बदलाव के लिए मुहूर्त की प्रतीक्षा न करें – कुलपति केजी सुरेश

बदलाव के लिए मुहूर्त की प्रतीक्षा न करें – कुलपति केजी सुरेश

ज्ञान एवं योग से भी बढ़कर है भक्तियोग – मां शिवांगी

जो भी करें, पूरे भाव से करें – संगीत वर्मा

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में लाइफ स्किल एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट पर एफडीपी

भोपाल, 17 नवम्‍बर, 2021: बदलाव के लिए मुहूर्त की प्रतीक्षा न करें। अटल जीवन महोत्सव के अंतर्गत लाइफ स्किल एंड स्ट्रेश मैनेजमेंट पर आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में ये विचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने व्यक्त किए। कोरोनाकाल के बाद जिंदगी विषय एवं अपने अब तक के अनुभवों पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि हर परिस्थिति, समस्या, चुनौतियों का सामना करते हुए एवं उनसे कुछ सीखते हुए जीवन को सकारात्मकता एवं खुशी के साथ जीना चाहिए।

कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि यदि जीवन में आगे बढ़कर सफलता हासिल करना है तो हमें बीते हुए कल को भुलाकर, उन गलतियों से सबक लेकर अपने आज को बेहतर बनाने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने जीवन में बदलाव पर बोलते हुए कहा कि यदि जिंदगी को बेहतर बनाना है तो व्यक्ति को बदलाव कल और आज नहीं बल्कि अभी से ही कर देना चाहिए। यदि ऐसा कर देंगे तो जीवन खुशियों से भर जाएगा।

पांच दिवसीय एफडीपी प्रोग्राम के तीसरे दिन के प्रथम सत्र में स्ट्रेस फ्री लाइफ बाय भक्ति योग पर देवी मां शिवांगी नंद गिरि ने कहा कि ज्ञान एवं योग से भी बढ़कर भक्तियोग है। उन्होंने कहा कि भक्ति योग से जीवन की दशा और दिशा बदल सकती है। शिवांगी जी ने जीवन में संस्कार का महत्व बताते हुए कहा कि संस्कार का होना बहुत जरुरी है यदि संस्कार नहीं है तो व्यक्ति का जीवन पूर्ण नहीं है। उन्होंने श्रीरामचरित मानस के अरण्य कांड में माता सबरी और भगवान राम के बीच भक्ति पर हुए अद्भुत सत्संग नवधा भक्ति के नौ प्रकारों पर भी प्रकाश डाला।

मोटिवेशनल स्पीकर श्री संगीत वर्मा ने अपने उद्वबोधन में कहा कि जो भी करें, आनंद के साथ आनंदचित होकर करें, आपको हर कार्य में आनंद आएगा। उन्होंने कहा कि सभी को अपने मन का विस्तार करना चाहिए। यदि इसका विस्तार कर लिया गया तो व्यक्ति अपने अंदर छिपी हुई अनंत शक्तियों से परिचित हो सकता है। इसके साथ श्री वर्मा ने कहा कि व्यक्ति जो भी कार्य करे उसे पूरे भाव से करना चाहिए। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. सीपी अग्रवाल ने बताया कि इस कार्यक्रम में देशभर से 200 शिक्षक एवं बढ़ी संख्या में विद्यार्थी ऑनलाइन जुड़कर अपनी चेतना का विस्तार कर रहे हैं।

ऑनलाइन आयोजित एआईसीटीई के अटल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी, कार्यक्रम के संयोजक प्रो. सीपी अग्रवाल, प्रो. मनीष माहेश्वरी, प्रो. श्रीकांत सिंह, डॉ. राखी तिवारी, डॉ. सुनीता द्विवेदी, डॉ.मनोज पचारिया, डॉ. रविमोहन शर्मा, डॉ. आरती सारंग विवि के शिक्षक एवं स्कालर भी जुड़े हुए थे।

बदलाव के लिए मुहूर्त की प्रतीक्षा न करें – कुलपति केजी सुरेश ज्ञान एवं योग से भी बढ़कर है भक्तियोग – मां शिवांगी जो भी करें, पूरे भाव से करें – संगीत वर्मा पत्रकारिता विश्वविद्यालय में लाइफ स्किल एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट पर एफडीपी भोपाल, 17 नवम्‍बर, 2021: बदलाव के लिए मुहूर्त की प्रतीक्षा न करें।…

भारत का मीडिया कभी सोने की चिड़िया था, आज चांदी का है : श्री प्रभु चावला

भारत का मीडिया कभी सोने की चिड़िया था, आज चांदी का है : श्री प्रभु चावला

सम्पूर्ण मीडिया की प्रतिनिधि संस्था बने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया : प्रो. केजी सुरेश

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर पत्रकारिता विश्वविद्यालय में ‘मीडिया – कल, आज और कल’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन

भोपाल, 16 नवम्‍बर, 2021: भारत की मीडिया कभी सोने की चिड़िया थी, अब वह चांदी की हो गयी है, आने वाले समय में वह तांबे की होगी या उससे भी नीचे जाएगी, अभी कह नहीं सकते। यह विचार वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रभु चावला ने व्यक्त किये। उन्होंने राष्ट्रीय प्रेस दिवस के प्रसंग पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित कार्यक्रम ‘मीडिया – कल, आज और कल’ में विद्यार्थियों को ऑनलाइन संबोधित किया। वहीं, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति ने कहा कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के स्वरूप में परिवर्तन आवश्यक है। आज जब मीडिया का विस्तार हो चुका है तब इसे सम्पूर्ण मीडिया का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था का स्वरूप देना चाहिए।

मुख्य अतिथि श्री प्रभु चावला ने कहा कि पत्रकार ठीक है तो पत्रकारिता ठीक रहेगी। पत्रकारिता की स्थिति के लिए पत्रकार ही जिम्मेदार हैं। कुछ लोगों के कारण आज समूची पत्रकारिता को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज न्यूज़ से ज्यादा, नाटकीयता महत्वपूर्ण हो गई है। पांच डब्ल्यू और एक एच पत्रकारिता का आधार है। उन्होंने बताया कि आज की पत्रकारिता में एक महत्वपूर्ण आयाम जुड़ गया है- व्हाट नेक्स्ट (आगे क्या)। यानी कोई घटना हुई उसका आगे क्या प्रभाव पड़ेगा, यह भी पाठकों/दर्शकों को बताना है।

‘मीडिया – कल, आज और कल’ को स्पष्ट करते हुए श्री चावला ने कहा कि पहले समाचार बनने के बाद शीर्षक बनते थे लेकिन अब शीर्षक के आधार पर हम समाचार को तैयार करते हैं। उन्होंने कहा कि पहले का मीडिया विचारधारा को आगे बढ़ाने वाला था। एक विशेष वर्ग द्वारा संचालित होता था। पहले का मीडिया धरती से जुड़ा हुआ था। आज का मीडिया आसमान से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि आज की पत्रकारिता में फील्ड रिपोर्टिंग कम हो गयी है। आज हम दूसरों के बताई सूचना के आधार पर खबर बना रहे हैं। आज हम पकी-पकाई खबरों को परोस रहे हैं। पत्रकारिता बदनाम इसलिए हो रही है क्योंकि हम मेहनत करने से पीछे हटने लगे हैं। हमें देवर्षि नारद से प्रेरणा लेनी चाहिए। नारद जी प्रत्यक्ष जाकर समाचारों का संकलन करते थे और उसे वैसे का वैसा परोस देते थे। उन्होंने कहा कि किसी से डरो नहीं, किसी का पक्ष नहीं लो। श्री चावला ने कहा कि आने वाले समय में न्यूज़ को पूरी तरह प्रोडक्ट की तरह बेचा जाएगा। हालांकि यह काम कुछ हद तक अभी से शुरू हो चुका है।

पत्रकार की विचारधारा समाचारों पर हावी नहीं हो:

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि सामान्य व्यक्तियों की तरह पत्रकारों की भी कोई विचारधारा हो सकती है। इसमें कोई दिक्कत नहीं। लेकिन रिपोर्टिंग करते समय पत्रकार को अपनी विचारधारा से मुक्त रहना चाहिए। समाचार लेखन में हमें विचारों की घालमेल नहीं करना चाहिए। हाँ, लेख लिखते समय आप किसी मुद्दे/घटना पर अपने विचार लिख सकते हैं। समाचार में तथ्यों की शुचिता का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपनी मीडिया की जो कमियां हैं, वे हमें ही सुधारनी होंगी, उन्हें बाहर का कोई व्यक्ति नहीं सुधार सकता। इसके साथ ही कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि आज समय आ गया है कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया सम्पूर्ण मीडिया के लिए जिम्मेदार हो। मीडिया को जिम्मेदार बनाने के लिए उसके पास कुछ अधिकार भी हों। उसके स्वरूप को अधिक पारदर्शी, जवाबदेही और सक्षम बनाया जाए। इस अवसर श्री प्रभु चावला ने विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया।

शोध पत्रिका ‘मीडिया मीमांसा’ के नये अंक का विमोचन:

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की शोध पत्रिका ‘मीडिया मीमांसा’ के नये अंक का भी विमोचन किया गया। मीडिया मीमांसा का नया अंक स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के सन्दर्भ में ‘भारत@75 : मीडिया एवं जनसंचार के बदलते आयाम’ थीम पर केन्द्रित रहा। इसका आगामी अंक ‘भारतीय सिनेमा और स्वतंत्रता के 75 वर्ष’ पर केन्द्रित है। कार्यक्रम का संचालन एवं समन्वय जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ. आशीष जोशी ने और आभार ज्ञापन कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में ‘मामाजी माणिकचंद्र वाजपेयी सभागार’ में शिक्षक, अधिकारी एवं विद्यार्थी भी उपस्थित रहे।

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स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा था ‘भारत का स्वत्व’ : श्री जे. नंदकुमार

स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा था ‘भारत का स्वत्व’ : श्री जे. नंदकुमार

गलतियां नहीं दोहरानी तो इतिहास याद रखें : प्रो. केजी सुरेश

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘स्वतंत्रता आंदोलन एवं भारतीय दृष्टिकोण’ पर विशेष व्याख्यान का आयोजन

भोपाल, 09 नवम्‍बर, 2021: औपनिवेशिक मानसिकता के लेखकों ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को राजनीति तक सीमित करके प्रस्तुत किया है जबकि स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा ‘भारत का स्वत्व’ था। इस ‘स्व’ को जगाने के लिए हमारे स्वतंत्रतासेनानी बहुआयामी स्तर पर प्रयास कर रहे थे। यह विचार प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक श्री जे. नंदकुमार ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में आयोजित विशेष व्याख्यान में व्यक्त किए। ‘स्वतंत्रता आंदोलन एवं भारतीय दृष्टिकोण’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन विश्वविद्यालय स्तर पर गठित अमृत महोत्सव आयोजन समिति की ओर से किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने की।

लेखक एवं चिंतक श्री जे. नंदकुमार ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के संबंध में अनेक भ्रम स्थापित करने के प्रयास किए गए हैं। ब्रिटिश और औपनिवेशिक मानसिकता के लेखकों ने यह स्थापित करने का प्रयास किया कि भारत का स्वतंत्रता आंदोलन केवल उत्तर भारत तक सीमित था। यह अंग्रेजी पढ़े-लिखे तथाकथित उच्च वर्ग का आंदोलन था। यही कारण रहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने वाले अनेक स्वतंत्रतासेनानियों एवं उनके आंदोलनों को जानबूझकर जबरन दबाया गया है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को शोध करके भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के नये तथ्यों को समाज के सामने लाना चाहिए। श्री नंदकुमार ने अपने उद्बोधन में पूर्वोत्तर, दक्षिण भारत और शेष अन्य भारत में चलाए गए आंदोलनों और उसमें शामिल हुए नायकों का उल्लेख करके बताया कि भारत की स्वतंत्रता में समूचा देश और सब प्रकार के नागरिक एक भाव के साथ शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि हम सदैव याद रखें कि हम जो सांस लेते हैं, उस हवा में वीर सावरकर, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, सरदार भगत सिंह, प्रफुल्ल चाको और ऊधम सिंह जैसे अनेक नायकों के खून, पसीने और आंसुओं के कण भी शामिल हैं।

शोध की दिशा का आधार हो भारत का स्वत्व:

श्री नंदकुमार ने कहा कि भारत का गहन अध्ययन करके महर्षि अरविंद ने बताया है कि स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा अध्यात्म और भारतीय मूल्य थे। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सत्ता बहुआयामी स्तर पर अपनी व्यवस्था को थोपने का कार्य कर रही थी। नाटकों में अभिव्यक्त होने वाली देशभक्ति को रोकने के लिए अंग्रेजों ने थियेटर एक्ट बनाया। मणिपुर और मोहिनी अट्टम नृत्य तक पर प्रतिबंध लगा दिया था। यही कारण है कि भारत के स्वतंत्रतासेनानी न केवल राजनीतिक क्षेत्र में अपितु शिक्षा, संस्कृति, कला, कृषि, उद्योग और विज्ञान इत्यादि क्षेत्रों में भारत के स्वत्व को जगाने का प्रयास कर रहे थे। इसलिए हमारे शोध की दिशा भारत के स्वत्व के आधार पर होनी चाहिए।

गलतियां नहीं दोहरानी तो इतिहास याद रखें : प्रो. केजी सुरेश

कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि इतिहास को याद रखने का बहुत महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इतिहास भूल जाते हैं, वे इतिहास की गलतियों को दोहराते हैं। यदि हमें अपनी गलतियों को दोहराना नहीं है तो हमें अपना इतिहास याद रखना चाहिए। इतिहास गलतियों से सीखकर आगे बढऩे की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि भारत का स्वतंत्रता आंदोलन एक जनांदोलन था। कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत विश्वविद्यालय ने एक समिति का गठन किया है। हमारा उद्देश्य है कि उन लोगों को सामने लाया जाए, जिनके बारे में हम अधिक नहीं जानते हैं। इससे पूर्व विषय का प्रतिपादन करते हुए समिति के अध्यक्ष प्रो. श्रीकांत सिंह ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास लिखने में तथ्यों के साथ मिलावट की गई है। ज्यादातर लेखन अंग्रेजियत के दृष्टिकोण से किया गया है। वर्तमान समय में आवश्यकता है कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को भारतीय दृष्टिकोण से लिखा जाए। कार्यक्रम का संचालन डीन अकादमिक प्रो. पी. शशिकला ने और आभार ज्ञापन कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्राध्यापक एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।

स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा था ‘भारत का स्वत्व’ : श्री जे. नंदकुमार गलतियां नहीं दोहरानी तो इतिहास याद रखें : प्रो. केजी सुरेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘स्वतंत्रता आंदोलन एवं भारतीय दृष्टिकोण’ पर विशेष व्याख्यान का आयोजन भोपाल, 09 नवम्‍बर, 2021: औपनिवेशिक मानसिकता के लेखकों ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को…

मनुष्य की बायोलॉजिकल आवश्यकता है ‘संवाद’ : प्रो. बी.के. कुठियाला

मनुष्य की बायोलॉजिकल आवश्यकता है ‘संवाद’ : प्रो. बी.के. कुठियाला

समाजोन्मुखी हो संचार व्यवस्था : प्रो. केजी सुरेश

‘अहम् ब्रह्मास्मि’ की घोषणा को भी स्वीकार करती है भारतीय संवाद परंपरा : श्री विजय मनोहर तिवारी

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता : भारतीय दृष्टि’ पर संगोष्ठी का आयोजन एवं पुस्तक ‘संवाद का स्वराज’ का विमोचन

भोपाल, 26 अक्‍टूबर, 2021: कोरोना महामारी ने बता दिया है कि सिर्फ रोटी, कपड़ा और मकान ही मनुष्य की आधारभूत आवश्यकताएं नहीं हैं। भोजन और प्रजनन के साथ ही संवाद भी मानव की बायोलॉजिकल आवश्यकता है। बिना संवाद के मनुष्य का जीवन संभव नहीं है। यह विचार हरियाणा उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. बी.के. कुठियाला ने व्यक्त किए। वे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता : भारतीय दृष्टि’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए। इस अवसर पर उनकी पुस्तक ‘संवाद का स्वराज’ का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में राज्य सूचना आयुक्त श्री विजय मनोहर तिवारी उपस्थित रहे और अध्यक्षता कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने की।

‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और भारतीय दृष्टि’ पर अपने विचार रखते हुए उन्होंने भारतीय वांग्मय के प्रसंग बताए। उन्होंने कहा कि देवर्षि नारद जब महाराज युधिष्ठिर के दरबार में गए तब उन्होंने उत्तर की अपेक्षा किए बिना ही 133 प्रश्न पूछे। इन प्रश्नों में सुशासन के सूत्र हैं। प्रश्न यह है कि एक राजा से प्रश्न पूछने का अधिकार देवर्षि नारद को किसने दिया? जबकि उस समय तो कोई सूचना का अधिकार कानून भी नहीं था। इसी तरह जब श्रीकृष्ण ने मृत्युलोक को छोडऩे का निश्चय किया तब उनके मित्र उद्धव ने अनेक प्रश्न किए। इन प्रश्नों के उत्तर से पता चलता है कि जीवन कैसा होना चाहिए। श्री कृष्ण से प्रश्न करने का अधिकार उद्धव को किसने दिया? यह प्रश्न-उत्तर लोक कल्याण की भावना से पूछे गए। संवाद के प्रति भारतीय दृष्टि लोक कल्याण की है। प्रो. कुठियाला ने बताया कि श्रीमद् भगवत गीता के अनुसार भारतीय दृष्टि में संवाद में अधिकार की भावना से अधिक मर्यादा की बात है। समाज को लाभ पहुँचाना ही वाणी का तप है।

संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि श्री विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि सामान्य तौर पर हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को संवैधानिक अधिकारों तक सीमित करके देखते हैं। जबकि अभिव्यक्ति के प्रति भारत की दृष्टि बहुत व्यापक है। विश्व में भारत ही इकलौता देश है जहाँ ‘अहम् ब्रह्मास्मि’ की घोषणा की जाती है और उसकी स्वीकार्यता भी है। आत्मा भी ब्रह्म है और ज्ञान भी ब्रह्म। जो ब्रह्म मेरे भीतर है, वही तुम्हारे भीतर। भारत के लोगों ने इस अभिव्यक्ति को पेड़ों, नदियों और पर्वतों तक में किया है। श्री तिवारी ने कहा कि भारत में ऐसी घोषणाएं करने वालों के विरुद्ध कभी फतवा जारी नहीं किया गया। भारतीय दर्शन सब प्रकार के विचारों के पाचन का सामथ्र्य रखता है।

 संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने जम्मू-कश्मीर के चुनावों की रिपोर्टिंग का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारी अभिव्यक्ति में भारत के लोकतंत्र की जीत होनी चाहिए। जबकि देखने में आता है कि जम्मू-कश्मीर का प्रकरण हो, कुलभूषण जाधव का प्रकरण हो या फिर सर्जिकल स्ट्राइक, भारत के कुछ मीडिया संस्थानों ने भारत के प्रतिकूल रिपोर्टिंग की। कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि हमें संवाद पर पश्चिम के दृष्टिकोण को पढऩे के साथ ही भारत की संचार परंपरा का भी गंभीरता से अध्ययन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दादा माखनलाल चतुर्वेदी की पत्रकारिता एवं साहित्य में हमें भारतीय दृष्टि दिखाई देती है। शिकागो में स्वामी विवेकानंद का ऐतिहासिक व्याख्यान संवाद की भारतीय परंपरा का एक अनूठा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि हम लोकतंत्र एवं देश के हित में समाजोन्मुखी संचार व्यवस्था का निर्माण करें।

इससे पूर्व विषय का प्रतिपादन करते हुए विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक एवं कार्यक्रम के संचालक श्री लोकेन्द्र सिंह ने कहा कि हमारी परंपरा में है ‘संवाद का स्वराज’। यह संवाद ही तो है जो समाज को दिशा देता है। हमारे ग्रंथ क्या हैं? संवाद से उपजे दर्शन। एक ने प्रश्न पूछे और दूसरे ने उनके उत्तर दिए और दर्शन की उत्पत्ति हो गई। उन्होंने कहा कि संवाद का उद्देश्य समाधान होना चाहिए। लोक हित होना चाहिए। नये ज्ञान का सृजन होना चाहिए। लेकिन बाह्य विचारों के प्रभाव में आकर संवाद की यह परम्परा अपना हेतु खो बैठी है। उद्देश्यविहीन हो गई है। इस अवसर पर विमोचित पुस्तक ‘संवाद का स्वराज’ की संक्षिप्त जानकारी शोधार्थी अमरेन्द्र आर्य ने दी। स्वागत उद्बोधन डीन अकादमिक प्रो. पी. शशिकला ने दिया। आभार प्रदर्शन कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने किया।

कार्यक्रम में भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जयंत सोनवलकर, सांची विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीरजा गुप्ता, अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. खेम सिंह डहेरिया, शुल्क विनियामक आयोग के अध्यक्ष प्रो. रवीन्द्र कान्हेरे, एलएनसीटी के कुलपति प्रो. नरेन्द्र थापक, आरकेडीएफ के कुलपति डॉ. एसके सोहनी एवं आईसेक्ट के प्रतिकुलपति प्रो. अमिताभ सक्सेना सहित अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिव एवं अन्य अधिकारीगण सहित शहर के गणमान्य नागरिक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

मनुष्य की बायोलॉजिकल आवश्यकता है ‘संवाद’ : प्रो. बी.के. कुठियाला समाजोन्मुखी हो संचार व्यवस्था : प्रो. केजी सुरेश ‘अहम् ब्रह्मास्मि’ की घोषणा को भी स्वीकार करती है भारतीय संवाद परंपरा : श्री विजय मनोहर तिवारी माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता : भारतीय दृष्टि’ पर संगोष्ठी का आयोजन एवं पुस्तक…

युवाओं को समाज के प्रति संवेदनशील बनाती है एनएसएस : प्रो. केजी सुरेश

युवाओं को समाज के प्रति संवेदनशील बनाती है एनएसएस : प्रो. केजी सुरेश

एनएसएस में युवाओं का होता है व्यक्तित्व विकास : श्री राहुल सिंह परिहार

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई के नवागत विद्यार्थियों के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम का आयोजन

भोपाल, 25 अक्‍टूबर, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में सोमवार को राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई ने नवागत विद्यार्थियों के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि एनएसएस के कार्यकर्ताओं ने कोरोना महामारी में ज़मीन पर उतर कर समाजसेवा एवं जागरूकता के कार्य किये। एमसीयू में अब विद्यार्थी एनएसएस और एनसीसी को ‘जनरल इलेक्टिव पाठ्यक्रम’ के रूप में पढ़ भी सकेंगे। वहीं, बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय के एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी श्री राहुल सिंह परिहार एवं डॉ. अनंत सक्सेना ने विद्यार्थियों के एनएसएस की जानकारी दी।

अभिविन्यास कार्यक्रम में मुख्य वक्ता श्री राहुल सिंह परिहार ने कहा कि एनएसएस के माध्यम से युवाओं का सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास होता है। वहीं, मुख्य अतिथि डॉ. अनंत सक्सेना ने कहा कि एनएसएस से जुड़े विद्यार्थियों ने लॉकडाउन एवं कोरोनाकाल में बड़े स्तर पर लोगों की सहायता की है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि एनएसएस और एनसीसी की गतिविधियाँ युवाओं को समाज के प्रति संवेदनशील बनाती हैं। अब तक यह गतिविधियाँ को-करिकुलम एक्टिविटी में आती थीं लेकिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप अब इन्हें पाठ्यक्रम के रूप में लिया जा सकेगा। एमसीयू ने अपने नये पाठ्यक्रमों में एनएसएस और एनसीसी को ‘जनरल इलेक्टिव’ पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय की एनएसएस इकाई से जुड़े विद्यार्थियों को सक्रिय सहभागिता के लिए स्मृति चिन्ह दिए गए, जिनमें प्रवीण कुशवाह, अभिषेक द्विवेदी, प्रतीक मिश्रा, विधि सिंह और सौरभ चौकसे शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन विद्यार्थी हिमानी उपाध्याय ने किया जबकि आभार प्रदर्शन एवं समन्वयन एमसीयू के एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ. गजेंद्र सिंह अवास्या ने किया।

युवाओं को समाज के प्रति संवेदनशील बनाती है एनएसएस : प्रो. केजी सुरेश एनएसएस में युवाओं का होता है व्यक्तित्व विकास : श्री राहुल सिंह परिहार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई के नवागत विद्यार्थियों के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम का आयोजन भोपाल, 25 अक्‍टूबर, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय…

परिवार के साथ देखने वाली फिल्म बनाएं: कुलपति प्रो. केजी सुरेश

परिवार के साथ देखने वाली फिल्म बनाएं: कुलपति प्रो. केजी सुरेश

मेरठ में आयोजित नवांकुर लघु फिल्म महोत्सव को बतौर मुख्य अतिथि किया संबोधित, फरवरी-2022 में भोपाल में आयोजित हो रहा है चित्र भारतीय राष्ट्रीय लघु फिल्म फेस्टिवल

भोपाल/मेरठ, 23 अक्‍टूबर, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने मेरठ में आयोजित नवांकुर लघु फिल्म फेस्टिवल में कहा कि फिल्म निर्माताओं को साहित्य और समाज का अध्ययनकर ऐसी फिल्मों का निर्माण करना चाहिए, जिन्हें परिवार के साथ बैठकर देखा जा सके। फिल्म फेस्टिवल नये फिल्म निर्माताओं के लिए अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के बड़े अवसर होते हैं। प्रो. सुरेश ने कहा कि चित्र भारती की ओर से मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 18, 19 और 20 फरवरी, 2022 को ‘चित्र भारती राष्ट्रीय लघु फिल्म फेस्टिवल’ का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रतिष्ठित आयोजन में अपनी फ़िल्में भेजने की अंतिम तिथि 30 नवम्बर है। युवाओं को अधिक से अधिक संख्या में इस आयोजन में सहभागिता करनी चाहिए।

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग और मेरठ चलचित्र सोसाइटी की ओर से आयोजित नवांकुर फिल्म फेस्टिवल में एमसीयू के कुलपति प्रो. केजी सुरेश बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हर निर्माता का उद्देश्य फिल्म को अच्छा बनाना ही होता है। आजकल मोबाइल फ़ोन के माध्यम से भी फिल्म बनाई जा सकती है। लेकिन इसके लिए अध्ययनशीलता बनाए रखें। अगर अध्ययन और रचनात्मकता नहीं है तो फिल्म बनाने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि इतिहास को पढ़ना जरूरी है, फिल्मों में इतिहास को तोडमरोडकर पेश किया जाता है।

पत्रकारिता का साहित्य से नाता टूटा:

कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा पत्रकारिता का साहित्य से नाता टूट गया है। पत्रकारिता का स्तर गिरा है, साहित्य के बिना पत्रकारिता अधूरी है। पत्रकारिता को साहित्य से नाता जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के संस्कारों में बदलाव आया है, पत्रकारिता में अब उन्माद, आक्रमकता आ गई है। संयम, संवेदनशीलता एवं सौहार्द की भाषा ही पत्रकारिता है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने विश्वगुरु का मार्ग प्रशस्त किया:

कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने विश्वगुरु का मार्ग प्रशस्त किया है। हम परीक्षा देने के लिए न पढ़ें बल्कि जीवन के जिए पढ़ें। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर समय खराब करने से अच्छा है कि कहानी और जीवनी पढ़ें। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि धमेंद्र भारद्वाज एमआईटी ग्रुप ऑफ़ कॉलेज के चेयरमैन ने कहा कि समाज में सकारात्मक संदेश देने के लिए अच्छे विषयों पर फिल्म बननी चाहिए और इस प्रकार के प्लेटफार्म पर इनको प्रोत्साहन मिलना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेंद्र कुमार तनेजा ने की। निर्णायक भूमिका में नीता गुप्ता, सुमंत डोगरा व डा. दिशा दिनेश रही। पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के निदेशक प्रो. प्रशांत कुमार ने सभी का स्वागत किया। मेरठ चलचित्र सोसाईटी के अजय मित्तल ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

परिवार के साथ देखने वाली फिल्म बनाएं: कुलपति प्रो. केजी सुरेश मेरठ में आयोजित नवांकुर लघु फिल्म महोत्सव को बतौर मुख्य अतिथि किया संबोधित, फरवरी-2022 में भोपाल में आयोजित हो रहा है चित्र भारतीय राष्ट्रीय लघु फिल्म फेस्टिवल भोपाल/मेरठ, 23 अक्‍टूबर, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने…

पत्रकारिता एवं संचार के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शोध को देंगे बढ़ावा : प्रो. केजी सुरेश

पत्रकारिता एवं संचार के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शोध को देंगे बढ़ावा : प्रो. केजी सुरेश

एमसीयू और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के बीच एमओयू

भोपाल, 22 अक्टूबर, 2021: तिलक स्कूल ऑफ़ मास कम्युनिकेशन, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के मध्य 22 अक्टूबर, 2021 को एक एमओयू हुआ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) में आयोजित कार्यक्रम में इस एमओयू पर एमसीयू के कुलपति प्रो. केजी सुरेश और सीसीएसयू के कुलपति प्रो. नरेन्द्र कुमार तनेजा ने हस्ताक्षर किये। कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि दोनों विश्वविद्यालय पत्रकारिता एवं संचार के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शोध को बढ़ावा देंगे और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में सहयोग करेंगे।

कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के बीच जो एमओयू साइन हुआ है, इससे दोनों को ही लाभ मिलेगा। दोनों विश्वविद्यालय शोधकार्य को बढ़ावा देंगे। वहीं, सीसीएसयू के कुलपति प्रो. नरेंद्र कुमार तनेजा ने कहा कि इस प्रकार के एमओयू अन्य विभागों को भी करने चाहिए। एक दूसरों की अच्छाईयों को ग्रहण करते हुए आगे बढ़ने का काम करना चाहिए। एमओयू होने के बाद सीसीएसयू की प्रति कुलपति प्रो. वाई विमला ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर सीसीएसयू के कुलसचिव धीरेंद्र कुमार वर्मा और पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के निदेशक प्रो. प्रशांत कुमार मौजूद रहे।

पत्रकारिता एवं संचार के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शोध को देंगे बढ़ावा : प्रो. केजी सुरेश एमसीयू और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के बीच एमओयू भोपाल, 22 अक्टूबर, 2021: तिलक स्कूल ऑफ़ मास कम्युनिकेशन, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के मध्य 22 अक्टूबर, 2021 को एक…

युवाओं को नशे की गिरफ्त से बचा सकता है मीडिया : श्री पराग चतुर्वेदी

युवाओं को नशे की गिरफ्त से बचा सकता है मीडिया  : श्री पराग चतुर्वेदी

नशाखोरी रोकने का स्थायी समाधान है जन-जागरूकता : प्रो. केजी सुरेश

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘भारत में मादक पदार्थों का दुरूपयोग और युवाओं की संवेदनशीलता’ पर विशेष व्याख्यान

भोपाल, 13 अक्‍टूबर, 2021: सशस्त्र सीमा बल के सेकण्ड इन कमांड श्री पराग चतुर्वेदी ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि युवाओं को नशे की गिरफ्त से दूर रखने में मीडिया बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रिंट मीडिया ने नशे के खतरों पर कई कवर स्टोरी करके समाज को जागरूक करने का काम किया है। ‘भारत में मादक पदार्थों का दुरूपयोग और युवाओं की संवेदनशीलता’ विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि नशे की बढ़ती समस्या का स्थायी समाधान जन-जागरूकता से ही आ सकता है और इसमें पत्रकारिता की महती भूमिका है।

पत्रकारिता एवं संचार के विद्यार्थियों से संवाद करते हुए मुख्य वक्ता श्री पराग चतुर्वेदी ने बताया कि राजस्थान, उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश के कुछ जिलों में लाइसेंस के आधार पर अफीम का उत्पादन किया जाता है जबकि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, बिहार, बंगाल, मणिपुर, कर्नाटक इत्यादि में गैर-कानूनी ढंग से अफीम का उत्पादन हो रहा है। इससे घातक मादक पदार्थ बनाकर युवाओं तक पहुँचाया जा रहा है। नशे का यह कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा है। सरकारी संस्थाएं इसे रोकने के लिए यथासंभव प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया इस विषय पर जन-जागरूकता के समाचार, लेख प्रकाशित करे तो और अधिक प्रभावी परिणाम प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि हम अपने लेख और समाचार के माध्यम से किसी एक बच्चे को भी नशे की लत से बचा पाए तो यह हमारी उपलब्धि होगी। सशस्त्र सीमा बल में सेकण्ड इन कमांड श्री चतुर्वेदी ने कहा कि युवा जब नशे के आदी हो जाते हैं, तो अपने परिवार की स्थिति को भूल जाता है। वह भूल जाता है कि उसके पिता ने किन कठिनाईयों से पैसा कमाकर उसको पढ़ने भेजा है। नशे की पूर्ति के लिए व्यक्ति अपराध की दिशा में भी आगे बढ़ जाता है।

नशे के विरुद्ध सोशल मीडिया पर लिखें पत्रकारिता के विद्यार्थी : कुलपति प्रो. सुरेश

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि नशे के कारण समाज में अनेक दुष्परिणाम दिखाई दे रहें हैं। परिवार टूट रहे हैं। महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहे हैं। विभिन्न प्रकार का अपराध भी बढ़ रहा है। भविष्य के भारत के लिए युवाओं को नशे से बचाना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के विद्यार्थी अपने ब्लॉग और अन्य सोशल मीडिया माध्यमों पर नशे के विरुद्ध लिख कर समाज को जागरूक कर सकते हैं। नशे को रोकने की जिम्मेदारी कानून व्यवस्था की तो है ही, लेकिन यह समाज जागरण का भी काम है। नशे की गिरफ्त से युवाओं को बचाने के लिए समाज को जागरूक करना बहुत आवश्यक है। नशे की प्रवृत्ति को रोकने का स्थायी उपाय जन-जागरूकता है।

विषय प्रवर्तन करते हुए पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष डॉ. राखी तिवारी ने कहा कि मादक पदार्थों के सेवन से न केवल व्यक्ति का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ता है अपितु परिवार भी बिखर जाता है। नशे की आदत को सामाजिक और आर्थिक तौर पर भी देखा जा रहा है। शिक्षा व्यवस्था को इस दिशा में आगे आकर काम करना चाहिए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की एनसीसी इकाई के समन्वयक लेफ्टिनेंट मुकेश चौरासे ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन एनसीसी की कैडेट चैताली पाटिल और आभार ज्ञापन कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने किया।

युवाओं को नशे की गिरफ्त से बचा सकता है मीडिया  : श्री पराग चतुर्वेदी नशाखोरी रोकने का स्थायी समाधान है जन-जागरूकता : प्रो. केजी सुरेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘भारत में मादक पदार्थों का दुरूपयोग और युवाओं की संवेदनशीलता’ पर विशेष व्याख्यान भोपाल, 13 अक्‍टूबर, 2021: सशस्त्र सीमा बल के सेकण्ड…

साहित्य के बिना पत्रकारिता संस्कारविहीन : प्रो. केजी सुरेश

साहित्य के बिना पत्रकारिता संस्कारविहीन : प्रो. केजी सुरेश

पटना, 11 अक्‍टूबर, 2021: पत्रकारिता में उन्माद, विद्वेष का कोई स्थान नहीं है। पत्रकारिता की भाषा संयम और संस्कार की भाषा होनी चाहिए, जिसमें पत्रकारिता को साहित्य से अपने टूटे रिश्ते को फिर से जोड़ना होगा। साहित्य के बिना पत्रकारिता संस्कारविहीन है। ‘पत्रकारिता और साहित्य’ विषय पर यह विचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने व्यक्त किये। व्याख्यान का आयोजन पटना विश्वविद्यालय के हिन्दी एवं पत्रकारिता विभाग के संयुक्त तत्वावधान आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. तरुण कुमार ने की। उल्लेखनीय है कि यह वर्ष दादा माखनलाल चतुर्वेदी की कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ का शताब्दी वर्ष है। एमसीयू इस वर्ष साहित्य और पत्रकारिता के विमर्श को देशभर में चला रहा है।

कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने आज की पत्रकारिता की भाषा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि समाज का विश्वास बनाए रखना आज पत्रकारिता के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि आज सबकुछ संशय के घेरे में है। सच दिखाने के नाम पर जैसी भाषा में जैसी चीजें दिखाई जा रही हैं, वह कई बार किसी सभ्य समाज से बाहर की चीज लगती है। आज जो मीडिया में प्रतिबिंबित हो रहा है, वह क्या भारतीय समाज का सत्य है। इस पर विचार किए जाने की जरूरत है।

पटना विश्वविद्यालय के हिन्दी एवं पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्रो. सुरेश ने कहा कि आज नए सिरे से पाठकों-दर्शकों की सच्ची रुचियों को ध्यान में रखने की आवश्यकता है और उनके भाषिक एवं सामाजिक-सांस्कृतिक सरोकारों को जनोन्मुख बनाने की भी आवश्यकता है। पहले से ही दर्शकों-श्रोताओं की रुचियों को निर्धारित करना सही नहीं है। इस अवसर पर पटना कॉलेज की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. कुमारी विभा, शिक्षक डॉ. मार्तण्ड प्रगल्भ, डॉ. पीयूष राज, डॉ. गौतम कुमार, प्रशांत रंजन समेत हिन्दी एवं जनसंचार विभाग के स्नातक एवं स्नातकोत्तर के विद्यार्थी उपस्थित थे।

साहित्य के बिना पत्रकारिता संस्कारविहीन : प्रो. केजी सुरेश पटना, 11 अक्‍टूबर, 2021: पत्रकारिता में उन्माद, विद्वेष का कोई स्थान नहीं है। पत्रकारिता की भाषा संयम और संस्कार की भाषा होनी चाहिए, जिसमें पत्रकारिता को साहित्य से अपने टूटे रिश्ते को फिर से जोड़ना होगा। साहित्य के बिना पत्रकारिता संस्कारविहीन है। ‘पत्रकारिता और साहित्य’ विषय…

सीईसी का संबद्ध सदस्य होगा एमसीयू

सीईसी का संबद्ध सदस्य होगा एमसीयू

शैक्षिक संचार संघ और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के बीच एमओयू

भोपाल, 06 अक्‍टूबर, 2021: एशिया के पहले पत्रकारिता विश्वविद्यालय माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय, भोपाल ने आज उच्च शिक्षा स्तर पर शिक्षण और सीखने की प्रथाओं को सुविधाजनक बनाने और मल्टीमीडिया शैक्षिक सामग्री विकसित करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अंतर विश्वविद्यालय संगठन शैक्षिक संचार संघ के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए। एमओयू पर कुलपति प्रो. केजी सुरेश और निदेशक, सीईसी प्रो. जेबी नड्डा ने हस्ताक्षर किए। इससे अब पत्रकारिता विश्वविद्यालय सीईसी का संबद्ध सदस्य बन जाएगा।

एमओयू के तहत विश्वविद्यालय अपने शिक्षाविदों/शिक्षकों को एमओओसीएस, सीईसी प्लेटफॉर्म के लिए डिजिटल सामग्री विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। शैक्षिक संस्थानों को दी जाने वाली डिजिटल सामग्री के अलावा एमओयू में मल्टीमीडिया सामग्री विकास के लिए कार्यशाला और प्रशिक्षण कार्यक्रम, क्षमता निर्माण की भी परिकल्पना की गई है। विशिष्ट ज्ञान क्षेत्रों में डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रदान करने और प्रमाणित करने के लिए संयुक्त रूप से समूहीकृत एमओओसी पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए भी कार्य करेगा

इस अवसर पर प्रो. नड्डा ने कहा कि दो संस्थानों के बीच तालमेल व्यापक शैक्षणिक समुदाय के लिए फायदेमंद साबित होगा। वहीं कुलपति प्रो. सुरेश ने एमओयू को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में मील का पत्थर बताया।

सीईसी का संबद्ध सदस्य होगा एमसीयू शैक्षिक संचार संघ और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के बीच एमओयू भोपाल, 06 अक्‍टूबर, 2021: एशिया के पहले पत्रकारिता विश्वविद्यालय माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय, भोपाल ने आज उच्च शिक्षा स्तर पर शिक्षण और सीखने की प्रथाओं को सुविधाजनक बनाने और मल्टीमीडिया शैक्षिक सामग्री विकसित…