भारत में है आत्मनिर्भर बनने की क्षमता

भारत में है आत्मनिर्भर बनने की क्षमता

भ्रष्टाचार का उन्मूलन और ब्यूरोक्रेसी के दखल को रोकना होगा

स्वाबलंबी भारत के लिए शोध और विकास के साथ ही आंतरिक ढांचे को मजबूत करना आवश्यक

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत इंडियन स्कूल ऑफ़ बिजनेस, मोहाली के प्रो. सिद्धार्थ शेखर सिंह ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर रखे विचार

6 जून को वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश उपाध्याय ‘कोविड-19 की चुनौतियां और मीडिया’ विषय पर करेंगे फेसबुक लाइव चर्चा

भोपाल, 5 जून 2020। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत शुक्रवार को इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, मोहाली के प्रो. सिद्धार्थ शेखर सिंह ने ‘आत्मनिर्भर भारत’  विषय  पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आज शोध एवं विकास के साथ ही आंतरिक ढांचे को मजबूत हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। देश की पिछली सरकारों ने विकास पर तो ध्यान दिया लेकिन आत्मनिर्भरता की सोच को ठीक से लागू करने में असफल रहे। भारत सरकार अपना पूरा ध्यान देश को आत्मनिर्भर बनाने में केन्द्रित कर चुकी है, खासतौर से कोविड-19 के पहले से ही सरकार का इरादा ‘मेक इन इंडिया’ के रूप में दिखाई दे रहा था। कोविड-19 के कारण आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और अधिक महसूस की जा रही है, जिससे अब सरकार के प्रयासों में और तेजी आएगी।

प्रो. सिंह ने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पांच स्तंभों को मजबूत करना होगा, ये हैं- अर्थव्यवस्था, मजबूत अधोसंरचना, तकनीक आधारित व्यवस्था, मांग और डेमोग्राफी प्रबंधन। नए आविष्कारों और नवोन्मेष विकास के आत्मनिर्भरता के इंजन को बूस्ट करने के लिए आवश्यक है। देश में उपलब्ध पर्याप्त मानव संसाधन में शिक्षा एवं  कौशल उन्नयन किया जाकर आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। 

उन्होंने कहा कि देश के पड़ोसी देशों से जिस तरह की वर्तमान चुनौतियां सामने हैं उनको देखते हुए भी भारत को आत्मनिर्भरता होने की आवश्यक है। प्रो. सिंह ने कहा कि हाल ही में वित्त मंत्रालय द्वारा घोषित की गई किए गए आर्थिक पैकेज से आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारत के आत्मनिर्भरता अभियान को सफल करने के लिए अच्छी नीति बनाने के साथ ही उसका क्रियान्वयन भी आवश्यक है। पहले भी कई अच्छी योजनाएं और अभियान क्रियान्वयन के अभाव में सफल नहीं हो सके। इसके लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के साथ समन्वयक योजनाओं का क्रियान्वयन कराना होगा। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भ्रष्टाचार का उन्मूलन और ब्यूरोक्रेसी के दखल को रोका जाना चाहिए।

आज ‘कोविड-19 की चुनौतियां और मीडिया’ विषय पर चर्चा :

‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ अंतर्गत आखिरी दिन 6 जून को शाम 4:00 बजे रिलायंस कम्युनिकेशंस के प्रेसिडेंट एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश उपाध्याय ‘कोविड-19 की चुनौतियां और मीडिया’ विषय पर अपने विचार रखेंगे। उनका व्याख्यान भी विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर लाइव रहेगा।

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पर्यावरण दिवस पर किया गया पौधारोपण :

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कुलपति प्रो. संजय द्विवेदी ने विश्वविद्यालय परिसर में पौधारोपण किया। इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी सहित विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों एवं शिक्षकों ने भी पौधारोपण किया।

भारत में है आत्मनिर्भर बनने की क्षमता भ्रष्टाचार का उन्मूलन और ब्यूरोक्रेसी के दखल को रोकना होगा स्वाबलंबी भारत के लिए शोध और विकास के साथ ही आंतरिक ढांचे को मजबूत करना आवश्यक माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत इंडियन स्कूल ऑफ़ बिजनेस, मोहाली के प्रो. सिद्धार्थ शेखर सिंह ने ‘आत्मनिर्भर भारत’…

कम्युनिटी रेडियो में है मिट्टी की खुशबू

कम्युनिटी रेडियो में है मिट्टी की खुशबू

रेडियो के क्षेत्र में करियर की अपार संभावनाएं

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह के अंतर्गत बीबीसी मीडिया एक्शन की पत्रकार सुश्री शेफाली चतुर्वेदी ने बदलती दुनिया में रेडियो विषय पर रखे विचार, 5 जून को इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, मोहाली के प्राध्यापक श्री सिद्धार्थ शेखर सिंह आत्मनिर्भर भारत विषय पर करेंगे फेसबुक लाइव चर्चा

भोपाल, 04 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत बीबीसी मीडिया एक्शन की पत्रकार सुश्री शेफाली चतुर्वेदी ने पत्रकारिता विद्यार्थियों से कहा कि यदि आप रेडियो की फील्ड में आना चाहते हैं तो यहाँ अनेक अवसर हैं। हम सिर्फ यह न सोचें कि यहाँ सिर्फ रेडियो जॉकी ही बनते हैं। आप रेडियो में साउंड इंजीनियर, प्रोग्राम प्रोड्यूसर, संगीत प्रबंधक, ऑडियंस मैनेजर सहित अन्य भूमिकाओं में काम कर सकते हैं। इस क्षेत्र में आने के लिए हमें विभिन्न रेडियो एवं उनके विभिन्न कार्यक्रम सुनने चाहिए। इससे हमें रेडियो में नया करने की दिशा मिलेगी। रेडियो के क्षेत्र में करियर बनाने की अपार संभावनाएं हैं। 

            फेसबुक लाइव के दौरान ‘बदलती दुनिया में रेडियो’ विषय पर सुश्री चतुर्वेदी ने कहा कि जब हम बदलते युग में रेडियो की बात करते हैं तो हमें रेडियो से बदलाव की बात भी करनी चाहिए। आज देश में लगभग 261 कम्युनिटी रेडियो संचालित हो रहे हैं, जो लोकतांत्रिक ढंग से काम कर रहे हैं। सामुदायिक रेडियो के कार्यक्रमों में मिट्टी की खुशबू आती है। सामुदायिक रेडियो की ताकत है कि आप इसकी मदद से अंतिम व्यक्ति तक पहुँच सकते हैं। सामुदायिक रेडियो लोगों के मददगार बन गए हैं। बाढ़, भूकंप और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय सामुदायिक रेडियो ने जिस तरह लोगों की सहायता की है, उसे उन्होंने उदाहरण सहित बताया। उन्होंने कहा कि आपदाओं में रेडियो आपकी लाइफलाइन भी बन जाता है। सुश्री चतुर्वेदी ने कहा कि कश्मीरी पंडितों को उनकी संस्कृति से जोड़े रखने में इंटरनेट रेडियो और सामुदायिक रेडियो महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

            उन्होंने बताया कि भविष्य में रेडियो के कार्यक्रमों में बहुत बदलाव आना है। आप रेडियो पर हॉरर और साइंस फिक्शन भी सुन पाएंगे। भविष्य में रेडियो आपका अच्छा दोस्त बनेगा। मनोरंजन का यह साधन जल्द ही पढ़ाई का साधन भी बन सकता है। इस दिशा में कुछ प्रयास भी हुए हैं। उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन के कारण से अब रेडियो की पहुँच भी बढ़ गई है। आज की स्थिति में तो ऑल इंडियो रेडियो के अलावा इंटरनेट रेडियो, पॉडकास्ट रेडियो, एफएम और सामुदायिक रेडियो के रूप में रेडियो के विभिन्न रूप हमारे सामने उपलब्ध हैं।

            सुश्री चतुर्वेदी ने कहा कि रेडिया सुंदरता से श्रोता के दिमाग में शब्द चित्र निर्मित करता है। ऑडियो माध्यम की अपनी खूबसूरती है। यह माध्यम आपकी पसंद का दृश्य आपके दिमाग में गढऩे की स्वतंत्रता देता है।  

आत्मनिर्भर भारत पर चर्चा आज : 

‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ अंतर्गत 5 जून को शाम 4:00 बजे मोहाली से प्रो. सिद्धार्थ शेखर सिंह ‘आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर अपने विचार रखेंगे। प्रो. सिंह इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, मोहाली में प्राध्यापक हैं। उनका व्याख्यान भी विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर लाइव रहेगा।

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कम्युनिटी रेडियो में है मिट्टी की खुशबू रेडियो के क्षेत्र में करियर की अपार संभावनाएं माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत बीबीसी मीडिया एक्शन की पत्रकार सुश्री शेफाली चतुर्वेदी ने ‘बदलती दुनिया में रेडियो’ विषय पर रखे विचार, 5 जून को इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, मोहाली के प्राध्यापक श्री सिद्धार्थ शेखर सिंह ‘आत्मनिर्भर…

आतंकवाद फैलाने का हथियार बना सोशल मीडिया : श्री विवेक अग्रवाल

आतंकवाद फैलाने का हथियार बना सोशल मीडिया : श्री विवेक अग्रवाल

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के आयोजन हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह के अंतर्गत वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर श्री विवेक अग्रवाल ने वैश्विक आतंकवाद और मीडिया विषय पर रखे विचार4 जून को बीबीसी की पत्रकार सुश्री शेफाली चतुर्वेदी बदलती दुनिया में रेडियो विषय पर करेंगी चर्चा

भोपाल, 3 जून 2020: प्रख्यात क्राइम रिपोर्टर श्री विवेक अग्रवाल ने कहा कि भाषायी पत्रकारिता आतंकवाद के खात्मे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा ‘वैश्विक आतंकवाद और मीडिया’ विषय पर आयोजित फेसबुक लाइव के दौरान श्री अग्रवाल ने कहा कि आतंकवाद की समस्या विश्व के हर कोने में है। केवल धरती ही नहीं, अब आतंकवाद जल क्षेत्रों में भी समुद्री लुटेरों के रूप में पहुंच कर आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। पूरे विश्व में उदार लोकतंत्र से लेकर कठोर साम्यवादी राष्ट्र जैसे चीन और रूस में भी आतंकवाद एक बड़ी समस्या है। खासतौर पर अमेरिका में हुई आतंकवादी हमले की घटना के बाद विश्व में आतंकवाद को गंभीर समस्या के रूप में स्वीकार कर लिया गया है।

श्री अग्रवाल ने कहा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तुलना में प्रिंट मीडिया आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ज्यादा प्रभावी और जवाबदारी से अपनी भूमिका निभाता नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया आतंकवाद को फैलाने का एक बड़ा हथियार बन गया है। इसलिए सोशल मीडिया पर उपलब्ध आतंकी साहित्य और उनकी गतिविधियों को तलाश कर उनके प्लेटफार्म को भी समाप्त किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत में सायबर आतंकवाद को खत्म करने के लिए तकनीकी रूप से और अधिक संसाधन जुटाए जाना जरूरी है इसके अलावा राज्य पुलिस को भी सायबर तकनीक में पारंगत करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया शिक्षित वर्ग को आतंकवाद से प्रभावित करने का सबसे बड़ा प्लेटफार्म बनता जा रहा है। मीडिया को इस बारे में भी सोचने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद से जुड़ी खबरों को प्रस्तुत करने में मीडिया कई बार आतंकवादियों के हाथों अनजाने में इस्तेमाल भी हो जाता हैं। इसके लिए जरूरी है कि मीडिया और संपादक और अधिक जिम्मेदारी से तय करें कि क्या दिखाया जाना है क्या नहीं।

मीडिया छात्रों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि केवल अनपढ़ और गरीब ही नहीं आतंकवाद में शिक्षित युवाओं को भी शामिल कराया जा रहा है। नशीले पदार्थ, सोने की तस्करी, नकली नोट का कारोबार, अपहरण, हफ्ता वसूली  जैसे अपराधिक गतिविधियों से ही आतंकवाद के लिये पैसा जुटाया जाता।

बदलती दुनिया में रेडियो पर चर्चा आज :

हिंदी पत्रकारिता सप्ताह के अंतर्गत 4 जून को शाम 4:00 बजे सुश्री शेफाली चतुर्वेदी ‘बदलती दुनिया में रेडियो’ पर चर्चा करेंगी। सुश्री चतुर्वेदी बीबीसी मीडिया से जुडी हैं। उनका व्याख्यान विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर लाइव रहेगा।

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आतंकवाद फैलाने का हथियार बना सोशल मीडिया : श्री विवेक अग्रवाल माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के आयोजन ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर श्री विवेक अग्रवाल ने ‘वैश्विक आतंकवाद और मीडिया’ विषय पर रखे विचार, 4 जून को बीबीसी की पत्रकार सुश्री शेफाली चतुर्वेदी ‘बदलती दुनिया में रेडियो’ विषय पर करेंगी चर्चा भोपाल, 3 जून…

बढ़ा है हिन्दी पढ़ने का चलन : प्रियंका ओम

बढ़ा है हिन्दी पढ़ने का चलन : प्रियंका ओम

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के आयोजन हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह के अंतर्गत कहानीकार सुश्री प्रियंका ओम ने सृजनात्मक लेखन विषय पर रखे विचार, 3 जून को मुंबई से वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर श्री विवेक अग्रवाल वैश्विक आतंकवाद और मीडिया विषय पर होंगे लाइव

भोपाल, 2 जून 2020: हिन्दी कोई नहीं पढ़ता, यही मानसिकता हिन्दी के लेखन एवं अध्ययन में सबसे बड़ी बाधा है। यह मानसिकता छोड़नी होगी। आज हिन्दी में पढऩे का चलन खूब बढ़ गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी के पाठक एवं लेखक बढ़े हैं। यह कहना है, युवा कहानीकार सुश्री प्रियंका ओम का। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत उन्होंने विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर तंजानियां से लाइव होकर अपना व्याख्यान दिया। 

                कहानीकार सुश्री प्रियंका ओम ने कहा कि लेखन की भाषा-शैली में लगातार परिवर्तन होता है। आज जिस भाषा-शैली में लिखा जा रहा है, निश्चित ही आने वाले समय में उसमें बदलाव आएगा। कई लोग यह प्रश्न उठाते हैं कि वर्तमान लेखन में अंग्रेजी शब्दों की भरमार है। उनका गैर-जरूरी उपयोग किया जा रहा है। हालाँकि, अंग्रेजी के शब्दों का उपयोग पहले भी किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा को कमतर नहीं समझना चाहिए। हिन्दी से मुंह मोडऩा एक तरह से अपने भाई-बहनों से मुंह मोडऩे जैसा है। दुनिया के सभी देश अपनी मातृभाषा में गर्व के साथ बात करते हैं। उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए बताया कि जब वे तंजानियां पहुंची थी तो शुरुआत के कुछ महीने तो उन्होंने अंग्रेजी में संवाद करके काम चला लिया। लेकिन बाद में वहां के दुकानदार, वाहन चालक एवं अन्य लोग उनकी भाषा सीखने का आग्रह करने लगे। उनका कहना था कि उन्हें अंग्रेजी की अपेक्षा अपनी मातृभाषा में संवाद करना अच्छा लगता है।

                सुश्री ओम ने कहा कि जो युवा साहित्य के क्षेत्र में आना चाहते हैं, उन्हें लिखने के साथ-साथ बहुत पढऩा चाहिए। अपने वरिष्ठ लेखकों का लिखा हुआ पढऩा चाहिए, उससे उन्हें भाषा, शिल्प और कथ्य की समझ आएगी। बिना पढ़े लिखना सफलता नहीं दिला सकता।

आज वैश्विक आतंकवाद और मीडिया पर चर्चा :

‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत 3 जून को शाम चार बजे मुंबई से वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर एवं लेखक श्री विवेक अग्रवाल ‘वैश्विक आतंकवाद और मीडिया’ विषय पर चर्चा करेंगे। श्री अग्रवाल ने मुंभाई, मुंभाई रिटर्न, खेल खल्लास, नरक सरहद पार और मुठभेड़ जैसी चर्चित पुस्तकें लिखी हैं। उनका व्याख्यान विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर लाइव रहेगा।

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बढ़ा है हिन्दी पढ़ने का चलन : प्रियंका ओम माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के आयोजन ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत कहानीकार सुश्री प्रियंका ओम ने ‘सृजनात्मक लेखन’ विषय पर रखे विचार, 3 जून को मुंबई से वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर श्री विवेक अग्रवाल ‘वैश्विक आतंकवाद और मीडिया’ विषय पर होंगे लाइव भोपाल, 2 जून 2020: हिन्दी कोई…

नाट्यशास्त्र में सभी प्रकार के संचार के सिद्धांत मौजूद : डॉ. अधिकारी

नाट्यशास्त्र में सभी प्रकार के संचार के सिद्धांत मौजूद : डॉ. अधिकारी

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के आयोजन ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत डॉ. निर्मल मणि अधिकारी ने ‘भरतमुनि के नाट्यशास्त्र में संचार के सूत्र’ विषय पर रखे विचार, 2 जून को तंजानियां से कहानीकार सुश्री प्रियंका ओम रहेंगी लाइव

भोपाल, 01 जून 2020: भरतमुनि का नाट्यशास्त्र रामायण और महाभारत काल के पहले का है। वैसे तो इसमें नाट्य के सिद्धांत हैं, किन्तु नाट्यशास्त्र के सम्बन्ध में कहा जाता है कि दुनिया में ऐसा कुछ नहीं, जो इसमें नहीं है, या कहें कि इस दुनिया में जो कुछ है, वह सब नाट्यशास्त्र में सम्मिलित है। इसमें विश्व के सभी विषयों का समावेश है। सभी प्रकार के संचार के सिद्धांत भरतमुनि के नाट्यशास्त्र में मिलते हैं। संचार को लेकर इसमे कई संभावनाएं हैं। यह विचार संचार शोध के विशेषज्ञ एवं काठमांडू विश्वविद्यालय, नेपाल के प्राध्यापक डॉ. निर्मल मणि अधिकारी ने व्यक्त किये। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के आयोजन ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत उन्होंने ‘भरतमुनि के नाट्यशास्त्र में संचार के सूत्र’ विषय पर अपना व्याख्यान दिया।

डॉ. निर्मल मणि अधिकारी ने बताया कि जिस समय नाट्यशास्त्र बना था, उस समय केवल आठ रसों का वर्णन था। 9वां रस अभिनव गुप्त ने जोड़ा, जो शांत रस है। उन्होंने यह भी बताया कि संचार का सहृदयीकरण मॉडल सीधे नाट्यशास्त्र से नहीं आया बल्कि इसका प्रादुर्भाव बाद में संचारी विद्वानों ने किया। इसी तरह सहृदयता भी विविधता में एकता के साथ आ गई। मतलब यदि आप ऐसा संचार करते है जो सेंडर से रिसिवर तक सीधे पहुचकर हलचल पैदा कर दे, आपका संचार पूर्ण होता है। संचार करनेवाले में संचार करने की शक्ति होती है कि वह रिसिवर को अभिप्रेरित कर सके।

उन्होंने बताया कि सभी के अंदर भावना और रस का निवास होता है, संचार प्रकिया में हम इसे ही जाग्रत करने का प्रयास करते हैं। हम स्पर्श भाषा से भी लोगों के बीच के संचार भाव को जाग्रत कर सकते हैं। इस तरह नाट्यशास्त्र अपने आप मे एक विश्वकोश है। डॉ. अधिकारी ने कहा कि सजीव और निर्जीव के बीच होने वाले संचार को विभिन्न विषयों में बात कर अध्ययन और अध्यापन करने की आवश्यकता है। इस विषय मे भरपूर शोध हेतु संभावनाएं भी है।

आज रचनात्मक लेखन पर तंजानियां से लाइव होंगी कहानीकार सुश्री प्रियंका ओम:

‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत 2 जून को शाम 4:00 बजे ‘रचनात्मक लेखन’ विषय पर तंजानियां से चर्चित कहानीकार सुश्री प्रियंका ओम चर्चा करेंगी। उनकी दो पुस्तकें ‘वो अजीब लड़की’ और ‘मुझे तुम्हारे जाने से नफ़रत है’ युवाओं और साहित्य जगत में काफी चर्चित हुई हैं। यह व्याख्यान भी विवि के फेसबुक पेज लाइव रहेगा।

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नाट्यशास्त्र में सभी प्रकार के संचार के सिद्धांत मौजूद : डॉ. अधिकारी माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के आयोजन ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत डॉ. निर्मल मणि अधिकारी ने ‘भरतमुनि के नाट्यशास्त्र में संचार के सूत्र’ विषय पर रखे विचार, 2 जून को तंजानियां से कहानीकार सुश्री प्रियंका ओम रहेंगी लाइव भोपाल, 01 जून 2020: भरतमुनि का…

वेब मीडिया में रोजगार की असीम संभावनाएं : जयदीप कर्णिक

वेब मीडिया में रोजगार की असीम संभावनाएं : जयदीप कर्णिक

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के आयोजन ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कर्णिक ने ‘वेब मीडिया में उद्यमिता’ विषय पर रखे विचार, 1 जून को काठमांडू विश्वविद्यालय, नेपाल के प्राध्यापक डॉ. निर्मल मणि का व्याख्यान

भोपाल, 31 मई, 2020: वेब मीडिया के क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में युवा पत्रकार एक उद्यमी के रूप में अपना करियर बना सकते हैं। कोरोना संकट ने वेब मीडिया के महत्व को और अधिक प्रतिपादित कर दिया है। पत्रकारिता में अब ‘वर्क फ्रॉम होम’ की संस्कृति विकसित हो रही है। ये विचार देश के जाने-माने पत्रकार श्री जयदीप कर्णिक ने व्यक्त किया। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के आयोजन ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत उन्होंने ‘वेब मीडिया में उद्यमिता’ विषय पर अपना संबोधन दिया। इस मौके पर उन्होंने अनेक प्रश्नों के उत्तर भी दिए। वेब मीडिया में अपना करियर बनाने वाले युवाओं की जिज्ञासा का समाधान किया।

श्री कर्णिक ने कहा कि हमारे देश में परम्परागत मीडिया एवं टेलीविजन मीडिया एक महंगा उद्योग है जो विज्ञापन आधारित है। विज्ञापन कम मिलने पर परम्परागत मीडिया के सामने तमाम तरह की परेशानियां आने लगती हैं। पत्रकारों पर भी संकट रहता है। जबकि डिजिटल मीडिया में कोई भी व्यक्ति वेबसाइट बनाकर लैपटॉप या फिर मोबाइल से ही काम शुरू कर सकता है। इसमें लागत बहुत कम है। सबसे अच्छी बात यह है कि वह स्वयं ही रिपोर्टर, मालिक एवं सम्पादक होता है। कम पूँजी में वेव मीडिया में उद्यमी बन सकते हैं।

उन्होंने कहा कि आप सफल तभी होंगे जब आपकी वेबसाइट पर सामग्री गुणवत्तापूर्ण और विश्वसनीय होगी। वेबमीडिया के स्टार्टअप को चाहिए कि वे पर्यावरण, विज्ञान, आर्थिक, जनजातीय, गाँव जैसे विषयों पर काम करें। हिंदी भाषा में इन विषयों पर काम करने की खूब संभावनाएं हैं।

उन्होंने कहा कि उद्यमी बनने के लिए जोश, ऊर्जा और विषय का ज्ञान आवश्यक है। जब आप पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरेंगे तो सफलता निश्चित ही मिलेगी।

आज शाम 4:00 बजे काठमांडू विश्वविद्यालय, नेपाल के प्राध्यापक डॉ. निर्मल मणि का व्याख्यान :  

‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत 1 जून को शाम 4:00 बजे ‘भरतमुनि के नाट्य शास्त्र में संचार के सूत्र’ विषय पर काठमांडू विश्वविद्यालय, नेपाल के प्राध्यापक डॉ. निर्मल मणि अधिकारी व्याख्यान देंगे। यह व्याख्यान भी विवि के फेसबुक पेज लाइव रहेगा।

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वेब मीडिया में रोजगार की असीम संभावनाएं : जयदीप कर्णिक माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के आयोजन ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कर्णिक ने ‘वेब मीडिया में उद्यमिता’ विषय पर रखे विचार, 1 जून को काठमांडू विश्वविद्यालय, नेपाल के प्राध्यापक डॉ. निर्मल मणि का व्याख्यान भोपाल, 31 मई, 2020: वेब मीडिया के क्षेत्र में…

बलिदानी पत्रकार आज भी देते हैं प्रेरणा : माननीय राज्यपाल

बलिदानी पत्रकार आज भी देते हैं प्रेरणा : माननीय राज्यपाल

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित हिंदी पत्रकारिता सप्ताह का शुभारंभ, 31 मई को शाम 4 बजे वेब मीडिया में उद्यमिता विषय पर व्याख्यान

भोपाल, 30 मई, 2020: आज हमें उन पत्रकारों को याद करना चाहिए, जिन्होंने अपनी लेखनी से समाज जागरण का कार्य किया, जिन्होंने समाज की समस्याओं के समाधान दिए हैं। भारत के यशस्वी पत्रकारों ने अपनी कलम से स्वतंत्रता आंदोलन को धारदार बना दिया था। अनेक पत्रकारों ने छोटे-छोटे समाचार पत्र निकालकर स्वतंत्रता की अलख जगाई। भारत में ऐसे भी पत्रकार हुए हैं, जिन्होंने सामाजिक सौहार्द के लिए अपने प्राणों की आहूति दे दी। ये लोग आज भी पत्रकारिता एवं पत्रकारों को प्रेरणा देते हैं। यह विचार मध्यप्रदेश के माननीय राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने हिंदी पत्रकारिता दिवस पर आयोजित ऑनलाइन व्याख्यान में व्यक्त किए।

            माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने ‘शिक्षा, पत्रकारिता एवं जीवन मूल्य’ विषय पर अपने संबोधन में कहा कि हमें पूर्वजों से जो इतिहास धरोहर के रूप में मिला है, उसे देखना जरूरी है। महापुरुषों के संघर्ष और उनकी वैचारिक प्रतिबद्धता को देखकर, उससे प्रेरित होकर रास्ता निकालने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जिस समय पत्रकारिता मिशन थी, तब पत्रकारिता का उद्देश्य शोहरत नहीं था। उस समय पत्रकारिता विदेशी गुलामी के प्रति जो जनाक्रोश था, उसकी अभिव्यक्ति थी। उस समय समाज की विकृतियों को दूर करने और उसके जागरण के लिए पत्रकारिता का उपयोग किया जाता था। किंतु, धीरे-धीरे यह प्रतिबद्धता कम होने लगी। इसी कारण आज जो स्थिति है, उसमें बहुत कम ऐसे लोग उभर रहे हैं, जिनमें बौद्धिक क्षमता, आत्मबल, प्रतिबद्धता और सामाजिक उद्देश्य के लिए संघर्ष करने का साहस दिखता हो।

            उन्होंने कहा कि सामाजिक समस्याओं के प्रति पत्रकारों की निश्चित अवधारणा एवं विचार जब लेखनीबद्ध होते हैं, तो वे ज्वाला बन जाते हैं। आपातकाल के दौर की साहसिक पत्रकारिता का भी उल्लेख माननीय राज्यपाल ने किया। सोशल मीडिया के दुरुपयोग के प्रति भी उन्होंने चेताया और उसे रोकने के लिए आगे आने की बात कही।

            इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि हिंदी के विस्तार में हिंदी पत्रकारिता का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने बताया कि बांग्लाभाषी कोलकाता से हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत हुई। कोलकाता भारतीय भाषायी पत्रकारिता का सबसे बड़ा केंद्र रहा है। पंडित जुगलकिशोर शुक्ल ने 30 मई, 1826 को उदंत्त मार्तंड का प्रकाशन कर हिंदी पत्रकारिता की नींव रखी। उन्होंने बताया कि आगामी सात दिन तक ‘हिंदी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत विश्वविद्यालय विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर भी ऑनलाइन व्याख्यान आयोजित कराने जा रहा है।

आज का व्याख्यान :

31 मई को शाम 4:00 बजे से ‘वेब मीडिया में उद्यमिता’ विषय पर वरिष्ठ पत्रकार श्री जयदीप कर्णिक का व्याख्यान रहेगा।  

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बलिदानी पत्रकार आज भी देते हैं प्रेरणा : माननीय राज्यपाल माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ‘हिंदी पत्रकारिता सप्ताह’ का शुभारंभ, 31 मई को शाम 4 बजे ‘वेब मीडिया में उद्यमिता’ विषय पर व्याख्यान भोपाल, 30 मई, 2020: आज हमें उन पत्रकारों को याद करना चाहिए, जिन्होंने अपनी लेखनी से समाज जागरण का कार्य…