अधिसूचना: सत्र जनवरी, 2022 के छात्र पंजीयन की अंतिम तिथि में दिनांक 07 मार्च, 2022 तक वृद्धि करने बाबत्
भोपाल, 21 फरवरी, 2022: मध्यप्रदेश आजकल फिल्मों का एक बहुत बड़ा हब बन गया है। यहाँ फ़िल्मों की लगातार शूटिंग हो रही है। फिल्म में करियर के लिये ये बहुत अच्छा अवसर है। ये कहना है माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश का। विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा स्क्रिप्ट राइटिंग विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को फिल्म निर्देशक श्री आकाशादित्य लामा और स्क्रिप्ट राइटर श्री अतुल गंगवार ने संबोधित किया।
कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा किसी भी चीज का चित्रण करने के लिये फिल्म बहुत ही सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि फिल्में ज्यादा प्रभावी रहती हैं। उन्होंने ताशकन्द फाइल्स सहित कुछ अन्य फ़िल्मों का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म के चलते आजकल नये और छोटे शहरों के अभिनेताओं को बहुत काम मिल रहा है। कई फिल्में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश में शूट हो रही हैं। प्रो. सुरेश ने अंतर्राष्ट्रीय मात्र भाषा दिवस और विश्वविद्यालय के बिशनखेड़ी स्थित नये कैम्पस में मार्च में होने वाले लघु फिल्म फेस्टिवल के बारे में भी जानकारी दी।
वरिष्ठ पत्रकार एवं स्क्रिप्ट राइटर अतुल गंगवार ने कहा कि डिजिटल युग में मोबाइल भी फिल्म के लिये बड़ा साधन हो गया है। उन्होंने कहा कि कहानीकार हम सब के अंदर होता है, जरुरत इसे पहचानने की है। श्री गंगवाल ने बताया कि कहानी को कहने के तरीके को स्क्रीनप्ले कहा जाता है।
स्क्रिप्ट राइटर एवं डायरेक्टर आकाशादित्य लामा ने कहा कि कहानी लिखने के लिये सबसे पहले आइडिया आना चाहिए। उसके बाद कहानी, फिर स्क्रीन प्ले, कैरेक्टर्स उसके बाद डायलोग। श्री लामा ने कहा कि सबसे पहले आपको क्यूरियस बनना पड़ेगा, तो आप जीनियस बनेंगे। उन्होंने कहा कि इस फील्ड में जानने की प्रवृत्ति बहुत जरुरी है। श्री लामा ने कहा कि राइटर बनना है तो सबसे पहले अपनी संस्कृति का ज्ञान होना चाहिये। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे साहित्य आवश्यक रूप से पढ़ें। कार्यशाला का संचालन विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग के अध्यक्ष प्रो. पवित्र श्रीवास्तव ने किया।






फिल्म के लिए बहुत बड़ा हब बन गया है मध्यप्रदेश : कुलपति प्रो. केजी सुरेश सबसे पहले क्यूरियस बनना पड़ेगा, तो आप जीनियस बनेंगे : श्री आकाशादित्य लामा डिजिटल युग में मोबाइल भी फिल्म के लिए बड़ा साधन : श्री अतुल गंगवार पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा स्क्रिप्ट राइटिंग विषय पर एक…
भोपाल, 14 फरवरी, 2022: शोध हमारी जीवनशैली का हिस्सा होना चाहिए। हमें शिक्षण के साथ ही शोध कार्य की ओर बढ़ना है। इसके लिये शिक्षकों को अच्छे शोध प्रस्ताव बनाकर भेजना चाहिये। ‘राइटिंग रिसर्च प्रपोजल एंड फंडिंग अपार्चुनिटी’ विषय पर संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए यह बात माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कही। संकाय सदस्य विकास व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत जेएनयू की स्कूल ऑफ़ इन्टरनेशनल स्टडीस के सेंटर फ़ॉर यूरोपियन स्टडीस की प्रोफेसर डॉ. शीतल शर्मा ने विस्तार से इस विषय पर शिक्षकों के साथ संवाद किया।
नवीन मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से आयोजित इस व्याख्यान में मुख्य वक्ता डॉ. शीतल शर्मा ने शोध परियोजना लेखन की विधि के साथ ही यह भी बताया कि कैसे और कहाँ से आपके शोध को फंडिंग मिल सकती है। उन्होंने कहा कि यदि आप शोध प्रस्ताव तैयार करना चाहते हैं तो ज्यादातर समय उसी बारे में विचार करते रहें। जब आप शोध लेखन पर विचार करेंगे तो उसके सभी पहलुओं पर ध्यान देंगे। डॉ. शीतल ने कहा कि किसी भी शोध के लिये चार प्रश्न आवश्यक होते हैं- क्या, क्यों, कैसे और कब। उन्होंने कहा कि सबसे पहले यह जान लेना चाहिये कि आप पीएचडी का प्रस्ताव लिख रहे हैं या शोध का। डॉ. शीतल ने कहा कि शोध में नए विचार और नवीनता पर विशेष जोर जाता है। इसलिए सबसे अधिक समय अपने शोध विषय और विचार को देना चाहिए।
व्याख्यान की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि हमें समय की मांग के अनुसार कार्य करना होगा। भगवान बुद्ध के मध्यम मार्ग की बात करते हुए उन्होंने कहा कि शोध कार्य एवं शोध प्रस्ताव लेखन शिक्षकों के लिए बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमें इस दिशा में लगन और मेहनत के साथ कार्य करना है। व्याख्यान का संयोजन नवीन मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग की अध्यक्ष एवं डीन अकादमिक प्रो. पी. शशिकला ने किया और संचालन सहायक प्राध्यापक श्री मनोज धुर्वे ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य उपस्थित रहे।




शोध प्रस्ताव में हो नवीनता : डॉ. शीतल शर्मा अच्छे शोध प्रस्ताव तैयार करें शिक्षक : प्रो. केजी सुरेश पत्रकारिता विश्वविद्यालय में ‘शोध प्रस्ताव लेखन एवं अवसर’ विषय पर संकाय सदस्यों के लिए विशेष व्याख्यान का आयोजन भोपाल, 14 फरवरी, 2022: शोध हमारी जीवनशैली का हिस्सा होना चाहिए। हमें शिक्षण के साथ ही शोध कार्य…
भोपाल, 13 फरवरी, 2022: विश्व रेडियो दिवस के प्रसंग पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने बताया है कि सूचना प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से विश्वविद्यालय को विशनखेड़ी में नवनिर्मित परिसर में सामुदायिक रेडियो ‘कर्मवीर’ की स्थापना के लिए नियति पत्र प्राप्त हुआ है। विश्वविद्यालय की ओर से सामुदायिक रेडियो स्टेशन के लिए आवश्यक प्रक्रिया तेज कर दी गई है। यह सामुदायिक रेडियो न केवल विद्यार्थियों के प्रशिक्षण के लिए महत्वपूर्ण होगा बल्कि विशनखेड़ी क्षेत्र में विकास संचार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। कुलपति प्रो. सुरेश ने रीवा में तैयार हुए नवनिर्मित परिसर में भी सामुदायिक रेडियो स्थापित करने की बात कही है।
एमसीयू का नया परिसर विशनखेड़ी में 50 एकड़ में बनकर तैयार है। विद्यार्थियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण देने और विकास संचार का बढ़ावा देने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय प्रशासन ने नये परिसर में सामुदायिक रेडियो की स्थापना के लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय में आवेदन किया था। जिस पर सरकार ने सकारात्मक रुख दिखाते हुए विश्वविद्यालय को ‘नियति पत्र’ प्रदान कर दिया है। विश्वविद्यालय में स्थापित होनेवाले सामुदायिक रेडियो का नाम स्वतंत्रता सेनानी एवं महान संपादक पंडित माखनलाल चतुर्वेदी के सुप्रसिद्ध समाचारपत्र ‘कर्मवीर’ पर रखा गया है। इस कम्युनिटी रेडियो के प्रारंभ होने से विश्वविद्यालय के विद्यार्थी रेडियो के कार्यक्रम निर्माण से लेकर उसके प्रसारण एवं व्यवहारिक तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे। चूँकि सामुदायिक रेडियो से प्रसारित सामग्री शिक्षाप्रद और जन-जागृति के स्वभाव की होती है, इसलिए कर्मवीर से प्रसारित सामग्री का सकारात्मक प्रभाव विशनखेड़ी की ग्रामीण जनता पर भी पड़ेगा। कुलपति प्रो. सुरेश ने बताया कि विद्यार्थियों के साथ-साथ स्थानीय समुदाय द्वारा इसका कंटेंट तैयार कराया जाएगा।
विश्व रेडियो दिवस के प्रसंग पर केंद्र सरकार से प्राप्त ‘नियति पत्र’ की जानकारी साझा करते हुए कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि ‘कर्मवीर सामुदायिक रेडियो’ की स्थापना विश्वविद्यालय की विकास यात्रा में एक मील का पत्थर साबित होगी। विद्यार्थियों के साथ ही आसपास के क्षेत्र को इसका सीधा लाभ मिलेगा। हम प्रयास कर रहे हैं कि रीवा में प्रारंभ हुए नवनिर्मित परिसर में भी सामुदायिक रेडियो की स्थापना हो। इसके लिए विश्वविद्यालय जल्द ही सूचना प्रसारण मंत्रालय को आवेदन देगा। उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय ने हाल ही में पॉडकास्टिंग एवं लाइव स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म ‘आई-रेडियो कर्मवीर’ भी शुरू किया है।
इसलिए मनाते हैं विश्व रेडियो दिवस:
कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि आज भी रेडियो को सबसे प्रभावी संचार माध्यम माना जाता है। पॉडकास्ट के माध्यम से एक बार फिर रेडियो जैसे श्रव्य माध्यम का प्रभाव लोगों को समझ आ रहा है। उन्होंने बताया कि विश्व रेडियो दिवस मनाए जाने की शुरुआत 2012 में की गयी थी। स्पेन रेडियो एकेडमी ने वर्ष 2010 में पहली बार 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाये जाने का प्रस्ताव रखा था। इसके बाद वर्ष 2011 में यूनेस्को के सदस्य राज्यों द्वारा इसे घोषित किया गया और 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसे अपनाया गया था। इसके बाद यूनेस्को ने पहली बार 13 फरवरी 2012 को विश्व रेडियो दिवस मनाया।

पत्रकारिता विश्वविद्यालय के नये परिसर में स्थापित होगा ‘सामुदायिक रेडियो कर्मवीर’ केंद्र सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय को दिया सामुदायिक रेडियो कर्मवीर की स्थापना के लिए नियति पत्र विश्व रेडियो दिवस पर कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा, रीवा परिसर में भी स्थापित करेंगे सामुदायिक रेडियो भोपाल,…
भोपाल, 08 फरवरी, 2022: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘हाऊ टू गेन फ्रूटफुल एंड आईपीआर इम्पावरमेंट’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि पेटेंट बहुत ही महत्वपूर्ण है और शोधार्थी और प्राध्यापकों को इस दिशा में पहल करनी चाहिए। यदि हमें विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनानी है तो हमें गुणवत्तापूर्ण शोध पर ध्यान देना होगा।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि पेटेंट उपयोगी हो, कमर्शियल हो और विश्वविद्यालय को भी इसका लाभ अवश्य मिले। इस अवसर पर कंप्यूटर एवं अनुप्रयोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. सीपी अग्रवाल ने कहा कि जिसके अंदर रचनात्मकता है, जिज्ञासा है उसके लिये इस क्षेत्र में अनेक अवसर हैं। वहीं, आइपीआर रिसर्चर श्री तन्मय अग्रवाल ने आईपीआर की बारीकियों पर बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जो हम सोच सकते हैं, वह कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि एक पेंटिंग पर भी कॉपीराइट किया जा सकता है। वरिष्ठ शोधार्थी एवं संकाय डॉ. कमल उप्रेति ने कहा कि यदि आपके पास इनोवेशन है तो आप बहुत कुछ कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि पेटेंट का विधिवत परीक्षण होता है।
संचालन कर रहे प्रो. मनीष माहेश्वरी ने बौद्धिक संपदा और रचनात्मक उत्पादन पर कहा कि योग्य और प्रतिभावान लोगों की हर जगह जरुरत है। आभार प्रदर्शन सह-प्राध्यापक डॉ. सुनीता द्विवेदी ने किया। कार्यशाला में कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी, सभी विभागों के अध्यक्ष, शिक्षक एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।



समाजहित में हो पेटेंट का उपयोग : कुलपति प्रो. केजी सुरेश माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘बौद्धिक संपदा अधिकार’ पर कार्यशाला का आयोजन, पेटेंट और कॉपीराइट पर चर्चा भोपाल, 08 फरवरी, 2022: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘हाऊ टू गेन फ्रूटफुल एंड आईपीआर इम्पावरमेंट’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में कुलपति…
भोपाल, 31 जनवरी, 2022: दादा माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्र के अलावा कुछ सोचते ही नहीं थे। उन्होंने कवि, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी, अपने सभी रूपों एवं भूमिकाओं में राष्ट्रीय चेतना का जागरण करने का कार्य किया। यह विचार सुप्रसिद्ध पत्रकार एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति श्री अच्युतानंद मिश्र ने व्यक्त किए। वे माखनलाल चतुर्वेदी की पुण्य तिथि के प्रसंग पर 31 जनवरी को आयोजित राष्ट्रीय व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता ऑनलाइन उपस्थित थे। व्याख्यान का आयोजन एमसीयू ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि माखनलालजी की लेखनी देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत थी।
‘माखनलालजी के कृतित्व में राष्ट्रीय चेतना के स्वर’ विषय पर अपने उद्बोधन में श्री अच्युतानंद मिश्र ने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी पर गांधीजी का ही नहीं अपितु बाल गंगाधर तिलक का भी बहुत प्रभाव था। उनकी पत्रकारिता में इसकी झलक दिखती है। माखनलालजी का जीवन दर्शन राष्ट्रीयता को समर्पित था। श्री मिश्र ने कहा कि भरतपुर के आयोजन में माखनलालजी ने पत्रकारिता के सिद्धांतों की रूपरेखा प्रस्तुत की। यहीं उन्होंने सबसे पहले पत्रकारिता के प्रशिक्षण हेतु संस्थान की संकल्पना प्रस्तुत की थी। उनका मानना था कि पत्रकारिता के क्षेत्र में आने वाले पत्रकारों का प्रशिक्षण आवश्यक है। दादा माखनलालजी ने अपनी कलम से कभी समझौता नहीं किया।
कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि व्यापक राष्ट्र हित क्या है, आज के साहित्यकारों को इसका विचार करना चाहिए। सरकारों की नीतियों की आलोचना की जा सकती है लेकिन भारतीय सेना के पराक्रम पर प्रश्न चिन्ह खड़े करने पर राष्ट्रहित के प्रश्न उपस्थित होते हैं।
कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि दादा माखनलालजी बिल्कुल स्पष्ट थे कि उनकी कलम को क्या लिखना है। महात्मा गांधी को कोरा राजनीतिज्ञ, स्वामी विवेकानंद को कोरा संन्यासी और माखनलालजी को कोरा साहित्यकार या पत्रकार कहकर उनका ठीक मूल्यांकन नहीं किया जा सकता। कुलपति प्रो. सुरेश ने महात्मा गांधीजी का स्मरण करते हुए कहा कि गांधीजी इस सदी के महान संचारकों में शामिल हैं। गांधीजी ने अपनी पत्रकारिता से समाज को दिशा देने का काम किया।
विशिष्ट अतिथि श्रीमती इंदिरा दांगी ने कहा कि माखनलालजी के उल्लेख के बिना हिन्दी साहित्य पर विमर्श नहीं किया जा सकता। हमारे यहां साहित्य के लिए जीवन बोध को प्रमुखता दी गई है। लेकिन नए साहित्य में जीवन बोध और राष्ट्रीय चेतना के स्वर कम हुए हैं। कई कविताएं तो भारत विरोध में लिखी जा रही हैं। हम राष्ट्रीय पर्वों पर महान कवियों की रचनाओं की जगह ऐसी कविताओं को उल्लेखित कर रहे हैं, जो भारतीयता की विरोधी हैं। श्रीमती दांगी ने माखनलालजी की कविताओं का पाठ करके बताया कि उनकी कविताओं में राष्ट्रीय चेतना का स्वर तीव्र है। उन्होंने कहा कि आधुनिक समय में साहित्यकारों ने ऐसा वातावरण बना दिया कि लोक मंगल की कविताएं लिखने वालों को साहित्य से बाहर ही कर दिया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि आज हमें माखनलालजी चतुर्वेदी नहीं मिलते। इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है कि साहित्य में कैसे फिर से सांस्कृतिक चेतना का स्वर आएगा।
विषय प्रवर्तन करते हुए एडजंक्ट प्रोफेसर शिवकुमार विवेक ने कहा कि माखनलालजी को जानना भारत को जानने जैसा है। एक माखनलालजी के भीतर तीन व्यक्तित्व थे और तीनों का प्रखर स्वर राष्ट्रीय था। साहित्य के साथ ही पत्रकारिता उनके राष्ट्रीय भाव की वाहनी थी।
इस अवसर पर पत्रकारिता विभाग की विद्यार्थियों द्वारा माखनलाल चतुर्वेदी पर केंद्रित प्रायोगिक समाचार पत्र विकल्प के ‘पुण्य स्मरण विशेषांक’ का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन सहायक कुलसचिव श्री विवेक सावरीकर और आभार ज्ञापन कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने किया। कार्यक्रम में विभागध्यक्ष, शिक्षक और अधिकारी उपस्थित रहे।






माखनलालजी ने सभी भूमिकाओं में राष्ट्रीय चेतना का किया जागरण : श्री अच्युतानंद मिश्र देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत थी माखनलालजी की लेखनी : प्रो. केजी सुरेश प्रखर संपादक एवं स्वतंत्रता सेनानी पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की पुण्यतिथि के प्रसंग पर पत्रकारिता विश्वविद्यालय में वार्षिक राष्ट्रीय व्याख्यान का आयोजन भोपाल, 31 जनवरी, 2022: दादा माखनलाल चतुर्वेदी…