आरटीआई सवाल पूछने के लिए नहीं जानकारी लेने के लिए हैः श्यामलाल

आरटीआई सवाल पूछने के लिए नहीं जानकारी लेने के लिए हैः श्यामलाल

वसंत साहित्य उत्सव में विद्यार्थियों ने भी की भागीदारी, पूछे प्रश्न

भोपाल, 29 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित `वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) के पहले दिन राजनीति, पत्रकारिता, साहित्य और विविध विषयों से जुड़ी पुस्तकों पर रोचक और आकर्षक चर्चा हुई। लेखकों ने सुरुचिपूर्ण तरीके से पुस्तक पर विचार रखे। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने भी चर्चा में उत्साहपूर्वक भाग लिया। पत्रकारिता विषय पर केंद्रित सत्र में वरिष्ठ पत्रकार श्यामलाल यादव ने अपनी किताब ‘जर्नलिस्ट थ्रू आरटीआई’ इनफार्मेशन इन्वेस्टीगेशन इम्पेक्ट’ ने कहा कि यह किताब सूचना के अधिकार पर केंद्रित है, जिसमें उनके द्वारा आरटीआई से प्राप्त जानकारी के आधार पर खबरें बनाई गई है। आरटीआई प्रश्न पूछने के लिए नहीं है बल्कि जानकारी निकालने के लिए है।

सुश्री प्रियंका दुबे की पत्रकारिता ‘नो नेशन फॉर वुमेन’,पर राकेश दीक्षित ने कहा कि दुष्कर्म पीड़ितों से संबंधित पुस्तक समाज को झकझोरती है। मनोज द्विवेदी ने ‘जनसंपर्क :बदलते आयाम’ पुस्तक पर कहा कि नई तकनीकी का जनसंपर्क में किस तरह से उपयोग किया जाता है, यह किताब इस बात को स्पष्ट करती है। डॉ. संजीव गुप्ता ने ‘पर्यटन लेखन’ पुस्तक पर कहा कि किस तरह से प्रभावी लेखन किया जाए इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देती है। उन्होंने कहा कि पर्यटन में रोजगार के अवसर भी हैं। सचिन कुमार जैन ने संविधान पर ‘भारतीय संविधान की विकास गाथा’, पुस्तक पर कहा कि यह किताब संविधान मूल्यों पर केंद्रित है। वरिष्ठ पत्रकार राजेश सिरोठिया ने अपनी पुस्तक ‘खबर नवीसी आपबीती आंखों-देखी’ पर कहा कि यह उनके अनुभव को बांटती है, ताकि आने वाली पीढ़ी पत्रकारिता के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके। विजय मनोहर तिवारी ने यात्रा वृतांत ‘भारत की खोज में मेरे पांच साल’ को लेकर कहा कि यह पुस्तक उन घटनाओं पर केंद्रित है जो पहले कभी मीडिया में कवर नहीं की गई थी।

साहित्य पर केंद्रित समानांतर सत्र में पुष्यमित्र के उपन्यास ‘जब नील का दाग मिटाः  चम्पारण 1917’पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि गुलामी के दौर में लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया तो आज अपनों के खिलाफ तो जरूर करना चाहिए। व्यंग्यकार सतीश एलिया ने अपनी किताब `अन्नम् ब्रह्मा’ पर कहा कि लेखन आजीविका, पैसे और शोहरत के लिए नहीं संतुष्टि के लिए करना चाहिए।

आशुतोष नाडकर ने अपनी पुस्तक शकुनी पासों का महारथी के बारे में बताया कि यह उपन्यास शकुनी को एक किरदार के रूप में प्रस्तुत करती है। खलनायक होने के बावजूद उनमें कुछ अच्छे गुण थे। वरुण सखाजी श्रीवास्तव ने अपनी व्यंग्य कृति परलोक में सेटेलाइट पर चर्चा के दौरान कहा कि खुरदरी जमीन पर ही पत्रकार पैदा होते हैं।

सुदर्शन व्यास ने अपने काव्य संग्रह `रिश्तों की बूंदें’ पर चर्चा करते हुए कहा कि जन्म से लेकर मृत्यु तक व्यक्ति किसी न किसी तरह के प्रेम का अनुभव करता है। विविध विषयों की पुस्तकों के समांतर सत्र में आदित्य श्रीवास्तव ने अपनी किताब `तुम ही मैं हूं’ पर चर्चा में कहा कि कविता अपनी मर्जी से उपजती है, आप लाख कोशिश कर लें वह खुद पैदा नहीं होती। अंकुर जैन ने `ये हौंसला कैसे झुके’ के बारे में बताया कि जिंदगी का महत्व हम तभी जान पाते हैं जब हम संघर्ष करते हैं। डा विष्णु राजगढ़िया ने `पुस्तक सूचना का अधिकार व्यावहारिक मार्गदर्शिका’ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक आम नागरिक अपने लिए आरटीआई का उपयोग करता है लेकिन एक पत्रकार समाज और लोकतंत्र की मजबूती के लिए आरटीआई का प्रयोग करता है। अभिषेक खरे ने `कैरियर समाधान’ के बारे में बताया कि नौकरी रुचि की होनी चाहिए नहीं तो वह एक बोझ बन जाती है।

राजनीतिक पुस्तकों पर आधारित समांतर सत्र में ब्रजेश राजपूत ने कहा कि अधिकतर चुनाव नकारात्मक होते हैं क्योंकि हम किसी को हराते नहीं हटाते हैं। `चुनाव है बदलाव का’ शीर्षक से प्रकाशित उनकी किताब एक हजार से ज्यादा बिक चुकी हैं। कृष्णकांत शुक्ला ने अपनी किताब `वचनबद्ध मध्यप्रदेश’ पर चर्चा में कहा कि आने वाले समय में डिजिटल मीडिया  का भी एक पाठ्यक्रम होगा।

आरटीआई सवाल पूछने के लिए नहीं जानकारी लेने के लिए हैः श्यामलाल वसंत साहित्य उत्सव में विद्यार्थियों ने भी की भागीदारी, पूछे प्रश्न भोपाल, 29 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित `वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) के पहले दिन राजनीति, पत्रकारिता, साहित्य और विविध विषयों से जुड़ी पुस्तकों पर रोचक और…

लेखन के लिए कोई एक सांचा नहीं – मधुकर उपाध्याय

लेखन के लिए कोई एक सांचा नहीं – मधुकर उपाध्याय

एमसीयू में वसंत साहित्य उत्सव का शुभारंभ

पूर्व विद्यार्थियों, लेखकों का समागम

महात्मा गांधी के जीवन, संदेशों पर केंद्रित पोस्टर प्रदर्शनी का हुआ शुभारंभ

भोपाल, 29 जनवरी, 2020: लेखन का कोई एक सिद्धांत नहीं होता, फार्मूला या सांचा नहीं हो सकता, कोई एक वैचारिकता नहीं हो सकती है, जो यह स्पष्ट कर दे कि लेखन अच्छा है या बुरा । अच्छा लेखक वही है जो सह्दय है और साधारण तरीके से अपनी बात लोगों से कहता है । यह विचार वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार और लेखक मधुकर उपाध्याय ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित वसंत साहित्य उत्सव (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए । भरत मुनि के नाट्यशास्त्र, तुलसीदास और महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए उन्होंने समानधर्मा, सह्दय, साधारणीकरण की अवधारणा को संचार के सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और द इंडियन एक्सप्रेस के वरिष्ठ संपादक श्यामलाल यादव ने कहा कि पुस्तक लिखना चुनौतीपूर्ण कार्य है। लेखन में गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाना चाहिए, ऐसा न हो कि हम बायोडाटा में उल्लेख करने के लिए किताबें लिखें। उन्होंने कहा कि चार की बजाय एक पुस्तक लिखें, लेकिन ऐसी लिखें जिसे हम गर्व से अपनी कह सकें।

विशिष्ट अतिथि और मध्यप्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने पत्रकारिता के विद्यार्थियों से कहा कि विश्वविद्यालय की डिग्री सिर्फ गेटपास का काम कर सकती है, लेकिन आपकी खबर आपकी नौकरी सुरक्षित रखेगी, इसलिए आप खूब लिखने और पढ़ने की आदत बनाएं। पत्रकार अपनी डेली डायरी को संभालकर रखें। श्री तिवारी ने पांच सालों में आठ बार भारत का भ्रमण किया । इस दौरान उन्होंने जो डायरी में लिखा वही ‘भारत की खोज में मेरे पांच साल’ किताब का आधार बना।

उद्घघाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति दीपक तिवारी ने वसंत साहित्य उत्सव के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय साहित्य उत्सव के रूप में वसंत पंचमी मना रहा है और इसमें पूर्व विद्यार्थियों की कृतियों पर चर्चा की जा रही है, यह उनके लेखन का सम्मान है। पत्रकारिता को सीमाओं से परे बताते हुए कुलपति श्री तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता का काम सवाल करना, सूचनाओं को जन-जन तक पहुंचाना, भ्रांतियां दूर करना,फेक न्यूज पर रोक लगाना और वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को जगाना है । उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के 30 साल पूरे होने पर इस वर्ष को उत्कृष्टता वर्ष के रूप में मना रहा है। विश्वविद्यालय की उत्कृष्टता में सभी की भागीदारी होगी, इसमें पूर्व विद्यार्थियों का भी सहयोग लिया जाएगा। इससे पूर्व वसंत साहित्य उत्सव का प्रारंभ वसंत राग की प्रस्तुति से हुआ। इसे रेडियो की जानीमानी कलाकार सुलेखा भट्ट और उनके साथियों ने मंत्रमुग्ध कर देने वाली शैली में प्रस्तुत किया।

महात्मा गांधी के जीवन और संदेशों पर आधारित पोस्टर प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र रही : इस मौके पर विश्वविद्यालय परिसर के राधेश्याम शर्मा विमर्श सदन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन संबंधी 115 पोस्टरों की प्रदर्शनी का शुभारंभ अतिथियों ने किया। पोस्टरों में गांधी जी के जीवन दर्शन को छायाचित्रों और टिप्पणियों के माध्यम से दर्शाया गया है।

लेखन के लिए कोई एक सांचा नहीं – मधुकर उपाध्याय एमसीयू में वसंत साहित्य उत्सव का शुभारंभ पूर्व विद्यार्थियों, लेखकों का समागम महात्मा गांधी के जीवन, संदेशों पर केंद्रित पोस्टर प्रदर्शनी का हुआ शुभारंभ भोपाल, 29 जनवरी, 2020: लेखन का कोई एक सिद्धांत नहीं होता, फार्मूला या सांचा नहीं हो सकता, कोई एक वैचारिकता नहीं…

वसंत साहित्य उत्सव में लेखकों का समागम आज

वसंत साहित्य उत्सव में लेखकों का समागम आज

एमसीयू में दो दिवसीय लिटरेचर फेस्टिवल

महात्मा गांधी के जीवन, संदेशों पर केंद्रित पोस्टर प्रदर्शनी का होगा शुभारंभ

भोपाल, 28 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा  पूर्व विद्यार्थियों एवं प्रतिष्ठित लेखकों की कृतियों पर केंद्रित ‘वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) का आज 29 जनवरी को शुभारंभ होगा। दो दिवसीय इस साहित्य समागम में देश के वरिष्ठ पत्रकार, प्रसिद्ध साहित्कार एवं विश्वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थी भाग लेंगे। कार्यक्रम में विभिन्न विषयों पर केंद्रित 34 पुस्तकों, कविता संग्रह, उपन्यास आदि पर चार समानान्तर सत्रों में चर्चा होगी। इस अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन, संदेशों पर केंद्रित पोस्टर प्रदर्शनी भी लगेगी।

          विद्यार्थियों के सृजनात्मक उपलब्धियों से जुड़े इस कार्यक्रम का उद्घाटन सुबह 10:30 बजे विश्वविद्यालय के राधेश्याम शर्मा विमर्श सदन में होगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि लेखक एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री मधुकर उपाध्याय होंगे। विशिष्ट अतिथि राज्य सूचना आयुक्त श्री विजय मनोहर तिवारी एवं इंडियन एक्सप्रेस के वरिष्ठ संपादक श्री श्यामलाल यादव होंगे। उद्घघाटन सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति श्री दीपक तिवारी करेंगे।

          वसंत साहित्य उत्सव में पहले दिन अलग-अलग सत्र आयोजित होंगे। दूसरे दिन समापन सत्र के अतिरिक्त तीन अलग-अलग सत्रों में पुस्तकों पर चर्चा होगी । इन सत्रों में लेखक पुस्तक के संबंध में विचार रखेंगे एवं इसके बाद पुस्तक पर चर्चा होगी एवं सत्र में प्रश्नोतर भी होंगे।  इस आयोजन हेतु विश्वविद्यालय ने पूर्व विद्यार्थियों एवं लेखकों से ऑनलाइन इंट्री आमंत्रित की थी।

         वसंत साहित्य उत्सव का समापन 30 जनवरी को दोपहर दो बजे होगा। द वायर के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार श्री सिद्धार्थ वरदराजन समापन सत्र के मुख्य अतिथि होंगे। जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव श्री संजय कुमार शुक्ला विशिष्ट अतिथि होंगे। विश्वविद्यालय अपने 30वें वर्ष को उत्कृष्टता वर्ष के रुप में मना रहा है, इसी क्रम में यह साहित्य उत्सव हो रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व विद्यार्थियों की रचनात्मक उपलब्धियों को प्रोत्साहित करने के लिए पहली बार यह एकाग्र आयोजन किया जा रहा है।

इनकी पुस्तकों पर होगी चर्चा : वरिष्ठ पत्रकार श्यामलाल यादव की पत्रकारिता पर आधारित ‘जर्नलिस्ट थ्रू आरटीआई’, सुश्री प्रियंका दुबे की पत्रकारिता पर ‘नो नेशन फॉर वुमेन’, श्री मनोज द्विवेदी की जनसंपर्क विषय पर ‘जनसंपर्क :बदलते आयाम’, डॉ. संजीव गुप्ता की पर्यटन विषय पर पुस्तक ‘पर्यटन लेखन’, श्री सचिन कुमार जैन की संविधान पर ‘भारतीय संविधान की विकास गाथा’, श्री हेमेन्द्र शर्मा के उपन्यास ‘सेहला मसूद : द मर्डर देट शॉक द नेशन’, वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेश सिरोठिया की पत्रकारिता पर केंद्रित ‘खबर नवीसी आपबीती आंखों-देखी’, श्री विजय मनोहर तिवारी के साहित्यिक उपन्यास ‘भारत की खोज में मेरे पांच साल’, डॉ.दीपक राय की ‘सोशल मीडिया, राजनीति और समाज’, श्री अनुज खरे के व्यंग्य संग्रह ‘बातें बेमतलब’, श्री पीयूष बबेले के साहित्यिक उपन्यास ‘नेहरु : मिथक और सत्य’, श्री दयाशंकर मिश्र की ‘जीवन संवाद: डिप्रेशन और आत्महत्या के विरुद्ध’, श्री ब्रजेश राजपूत की राजनीतिक गतिविधियों पर केंद्रित पुस्तक ‘चुनाव है बदलाव का’, श्री अखिलेश्वर पाण्डेय के काव्य संग्रह ‘पानी उदास है’, श्री कृष्णकांत शुक्ल की पुस्तक ‘वचनबद्ध मध्यप्रदेश’, श्री हिमांशु द्विवेदी के आलेख संग्रह ‘अलाव’,  श्री अनुराग ढेंगुला के यात्रा वृतांत ‘सागर से झील तक’, श्री विनय त्रिपाठी के काव्य संग्रह ‘आ जाएगा कोई साथ’, श्री पुष्यमित्र के उपन्यास ‘जब नील का दाग मिटा:चम्पारण 1917’, वरिष्ठ पत्रकार श्री सतीश एलिया के व्यंग्य ‘अन्नं ब्रम्हं’, श्री आशुतोष नाडकर के साहित्यिक उपन्यास ‘शकुनि: पासों का महारथी’, श्री बरुण सखाजी श्रीवास्तव की ‘परलोक में सैटेलाइट’, श्री सुदर्शन व्यास के काव्य संग्रह ‘रिश्तों की बूंदें’, सुश्री श्रुति कुशवाहा के काव्य संग्रह ‘कशमकश’, श्री विवेक मृदुल के काव्य संग्रह ‘सृजन पथ’, श्री दीपक पगारे के काव्य संग्रह ‘लौटेगी नदी एक दिन’, श्री आदित्य श्रीवास्तव के काव्य संग्रह ‘तुम ही मैं हूं’, अंकुर जैन के प्रेरक साहित्य ‘ये हौंसला कैसे झुके’, डॉ. विष्णु राजगढ़िया की ‘सूचना का अधिकार : व्यावहारिक मार्गदर्शिका’, श्री अभिषेक खरे की ‘कैरियर समाधान’, श्री देवेश पाण्डे की ‘आज के दौर की मीडिया’,सुश्री प्रीति शर्मा जैन की पुस्तक ‘सशक्त अभिभावक, सफल बच्चे’, श्री सोमिल जैन के उपन्यास ‘उड़ान एक परिंदे की’, श्री कुंवर इंद्रजीत सिंह के उपन्यास ‘ड्रीम गर्ल’ पर समान्तर सत्रों में चर्चा होगी।

वसंत साहित्य उत्सव में लेखकों का समागम आज एमसीयू में दो दिवसीय लिटरेचर फेस्टिवल महात्मा गांधी के जीवन, संदेशों पर केंद्रित पोस्टर प्रदर्शनी का होगा शुभारंभ भोपाल, 28 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा  पूर्व विद्यार्थियों एवं प्रतिष्ठित लेखकों की कृतियों पर केंद्रित ‘वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) का आज…

29-30 को होगा वसंत साहित्य उत्सव में लेखकों का समागम

29-30 को होगा वसंत साहित्य उत्सव में लेखकों का समागम

एमसीयू में दो दिवसीय लिटरेचर फेस्टिवल

भोपाल, 27 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा  पूर्व विद्यार्थियों एवं प्रतिष्ठित लेखकों की कृतियों पर केंद्रित ‘वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) का 29 जनवरी को शुभारंभ होगा। दो दिवसीय इस साहित्य समागम में देश के वरिष्ठ पत्रकार, प्रसिद्ध साहित्कार एवं विश्वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थी भाग लेंगे। कार्यक्रम में विभिन्न विषयों पर केंद्रित 34 पुस्तकों, कविता संग्रह, उपन्यास आदि पर चार समानान्तर सत्रों में चर्चा होगी।

विद्यार्थियों के सृजनात्मक उपलब्धियों से जुड़े इस कार्यक्रम का उद्घाटन 29 जनवरी को सुबह 10:30 बजे विश्वविद्यालय के राधेश्याम शर्मा विमर्श सदन में होगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि लेखक एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री मधुकर उपाध्याय होंगे। विशिष्ट अतिथि राज्य सूचना आयुक्त श्री विजय मनोहर तिवारी एवं इंडियन एक्सप्रेस के वरिष्ठ संपादक श्री श्यामलाल यादव होंगे। उद्घघाटन सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति श्री दीपक तिवारी करेंगे।

वसंत साहित्य उत्सव में पहले दिन अलग-अलग सत्र आयोजित होंगे। दूसरे दिन समापन सत्र के अतिरिक्त तीन अलग-अलग सत्रों में पुस्तकों पर चर्चा होगी। 30 जनवरी को दोपहर दो बजे समापन सत्र आयोजित किया जाएगा। द वायर के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार श्री सिद्धार्थ वरदराजन सत्र के मुख्य अतिथि होंगे। जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव श्री संजय कुमार शुक्ला विशिष्ट अतिथि होंगे। विश्वविद्यालय अपने 30वें वर्ष को उत्कृष्टता वर्ष के रुप में मना रहा है, इसी क्रम में यह साहित्य उत्सव हो रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व विद्यार्थियों की रचनात्मक उपलब्धियों को प्रोत्साहित करने के लिए पहली बार यह एकाग्र आयोजन किया जा रहा है।

इनकी पुस्तकों पर होगी चर्चा : रामनाथ गोयनका उत्कृष्ट पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित श्यामलाल यादव की पत्रकारिता पर आधारित ‘जर्नलिस्ट थ्रू आरटीआई’, सुश्री प्रियंका दुबे की पत्रकारिता पर ‘नो नेशन फॉर वुमेन’, श्री मनोज द्विवेदी की जनसंपर्क विषय पर ‘जनसंपर्क :बदलते आयाम’, डॉ. संजीव गुप्ता की पर्यटन विषय पर पुस्तक ‘पर्यटन लेखन’, श्री सचिन कुमार जैन की संविधान पर ‘भारतीय संविधान की विकास गाथा’, श्री हेमेन्द्र शर्मा के उपन्यास ‘सेहला मसूद : द मर्डर देट शॉक द नेशन’, वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेश सिरोठिया की पत्रकारिता पर केंद्रित ‘खबर नवीसी आपबीती आंखों-देखी’, श्री विजय मनोहर तिवारी के साहित्यिक उपन्यास ‘भारत की खोज में मेरे पांच साल’, डॉ.दीपक राय की ‘सोशल मीडिया, राजनीति और समाज’, श्री अनुज खरे के व्यंग्य संग्रह ‘बातें बेमतलब’, श्री पीयूष बबेले के साहित्यिक उपन्यास ‘नेहरु : मिथक और सत्य’, श्री दयाशंकर मिश्र की ‘जीवन संवाद: डिप्रेशन और आत्महत्या के विरुद्ध’, श्री ब्रजेश राजपूत की राजनीतिक गतिविधियों पर केंद्रित पुस्तक ‘चुनाव है बदलाव का’, श्री अखिलेश्वर पाण्डेय के काव्य संग्रह ‘पानी उदास है’, श्री कृष्णकांत शुक्ल की पुस्तक ‘वचनबद्ध मध्यप्रदेश’, श्री हिमांशु द्विवेदी के आलेख संग्रह ‘अलाव’,  श्री अनुराग ढेंगुला के यात्रा वृतांत ‘सागर से झील तक’, श्री विनय त्रिपाठी के काव्य संग्रह ‘आ जाएगा कोई साथ’, श्री पुष्यमित्र के उपन्यास ‘जब नील का दाग मिटा:चम्पारण 1917’, श्री सतीश एलिया के व्यंग्य ‘अन्नं ब्रम्हं’, श्री आशुतोष नाडकर के साहित्यिक उपन्यास ‘शकुनि: पासों का महारथी’, श्री बरुण सखाजी श्रीवास्तव की ‘परलोक में सैटेलाइट’, श्री सुदर्शन व्यास के काव्य संग्रह ‘रिश्तों की बूंदें’, सुश्री श्रुति कुशवाहा के काव्य संग्रह ‘कशमकश’, श्री विवेक मृदुल के काव्य संग्रह ‘सृजन पथ’, श्री दीपक पगारे के काव्य संग्रह ‘लौटेगी नदी एक दिन’, श्री आदित्य श्रीवास्तव के काव्य संग्रह ‘तुम ही मैं हूं’, अंकुर जैन के प्रेरक साहित्य ‘ये हौंसला कैसे झुके’, डॉ. विष्णु राजगढ़िया की ‘सूचना का अधिकार : व्यावहारिक मार्गदर्शिका’, श्री अभिषेक खरे की ‘कैरियर समाधान’, श्री देवेश पाण्डे की ‘आज के दौर की मीडिया’,सुश्री प्रीति शर्मा जैन की पुस्तक ‘सशक्त अभिभावक, सफल बच्चे’, श्री सोमिल जैन के उपन्यास ‘उड़ान एक परिंदे की’, श्री कुंवर इंद्रजीत सिंह के उपन्यास ‘ड्रीम गर्ल’ पर समान्तर सत्रों में चर्चा होगी।

29-30 को होगा वसंत साहित्य उत्सव में लेखकों का समागम एमसीयू में दो दिवसीय लिटरेचर फेस्टिवल भोपाल, 27 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा  पूर्व विद्यार्थियों एवं प्रतिष्ठित लेखकों की कृतियों पर केंद्रित ‘वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) का 29 जनवरी को शुभारंभ होगा। दो दिवसीय इस साहित्य समागम में देश के वरिष्ठ पत्रकार, प्रसिद्ध साहित्कार एवं विश्वविद्यालय…

एमसीयू में 29 एवं 30 जनवरी को वसंत साहित्य उत्सव

एमसीयू में 29 एवं 30 जनवरी को वसंत साहित्य उत्सव

भोपाल, 25 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय प्रख्यात लेखकों, पत्रकारों, पूर्व एवं वर्तमान विद्यार्थियों द्वारा लिखित पुस्तकों पर केंद्रित‘वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) का आयोजन करने जा रहा है। यह आयोजन 29 एवं 30 जनवरी को विश्वविद्यालय के भोपाल स्थित परिसर में होगा, जिसमें देश के प्रख्यात पत्रकारों के साथ ही विश्वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थी भागादारी करेंगे। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक श्री मधुकर उपाध्याय  होंगे। द हिन्दू के पूर्व संपादक एवं द वायर के मुख्य संपादक श्री सिद्धार्थ वरदराजन् समापन सत्र के मुख्य अतिथि होंगे। दोनों सत्रों की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति श्री दीपक तिवारी करेंगे।

            साहित्य उत्सव में विभिन्न विषयों की पुस्तकों पर चार समान्तर सत्र आयोजित किए जाएंगे। इन सत्रों में पत्रकारिता, साहित्य, राजनीति एवं विविध समसामयिक विषयों की पुस्तकों पर चर्चा की जाएगी। वसंत साहित्य उत्सव का शुभारंभ सुबह 10:30 बजे होगा। पहले दिन पांच अलग-अलग सत्र आयोजित होंगे। दूसरे दिन समापन सत्र के अतिरिक्त तीन अलग-अलग सत्रों में पुस्तकों पर चर्चा होगी। इस साहित्य उत्सव में भाग लेने के इच्छुक लेखक विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.mcu.ac.in पर जाकर नि:शुल्क ऑनलाइन पंजीयन करा सकते हैं। साहित्य उत्सव में विभिन्न विषयों की 30 से अधिक पुस्तकों पर चर्चा होगी। विश्वविद्यालय अपने 30वें वर्ष को उत्कृष्टता वर्ष के रुप में मना रहा है, इसी क्रम में यह साहित्य उत्सव हो रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व विद्यार्थियों की रचनात्मक उपलब्धियों को प्रोत्साहित करने के लिए पहली बार यह एकाग्र आयोजन किया जा रहा है।

एमसीयू में 29 एवं 30 जनवरी को वसंत साहित्य उत्सव भोपाल, 25 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय प्रख्यात लेखकों, पत्रकारों, पूर्व एवं वर्तमान विद्यार्थियों द्वारा लिखित पुस्तकों पर केंद्रित‘वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) का आयोजन करने जा रहा है। यह आयोजन 29 एवं 30 जनवरी को विश्वविद्यालय के भोपाल स्थित…

राधेश्याम शर्मा ने जो बीज बोया, आज वह वटवृक्ष है

राधेश्याम शर्मा ने जो बीज बोया, आज वह वटवृक्ष है

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पहले कुलपति (महानिदेशक) डॉ. राधेश्याम शर्मा को किया गया याद

भोपाल, 14 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की यात्रा को 30 वर्ष होने को हैं। विश्वविद्यालय की यह यात्रा उत्कृष्टता की ओर है। आज विश्वविद्यालय ने जो प्रगति की है, वह जिस वटवृक्ष के रूप में हमें दिखाई पड़ रहा है, उसका बीज स्वर्गीय राधेश्याम शर्मा जैसे मूर्धन्य पत्रकार ने बोया था। वे विश्वविद्यालय के संस्थापक महानिदेशक रहे हैं। वह जिस समन्वय की दृष्टि को लेकर चले थे, विश्वविद्यालय उसी सोच पर आगे बढ़ रहा है। यह विचार विश्वविद्यालय के कुलपति श्री दीपक तिवारी ने ‘स्मरण डॉ. राधेश्याम शर्मा’ कार्यक्रम में व्यक्त किए। डॉ. शर्मा के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने और उनका पुण्य स्मरण करने के लिए विश्वविद्यालय परिवार एवं सप्रे संग्रहालय की ओर से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति श्री तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय की संकल्पना के अनुरूप हम सब विचारधाराओं को साथ लेकर चल रहे हैं। विश्वविद्यालय लगातार उत्कृष्टता के लिए प्रयासरत है। विश्वविद्यालय का जोर अब गुणवत्तापूर्ण शोधकार्य पर है। हम प्रयास करेंगे कि स्वर्गीय राधेश्याम शर्मा की पत्रकारिता पर भी शोध कार्य हो।

विश्वविद्यालय की आत्मा थे डॉ. शर्मा:

डॉ. शर्मा को याद करते हुए वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय का ढांचा श्री अरविन्द चतुर्वेदी ने खड़ा किया, लेकिन उसकी आत्मा राधेश्याम शर्मा बने। विश्वविद्यालय को विस्तार देने में वह सबको साथ लेकर चले। वह इस विश्वविद्यालय को भारतीय भाषाओं की पत्रकारिता का तीर्थ बनाना चाहते थे। सप्रे संग्रहालय के संस्थापक श्री विजयदत्त श्रीधर ने अपने संबोधन में कहा कि स्वर्गीय शर्मा निर्मल स्वभाव के थे। वह सदैव सबकी फिक्र करते थे। सब पत्रकारों को जोड़ कर रखने का प्रयास करते थे। वह लोगों को किसी चौ-खाने में रखकर नहीं देखते थे।

मूर्धन्य एवं सच्चे पत्रकार:      

स्वर्गीय शर्मा की पत्रकारिता का स्मरण करते हुए वरिष्ठ पत्रकार श्री लज्जाशंकर हरदेनिया ने बताया कि किस प्रकार एक सच्चे पत्रकार को अपनी विचारधारा और अपने प्रोफेशन को अलग-अलग रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि राधेश्याम शर्मा जी की सबसे बड़ी विशेषता थी कि वह खबर को सूंघने की क्षमता रखते थे। उन्होंने विभिन्न समाचार-पत्रों को नई पहचान दी। विश्वविद्यालय के पूर्व रेक्टर श्री ओपी दुबे ने कहा कि स्वर्गीय शर्मा केवल मूर्धन्य पत्रकार ही नहीं थे, बल्कि वे बहुत अच्छे इंसान भी थे। उनमें अहंकार बिल्कुल भी नहीं था।

संस्था की चिंता करने वाले प्रशासक:

विश्वविद्यालय की पूर्व प्राध्यापिका दविंदर कौर उप्पल ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह सबको स्नेह देते थे। उनका व्यक्तित्व बहुत सहज था। वे छोटे से कर्मचारी को भी भरपूर सम्मान देते थे। उन्होंने महानिदेशक रहते हुए अपने व्यवहार से बताया कि संस्था प्रमुख को अपनी जिद नहीं पालनी चाहिए। अच्छा संस्था प्रमुख वही है जो अपनी जिद छोड़कर संस्था के विकास की चिंता करे। वरिष्ठ पत्रकार श्री चंद्रकांत नायडू ने कहा कि विचारधारा को लेकर राधेश्याम जी कभी कर्कश नहीं रहे। आज उनके जैसे लोगों की कमी है। वे ऐसे व्यक्तित्व थे कि उनके साथ बैठ लिए तो लगता था कि जैसे एकाध किताब पढ़ ली हो। स्वर्गीय शर्मा जी के निकट सम्बन्धी श्री हर्ष शर्मा ने भी उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और उनके साथ अपने निजी अनुभव साझा किए। कार्यक्रम का संचालन प्रो. संजय द्विवेदी ने किया। आभार व्यक्त सहायक कुलसचिव श्री विवेक सावरीकर ने किया। इस अवसर पर नगर के प्रबुद्ध नागरिक, पत्रकार एवं विश्वविद्यालय के कर्मचारी, अधिकारी एवं शिक्षकगण उपस्थित रहे।

राधेश्याम शर्मा ने जो बीज बोया, आज वह वटवृक्ष है पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पहले कुलपति (महानिदेशक) डॉ. राधेश्याम शर्मा को किया गया याद भोपाल, 14 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की यात्रा को 30 वर्ष होने को हैं। विश्वविद्यालय की यह यात्रा उत्कृष्टता की ओर है। आज विश्वविद्यालय ने जो प्रगति…

डॉ. राधेश्याम शर्मा की स्मृति में कार्यक्रम आज

डॉ. राधेश्याम शर्मा की स्मृति में कार्यक्रम आज

पत्रकारिता विश्वविद्यालय एवं सप्रे संग्रहालय का संयुक्त आयोजन

भोपाल, 06 जनवरी 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में 14 जनवरी, मंगलवार को सुबह 11 बजे वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादक डॉ. राधेश्याम शर्मा की स्मृति में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। डॉ. शर्मा विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति (महानिदेशक) थे। हाल ही में उनका निधन हुआ है। कार्यक्रम ‘स्मरण डॉ. राधेश्याम शर्मा’ में पूर्व कुलपति श्री अरविंद चतुर्वेदी, सप्रे संग्रहालय के संस्थापक श्री विजयदत्त श्रीधर, वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेन्द्र शर्मा, श्री लज्जाशंकर हरदेनिया, श्री चंद्रकांत नायडू, प्रो. दविंदर कौर उप्पल और श्री हर्ष शर्मा के वक्तव्य होंगे। वे डॉ. शर्मा के साथ हुए अपने अनुभव साझा करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति श्री दीपक तिवारी करेंगे। यह कार्यक्रम पत्रकारिता विश्वविद्यालय और माधवराव सप्रे स्मृति समाचार संग्रहालय एवं शोध संस्थान का संयुक्त आयोजन है।

            उल्लेखनीय है कि 28 दिसंबर, 2019 को पंचकूला, हरियाणा में डॉ. राधेश्याम शर्मा का निधन हुआ। वे 1990 में भोपाल में स्थापित हुए माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पहले महानिदेशक (कुलपति) नियुक्त किए गए थे। वे लंबे समय तक सक्रिय पत्रकार एवं संपादक के रूप में भी पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं। अपने विद्यार्थी जीवन में काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी में पढ़ते हुए ही वे पत्रकारिता से जुड़ गए थे। 1956 में उन्होंने पूरी तरह अपने आपको पत्रकारीय कर्म में समर्पित कर दिया। तब से लेकर आजतक मध्यप्रदेश से लेकर पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली की पत्रकारिता में उन्होंने अपने उजले पदचिन्ह छोड़े। एक नगर प्रतिनिधि से काम प्रारंभ कर वे विशेष संवाददाता और फिर दैनिक ट्रिब्यून, चंडीगढ़ जैसे महत्तवपूर्ण समाचार-पत्र के संपादक बने। बाद में, उन्होंने हरियाणा साहित्य अकादमी के निदेशक की जिम्मेदारी भी संभाली।

डॉ. राधेश्याम शर्मा की स्मृति में कार्यक्रम आज पत्रकारिता विश्वविद्यालय एवं सप्रे संग्रहालय का संयुक्त आयोजन भोपाल, 06 जनवरी 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में 14 जनवरी, मंगलवार को सुबह 11 बजे वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादक डॉ. राधेश्याम शर्मा की स्मृति में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। डॉ. शर्मा विश्वविद्यालय के…