पत्रकारिता विश्वविद्यालय में नए सत्र 2021-22 के लिए प्रवेश अधिसूचना जारी

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में नए सत्र 2021-22 के लिए प्रवेश अधिसूचना जारी

7 पाठ्यक्रम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप होंगे

फिल्म और ग्रामीण पत्रकारिता में दो नए पी.जी. डिप्लोमा प्रारंभ

भोपाल, 07 जून, 2021: एशिया के पहले पत्रकारिता शिक्षा विश्वविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय आगामी नए शैक्षणिक सत्र 2021-22 से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने की पहल कर रहा है। सोमवार को विश्वविद्यालय द्वारा अपने विभिन्न परिसरों के 29 पाठ्यक्रमों में प्रवेश की अधिसूचना जारी कर दी गई है, जिसके अनुसार 31 जुलाई तक ऑनलाइन आवेदन किए जा सकते हैं। आगामी शिक्षा सत्र से 3/4 वर्षीय सात ग्रेजुएट ऑनर्स पाठ्यक्रम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप होंगे, जबकि फिल्म और ग्रामीण पत्रकारिता में दो नए पी.जी. डिप्लोमा भी शुरू किए गए हैं।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश ने कहा है कि विश्वविद्यालय के नए सत्र 2021-22 में सात पाठ्यक्रमों को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के अनुसार तैयार किया गया है, इन पाठ्यक्रमों में विद्यार्थियों को मल्टीपल एग्जिट – एंट्री सिस्टम सहित अन्य प्रावधानों की सुविधा मिलेगी। आगे हम नई शिक्षा नीति को पूर्ण रूप से लागू करेंगे।

विश्वविद्यालय द्वारा पत्रकारिता, जनसंचार, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, न्यू मीडिया, फिल्म प्रोडक्शन, विज्ञापन एवं जनसंपर्क, मीडिया मैनेजमेंट, कंप्यूटर साइंस एवं एप्लीकेशन तथा लाइब्रेरी एवं इंफॉर्मेशन साइंस से संबंधित डिप्लोमा, डिग्री एवं रिसर्च के 29 पाठ्यक्रमों के लिए भोपाल, रीवा तथा खंडवा परिसर में प्रवेश की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। आगामी शिक्षा सत्र से विश्वविद्यालय अपने खंडवा परिसर में फिल्म अभिनेता किशोर कुमार की स्मृति में फिल्म पत्रकारिता तथा रीवा परिसर में ग्रामीण पत्रकारिता में एक वर्षीय पी.जी. डिप्लोमा भी शुरू कर रहा है।

सभी पाठ्यक्रमों की सीमित सीटों के लिए मेरिट आधार पर होने वाले प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है, जबकि प्रथम चयन सूची 12 अगस्त को जारी की जाएगी। विस्तृत जानकारी विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.mcu.ac.in से प्राप्त की जा सकती है।

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में नए सत्र 2021-22 के लिए प्रवेश अधिसूचना जारी 7 पाठ्यक्रम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप होंगे फिल्म और ग्रामीण पत्रकारिता में दो नए पी.जी. डिप्लोमा प्रारंभ भोपाल, 07 जून, 2021: एशिया के पहले पत्रकारिता शिक्षा विश्वविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय आगामी नए शैक्षणिक सत्र 2021-22 से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति…

भारत में भगवान मंदिरों में नहीं प्रकृति में विद्यमान थे – डॉ राजेंद्र सिंह

भारत में भगवान मंदिरों में नहीं प्रकृति में विद्यमान थे – डॉ राजेंद्र सिंह

पर्यावरण संरक्षण के लिए सस्टेनेबल डेवलपमेंट ही उपाय है – सुरेश श्रीवास्तव

पर्यावरण संरक्षण में युवा पत्रकार समाज में चेतना लाएं – प्रो. केजी सुरेश

पर्यावरण सुधार के लिए तपस्या और जुनून चाहिए – दीपक पर्वतयार

भोपाल, 05 जून, 2021: भारत का जो परंपरागत ज्ञान इंडीजीनियस है, पहले भारत का भगवान मंदिरों में नहीं प्रकृति में विद्यमान था। हमारी संस्कृति दोहन की रही है लेकिन नई शिक्षा पद्धति ने उसे शोषण की प्रवृत्ति में बदल दिया है, जिसके कारण पृथ्वी पर पर्यावरणीय संकट पैदा हुआ। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर यह बात देश के जाने माने पर्यावरणविद और जल संरक्षक डॉ. राजेंद्र सिंह ने ऑनलाइन संबोधन में कही।

शनिवार को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ने इंडियन फेडरेशन ऑफ यूनाइटेड नेशंस एसोसिएशन दिल्ली के साथ मिलकर ‘जल संरक्षण, पर्यावरण और युवा’ विषय पर विशेष उद्बोधन का आयोजन किया।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ राजेंद्र सिंह ने कहा कि दुनिया के कई हिस्सों में पानी खत्म हो रहा है और लोग बेघर हो शरणार्थी बन रहे हैं। यह इकोलॉजिकल डिजास्टर चूंकि मनुष्य के लालची विकास का ही परिणाम है। इसलिए मनुष्य को ही सुधार की पहल करनी होगी। उन्होंने कहा कि साधारण भाषा में जिसे जलवायु चक्र की गड़बड़ी कहा जाता है उसे मैं धरती का बीमार होना कहता हूं, जिसके इलाज की आवश्यकता है। डॉक्टर राजेंद्र सिंह ने पीपीटी के माध्यम से उनके द्वारा अपनाए गए परंपरागत भारतीय जल संरक्षण मॉडल की सक्सेस स्टोरीज को समझाया।

इससे पूर्व स्वागत उद्बोधन में इंडियन फेडरेशन ऑफ यूनाइटेड नेशंस एसोसिएशन नई दिल्ली के महासचिव श्री सुरेश श्रीवास्तव ने कहा कि पारिस्थितिकीय संतुलन धरती के लिए आवश्यक है, सस्टेनेबल डेवलपमेंट के बिना पर्यावरण संरक्षण नहीं हो सकता। उन्होंने बताया कि 1992 में ब्राजील में हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के बाद ही दुनिया में पर्यावरण के प्रति चिंता गंभीर विषय बना। 

अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो के.जी. सुरेश ने कहा कि पर्यावरण सामाजिक सरोकार और पर्यावरण संरक्षण में युवा पत्रकार बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा तैयार किये गए समाचार पत्र ‘संज्ञान’ का ऑनलाइन विमोचन करते हुए उन्होंने कहा कि समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता जाने में पत्रकारिता एक प्रभावी माध्यम है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय सामाजिक सरोकारों के लिए प्रतिबद्ध है। विश्वविद्यालय जैसी संस्थाएं आइसोलेट होकर कार्य नहीं कर सकती। समाज के प्रति उनकी कुछ जिम्मेदारियां एवं दायित्व होते हैं। कोरोना संकट के दौरान माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ने अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करने का प्रयास किया है। 

कार्यक्रम में इंडियन फेडरेशन यूनाइटेड नेशंस एसोसिएशन के मीडिया सलाहकार और पर्यावरण पत्रकार श्री दीपक पर्वतयार ने कहा कि जल संरक्षण के लिए परिणामजनक कार्य करने के लिए तपस्या और जुनून की आवश्यकता होती है, सिर्फ सुधार के बारे में सोचना ही पर्याप्त नहीं है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय की शोध जर्नल “मीडिया मीमांसा” और छात्रों की अभ्यास पत्रिका “संज्ञान” के नवीन अंको का विमोचन भी डॉ. राजेंद्र सिहं के कर कमलों द्वारा किया गया। इस ऑनलाइन परिचर्चा का संयोजन सहायक प्राध्यापक सूर्य प्रकाश ने किया, कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो पवित्र श्रीवास्तव ने आभार व्यक्त किया।

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सफल कार्पोरेट कम्युनिकेशन में मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म की समझ जरूरी है – सुश्री मीतू समर

सफल कार्पोरेट कम्युनिकेशन में मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म की समझ जरूरी है – सुश्री मीतू समर

सफल प्लेसमेंट के लिए विद्यार्थियों में दक्षता, क्षमता और अपना बेहतर प्रस्तुतिकरण आवश्यक – प्रो केजी सुरेश

“कार्पोरेट कम्युनिकेशन में अवसर” विषय पर विशेष व्याख्यान

भोपाल, 03 जून, 2021: मीडिया विद्यार्थियों के लिए कार्पोरेट कम्युनिकेशन एक सुनहरा और संभावनाओं वाला कैरियर क्षेत्र है, इस फील्ड में सफलता के लिए आपको सभी मीडिया प्लेटफार्म की समझ और एक ही कंटेंट को विभिन्न् मीडिया प्लेटफार्म के अनुकूल तैयार करने की क्षमता होनी चाहिए। रेपुटेशन मेकिंग फर्म ‘एमिनेंस’  की सीईओ सुश्री मीतू समर ने मीडिया विद्यार्थियों को कॉरपोरेट कम्युनिकेशन में कैरियर मार्गदर्शन के लिए एक ऑनलाइन व्याख्यान में यह बात कही।

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय एवं पत्रकारिता संचार विश्वविद्यालय द्वारा विद्य़ार्थियों को मीडिया के विविध क्षेत्रों में कैरियर से संबंधित ताजा जानकारी उपलब्ध कराने के आयोजित विशेष नॉलेज श्रंखला की गुरुवार को तीसरी कड़ी थी। इस कड़ी में “कार्पोरेट कम्युनिकेशन में अवसर” विषय पर केंद्रित विशेष अपने व्याख्यान में सुश्री मीतू समर ने करापोरेट कम्युनिकेशन की फील्ड की विशेषताओं और आवश्यकताओं को समझाते हुए विद्यार्थियों के विभिन्न सवालों के जवाब भी दिए। सुश्री समर ने कहा कि कार्पोरेट कम्युनिकेशन प्रोफेशन में पहली शर्त यह है कि आप अपने क्लाइंट और उसके बिजनेस को अच्छे से समझें। सफल कार्पोरेट प्रोफेशनल के लिए एक्सेल ओरिएंटेश और आउटकम ओरिएंटेशन दोनों जरूरी हैं।

संवाद सत्र की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर केजी सुरेश ने विद्यार्थियों से कहा कि सफल कैरियर के लिए आपको अपनी क्षमता और दक्षता सुनिश्चित करनी होगी। कहीं भी प्लेसमेंट के लिए अपने आप के प्रस्तुतीकरण के साथ बहु आयामी कौशल आवश्यक है।

विश्वविद्यालय के विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग तथा प्लेसमेंट प्रकोष्ठ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में विषय का प्रवर्तन जनसंपर्क विभाग के अध्यक्ष डॉ पवित्र श्रीवास्तव ने किया, व्याख्यान माला की इस कड़ी का संचालन सुश्री डॉ जया सुरजानी ने किया।

सफल कार्पोरेट कम्युनिकेशन में मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म की समझ जरूरी है – सुश्री मीतू समर सफल प्लेसमेंट के लिए विद्यार्थियों में दक्षता, क्षमता और अपना बेहतर प्रस्तुतिकरण आवश्यक – प्रो केजी सुरेश “कार्पोरेट कम्युनिकेशन में अवसर” विषय पर विशेष व्याख्यान भोपाल, 03 जून, 2021: मीडिया विद्यार्थियों के लिए कार्पोरेट कम्युनिकेशन एक सुनहरा और संभावनाओं वाला कैरियर क्षेत्र है, इस फील्ड…

प्राकृतिक आहार और सकारात्मक वातावरण से बढ़ती है इम्युनिटी : डॉ. एके गुप्ता

प्राकृतिक आहार और सकारात्मक वातावरण से बढ़ती है इम्युनिटी : डॉ. एके गुप्ता

मानव कल्याण है प्रत्येक पैथी का उद्देश्य : प्रो. केजी सुरेश

एमसीयू में कोरोना महामारी जागरूकता गतिविधियों के अंतर्गत कोविड-19 एवं होमियोपैथी विषय पर जिज्ञासा-समाधान कार्यक्रम का आयोजन

भोपाल, 02 जून, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से कोरोना महामारी के प्रति समाज में जागरूकता लाने के प्रयासों के अंतर्गत ‘कोविड-19 एवं होमियोपैथी’ विषय पर जिज्ञासा-समाधान सत्र का आयोजन किया गया। इसमें प्रख्यात होमियोपैथी चिकित्सक डॉ. एके गुप्ता ने कहा कि होमियोपैथी चिकित्सा ने अपने प्रारंभ में ही यह बात कही है कि मरीज को किसी भी बीमारी से लडऩा है तो उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना आवश्यक है। नकारात्मक वातावरण हमारी इम्युनिटी को कम करता है जबकि योग, सकारात्मक, प्राकृतिक आहार और अच्छे वातावरण से इम्युनिटी बढ़ती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि प्रत्येक पैथी का उद्देश्य मानव कल्याण और लोगों को बीमारियों से निजात दिलाना है। होमियोपैथी डॉक्टर संकेत गुप्ता ने भी अपने विचार रखे और जिज्ञासाओं का समाधान किया।

ऑनलाइन जिज्ञासा-समाधान करते हुए डॉ. एके गुप्ता ने बताया कि होमियोपैथी एक प्रभावी उपचार पद्धति है। डॉक्टर को अपने मरीज के रोग का इतिहास ठीक से पता होगा, तो वह उसका अच्छा इलाज कर सकेगा। होमियोपैथी में लगभग सभी बीमारियों का इलाज है। कोविड संक्रमित मरीजों का ऑक्सीजन स्तर बढ़ाने में होमियोपैथी दवाएं बहुत कारगर रही हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी चिकित्सा पद्धति में मरीज को अपना उपचार स्वयं नहीं करना चाहिए। बल्कि चिकित्सक के परामर्श से ही दवाएं लेनी चाहिए।

प्रश्नों का उत्तर देते हुए होमियोपैथी चिकित्सक डॉ. संकेत गुप्ता ने पोस्ट कोविड परेशानियों को दूर करने में होमियोपैथी बहुत कारगर है। अब तो ब्लैक फंगस के उपचार में होमियोपैथी को अनुमति भी मिल गई है। उन्होंने बताया कि होमियोपैथी ने महामारियों से लडऩे में पूर्व में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉ. संकेत गुप्ता ने स्पष्ट किया कि यह एक भ्रम है कि होमियोपैथी दवा धीमी गति से असर करती है। यदि ठीक लक्षण पहचान करके दवा दी जाए, तो यह शीघ्र लाभ देती है।

अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि हम कोरोना संक्रमण को लेकर फैली भ्रामक जानकारियों के बीच समाज में जागरूकता लाने का एक प्रयास कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में हमने कोविड-19 के संबंध में अलग-अलग उपचार पद्धतियों को लेकर फैले भ्रम को दूर करने का प्रयास किया है। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक लालबहादुर ओझा ने किया और आभार ज्ञापन मीडिया प्रबंधन विभाग के अध्यक्ष प्रो. अविनाश वाजपेयी ने किया।

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स्वस्थ पत्रकारिता चाहिए, तो पत्रकारों की चिंता करे समाज : अतुल तारे

स्वस्थ पत्रकारिता चाहिए, तो पत्रकारों की चिंता करे समाज : अतुल तारे

भारतीय भाषाओं में पत्रकारिता के पाठ्यक्रम होंगे शुरू : प्रो. केजी सुरेश

कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत स्थापित होगा ‘भाषायी पत्रकारिता विभाग’

भोपाल, 31 मई, 2021: वरिष्ठ पत्रकार श्री अतुल तारे ने कहा कि पत्रकार इसी समाज का अंग हैं। पत्रकार कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं। समाज को उनके प्रति संवेदनशील होना चाहिए। यदि समाज को स्वस्थ पत्रकारिता चाहिए, तब उन्हें पत्रकारों की सुरक्षा और आर्थिक विषयों से लेकर अन्य सब प्रकार के बुनियादी प्रश्नों पर विचार करना चाहिए। श्री तारे ‘हिन्दी पत्रकारिता : अवसर एवं चुनौतियां’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। हिन्दी पत्रकारिता दिवस के उपलक्ष्य में 31 मई को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि विश्वविद्यालय के नये परिसर में हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत भारतीय भाषाओं को संरक्षण देने हेतु ‘भाषायी पत्रकारिता विभाग’ की स्थापना करेंगे। इस विभाग में हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के साथ दक्षिण भारत की एक भाषा में भी पत्रकारिता का अध्ययन कराया जाएगा।

वरिष्ठ पत्रकार श्री अतुल तारे ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता को कहीं से चुनौती है, तो वह हमारे अपने भीतर से ही है। हमें हिन्दी पत्रकारिता को बचाना है, तब हिन्दी को बढ़ावा देना ही होगा। हम देखते हैं कि वर्तमान में हिन्दी के राष्ट्रीय समाचारपत्रों में अंग्रेजी शब्दों का अनावश्यक उपयोग बढ़ गया है। यह रुकना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजसत्ता आज भी जिस भाषा की पत्रकारिता को मान्यता देती है, वह अंग्रेजी है। जबकि हिन्दी पत्रकारिता का प्रसारण अधिक है। हिन्दी पत्रकारिता के पाठक भी अधिक हैं और हिन्दी में निकलने वाले समाचारपत्र भी सबसे अधिक हैं। इसके बाद भी हिन्दी पत्रकारिता की अपेक्षा अंग्रेजी पत्रकारिता को वरियता दी जाती है। उन्होंने कहा कि किसी भी भाषा की पत्रकारिता का विरोध नहीं है। सभी भाषाओं की पत्रकारिता के प्रति समान दृष्टि होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में कुछ एक्टिविस्ट आ गए हैं, जिसके कारण पत्रकारिता अपनी दिशा भटक रही है।

श्री तारे ने कहा कि हमें यह विचार करना चाहिए कि आखिर हिन्दी पत्रकारिता की नींव रखने वाले पं. जुगुल किशोर शुक्ल की स्मृति में कोई स्मारक देश में क्यों नहीं है? उन्होंने यह भी प्रश्न किया कि इतने वर्षों से हमारा ध्यान इस ओर क्यों नहीं गया?

कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हम नये परिसर में पंडित जुगल किशोर शुक्ल की स्मृति में एक भवन का नामकरण कर उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि हमें नयी भाषाएं सीखनी चाहिए लेकिन हमें कभी भी अपनी भाषा के प्रति हीनभावना नहीं रखनी चाहिए। किसी भी विदेशी भाषा के प्रति लगाव रखने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन हमारी अपनी भाषा सर्वोपरि रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में मातृभाषा के महत्व को रेखांकित किया गया है। उसे बढ़ावा दिया गया है। हम अपने विश्वविद्यालय में भाषायी पत्रकारिता को बढ़ावा देने के लिए नवाचार करेंगे। इस कड़ी में विश्वविद्यालय में भाषायी पत्रकारिता विभाग की स्थापना भी की जाएगी। कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने बांग्लादेश के आंदोलन का उदाहरण देकर मातृभाषा की महत्ता को बताया। उन्होंने कहा कि 1971 में जब बांग्लादेश को स्वतंत्रता प्राप्त हुई, तब मात्र एक नये देश के सृजन नहीं हुआ था बल्कि यह घटना मातृभाषा के महत्व को बताती है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय की शोध पत्रिका ‘मीडिया मीमांसा’ के नये अंक का विमोचन किया गया। यह शोध पत्रिका त्रैमासिक है, जो संचार एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में हो रहे शोधकार्यों को समाज तक ले जाने का माध्यम है। कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि मीडिया मीमांसा के माध्यम से शोध संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष डॉ. राखी तिवारी ने किया और आभार प्रदर्शन कुलसचिव प्रो. पवित्र श्रीवास्तव ने किया।

स्वस्थ पत्रकारिता चाहिए, तो पत्रकारों की चिंता करे समाज : अतुल तारे भारतीय भाषाओं में पत्रकारिता के पाठ्यक्रम होंगे शुरू : प्रो. केजी सुरेश कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत स्थापित होगा ‘भाषायी पत्रकारिता विभाग’ भोपाल, 31 मई, 2021: वरिष्ठ पत्रकार…

डिजिटल मीडिया में सफलता के लिए बहुआयामी दक्षता और रचनात्मकता की आवश्यकता : आलोक वर्मा

डिजिटल मीडिया में सफलता के लिए बहुआयामी दक्षता और रचनात्मकता की आवश्यकता : आलोक वर्मा

विद्यार्थी नौकरी का मोह छोड़कर उद्यमी बन कुछ नया करें : प्रो. केजी सुरेश

एमसीयू में डिजिटल मीडिया में अवसर विषय पर विशेष व्याख्यान

भोपाल, 28 मई, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से विद्यार्थियों को मीडिया में कैरियर से संबंधित जानकारी प्रदान करने के लिए नॉलेज श्रृंखला आयोजित की जा रही है। श्रृंखला की दूसरी कड़ी में शुक्रवार को देश के प्रतिष्ठित डिजिटल मीडिया प्रोफेशनल एवं उद्यमी श्री आलोक वर्मा ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। ‘डिजिटल मीडिया में अवसर’ विषय पर केंद्रित व्याख्यान एवं जिज्ञासा समाधान संवाद में श्री वर्मा ने कहा कि डिजिटल मीडिया का विस्तार तेजी से हो रहा है, इसमें कैरियर बनाने के लिए नौकरी की जगह उद्यमशीलता की तरफ सोचना चाहिए। इस क्षेत्र में सफल होने के लिए रचनात्मक और बहुआयामी रूप से दक्ष होना आवश्यक है।

वर्तमान मीडिया परिदृश्य को समझाते हुए श्री वर्मा ने कहा कि अभी सभी बड़े मीडिया डिजिटल की ओर मुड़ रहे हैं इसलिए जॉब की संभावना भी डिजिटल में है। उन्होंने कहा कि जो लोग स्टार्टअप में आना चाहते हैं उनके पास अच्छा इन्वेस्टर और कार्यक्षेत्र का ज्ञान होना चाहिए, तभी आप भविष्य में सफल होंगे।

व्याख्यान की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने विद्यार्थियों से कहा कि आज महामारी और नए दौर में नौकरियों की भले ही कमी है लेकिन युवा पीढ़ी अपनी रचनात्मकता और नवोन्मेष के माध्यम से नया कार्य कर रही है। युवाओं के लिए डिजिटल मीडिया में अनंत संभावनाओं के द्वार खुले हुए हैं। विद्यार्थियों को स्वयं नए स्टार्टअप पर ध्यान देना चाहिए। नवीन मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग एवं प्लेसमेंट प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित इस संवाद कार्यक्रम में श्री आलोक वर्मा ने विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का भी समाधान किया। विषय प्रवर्तन नवीन मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग की अध्यक्ष प्रो. पी. शशिकला ने किया। कार्यक्रम का संयोजन मीडिया प्रबंधन विभाग के अध्यक्ष प्रो. अविनाश वाजपेई ने किया। कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक श्री अभिषेक शर्मा ने और आभार प्रदर्शन कुलसचिव प्रो. पवित्र श्रीवास्तव ने किया।

डिजिटल मीडिया में सफलता के लिए बहुआयामी दक्षता और रचनात्मकता की आवश्यकता : आलोक वर्मा विद्यार्थी नौकरी का मोह छोड़कर उद्यमी बन कुछ नया करें : प्रो. केजी सुरेश एमसीयू में ‘डिजिटल मीडिया में अवसर’ विषय पर विशेष व्याख्यान भोपाल, 28 मई, 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से विद्यार्थियों को…

आयुष में शामिल विधाएं केवल परंपराएं नहीं, ये विज्ञान हैं : वैद्य राजेश कोटेचा

आयुष में शामिल विधाएं केवल परंपराएं नहीं, ये विज्ञान हैं : वैद्य राजेश कोटेचा

लोकहित में सभी चिकित्सा पद्धतियों में सामंजस्य होना चाहिए: प्रो. केजी सुरेश

एमसीयू में कोरोना संक्रमण के प्रति जागरूकता गतिविधियों के अंतर्गत कोविड-19: आयुष और कोरोनाविषय पर व्याख्यान एवं जिज्ञासा समाधान सत्र का आयोजन

भोपाल, 27 मई, 2021: आयुष के अंतर्गत शामिल विधाएं सिर्फ परंपराएं नहीं हैं, ये विज्ञान हैं। ये सभी विधाएं केवल उपचार की ही बात नहीं करती हैं, बल्कि स्वास्थ्य को बनाए रखने पर जोर देती हैं। आयुष में शामिल विधाओं को चिकित्सा विज्ञान की अपेक्षा स्वास्थ्य विज्ञान के रूप में देखना चाहिए। यह विचार भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने ‘कोविड-19: आयुष और कोरोना’ विषय पर आयोजित व्याख्यान और जिज्ञासा समाधान कार्यक्रम में व्यक्त किए। कार्यक्रम का आयोजन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ने कोरोना महामारी के प्रति जागरूकता गतिविधियों के अंतर्गत किया। कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों ने हमें बता दिया है कि लोकहित के लिए सभी चिकित्सा पद्धतियों को सामंजस्य बनाकर कार्य करना चाहिए।

पद्मश्री से सम्मानित वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि होस्ट डिफेंस मैकेनिज्म यानी हमारी इम्युनिटी यदि ठीक है तो हम बीमारियों से स्वयं को बचाकर रख सकते हैं। आयुष की विधाएं हमारे इम्युनिटी को भी मजबूत बनाती हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के प्रारंभ में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आयुष विशेषज्ञों के साथ बैठक की और कहा कि महामारी को लेकर आपको केस स्टडीज करनी चाहिए और आयुष की सभी विधाएं कैसे लोगों की मदद कर सकती हैं, इसमें वैज्ञानिक पद्धति से कार्य करना चाहिए। उसके बाद देश के आयुष विशेषज्ञों ने मंत्रालय द्वारा तय किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए इस दिशा में कार्य किया। उन्होंने बताया कि इसके अंतर्गत हमने आयु रक्षा किट बनाई गई। जिन लोगों ने इस किट में शामिल औषधियां लीं, उन्हें कोरोना संक्रमण का खतरा बाकी लोगों की अपेक्षा कम रहा। हमने आब्जर्वेशन में पाया है कि आयुष की औषधि लेने वाले संक्रमित मरीज जल्दी ठीक हुए हैं। आयुष कोविड सेंटर का रिकवरी रेट 99 प्रतिशत रहा है। उन्होंने बताया कि आयुष-64 मेडिसन कोरोना संक्रमण में कारगर साबित हुई है। यह वैज्ञानिक परीक्षणों से साबित हुआ है। वैद्य श्री कोटेचा ने बताया कि आयुष विभाग ने आयुर्वेद संजीवनी एप बनाया है, जिसको बुधवार को केन्द्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने लान्च किया। इसका उपयोग उन मरीजों से फीडबैक लेने में किया जाएगा, जो आयुष मेडिसन ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि कम समय में हमने एक बार फिर कठिन परिस्थितियों को संभाल लिया है, इसमें सबकी भूमिका है। ऐसा करने वाला भारत दुनिया में अकेला देश है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि जिस प्रकार हम अन्य चिकित्सा पद्धति में विशेषज्ञ डॉक्टर्स का परामर्श लेकर दवा लेते हैं, आयुर्वेद एवं अन्य चिकित्सा विधाओं में भी विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेकर ही उपचार लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को लेकर जागरूक होने की आवश्यकता है। कोरोना संक्रमण ने आयुर्वेद की ओर हमारी दृष्टि बदल दी है। कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि आज सभी चिकित्सा पद्धतियों को सामंजस्य के साथ लोगों की बेहतरी में कार्य करना चाहिए है। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण में हम पहले विश्वविद्यालय हैं, जिसने कोविड रेस्पान्स टीम गठित की है। हमने कोरोना संक्रमण में समाज को जागरूक करने की भूमिका को स्वीकार किया है। यह भूमिका पत्रकारिता के राष्ट्रीय संस्थान के कारण हमें लेनी ही चाहिए थी। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ प्राध्यापक लाल बहादुर ओझा ने और धन्यवाद ज्ञापन कम्प्यूटर विभाग के अध्यक्ष प्रो. सीपी अग्रवाल ने किया।

आयुष में शामिल विधाएं केवल परंपराएं नहीं, ये विज्ञान हैं : वैद्य राजेश कोटेचा लोकहित में सभी चिकित्सा पद्धतियों में सामंजस्य होना चाहिए: प्रो. केजी सुरेश एमसीयू में कोरोना संक्रमण के प्रति जागरूकता गतिविधियों के अंतर्गत ‘कोविड-19: आयुष और कोरोना’ विषय पर व्याख्यान एवं जिज्ञासा समाधान सत्र का आयोजन भोपाल, 27 मई, 2021: आयुष के…

Disciplines involving AYUSH are part of science: Vaidya Rajesh Kotecha

Disciplines involving AYUSH are part of science: Vaidya Rajesh Kotecha

All medical practices should work in harmony in public interest: Prof KG Suresh

Awareness programme on ‘Covid 19: Role of Ayush’ in MCU

Bhopal, 28th May, 2021: The disciplines covered under AYUSH are not mere traditions, it is a science. All disciplines not only treat but also maintain health. Disciplines under AYUSH could be considered as health science and not as medical science, said Secretary of Union AYUSH Ministry Vaidya Rajesh Kotecha in a awareness programme on ‘Covid 19: Role of AYUSH’. The programme was organised by Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication, Bhopal as part of its awareness series. Vice Chancellor Prof KG Suresh said present circumstances tell us that all medical practices should be worked in harmony.

Padmashree recipient Vaidya Rajesh Kotecha said that if our immunity is strong, we can save us from diseases. AYUSH disciplines enhance our immunity. He said that Prime Minister Narendra Modi held a meeting with AYUSH experts and appealed for case studies on this pandemic and to help people through all disciplines, while working on a scientific manner. The experts worked under a protocol. We developed AYU defence kit and those who used the kit, had lesser rate of infection. They also recovered fast. Recovery rate of AYUSH Covid centres was 99 percent. AYUSH 64 medicine was effective in treatment of Corona infection and it has been proved in scientific test. Shree Kotecha said, the department has developed Ayurveda Sanjivani app, which Union Minister Kiran Rijiju launched. The app will be used for collection of feedback of those who are getting AYUSH medicines. He said India is the only country to manage the difficult circumstances.

Vice Chancellor Prof KG Suresh said we should consult experts of Ayurveda and other practices like consulting allopath practitioners. There is a need to create awareness about Ayurveda. Corona infection has changed our mindset towards Ayurveda. All medical practices should work in harmony for welfare of people, he said. The University is the first to set up Covid Response Team. We created awareness in society. Senior Assistant Professor Lal Bahadur Ojha conducted the programme and HoD, Computer Science Department, Prof CP Agrawal proposed the vote of thanks.

Disciplines involving AYUSH are part of science: Vaidya Rajesh Kotecha All medical practices should work in harmony in public interest: Prof KG Suresh Awareness programme on ‘Covid 19: Role of Ayush’ in MCU Bhopal, 28th May, 2021: The disciplines covered under AYUSH are not mere traditions, it is a science. All disciplines not only treat…

कोरोना महामारी, वायरस और इंसानों के बीच एक जंग है : डॉ. श्रीनिवास राव

कोरोना महामारी, वायरस और इंसानों के बीच एक जंग है : डॉ. श्रीनिवास राव

वैज्ञानिक बातों को सरल भाषा में समाज के बीच ले जाना पत्रकारों का दायित्व : प्रो. केजी सुरेश

एमसीयू में अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर ‘कोविड-19 और आहार के महत्व’ पर सेमिनार आयोजित

भोपाल, 23 मई, 2021: न्यूयॉर्क के वैज्ञानिक डॉ. श्रीनिवास के राव ने कहा कि मानव शरीर में स्वयं ही एंटीबॉडी बनाने की क्षमता विद्यमान है। मनुष्य एकमात्र ऐसी प्रजाति है जो कोविड-19 वायरस से लड़ रहा है। यह वायरस और इंसानों के बीच की एक जंग है। डॉ. राव माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठ और विज्ञान भारती द्वारा अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर आयोजित ‘कोविड-19 और आहार के महत्व’ पर विशेष जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

सेमीनार की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश कहा कि देश में आहार को लेकर जागरूकता पैदा करना जरूरी है। समाज में कई तरीके के मिथक विद्यमान हैं, जैसे- मांसाहारी भोजन से लोग ताकतवर होते हैं। लोगों को शाकाहारी भोजन की ताकत का सही अंदाज नहीं है। उन्होंने कहा कि पत्रकार और वैज्ञानिकों के बीच में जो कम्युनिकेशन गैप है, उसे पाटना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों के सामने समस्या रहती है कि वे अपने अनुसन्धान को सरल भाषा में लोगों तक नहीं पहुंचा पाते हैं, ऐसे में पत्रकारों का दायित्व बनता है कि वैज्ञानिक बातों को जन-सामान्य की भाषा में सामने लाया जाए।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े श्री प्रफुल्ल कृष्णा ने ग्लोबल इंडियन साइंटिस्ट एंड टेक्नोक्रेट्स द्वारा किए जा रहे कार्यों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यह संगठन देश के वैज्ञानिकों और टेक्नोक्रेट, जो भारत के बाहर रहकर काम कर रहे हैं, उनको आपस में जोड़ रहा है। इसके साथ ही डॉ. रश्मि कुलकर्णी ने कहा कि जीवन शैली, आनुवंशिकी और पर्यावरण का हमारे शरीर पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। सही भोजन के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है। इसके लिए उन्होंने आहार क्रांति अभियान शुरू किया है। उसके माध्यम से न केवल लोगों की स्वास्थ्य और आय बढ़ेगी बल्कि देश भी समृद्ध होगा। इसके लिए गैर सरकारी संगठनों, शिक्षकों, समाज परिवार और विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

इस अवसर पर विज्ञान भारती के महासचिव श्री जयंत राव सहस्त्रबुद्धे ने आहार के महत्व और इस सम्बन्ध में चलाए जा रहे अभियान पर प्रकाश डाला। ऑनलाइन वेबिनार का संचालन डॉ. राकेश कुमार पांडे ने किया। कुलसचिव डॉ. पवित्र श्रीवास्तव ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।

कोरोना महामारी, वायरस और इंसानों के बीच एक जंग है : डॉ. श्रीनिवास राव वैज्ञानिक बातों को सरल भाषा में समाज के बीच ले जाना पत्रकारों का दायित्व : प्रो. केजी सुरेश एमसीयू में अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर ‘कोविड-19 और आहार के महत्व’ पर सेमिनार आयोजित भोपाल, 23 मई, 2021: न्यूयॉर्क के वैज्ञानिक डॉ.…

Human Body is able to produce quintillion unique antibodies: Dr. Rao

Human Body is able to produce quintillion unique antibodies: Dr. Rao

Communication gap between scientists and journalists should be bridged: Prof Suresh

Special awareness programme held on ‘Covid 19 and importance of food’ in MCU

Bhopal, 23rd May, 2021: Scientist from New York, Dr Shrinivasa K Rao said, human body is very rare and is able to produce quintillion unique anti-bodies. At present, we are only one species which is fighting for their life from Covid1-19 virus. This is a war between virus and man.

Dr Rao was addressing special awareness programme on ‘Covid 19 and importance of food’ on the occasion of International Bio Diversity Day, organised by Science and Technology Cell of Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication, and Vigyan Bharati. Dr Rao said, Covid 19 has given new horizon to fight with virus and other pathogens. A human body can stock 320,000 viruses. Nutrition food has become very important today.

Vice Chancellor Prof KG Suresh said, awareness regarding right food is very important for the country. Several myths like non-vegetarian foods make stronger, prevail in the society and people are not aware of strength of vegetarian food. Prof Suresh said, communication gap between scientists and journalists should be bridged.

Artificial intelligence scientist Praful Krishna detailed Global Indian Scientists and Technocrats (GIST) and its objectives. He said, this programme is connecting all scientists and technocrats who work for the country. People working in education, agriculture, nutrition, implementable technologies have been connected.

Dr Rashmi Kulkarni said life style, genetics and environment have significant effect on our body. Aahar Kranti campaign has been launched to educate people about right food habit as it will increase health, age, cognitive ability, food processing industry. Training is being imparted to NGOs, teachers, society, families and students. Yellojirao Mirajkar said that awareness of health & better nutrition needs to reach every Indian. General Secretary of Vigyan Bharati Jayant Rao Sahastrabuddhe shed light on importance of food pattern and Aahar Kranti Abhiyan. Cell in-charge Dr Rakesh Kumar Pandey conducted the online webinar. Registrar Dr Pavitra Shrivastava proposed the vote of thanks.

Human Body is able to produce quintillion unique antibodies: Dr. Rao Communication gap between scientists and journalists should be bridged: Prof Suresh Special awareness programme held on ‘Covid 19 and importance of food’ in MCU Bhopal, 23rd May, 2021: Scientist from New York, Dr Shrinivasa K Rao said, human body is very rare and is…