Online Faculty Development Program on Cyber Security to be held on 6th to 10th December 2021 sponsored by AICTE ATAL
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भोपाल, 19 नवम्बर, 2021: विश्व बाल दिवस (20 नवंबर) के प्रसंग पर शुक्रवार को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के प्रांगण में दो दिवसीय ‘मांदल’ फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन मध्य प्रदेश शासन के चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास सारंग ने किया। इस प्रदर्शनी में छह किशोरों द्वारा खींची हुई 60 तस्वीरें प्रदर्शित की गई हैं। इनमें झाबुआ के दो और धार के चार चाइल्ड फोटोग्राफर शामिल हैं। विश्व बाल दिवस को सेलिब्रेट करने के लिए इस गो ब्लू थीम पर नीले रंग के गुब्बारे भी सभी विशिष्ट अथितियों द्वारा आकाश में छोड़े गए। शाम को विश्वविद्यालय भवन पर नीली रोशनी की व्यवस्था की गई।
‘यूथ फॉर चिल्ड्रन’ के अंतर्गत यूनिसेफ, वसुधा विकास संस्थान एवं माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित प्रदर्शनी में ‘बाल अधिकार के साथ आदिवासी लोकदर्शन और मांडव’ थीम पर खींची गई तस्वीरों को विशेष रूप से सम्मिलित किया गया। इन तस्वीरों में सीमित संसाधनों के ग्रामीण परिवेश में बच्चों की मासूम मुस्कान और मानवीय भावनाएं तीव्रता से प्रकट होती हैं।
इस अवसर पर मंत्री श्री विश्वास सारंग ने अपने संबोधन में कहा कि बच्चे ही समाज के भविष्य का निर्धारण और देश का निर्माण करते हैं। इसलिए बच्चों को स्वस्थ वातावरण और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने होंगे। भगवान श्रीकृष्ण ने बचपन से अपना लीडरशिप कौशल दिखाया था। छोटे बच्चे गीली मिट्टी के समान होते हैं। उन्हें आकार देना हमारा काम है।
इस अवसर पर यूनिसेफ मध्यप्रदेश की चीफ मार्गरेट ग्वाडा ने कहा कि यूनिसेफ की 75 वर्षगांठ पर हम बच्चों का भविष्य उज्ज्वल देखना चाहते हैं। तस्वीरें शब्दों से ज्यादा सशक्त अभिव्यक्ति का माध्यम है और बच्चों ने इस माध्यम का बेहतरीन इस्तेमाल किया है
माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने इस अवसर पर कहा कि बाल अधिकार हमारे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेंगे। इन विषयों को लेकर समाज में जागरूकता पैदा करना बहुत ज़रूरी है और विश्वविद्यालय इसमें अपनी भूमिका ज़रूर निभाएगा। कार्यक्रम में यूनिसेफ के कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट श्री अनिल गुलाटी, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार श्री अविनाश बाजपेई जी एवं वसुधा विकास संस्थान से डॉ. गायत्री परिहार भी उपस्थित रहे।
प्रदर्शनी में फोटो शामिल होने पर बाल फोटोग्राफर ने यह कहा:
प्रदर्शनी में अपना फोटो लगाने वाली 16 साल की रिया सोनी झाबुआ के नौ गाँव से हैं और उन्होंने मांडव में पारम्परिक रूप से होने वाली खेती, पुराने किलों के मुंडेरों पे खेलते बच्चों आदि को अपने कैमरे में कैद किया है। रिया कहती हैं कि मांडव की सादगी भरी ज़िंदगी से ये सीखने को मिला कि कम में भी खुश रहा जा सकता है। वहीं, 16 साल की पूजा हटिला को भी तस्वीरें खींचने में बहुत मज़ा आया। वे कहती हैं कि हमारे गांव में पहले कोई भी लड़की तस्वीरें नहीं खींचती थी। लेकिन जब मुझे ये मौका मिला तो कैमरा चलाकर काफी अच्छा लगा। खिलखिलाते बचपन की तस्वीरें खींचकर मज़ा आया।
नालछा गांव में रहने वाले 17 वर्षीय ऋतिक यादव वैसे तो 11 कक्षा में कृषि की पढाई कर रहे हैं, लेकिन उनकी तस्वीरें देखकर लगता है कि जैसे उन्होंने प्रोफेशनल फोटोग्राफी सीखी हो। ऋतिक कहते हैं कि हम सुबह 12 बजे कैमरा लेकर निकले थे और शाम 6 बजे तक घूम-घूमकर ये तस्वीरें खींचते रहे। पता ही नहीं था यहां कौनसी तस्वीरें लगेंगी। यहां अपनी तस्वीरें देखकर अच्छा लग रहा है।
मांडव के ही रहने वाले 17 साल के हर्ष यादव कहते हैं कि हम जहां तस्वीरें खींचने गए थे, वहां के बच्चों के पास खिलौने नहीं हैं, तो वे टायर से खेल रहे थे। मैंने उनकी तस्वीरें लीं। गांव में काम कर रही महिलाओं को ग्रुप सेल्फी लेना सिखाया और उनकी सेल्फी लेते हुए तस्वीरें खींची। और जब हमारी वालंटियर दीदी बच्चों को कैमरा चलाना सीखा रही थीं, तो मैंने दोस्त के मोबाइल से उनकी तस्वीर ली। देखकर अच्छा लग रहा है कि वो तस्वीर भी यहां प्रदर्शनी में लगी है।







देश का निर्माण करते हैं बच्चे : श्री विश्वास सारंग हम बच्चों का भविष्य उज्ज्वल देखना चाहते हैं – मार्गरेट ग्वाडा बाल अधिकार हमारे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेंगे – प्रो. के.जी. सुरेश चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास सारंग ने किया ‘मांदल’ फोटो एग्जिबिशन का उद्घाटन भोपाल, 19 नवम्बर, 2021: विश्व बाल दिवस (20 नवंबर) के…
भोपाल, 19 नवम्बर,2021: लाइफ स्किल एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट पर आयोजित अटल एफडीपी प्रोग्राम नींव का पत्थर साबित होगा। ये कहना है जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट का। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा ऑनलाइन आयोजित एफडीपी को ऐतिहासिक बताते हुए उन्होंने विवि के कुलपति प्रो. केजी सुरेश, संयोजक प्रो. सीपी अग्रवाल और पूरी टीम को बधाई दी। वे एआईसीटीई एवं एमसीयू द्वारा आयोजित पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
एफडीपी के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि आजकल व्यक्ति हर तरह का संचार बार-बार कर रहा है, लेकिन अपने अंदर संचार नहीं कर रहा है, जबकि उसे सबसे अधिक आवश्यकता अपने भीतर संचार करने की है। प्रो. सुरेश ने कहा कि पांच दिवसीय एफडीपी में सभी प्रतिभागियों ने अपने भीतर संचार किया और स्वयं से संवाद किया। एफडीपी के अंतिम दिन श्री अमोल कराले, श्री गुरुनाथ, डॉ. मोक्क्षगुंडम और श्री साजन गलानी ने भी अपने विचार विचार व्यक्त किए।
कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने कहा कि शांति, संयम एवं एकाग्रचितता की आजकल बहुत कमी हो रही है। ऐसे कार्यक्रमों से व्यक्ति को तनाव प्रबंधन का कौशल सीखने को मिलता है। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. सीपी अग्रवाल ने पांच दिवसीय आयोजन की रिपोर्ट प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अरुण कुमार खोबरे ने किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के सह-संयोजक प्रो. मनीष माहेश्वरी एवं अन्य शिक्षक उपस्थित रहे।

नींव का पत्थर साबित होगा अटल कार्यक्रम : मंत्री तुलसी सिलावट जीवन कौशल है संचार : कुलपति प्रो.सुरेश पत्रकारिता विश्वविद्यालय में ‘लाइफ स्किल एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट’ पर पांच दिवसीय एफडीपी का समापन भोपाल, 19 नवम्बर,2021: लाइफ स्किल एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट पर आयोजित अटल एफडीपी प्रोग्राम नींव का पत्थर साबित होगा। ये कहना है जल संसाधन…
भोपाल, 19 नवम्बर, 2021: विश्व बाल दिवस की पूर्व संध्या पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय का परिसर नीला रोशनी से जगमगा उठा। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. केजी सुरेश ने बटन दबाकर लाइटिंग सेरेमनी का उद्घाटन किया। यूनिसेफ के इस अभियान के अंतर्गत मध्यप्रदेश टूरिज्म की लगभग 70 प्रॉपर्टीज को नीली रोशनी से सजाया गया।
भोपाल शहर की बात करें तो भोपाल नगर निगम के सहयोग से शहर के मुख्य स्थानों जैसे सदर मंज़िल, आधा वीआईपी रोड, रानी कमलापति ब्रिज आदि को नीला किया गया। वहीं, पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय के निर्देशानुसार ‘गो ब्लू’ अभियान के अंतर्गत लालबाग पैलेस इंदौर, जहांगीर महल ओरछा, लक्ष्मी मंदिर ओरछा, महाराजा छत्रसाल महल धुबेला, हिन्दूपत महल पन्ना, गुजरी महल ग्वालियर के अलावा ग्वालियर के ही शाहजहां महल, कर्ण महल और विक्रम महल शाम होते ही नीली रौशनी से जगमगा उठा।
यह है ‘गो ब्लू’ का उद्देश्य:
विश्व बाल दिवस के अवसर पर महत्वपूर्ण स्थानों को नीले रंग में रंगने के पीछे का उद्देश्य एकजुटता को दर्शाना है। इस माध्यम से यूनिसेफ ये संदेश देता है कि हर बच्चे के अधिकारों के लिए खड़े होना आवश्यक है। इस वर्ष चूंकि बच्चे कोविड-19 महामारी की चपेट में हैं, इसलिए यह कोई उत्सव नहीं है, बल्कि प्रत्येक बच्चे के लिए एक बेहतर दुनिया की फिर से कल्पना करने का संकल्प है। इस अभियान में एमसीयू यूनिसेफ के साथ मिलकर काम कर रहा है।




नीली रोशनी से जगमगा उठा एमसीयू विश्व बाल दिवस दिवस के मौके पर पत्रकारिता विश्वविद्यालय में कुलगुरु प्रो. केजी सुरेश ने बटन दबाकर की भवन पर की नीली लाइटिंग भोपाल, 19 नवम्बर, 2021: विश्व बाल दिवस की पूर्व संध्या पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय का परिसर नीला रोशनी से जगमगा उठा। इस…
भोपाल, 18 नवम्बर, 2021: विश्व बाल दिवस (20 नवंबर) के उपलक्ष्य पर फोटो एग्जीबिशन का आयोजन किया जा रहा है। युथ फॉर चिल्ड्रन के अंतर्गत ये एग्जीबिशन यूनिसेफ, माखनलाल राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय एवं वसुधा विकास संस्थान के सहयोग से आयोजित हो रहा है।
– 19 नवंबर को माखनलाल विश्वविद्यालय के परिसर में प्रदर्शनी का उद्घाटन किया जाएगा।
– इस प्रदर्शनी में 13-16 वर्ष की आयु के 6 बच्चों द्वारा खींची हुई 60 तस्वीरें प्रदर्शित की जाएंगी। इनमें झाबुआ के दो और धार के चार चाइल्ड फोटोग्राफर शामिल हैं।
– कार्यक्रम में माखनलाल विश्वविद्यालय के वाईस चांसलर प्रोफेसर केजी सुरेश, यूनिसेफ की चीफ सुश्री मार्ग्रेट ग्वाडा, यूनिसेफ के कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट श्री अनिल गुलाटी, एवं वसुधा विकास संस्थान से डॉ. गायत्री परिहार मौजूद होंगी।
विश्व बाल दिवस के उपलक्ष्य में 19 नवंबर को फोटो एग्जिबिशन का आयोजन भोपाल, 18 नवम्बर, 2021: विश्व बाल दिवस (20 नवंबर) के उपलक्ष्य पर फोटो एग्जीबिशन का आयोजन किया जा रहा है। युथ फॉर चिल्ड्रन के अंतर्गत ये एग्जीबिशन यूनिसेफ, माखनलाल राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय एवं वसुधा विकास संस्थान के सहयोग से आयोजित हो रहा…
एमसीयू में यूनिसेफ के सहयोग से ‘बाल अधिकार को लेकर मीडिया विमर्श’ का आयोजन
भोपाल, 18 नवम्बर, 2021: अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस (29 नवंबर) और बाल अधिकार संरक्षण सप्ताह के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय और यूनिसेफ ने मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यक्रम में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि बाल अधिकारों के प्रति मीडिया की भूमिका को बढ़ाने के लिए पत्रकारिता के पाठ्यक्रम में बाल अधिकारों को शामिल करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम तैयार करने लिए विश्वविद्यालय प्रशासन, महिला एवं बाल विकास विभाग और यूनिसेफ के प्रतिनिधि मिल कर विमर्श करेंगे।
बाल अधिकार और मीडिया विषय पर आयोजित इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि कोविड 19 महामारी के दौरान अध्ययन जरूर बंद था लेकिन विश्वविद्यालय ने स्वास्थ्य सम्बन्धित मुद्दों पर जागरूकता के लिए अनेक वेबिनार और कार्यक्रम आयोजित किए। विश्वविद्यालय को पत्रकार और समाज के बीच सेतु बताते हुए प्रो. सुरेश ने कहा कि पत्रकारिता का अंतिम लक्ष्य व्यवहार परिवर्तन है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को यूं तो बाल अधिकारों के बारे में पढ़ाया जाता है लेकिन अब बाल अधिकारों को व्यवस्थित रूप से पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा।
कार्यक्रम में बतौर विशेष अतिथि मौजूद महिला एवं बाल विकास विभाग के अतिरिक्त संचालक विशाल नाडकर्णी ने कहा कि बच्चों के लिए कोरोना काल बड़ी मुसीबत साबित हुआ है। विभाग ने बच्चों को राहत पहुंचाने का हर संभव प्रयास किया है। स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संवेदनशीलता के साथ बच्चों को राहत देने की योजनाओं को प्राथमिकता दी है। यही कारण है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना में कोरोना काल में माता-पिता को खो देने वाले बच्चों की आर्थिक सहायता के साथ उन्हें निःशुल्क शिक्षा और निःशुल्क राशन दिए जाने का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री कोविड बाल सेवा योजना में 1365 अनाथ बच्चों को लाभ दिया जा रहा है। पाक्सो और जेजे एक्ट की जानकारी देते हुए अतिरिक्त संचालक विशाल नाडकर्णी ने कहा कि बाल अधिकारों का हनन होने या शोषण की जानकारी होने पर भी सूचना नहीं देना अपराध है। सभी की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों के संरक्षण पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि पहले गुड टच और बैड टच की बात होती थी। लेकिन अब बच्चों को गुड टच नहीं सेफ टच की समझ देनी होगी। बच्चों को समझाना होगा कि उनके लिए सुरक्षित टच क्या है।
बाल अधिकार विशेषज्ञ के रूप में मौजूद मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने बाल अधिकारों पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि आयोग ने बच्चों अधिकारों के मामलों को गंभीरता से सुना है। यही कारण है कि प्रदेश में बाल अधिकारों के उल्लंघन की लंबित शिकायतों की संख्या 100 से भी कम है। उन्होंने कहा कि मीडिया को बाल अधिकरों के उल्लंघन और शोषण के मामलों की रिपोर्टिंग संवेदनशीलता और जिम्मेदारी से काम करना चाहिए।
यूनिसेफ के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी ने बाल अधिकारों और उनसे जुड़े कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पाक्सो और जेजे एक्ट में स्पष्ट प्रावधान है कि बाल अधिकार उल्लंघन या शोषण की खबरों में किसी भी तरह से बच्चे की पहचान उजागर करना अपराध है। यहां तक कि नवजात शिशुओं के लिए मां के दूध के विकल्प के रूप में किसी भी सामग्री का प्रचार प्रसार भी अपराध है। यदि किसी को ऐसी जानकारी मिलती है तो उसे तुरंत प्रशासन की जानकारी में लाना चाहिए।
कार्यशाला में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार गिरीश उपाध्याय ने सुझाव दिया कि सरकार की ओर से बच्चों को दी जाने वाली कॉपियों में बाल अधिकारों को प्रकाशित करना चाहिए। इसी तरह पाठ्यपुस्तकों में चाइल्ड हेल्प लाइन के नंबर प्रकाशित करना अनिवार्य किया जाना चाहिए।
कार्यशाला का संचालन विश्वविद्यालय के कुलसचिव अविनाश वाजपेयी ने किया। कार्यशाला में वरिष्ठ पत्रकार संदीप पौराणिक, सरमन नगेले, मयंक चतुर्वेदी, प्रशांत जैन, अजीत द्विवेदी, दिनेश शुक्ला, शरबानी बनर्जी आदि उपस्थित थे।




बाल अधिकारों को पत्रकारिता के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा: प्रो. केजी सुरेश गुड टच नहीं अब सेफ टच की बात करनी जरूरी: विशाल नाडकर्णी बच्चों के अधिकारों का संरक्षण एक विभाग नहीं, सभी की जिम्मेदारी: ब्रजेश चौहान एमसीयू में यूनिसेफ के सहयोग से ‘बाल अधिकार को लेकर मीडिया विमर्श’ का आयोजन भोपाल, 18 नवम्बर, 2021:…
भोपाल, 17 नवम्बर, 2021: बदलाव के लिए मुहूर्त की प्रतीक्षा न करें। अटल जीवन महोत्सव के अंतर्गत लाइफ स्किल एंड स्ट्रेश मैनेजमेंट पर आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में ये विचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने व्यक्त किए। कोरोनाकाल के बाद जिंदगी विषय एवं अपने अब तक के अनुभवों पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि हर परिस्थिति, समस्या, चुनौतियों का सामना करते हुए एवं उनसे कुछ सीखते हुए जीवन को सकारात्मकता एवं खुशी के साथ जीना चाहिए।
कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि यदि जीवन में आगे बढ़कर सफलता हासिल करना है तो हमें बीते हुए कल को भुलाकर, उन गलतियों से सबक लेकर अपने आज को बेहतर बनाने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने जीवन में बदलाव पर बोलते हुए कहा कि यदि जिंदगी को बेहतर बनाना है तो व्यक्ति को बदलाव कल और आज नहीं बल्कि अभी से ही कर देना चाहिए। यदि ऐसा कर देंगे तो जीवन खुशियों से भर जाएगा।
पांच दिवसीय एफडीपी प्रोग्राम के तीसरे दिन के प्रथम सत्र में स्ट्रेस फ्री लाइफ बाय भक्ति योग पर देवी मां शिवांगी नंद गिरि ने कहा कि ज्ञान एवं योग से भी बढ़कर भक्तियोग है। उन्होंने कहा कि भक्ति योग से जीवन की दशा और दिशा बदल सकती है। शिवांगी जी ने जीवन में संस्कार का महत्व बताते हुए कहा कि संस्कार का होना बहुत जरुरी है यदि संस्कार नहीं है तो व्यक्ति का जीवन पूर्ण नहीं है। उन्होंने श्रीरामचरित मानस के अरण्य कांड में माता सबरी और भगवान राम के बीच भक्ति पर हुए अद्भुत सत्संग नवधा भक्ति के नौ प्रकारों पर भी प्रकाश डाला।
मोटिवेशनल स्पीकर श्री संगीत वर्मा ने अपने उद्वबोधन में कहा कि जो भी करें, आनंद के साथ आनंदचित होकर करें, आपको हर कार्य में आनंद आएगा। उन्होंने कहा कि सभी को अपने मन का विस्तार करना चाहिए। यदि इसका विस्तार कर लिया गया तो व्यक्ति अपने अंदर छिपी हुई अनंत शक्तियों से परिचित हो सकता है। इसके साथ श्री वर्मा ने कहा कि व्यक्ति जो भी कार्य करे उसे पूरे भाव से करना चाहिए। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. सीपी अग्रवाल ने बताया कि इस कार्यक्रम में देशभर से 200 शिक्षक एवं बढ़ी संख्या में विद्यार्थी ऑनलाइन जुड़कर अपनी चेतना का विस्तार कर रहे हैं।
ऑनलाइन आयोजित एआईसीटीई के अटल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी, कार्यक्रम के संयोजक प्रो. सीपी अग्रवाल, प्रो. मनीष माहेश्वरी, प्रो. श्रीकांत सिंह, डॉ. राखी तिवारी, डॉ. सुनीता द्विवेदी, डॉ.मनोज पचारिया, डॉ. रविमोहन शर्मा, डॉ. आरती सारंग विवि के शिक्षक एवं स्कालर भी जुड़े हुए थे।



बदलाव के लिए मुहूर्त की प्रतीक्षा न करें – कुलपति केजी सुरेश ज्ञान एवं योग से भी बढ़कर है भक्तियोग – मां शिवांगी जो भी करें, पूरे भाव से करें – संगीत वर्मा पत्रकारिता विश्वविद्यालय में लाइफ स्किल एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट पर एफडीपी भोपाल, 17 नवम्बर, 2021: बदलाव के लिए मुहूर्त की प्रतीक्षा न करें।…
भोपाल, 16 नवम्बर, 2021: भारत की मीडिया कभी सोने की चिड़िया थी, अब वह चांदी की हो गयी है, आने वाले समय में वह तांबे की होगी या उससे भी नीचे जाएगी, अभी कह नहीं सकते। यह विचार वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रभु चावला ने व्यक्त किये। उन्होंने राष्ट्रीय प्रेस दिवस के प्रसंग पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित कार्यक्रम ‘मीडिया – कल, आज और कल’ में विद्यार्थियों को ऑनलाइन संबोधित किया। वहीं, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति ने कहा कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के स्वरूप में परिवर्तन आवश्यक है। आज जब मीडिया का विस्तार हो चुका है तब इसे सम्पूर्ण मीडिया का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था का स्वरूप देना चाहिए।
मुख्य अतिथि श्री प्रभु चावला ने कहा कि पत्रकार ठीक है तो पत्रकारिता ठीक रहेगी। पत्रकारिता की स्थिति के लिए पत्रकार ही जिम्मेदार हैं। कुछ लोगों के कारण आज समूची पत्रकारिता को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज न्यूज़ से ज्यादा, नाटकीयता महत्वपूर्ण हो गई है। पांच डब्ल्यू और एक एच पत्रकारिता का आधार है। उन्होंने बताया कि आज की पत्रकारिता में एक महत्वपूर्ण आयाम जुड़ गया है- व्हाट नेक्स्ट (आगे क्या)। यानी कोई घटना हुई उसका आगे क्या प्रभाव पड़ेगा, यह भी पाठकों/दर्शकों को बताना है।
‘मीडिया – कल, आज और कल’ को स्पष्ट करते हुए श्री चावला ने कहा कि पहले समाचार बनने के बाद शीर्षक बनते थे लेकिन अब शीर्षक के आधार पर हम समाचार को तैयार करते हैं। उन्होंने कहा कि पहले का मीडिया विचारधारा को आगे बढ़ाने वाला था। एक विशेष वर्ग द्वारा संचालित होता था। पहले का मीडिया धरती से जुड़ा हुआ था। आज का मीडिया आसमान से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि आज की पत्रकारिता में फील्ड रिपोर्टिंग कम हो गयी है। आज हम दूसरों के बताई सूचना के आधार पर खबर बना रहे हैं। आज हम पकी-पकाई खबरों को परोस रहे हैं। पत्रकारिता बदनाम इसलिए हो रही है क्योंकि हम मेहनत करने से पीछे हटने लगे हैं। हमें देवर्षि नारद से प्रेरणा लेनी चाहिए। नारद जी प्रत्यक्ष जाकर समाचारों का संकलन करते थे और उसे वैसे का वैसा परोस देते थे। उन्होंने कहा कि किसी से डरो नहीं, किसी का पक्ष नहीं लो। श्री चावला ने कहा कि आने वाले समय में न्यूज़ को पूरी तरह प्रोडक्ट की तरह बेचा जाएगा। हालांकि यह काम कुछ हद तक अभी से शुरू हो चुका है।
पत्रकार की विचारधारा समाचारों पर हावी नहीं हो:
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि सामान्य व्यक्तियों की तरह पत्रकारों की भी कोई विचारधारा हो सकती है। इसमें कोई दिक्कत नहीं। लेकिन रिपोर्टिंग करते समय पत्रकार को अपनी विचारधारा से मुक्त रहना चाहिए। समाचार लेखन में हमें विचारों की घालमेल नहीं करना चाहिए। हाँ, लेख लिखते समय आप किसी मुद्दे/घटना पर अपने विचार लिख सकते हैं। समाचार में तथ्यों की शुचिता का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपनी मीडिया की जो कमियां हैं, वे हमें ही सुधारनी होंगी, उन्हें बाहर का कोई व्यक्ति नहीं सुधार सकता। इसके साथ ही कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि आज समय आ गया है कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया सम्पूर्ण मीडिया के लिए जिम्मेदार हो। मीडिया को जिम्मेदार बनाने के लिए उसके पास कुछ अधिकार भी हों। उसके स्वरूप को अधिक पारदर्शी, जवाबदेही और सक्षम बनाया जाए। इस अवसर श्री प्रभु चावला ने विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया।
शोध पत्रिका ‘मीडिया मीमांसा’ के नये अंक का विमोचन:
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की शोध पत्रिका ‘मीडिया मीमांसा’ के नये अंक का भी विमोचन किया गया। मीडिया मीमांसा का नया अंक स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के सन्दर्भ में ‘भारत@75 : मीडिया एवं जनसंचार के बदलते आयाम’ थीम पर केन्द्रित रहा। इसका आगामी अंक ‘भारतीय सिनेमा और स्वतंत्रता के 75 वर्ष’ पर केन्द्रित है। कार्यक्रम का संचालन एवं समन्वय जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ. आशीष जोशी ने और आभार ज्ञापन कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में ‘मामाजी माणिकचंद्र वाजपेयी सभागार’ में शिक्षक, अधिकारी एवं विद्यार्थी भी उपस्थित रहे।



भारत का मीडिया कभी सोने की चिड़िया था, आज चांदी का है : श्री प्रभु चावला सम्पूर्ण मीडिया की प्रतिनिधि संस्था बने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया : प्रो. केजी सुरेश राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर पत्रकारिता विश्वविद्यालय में ‘मीडिया – कल, आज और कल’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन भोपाल, 16 नवम्बर, 2021: भारत की मीडिया…