सकती हैं। फिल्मों की अवधि 30 सेकेंड से 2 मिनट तक की हो सकती है। बेहतर रचनात्मकता के लिए युवाओं को पुरस्कृत भी किया जायेगा।

इसका अभियान का उद्देश्य समाज में कोविड के टीकाकरण के प्रति जागरुकता पैदा करना है। इस अभियान के तीन पक्ष हैं- 1. शपथ लेनेवाले को शपथ पत्र भरते ही ई सर्टिफिकेट मिलेगा। 2. भागीदार आसपास के दो युवा ( 24 वर्ष तक ) कोरोना योद्धा की कहानियाँ अपलोड कर सकते हैं। 3. वे इस अभियान के संबंध में आधा मिनट से लेकर दो मिनट तक का रचनात्मक वीडियो बनाकर अपलोड कर सकते हैं। चुने गये वीडियो को पुरस्कृत भी किया जायेगा – प्रथम पुरस्कार 5000 रू, द्वितीय पुरस्कार 3000 रू और तृतीय पुरस्कार 2000 रु. का है।

इस लिंक पर क्लिक करके उपरोक्त किसी भी गतिविधि में हिस्सा लिया जा सकता है:-

https://loksamvadindia.org/digital-pledge-drive/

विश्वविद्यालय ने इस अभियान के लिंक को अपनी वेबसाइट पर प्रमुखता से उपलब्ध कराया है। कुलपति प्रो. केजी सुरेश का कहना है कि एमसीयू आरंभ से ही टीकाकरण और कोरोना के प्रति जागरुकता कार्यक्रम चलाता रहा है। साथ ही इस तरह के हरेक रचनात्मक प्रयास में वह सहयोग करता रहा है। उन्होंने कहा कि लोकसंवाद संस्था और यूनिसेफ, राजस्थान की यह एक महत्वपूर्ण पहल है।

कोविड-19 के विरुद्ध डिजिटल शपथ अभियान दो लाख लोगों से शपथ दिलाने का लक्ष्य भोपाल, 16 जून, 2021: लोकसंवाद संस्था जयपुर एवं यूनिसेफ राजस्थान की पहल पर देश की दर्जन भर शैक्षिक संस्थाओं ने मिलकर कोविड-19 को लेकर एक डिजिटल शपथ अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार…

फिल्म निर्देशक कैमरे को कलम की तरह उपयोग करता है – आदित्य सेठ

फिल्म निर्देशक कैमरे को कलम की तरह उपयोग करता है – आदित्य सेठ

फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में फिल्म निर्माण की बारीकियों पर चर्चा

सिनेमैटिक कम्युनिकेशन पर एफडीपी प्रोग्राम का दूसरा दिन

भोपाल, 15 जून, 2021:  माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा एआईसीटीई ट्रेनिंग एंड लर्निंग (ATAL) अकादमी के सहयोग से आयोजित पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत दूसरे दिन कई सिनेमा प्रोफेशनल एवं अकादमिक विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण दिया।

फिल्म मेकर एवं फिल्म एकेडमीशियन आदित्य सेठ ने निर्देशन कला विषय के सैद्धांतिक एवं तकनीकी पहलुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि निर्देशक कैमरे को कलम की तरह प्रयोग में लाता है जिसके द्वारा वह विजुअल्स की निरंतरता बनाए रखता है। साथ ही एक निर्देशक को लेखन, कैमरा संचालन, सीन और स्टोरी सेटिंग, ब्लोकिंग एवं फिल्म एडिटिंग का भी अनुभव होना चाहिए।   

महात्मा गांधी अंतर्राष्टीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के फिल्म एवं थियेटर विभाग में असिस्टेंट प्रो. यशार्थ मंजुल ने फिल्म प्रोडक्शन एवं मैनेजमेंट की बारीकियों और चुनौतियों के बारे में विस्तार से बताया और अनेक उदाहरणों के माध्यम से फिल्म के प्री प्रोडक्शन, प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन के प्रैक्टिकल एसपेक्ट पर गहन चर्चा की। उन्होंने कहा कि रियल लोकेशन में शूटिंग के लिए कंट्रोल इंवायरमेंट पाने में दिक्कतें आती हैं। इसके विपरीत कंट्रोल लोकेशन में शूट करना आसान होता है।

विमलेश गोइदेश्वर ने स्क्रिप्ट लेखन के मूल बिंदुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि फिल्म लेखन से पूर्व कहानी को स्क्रिप्ट करना बहुत जरूरी है। बिना लिखे हम विजुअल्स को सही तरीके से इमेजिन नहीं कर सकते। एक्शन, विजुअल एवं इमेज प्रभावी रूप स्टोरी टेलिंग को आगे बढ़ाते है। साथ ही स्क्रिप्ट राइटिंग एवं स्क्रिप्ट टेलिंग का अभ्यास भी प्रतिभागियों को ऑनलाइन माध्यम से कराया।

एफडीपी प्रोगराम में कल दीसरे दिन फिल्म एप्रीशिएसन पर उत्पल दत्त, कंटेंपररी विजुअल आर्ट एवं राइटिंग पर प्रो. अमिताभ श्रीवास्तव एंड डायनिमिक विजुअल लैग्वेज पर सुरेश दीक्षित जी संवाद करेंगे।

फिल्म निर्देशक कैमरे को कलम की तरह उपयोग करता है – आदित्य सेठ फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में फिल्म निर्माण की बारीकियों पर चर्चा सिनेमैटिक कम्युनिकेशन पर एफडीपी प्रोग्राम का दूसरा दिन भोपाल, 15 जून, 2021:  माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा एआईसीटीई ट्रेनिंग एंड लर्निंग (ATAL) अकादमी के सहयोग से आयोजित पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के…

देश की आत्मा है भाषायी पत्रकारिता : संजय अभिज्ञान

देश की आत्मा है भाषायी पत्रकारिता : संजय अभिज्ञान

साक्ष्य आधारित पत्रकारिता के लिए जाना जाता है प्रिंट मीडिया : प्रो. केजी सुरेश

‘प्रिंट मीडिया में अवसर’ विषय पर एमसीयू में हुआ व्याख्यान

भोपाल, 15 जून, 2021: कोरोना संकट के दौर में समाचार पत्रों के समक्ष चुनौतियां हैं,परन्तु इस विषम परिस्थिति से जूझते हुए प्रिंट मीडिया का भविष्य आज भी उतना ही उज्ज्वल है जितना पहले था। भाषाई पत्रकारिता को हम भारत की आत्मा कह सकते हैं। लोग अपनी भाषा के समाचार पत्र की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। इसलिए भाषायी समाचार पत्रों की प्रसार संख्या तेजी से बढ़ रही है। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित व्याख्यान में यह विचार वरिष्ठ पत्रकार श्री संजय अभिज्ञान ने व्यक्त किये। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने की।

‘प्रिंट मीडिया में अवसर’ विषय पर अपने व्याख्यान में वरिष्ठ पत्रकार श्री संजय अभिज्ञान ने समाचार पत्र के न्यूजरूम हेतु जरूरी स्किल का उल्लेख करते हुए कहा कि नए पत्रकार को तकनीक में दक्ष होना चाहिए। नए पत्रकार को मल्टी लैंग्वेज के साथ-साथ मल्टी स्किल तथा मोबाइल जर्नलिज्म का उपयोग करना आना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का समाज पर व्यापक असर है, इसलिए पत्रकारिता के क्षेत्र में आने वाले विद्यार्थियों को सोशल मीडिया फ्रेंडली भी होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य, कृषि और ग्रामीण विकास जैसे अनेक विषयों की पत्रकारिता हेतु प्रिंट मीडिया में सुनहरा अवसर बना हुआ है।

उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया के बारे में समय-समय पर अफवाह फैलाई जाती है कि प्रिंट मीडिया अब खत्म होने जा रहा है लेकिन मैं तीन दशक की पत्रकारिता के बाद कह सकता हूं कि प्रिंट मीडिया का भविष्य उज्ज्वल है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1992 में जब प्रिंट मीडिया का एकक्षत्र राज था, उस वक्त टीवी चैनल के प्रवेश ने इस बात को बल दिया था कि प्रिंट मीडिया अब खत्म हो जाएगा परन्तु वह आज भी जिंदा है। 2005 के बाद से डिजिटल मीडिया के पैर पसारने पर भी ऐसी कोरी कल्पनाएं व्यक्त की जा रही हैं, जो यथार्थ से भिन्न हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म भी ई-पेपर के रूप में प्रिंट को ही लोग पढ़ रहे हैं। श्री अभिज्ञान ने कहा कि टीवी चैनल की तुलना में प्रिंट मीडिया में रोजगार के व्यापक अवसर हैं। यदि पत्रकारिता के विद्यार्थी अपने कौशल का उन्नयन करते हुए इस क्षेत्र में आते हैं तो वेतन की भी कोई समस्या नहीं है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि प्रिंट मीडिया में आज भी ग्राउंड रिपोर्ट प्रकाशित हो रही हैं। साक्ष्य आधारित पत्रकारिता के लिए प्रिंट मीडिया को जाना जाता है।उन्होंने कहा कि तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अखबार जिंदा है और जिंदा रहेगा। भारत में समाचार पत्र को किसान, मजदूर, अमीर, गरीब सब पढ़ते हैं। यह हमारी संस्कृति का हिस्सा बन चुका है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में प्रिंट मीडिया ने बहुत अच्छा काम किया है।

इससे पूर्व विषय प्रवर्तन करते हुए पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष डॉ. राखी तिवारी ने कहा कि प्रिंट मीडिया ने कठिन दौर में काफी बदलाव किए हैं और उनके कारण प्रिंट मीडिया के अस्तित्व को कोई खतरा नहीं है। कोरोना काल में विभिन्न समाचार पत्रों द्वारा चलाए गए जागरूकता अभियान को सभी ने सराहा है। कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक लोकेंद्र सिंह राजपूत ने किया। आभार प्रदर्शन प्लेसमेंट एवं एंटरप्रेन्योर सेल के निदेशक डॉ. अविनाश बाजपेई ने किया। सेमिनार में पत्रकारिता विद्यार्थियों की शंकाओं का समाधान श्री संजय अभिज्ञान ने किया।

देश की आत्मा है भाषायी पत्रकारिता : संजय अभिज्ञान साक्ष्य आधारित पत्रकारिता के लिए जाना जाता है प्रिंट मीडिया : प्रो. केजी सुरेश ‘प्रिंट मीडिया में अवसर’ विषय पर एमसीयू में हुआ व्याख्यान भोपाल, 15 जून, 2021: कोरोना संकट के दौर में समाचार पत्रों के समक्ष चुनौतियां हैं,परन्तु इस विषम परिस्थिति से जूझते हुए प्रिंट…

सिनेमा में सेंसरशिप की जगह रेगुलेशन की आवश्यकता: राहुल रवैल

सिनेमा में सेंसरशिप की जगह रेगुलेशन की आवश्यकता: राहुल रवैल

सार्थक और प्रभावी सिनेमा बनाने आगे आए युवा प्रतिभा: प्रो. केजी सुरेश

फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में जाने-माने फिल्मकार राहुल रवैल का संवाद

भोपाल, 14 जून, 2021: ओटीटी प्लेटफार्म पर अपराध, असामाजिकता और अनैतिकता का महिमामंडन उचित नहीं है। हालांकि मैं सेंसरशिप का समर्थन नहीं करता, उसके लिए तो दर्शक खुद सक्षम हैं। लेकिन आपत्तिजनक कंटेंट को रोकने के लिए स्वयं की जिम्मेदारी के साथ रेगुलेशन की भी आवश्यकता है। बेताब और अर्जुन समेत कई लोकप्रिय हिंदी फिल्मों के निर्माता निर्देशक राहुल रवैल ने मीडिया एवं जनसंचार शिक्षकों से यह बात कही। श्री रवैल सोमवार को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे।

एआईसीटीई ट्रेनिंग एंड लर्निंग (ATAL) अकादमी के सहयोग से ‘सिनेमैटिक कम्युनिकेशन’ पर केंद्रित एफडीपी में निर्माता निर्देशक राहुल रवैल ने कहा कि संचार के रूप में सिनेमा एक सशक्त और अद्भुत माध्यम है। सिनेमा का संचार लोगों को प्रभावित करता है। ओटीटी प्लेटफार्म के आने से सिनेमा में अवसरों की संभावनाएं काफी बढ़ गई हैं। यहां युवा अच्छा कार्य कर रहे हैं। अपने व्याख्यान के बाद राहुल रवैल ने प्रतिभागी शिक्षकों के प्रश्नों के उत्तर दिए और जिज्ञासाओं का समाधान किया।

शुभारंभ सत्र के अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि भारतीय सिनेमा को हॉलीवुड की नकल न करके मौलिकता पर ध्यान देना चाहिए। हमारे पास यंग टैलेंट है, जिसका उपयोग हो तो हम सिनेमा के क्षेत्र में अद्भुत कार्य कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जो फिल्म रोफेशनल सिनेमैटिक लैंग्वेज समझते हैं, वह सफल होते हैं, लेकिन इस क्षेत्र में भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कई जिम्मेदारियों को लेकर आती है, जिसे समझने की आवश्यकता है। सिनेमा समाज को मोटिवेट करता है जो समाज में परिवर्तन का एक बड़ा कारण बन सकता है।

पहले दिन दूसरे तकनीकी सत्र सत्र में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के निदेशक श्री आलोक चटर्जी ने न्यू जोनर्स ऑफ विजुअल कम्युनिकेशन विषय के साथ ड्रामा की विविध विधाओं के सौद्धांतिक पक्ष को समझाया। तीसरे तकनीकी सत्र में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्लिकल टीचर्स ट्रनिंग एंड रिसर्च के प्रो. राजीव शंकर गोहिल ने भारतीय सिनेमा के इतिहास, विकास एवं बदलते प्रतिमान पर विस्तार से प्रकाश डाला। विश्वविद्यालय द्वारा ‘सिनैमैटिक कम्युनिकेशन’ पर आयोजित पांच दिवसीय ऑनलाइन फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में देशभर के लगभग 200 मीडिया और जनसंचार के शिक्षक भाग ले रहे हैं।

कुलसचिव प्रो. पवित्र श्रीवास्तव ने कार्यक्रम का संयोजन किया और सहायक प्राध्यापक डॉ. गजेंद्र सिंह अवास्या ने शुभारंभ सत्र का संचालन किया।

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हिंदुस्तान का भविष्य उज्ज्वल, युवा उसके निर्माता – डॉ. हरीश शेट्टी

हिंदुस्तान का भविष्य उज्ज्वलयुवा उसके निर्माता – डॉ. हरीश शेट्टी

जीवन सांप-सीढ़ी का खेलआते हैं उतार-चढ़ाव – प्रो. के.जी. सुरेश

भोपाल, 12 जून, 2021: स्वीकार्यता जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। समय के साथ बदलाव को अपनाइए, इससे भागिए नहीं। डर को स्वीकार करना साहस का कार्य है। देश के जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ. हरीश शेट्टी ने सफल और खुशहाल जीवन पर केंद्रित व्याख्यान में कई सूत्र दिए। यह विचार उन्होंने शनिवार को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित व्याख्यान में व्यक्त किये।

कोरोना महामारी के दौर में देश और समाज में व्याप्त दुख और भय के वातावरण को दूर करने के लिए विश्वविद्यालय की कोविड रिस्पॆड टीम द्वारा आयोजित यह व्याख्यान “सफल और खुशहाल जीवन” पर केंद्रित था। व्याख्यान में डॉ. हरीश शेट्टी ने कहा कि आपदा में अवसर है इसका इस्तेमाल करते हुए जीवन में कुछ आवश्यक बदलाव करना चाहिए। आपको जैसा शरीर और सामाजिक स्टेटस मिला है उसे स्वीकार करें, इसमें कोई आत्मग्लानि का बोध नहीं होना चाहिए। लेकिन बदलाव और उन्नति के लिए आत्मविश्वास के साथ अपने काम में लगे रहें। समाज के साथ समवाद में आप ब्लूमर बनिए ब्लेमर नहीं तभी सफल हो सकेंगे।

डॉ शेट्टी ने पारिवारिक वातावरण की चर्चा करते हुए कहा कि परिवार में संवाद खत्म हो रहा है, मोबाइल पर उंगलियां चलाने की जगह अपने हाथ पैर चलाएं क्योंकि व्यायाम ही आपको स्वस्थ रखेगा। यह आप खुद भी करें और बच्चों के लिए भी लागू करें। भावनाएं बांटने से संबंध मजबूत होते हैं, जबकि सूचना देने मात्र से केवल आइसोलेशन होता। योग और प्राणायाम को जीवन का अंग बनाइए क्योंकि अमेरिका जैसे देश की नेवी अपने सैनिकों को योग करवाती है। विद्यार्थियों से संवाद करते हुए डॉ. शेट्टी ने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं कि हिंदुस्तान का भविष्य उज्जवल है और आप उसके निर्माता हैं। समय कठिन है लेकिन अभी पिक्चर बाकी है

इससे पूर्व विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर के.जी. सुरेश ने विषय का प्रवर्तन करते हुए कहा कि जीवन सांप सीढ़ी का एक खेल है, जिसमें उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, इसलिए चिंतित रहने की जरूरत नहीं है। जिंदगी में सकारात्मकता को बनाए रखकर हम कठिन समय में भी डटे रह सकते हैं। डॉ. शेट्टी के उत्प्रेरक व्याख्यान के बाद विद्यार्थियों और शिक्षकों ने उनसे जीवन की कठिनाइयों और समस्याओं पर कई प्रश्न और अपनी जिज्ञासाएं रखी, डॉ. शेट्टी ने सभी को मार्गदर्शन प्रदान किया।

कार्यक्रम का संचालन एवं समन्वयन श्री लालबहादुर ओझा, सहायक प्राध्यापक ने किया, अंत में कुलसचिव प्रो. पवित्र श्रीवास्तव ने आभार व्यक्त किया।

हिंदुस्तान का भविष्य उज्ज्वल, युवा उसके निर्माता – डॉ. हरीश शेट्टी जीवन सांप-सीढ़ी का खेल, आते हैं उतार-चढ़ाव – प्रो. के.जी. सुरेश भोपाल, 12 जून, 2021: स्वीकार्यता जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। समय के साथ बदलाव को अपनाइए, इससे भागिए नहीं। डर को स्वीकार करना साहस का कार्य है। देश के जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ. हरीश शेट्टी ने सफल और खुशहाल…