कुछ भी लिखने से पहले जरा सोचिए : श्री दयानंद पाण्डेय

कुछ भी लिखने से पहले जरा सोचिए : श्री दयानंद पाण्डेय

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में विशेष व्याख्यान का आयोजन

भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में 26 अगस्त को विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार श्री दयानंद पाण्डेय और अध्यक्षता कुलगुरु श्री विजय मनोहर तिवारी ने की। श्री पाण्डेय ने कहा कि छपे हुए अक्षरों को लोग आज भी अंतिम सत्य मानते हैं। इसलिए पत्रकार के नाते हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि हम कुछ भी लिखने से पहले जरा सोचें कि उसका क्या प्रभाव होगा। पत्रकारिता में वह ताकत है कि वह लोगों का जीवन बना भी सकती है और बिगाड़ भी सकती है। इसलिए हमें किसी के बारे में कोई पूर्वाग्रह नहीं रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि समाचार लिखते समय किसी की निजता का हनन न हो।

         पत्रकारिता के विद्यार्थियों को अच्छे पत्रकार बनने के सूत्र देते हुए उन्होंने कहा कि हमें कवरेज के लिए जाते समय नदी की तरह होना चाहिए, जो अपने साथ सबकुछ लेकर चलती है। यह हमें बाद में तय करना होगा है कि उसमें से कंकड़ निकालने हैं या हीरे-मोती। उन्होंने कहा कि एक अच्छा पत्रकार बनना है तो हमें अच्छा पढ़ना चाहिए। आजकल विद्यार्थियों में पढ़ने का अभ्यास कुछ कम हुआ है। उन्होंने प्रभाष जोशी, राजेन्द्र माथुर, आलोक तोमर जैसे संपादकों का उदाहरण देकर बताया कि हमारी भाषा समृद्ध और सरस होनी चाहिए। उन्होंने आदिगुरु शंकराचार्य और मंडन मिश्र के संवाद में भारती मिश्र का उदाहरण बताकर कहा कि हमारे यहाँ स्त्रियां भी बहुत विद्वान होती थीं।

श्री पाण्डेय ने कहा कि हमें अच्छा पत्रकार बनकर भारत के संदर्भ में फैलाई गईं भ्रांतियों को भी तोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं अकसर कहता हूँ कि अकबर के समय में तुलसीदास पैदा नहीं हुए, बल्कि तुलसीदास के समय में अकबर पैदा हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलगुरु श्री विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि हमें किसी के पक्ष में खड़ा नहीं होना है, जो देश के पक्ष में बात करे, हम उसके साथ खड़े हों। उन्होंने कहा कि एक पत्रकार के पास विश्वसनीयता के अलावा कुछ नहीं होता। यह विश्वसनीयता हमारी लेखनी से ही आती है। कुलगुरु ने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे अच्छी साहित्यिक पुस्तकें पढ़ें क्योंकि साहित्य के किनारों से टकराकर जब हम आगे बढ़ते हैं तो हमारी भाषा समृद्ध होती है। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार ज्ञापन सहायक प्राध्यापक श्री लोकेन्द्र सिंह राजपूत ने किया। इस अवसर पर विभाग के शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

(प्रो. पी. शशिकला)

कुलसचिव

कुछ भी लिखने से पहले जरा सोचिए : श्री दयानंद पाण्डेय माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में विशेष व्याख्यान का आयोजन भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में 26 अगस्त को विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार श्री दयानंद पाण्डेय और अध्यक्षता कुलगुरु श्री…

एमसीयू सत्रारंभ कार्यक्रम ‘अभ्युदय’ का समापन

एमसीयू सत्रारंभ कार्यक्रम ‘अभ्युदय’ का समापन

ऐसी कहानियां लिखें जो मनोरंजन करें: विपुल के. रावल

सिनेमा की अधिकतर कहानियों में रामकथा की प्रेरणा : अनंत विजय

भोपाल, 22 अगस्‍त। सिनेमा की विभिन्‍न विधाओं में लिखने वाले लेखक देश को देखने और समझने के बाद ही अलग-अलग विषयों का समावेश कहानियों में करते हैं। हमारे देश में कहानियों और उनके विषयों की कोई कमी नहीं है। समाज में अलग-अलग दौर में फिल्‍मों की कहानियां कैसे लिखी गई हैं, इसे पिछले अनेक दशकों की फिल्‍मों को देखकर समझा जा सकता है। यह विचार आज माखनलाल चतुर्वेदी राष्‍ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्‍वविद्यालय के ‘अभ्‍युदय’ के अंतिम दिन ‘रुस्‍तम’ तथा ‘इकबाल’ जैसी चर्चित फिल्‍मों के पटकथा लेखक श्री

विपुल के. रावल ने व्‍यक्‍त की। सत्रारंभ के अंतिम दिन वरिष्‍ठ पत्रकार श्री अनंत विजय, श्री बृजेश कुमार, श्री बालकृष्‍ण एवं सुश्री अदिति राजपूत ने विभिन्‍न सत्रों में विद्यार्थियों को सम्‍बोधित किया।

पटकथा लेखक श्री रावल ने भारतीय फिल्म उद्योग और वैश्विक सिनेमा के विकास की यात्रा पर चर्चा करते हुए फिल्‍म लेखन के क्षेत्र में आ रहे महत्वपूर्ण बदलावों को रियल लाइफ से जुड़े विषयों की कहानियों के साथ प्रस्‍तुत करते हुए लेख न एवं तकनीक के अन्‍तरसम्‍बन्‍धों पर चर्चा की। सत्र में उपस्थित वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय ने कहा कि फिल्मों की कहानियां हमारी भावनाएं ही होती हैं। अगर हम गौर से देखेंगे तो पाएंगे कि सिनेमा की अधिकतर कहानियों में रामकथा की प्रेरणा होती है, क्‍योंकि रामकथा हमारे मन में रची-बसी है। उन्‍होंने कहा कि विभिन्‍न जन माध्‍यमों में आज फिल्‍म समीक्षा किसी फिल्म की व्‍याख्‍या बनकर रह गई है, उसमें विश्‍लेषण एवं विवेचना का अभाव स्‍पष्‍ट झलक रहा है। विद्यार्थियों को इसे समझना बहुत जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि फिल्म रिव्यू राइटिंग के लिए कहानी में डीप डाइव करना जरूरी है। उन्‍होंने बताया कि लोक की विराट जानकारी अगर हमें होगी तो बेहतरीन समीक्षाएं लिख सकेंगे।

एक अन्य सत्र में नेटवर्क 18 के वरिष्ठ संपादक डॉ. बृजेश कुमार सिंह ने कहा कि तीन दशक पहले प्रिंट रेडियो का दौर था। उस समय टीवी पर महज कुछ समाचार बुलेटिन आते थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 के बाद से जिस तरह डिजिटल का दौर शुरु हुआ उसमें प्रिंट मीडिया ने भी खुद को री-इन्वेंट किया और कन्वर्जेंस के हिसाब से खुद को अनुकूल किया। श्री सिंह ने कहा कि आज डिजिटल मीडिया तेजी से बढ़ रहा है और इसने दूसरे माध्यमों को कड़ी प्रतिस्पर्धा दी है। अपने संपादन में उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से घबराने की जरूरत नहीं है। डिजिटल का बाजार बहुत बढ़़ेगा इसके साथ ओरिजिनल कंटेंट की मांग बढ़ेगी, अतःविद्यार्थी अपनी स्किल्स को बेहतर करने पर ध्यान दें।

 

 

इस सत्र के मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार श्री बालकृष्ण ने मीडिया की विश्वसनीयता और ब्रॉडकास्टिंग पर अपने वक्‍तव्‍य में बताया कि किस तरह गलत सूचनाओं ने मीडिया में फैक्ट चैकिंग की मांग बढ़ाई है। उन्होंने कहा कि किस तरह डिजिटल फ्रॉड देश भर में बढ़ रहे हैं। अपने व्याख्यान में उन्होंने मीडिया में विजुअल इन्वेस्टिगेशन और फैक्ट चेकिंग पर बात करते हुए युवा तकनीक के साथ जुड़े रहें। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा एवं एनडीटीवी की एंकर अदिति राजपूत ने कहा कि मीडिया आज एक शक्तिशाली उपकरण है इसमें समाज को परिवर्तन करने की शक्ति है पर निश्चित तौर पर इसके कुछ उत्तरदायित्व भी हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से अध्ययन पर जोर देने और नए कौशल सीखने की बात कही।

सेंसर टेक्नालॉजी पर अपनी बात रखते हुए ड्रोन टेक्‍नालाजी विशेषज्ञ चिराग जैन ने कहा कि मीडिया क्षेत्र से जुड़ी तकनीक का बेहद विकास हुआ है। पिछले कुछ दशकों में यह यात्रा प्रिंट मीडिया से होती हुए बेहरीन कैमरों और ड्रोन तकनीक तक विस्तृत हो गई है। ड्रोन तकनीक का समाज में उपयोग बढ़ रहा है। इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने अपने स्टॉर्टअप से जुड़े अनुभवों को भी साझा किया। इस सत्र में उपस्थित अधिवक्ता शिखा छिब्बर ने भारतीय न्‍याय संहिता के नवीन पहलुओं पर अपना संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि नए कानूनों का उद्देश्य हर आम आदमी को न्याय देना है। उन्होंने बताया कि मीडिया के विद्यार्थियों के लिए नए कानूनों और उनके प्रावधानों का जानना बहुत जरूरी है।

 

 

 

विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा और वर्तमान में कालिंदी कॉलेज, नई दिल्ली की एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. निधि अरोड़ा ने विश्वविद्यालय से जुड़े अपने अनुभव साझा किए।उन्होंने कहा कि सफलता हमेशा आपका साथ देगी जब आप पूरी सामर्थ्य से उसे करेंगे। सिनेमा अध्ययन विभाग की पूर्व छात्रा और फिल्मकार सरिता चौरसिया ने फिल्म की दुनिया में कॅरियर कैसे शुरू करना और विश्वविद्यालय से जुड़े अपने अनुभवों पर अपने विचार रखे।

 

 

 

समापन सत्र में मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्री अशोक पांडे ने कहा कि अधिकार एवं कर्तव्य एक साथ होते हैं, सत्य को समाज के सामने बिना किसी रंग के रखना पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। समाज के धर्म का पालन करना पत्रकारों का उत्तरदायित्व है इस अवसर पर कुलगुरु श्री विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि हमारे जीवन में कदम कदम पर हमें चौंकाता है। जीवन चमत्कृत करने वाली कई घटनाओं से भरा हुआ होता है। उन्होंने कहा कि सत्रारंभ में आए विशेषज्ञों के दिए गुरु मंत्र विद्यार्थियों के लिए जीवन भर काम आने वाले हैं। उन्होंने आह्वान किया कि आगामी 20 वर्षों में देश स्वाधीनता के 100 वर्ष पूरे करेगा और इस दौरान विकसित भारत का स्वप्न युवा विद्यार्थियों के योगदान से ही पूरा हो सकता है।

सत्रारंभ के तीसरे दिन सिनेमा अध्‍ययन विभाग के सत्र के दौरान वर्ष 2025 में फिल्‍म प्रोडक्‍शन के स्‍नातकोत्‍तर पाठ्यक्रम में प्रथम स्‍थान प्राप्‍त करने वाले विद्यार्थी उत्‍सव ठाकुर को स्‍व. श्री अनिल चौबे स्‍मृति पदक एवं 21000 रुपये की राशि प्रदान की गई। इस अवसर पर श्रीमती आराधना चौबे उपस्थित थीं। विभिन्‍न सत्रों का संचालन डॉ. गजेन्‍द्र अवास्‍या, डॉ. सुनीता द्विवेदी, श्री राहुल खडि़या द्वारा किया गया। इस दौरान विभागाध्‍यक्ष प्रो. पवित्र श्रीवास्‍तव, डॉ. मोनिका वर्मा, प्रो. मनीष माहेश्‍वरी एवं समस्‍त विभागाध्‍यक्ष, शिक्षक एवं अधिकारी उपस्थित थे। अंत में आभार विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रोफेसर पी. शशिकला ने किया।

एमसीयू सत्रारंभ कार्यक्रम ‘अभ्युदय’ का समापन ऐसी कहानियां लिखें जो मनोरंजन करें: विपुल के. रावल सिनेमा की अधिकतर कहानियों में रामकथा की प्रेरणा : अनंत विजय भोपाल, 22 अगस्‍त। सिनेमा की विभिन्‍न विधाओं में लिखने वाले लेखक देश को देखने और समझने के बाद ही अलग-अलग विषयों का समावेश कहानियों में करते हैं। हमारे देश…

एमसीयू सत्रारंभ कार्यक्रम ‘अभ्युदय’ का दूसरा दिन

एमसीयू सत्रारंभ कार्यक्रम ‘अभ्युदय’ का दूसरा दिन

एआई से मीडिया में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ेगी लेकिन गुणवत्ता में आएगा निखार : यशवंत व्यास

तकनीक मानव का मुकाबला नहीं कर सकतीं, प्रिंट मीडिया को एआई से बहुत फायदा

हाइपर लोकल दुनिया बहुत महत्वपूर्ण है

भविष्य में प्रिंट मीडिया में फील्ड रिर्पोटिंग के जॉब्स बढ़ेंगे

भोपाल, 21 अगस्त। एआई एक अच्छा साथी या सेवक हो सकता है। इसका मुकाबला ईमानदारी जैसे गुणों से किया जा सकता है। एआई से घबराने की कोई जरूरत नहीं। प्रिंट मीडिया को एआई से बहुत फायदा होगा। एआई के इस दौर में हाइपर लोकल दुनिया बहुत महत्वपूर्ण है, इससे भविष्य में प्रिंट मीडिया में फील्ड रिर्पोटिंग के जॉब्स बढ़ेंगे। उक्त बातें एमसीयू के सत्रारंभ कार्यक्रम ‘अभ्युदय’ के दूसरे दिन के पहले सत्र में वरिष्ठ पत्रकार और लेखक यशवंत व्यास ने कही। वे बतौर मुख्य वक्ता ‘एआई के दौर में प्रिंट मीडिया’ विषय पर व्‍याख्‍यान दे रहे थे।

एमसीयू के सत्रारंभ कार्यक्रम के दूसरे दिन आज विभिन्‍न सत्रों में वरिष्‍ठ पत्रकार यशवंत व्‍यास, वरिष्‍ठ रेडियो उद्घोषक कमल शर्मा, जनसम्‍पर्क विशेषज्ञ डॉ. समीर कपूर, संस्‍कृतिधर्मी डॉ. सच्चिदानंद जोशी, पद्मश्री विजयदत्‍त श्रीधर एवं वरिष्‍ठ पत्रकार एवं उद्घोषक विनय उपाध्‍याय के व्‍याख्‍यान हुए। प्रारंभिक सत्र में बोलते हुए श्री यशवंत व्‍यास ने कहा कि आधुनिक तकनीक और मानव सभ्यता के विकास में इंटेलिजेंस कोसेंट, फिजिकल कोसेंट, इमोशनल कोसेंट और स्प्रिचुअल कोसेंट जैसे मानवीय गुणों के संदर्भों में कहा कि मशीनें या तकनीक मानव का मुकाबला नहीं कर सकतीं। यह बात जरूर है कि हमारे कई कामों जैसे कि श्रम वाले क्षेत्रों में तकनीक का दखल बढ़ा है। बहुत हद तक आईक्यू आधारित काम में भी इसका समावेश बढ़ रहा है। लेकिन अभी भी मानवीय गुण बहुत बुनियादी हैं और एआई जैसी तकनीकें इसका मुकाबला नहीं कर सकती हैं। प्रिंट मीडिया में इन्हीं मानवीय गुणों जैसी प्रीमियम वैल्यू पैदा करनी होगी। सूचनाओं की दुनिया में मीडिया को विश्वसनीयता को बढ़ाना होगा। श्री व्यास ने एमसीयू में पत्रकारिता के इतिहास पर केंद्रित प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के ऐतिहासिक घटनाओं के कवरेज के प्रथम पन्नों की गैलरी की प्रशंसा भी की।

इस अवसर पर स्वागत भाषण में कुलगुरू श्री विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता खासकर प्रिंट मीडिया की पत्रकारिता बहुत विशिष्ट रही है। बहुत से समाचार पत्रों और पत्रिकाओं ने इस क्षेत्र में मानदंड स्थापित किए हैं। अपने पत्रकारीय जीवन के अनुभवों को साझा किया और बताया कि किस तरह प्रतिष्ठित पत्रिकाओं ने उनके लेखन में अहम भूमिका का निर्वाह किया है।

‘आवाज की दुनिया’ विषय पर अपने विचार रखते हुए प्रख्‍यात रेडियो उद्घोषक श्री कमल शर्मा ने कहा कि शब्‍द ‘बम’ का काम भी करते हैं और ‘मरहम’ का भी। अच्‍छा बोलना चाहते हैं तो अच्‍छा सुनना सीखिये। शब्‍द उदास भी करते हैं और शब्‍दों में वह ताकत भी होती है जो खुशी से भर दे। शब्‍द ब्रम्‍ह भी है जिसकी हम प्राण प्रतिष्‍ठा करते हैं। अच्‍छी भाषा के साथ अच्‍छा बोलने का संस्‍कार ही उद्घोषक को सफल बनाते हैं। उन्होंने कहा कि शब्द की प्राण प्रतिष्ठा वाणी से ही होती है और वह प्रभावशाली हो जाता है। बोलते वक्त व्याकरण का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है। उन्होंने ऑडियो मीडियम में आ रहे बदलावों सहित वाइस प्रोजेक्शन, रेडियो के लिए लेखन आदि विषयों पर विस्तार से बात की।

इसी सत्र में संवाद कौशल पर वरिष्ठ पत्रकार और कला समीक्षक श्री विनय उपाध्याय ने कहा कि संसार में भाषा के आने से पूर्व भी ध्वनियां मौजूद थीं। यही ध्वनि भाषा की मातृभूमि हैं और शब्द उसकी पृष्ठभूमि। ज्ञान परंपरा का निर्माण वाचिक और शब्द जैसे अलग-अलग माध्यमों से हुआ है। शब्द के पास वाचिक शक्ति होती है। उन्होंने कहा कि शब्द हमारी स्मृति में ठहर जाते हैं। इसलिए अच्छा संवाद करने के लिए अच्छे शब्द हमारे पास होना जरूरी है। इसके लिए अच्छा पढ़ना और सुनना बहुत आवश्यक है।

एक अन्य सत्र में ‘पत्रकारिता साहित्य एवं संस्कृति’ विषय पर पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर ने कहा कि भाषा के लिए हमारी निर्भरता तकनीक पर बढ़ना बहुत अच्छा नहीं है। पत्रकारिता में लोकमंगल की भावना को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि भाषा पत्रकार का प्रमुख औजार है इसलिए मीडिया के लोगों में भाषा की अच्छी समझ आवश्यक है। इसके बाद इसी विषय पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली के सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि एक भारतीय बतौर हमारी पहली पहचान हमारी संस्कृति है। उन्होंने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा और संस्कृति बहुत समृद्ध है और यह पूरे विश्व को प्रभावित कर सकती हैं। डॉ. जोशी ने कहा कि यह युग मोबाइल का नहीं बल्कि भारत का युग है।

इसके बाद डिजिटल दौर में विज्ञापन और जनसंपर्क की रणनीतियों पर ब्रांड विशेषज्ञ डॉ. समीर कपूर ने अपना संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि इस डिजिटल दौर में जनसंपर्क का क्षेत्र बहुत विस्तृत हुआ है और इसमें अनेक नए आयाम जुड़े हैं। इस क्षेत्र में आने वालों को बाजार और बदलती तकनीकों, प्रतिस्पर्द्धा की बारीक जानकारियां होना आवश्यक है।

इन विविध सत्रों में पत्रकारिता विभाग के समाचार पत्र विकल्प, जनसंचार विभाग

के पत्र ‘पहल’ का विमोचन भी हुआ। पत्रकारिता विभाग की छात्राओं सुश्री प्रज्ञा एवं सुश्री विशाखा को पंडित रामेश्वर दयाल स्मृति तथा विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग में 2023-2025 में सबसे अधिक अंक प्राप्त करने पर छात्रा सुश्री प्रतिष्ठा पवार को स्‍व. अम्‍बा प्रसाद स्‍मृति पुरस्‍कार भी दिए गए। इस अवसर पर पूर्व छात्राओं प्रियंका दूबे, सोनल पटेरिया, डॉ. शिवा श्रीवास्तव तथा रागेश्री गांगुली ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

विविध सत्रों का संचालन श्री लोकेंद्र सिंह राजपूत, डॉ गरिमा पटेल, श्री विवेक सावरीकर, डॉ. संदीप भट्ट ने किया तथा आभार डॉ. राखी तिवारी विभागाध्यक्ष पत्रकारिता विभाग, प्रो. संजय द्विवेदी, विभागाध्यक्ष जनसंचार विभाग, डॉ. आरती सारंग विभागाध्यक्ष पुस्तकालय विभाग तथा डॉ. पवित्र श्रीवास्तव विभागाध्यक्ष विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग ने किया।

आज के सत्र

सत्रारंभ कार्यक्रम अभ्‍युदय के तीसरे दिन दिनांक 22 अगस्‍त 2025 को फिल्‍म समीक्षा विषय पर प्रख्‍यात पत्रकार श्री अनंत विजय का उद्बोधन होगा। सिनेमा लेखन के विविध आयाम विषय पर फिल्‍म निर्माता एवं लेखक विपुल रावल अपनी बात रखेंगे। इलेक्‍ट्रानिक मीडिया के विभिन्‍न आयामों पर वरिष्‍ठ पत्रकार श्री ब्रजेश सिंह एवं श्री बालकृष्‍ण अपने विचार रखेंगे। सेंसर टेक्‍नोलॉजी पर श्री चिराग जैन एवं बीएनएस एवं मीडिया कानून पर सुश्री शिखा छिब्‍बर के व्‍याख्‍यान होंगे। विश्‍वविद्यालय की पूर्व छात्राएं सुश्री सरिता चौरसिया, अदिति राजपूत एवं निधि अरोड़ा मैं और मेरा विश्‍वविद्यालय पर विद्यार्थियों से अपने अनुभव साझा करेंगी।

एमसीयू सत्रारंभ कार्यक्रम ‘अभ्युदय’ का दूसरा दिन एआई से मीडिया में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ेगी लेकिन गुणवत्ता में आएगा निखार : यशवंत व्यास तकनीक मानव का मुकाबला नहीं कर सकतीं, प्रिंट मीडिया को एआई से बहुत फायदा हाइपर लोकल दुनिया बहुत महत्वपूर्ण है भविष्य में प्रिंट मीडिया में फील्ड रिर्पोटिंग के जॉब्स बढ़ेंगे भोपाल, 21 अगस्त। एआई…

एमसीयू के विद्यार्थियों ने राष्‍ट्रीय मीडिया में दिया ऐतिहासिक योगदान : मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव

एमसीयू का सत्रारंभ कार्यक्रम ‘अभ्युदय’ आरंभ 

एमसीयू के विद्यार्थियों ने राष्‍ट्रीय मीडिया में दिया ऐतिहासिक योगदान : मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव

समाज का छपे हुए शब्‍दों पर भरोसा कायम : डॉ. कुमार विश्‍वास

दादा माखनलाल चतुर्वेदी की प्रतिमा का अनावरण

 भोपाल 20 अगस्‍त। मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय ने पिछले पैंतीस वर्षों में राष्‍ट्रीय स्‍तर पर ख्‍याति अर्जित की है। यहां से शिक्षा प्राप्‍त पत्रकारों ने मीडिया की दुनिया में मानक स्‍थापित किए हैं। वे यहां माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के अकादमिक सत्र 2025-2026 का सत्रारंभ समारोह में मुख्‍य अतिथि की आसंदी से बोल रहे थे। इस मौके पर प्रख्‍यात कवि डॉ. कुमार विश्‍वास, विश्‍वविद्यालय के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी, राज्‍य शासन में मंत्री कृष्‍णा गौर, महापौर मालती राय, विधायक भगवान दास सबनानी, रामेश्‍वर शर्मा, उमाकांत शर्मा, जनसम्‍पर्क आयुक्‍त डॉ. सुदाम खाडे़ विशेष रूप से उपस्थित रहे। इस अवसर पर उन्‍होंने दादा माखनलाल चतुर्वेदी की 12 फीट उंची प्रतिमा का अनावरण भी किया। इस दौरान अतिथियों ने परिसर में पौधरोपण भी किया।

          मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि समाज के संचालन में पत्रकारों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि देवर्षि नारद आदि पत्रकार हैं जिनके जीवन और कार्यव्यवहार से हमें ज्ञात होता है कि अगर पत्रकारिता में लोककल्याण का भाव होगा तो पत्रकारिता बेहतर होगी। मुख्यमंत्री ने रामायणकाल में हनुमानजी को भी एक खोजी पत्रकार के बतौर महत्वपूर्ण संदेश देने वाला बताया। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता विश्वविद्यालय की साख पूरे देश में है। माखनलाल चतुर्वेदी जी की पत्रकारिता से जुड़े रतौना प्रसंग तथा ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता पर चर्चा करते हुए डॉ यादव ने कहा कि एमसीयू ने आज भी उस परंपरा को जीवित रखा है।

समाज का छपे हुए शब्‍दों पर भरोसा कायम : डॉ. कुमार विश्‍वास

          कार्यक्रम के मुख्‍य वक्‍ता जाने माने कवि और रामकथा विशेषज्ञ डॉ. कुमार विश्‍वास ने नवागत विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि वे एक चुनौतीपूर्ण व्‍यवसाय में प्रवेश कर रहे हैं जिसकी सबसे बड़ी अनिवार्यता विश्‍सनीयता है। उन्‍होंने कहा कि समाज का आज भी छपे हुए और बोले हुए शब्‍दों पर भरोसा कायम है। इस विश्‍वास को कायम रखना आने वाली पत्रकार पीढ़ी की जिम्‍मेदारी है।

          मुख्य वक्‍ता जाने-माने कवि डॉ. कुमार विश्वास ने कहा कि देश की पत्रकारिता में पिछले 10-11 वर्षों में बहुत अंतर आया है। आज मीडिया में थोपे गए विषय नेपथ्य में जा रहे हैं और देश तथा समाज से जुड़े जो अहम विषय पहले नजरअंदाज कर दिये जाते थे आज वे पत्रकारिता में प्रमुखता से नजर आने लगे हैं। डॉ. विश्वास ने कहा कि किसी विचार को केंद्र में रखते हुए भी तटस्थ होकर लिखना ही पत्रकारिता है। पत्रकारिता के युवा विद्यार्थी परम्‍परा से पत्रकारिता के पाठ सीख सकते हैं। भारत के ज्ञान और उसकी परंपरा के प्रति किसी भी प्रकार की ग्लानि का भाव नहीं होना चाहिए।

          उन्होंने रामायण से जुड़े अनेक प्रसंगों में संचार के महत्व तथा हनुमान जी, अंगद की निर्भीकता, तटस्ठता, समर्पण जैसे गुणों को पत्रकारिता के संदर्भों में समझाया। विद्यार्थियों को अपने संदेश में उन्होंने कहा कि युवा अध्ययनशील बनें और नैतिकता के साथ कार्य करते हुए राष्ट्रधर्म को सर्वोच्च रखें।

          सत्रारंभ के पहले दिन साफ्ट स्किल्स पर संवाद करते हुए वरिष्ठ संपादक और लेखक एन. रघुरामन ने कहा कि जीवन के हर क्षेत्र में सफल होने के लिए लोगों से व्यवहार करने का कौशल,पूर्वाग्रहों से मुक्त रहना, क्रोध को काबू में रखने के कौशल जैसे गुण बहुत जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि आज हर क्षेत्र में सॉफ्ट स्किल्स एक आवश्यक गुण है। इसके बाद एनिमेशन की दुनिया से जुड़े वरिष्ठ फिल्मकार तथा विशेषज्ञ श्री आशीष कुलकर्णी ने एआई के दौर में बदलती तकनीकों पर संवाद किया। उन्होंने कहा कि आज के दौर में हर कार्यक्षेत्र में तकनीक का समावेश हो चुका है। आने वाले दौर में मीडिया में वीडियो, वर्नाकुलर (क्षेत्रीय कंटेंट) और वाइस का बहुत योगदान बढ़ने वाला है। श्री कुलकर्णी ने कहा कि तकनीक परिवर्तनशील होती है इसीलिए युवाओं को चाहिए कि वे अपने बुनियादी ज्ञान को बेहतर बनाएं।

          आज के अलग-अलग सत्रों में विश्वविद्यालय की पूर्व छात्राओं निधि परमार, जूही कुलश्रेष्ठ तथा स्वाति कौशिक ने भी विश्वविद्यालय में अपने अध्ययन और अनुभवों से जुड़े विचार साझा किए। उद्घाटन सत्र में श्री विनय उपाध्याय तथा बाद के सत्रों में प्रो. सीपी अग्रवाल, डॉ. अविनाश वाजपेयी तथा डॉ. अनीता सोनी ने संचालन किया। कार्यक्रम के अंतिम सत्र के बाद आभार विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रो. डॉ. पी.शशिकला ने किया।

          कुलगुरू विजय मनोहर तिवारी ने नवागंतुक विद्यार्थियों को संदेश देते हुए कहा कि वे निरंतर अध्ययन करते रहें तथा अपने अभिभावकों की आशाओं पर खरा उतरने का प्रयास करें। कुलगुरू ने यह भी कहा कि आगामी समय में  विश्वविद्यालय एआई, डीप फेक और साइबर सिक्योरिटी जैसे नए विषयों पर नए पाठ्यक्रम आरंभ करेगा। कुलगुरू श्री तिवारी ने कहा कि एमसीयू में देश की अग्रणी समाचार पत्रों द्वारा दुर्लभ घटनाक्रमों के कवरेज से जुड़े प्रथम पृष्ठों की एक गैलरी परिसर में स्थापित की है।

कुमार विश्‍वास उवाच

  • देश में आज भी छपे और बोले गए शब्दों पर लोगों का भरोसा कायम है। इसलिए पत्रकारिता की विश्वसनीयता सबसे बड़ा सवाल है। इसके लिए जिंदगी लगा दें।

  • यह कहना सबसे बड़ा झूठ है कि हम जनता की पसंद का कंटेंट देते हैं। लोकरूचि के नियामक हम हैं। अपने पाठकों की रूचि बनाना भी हमारा काम है।

  • विचार और पत्रकारिता के बीच का अंतर नारद बताते हैं। वे नारायण भक्त हैं, किंतु उनके दरबार में भी सच बोल सकते हैं।

  • हमारे विचारों पर पश्चिम की बहुत गहरी छाया है। हमें आज भी लगता है कि जो कुछ अच्छा है वह पश्चिम से आया है। अब अंदर झांकने का समय है। भारत के ज्ञानबोध के प्रति ग्लानि से मुक्त होना जरूरी है।

  • किसी कस्बे में बैठा पत्रकार स्थानीय थानेदार से अन्यान्य कारणों से रिश्ते नहीं बिगाड़ना चाहता वह ठीक है। किंतु दिल्ली में बैठकर अनूकूल आकाओं के लिए लिखने वालों को क्षमा नहीं किया जा सकता। अपने विचारों से तटस्थ होकर लिखना ही पत्रकारिता है।

  • जिन्हें अच्छा पत्रकार बनना है, वे कम से कम तीन साल प्रिंट मीडिया में लगाएं। इससे आप भाषा का संस्कार और सार्थक उपयोग सीख पाएंगे।

एमसीयू का सत्रारंभ कार्यक्रम ‘अभ्युदय’ आरंभ  एमसीयू के विद्यार्थियों ने राष्‍ट्रीय मीडिया में दिया ऐतिहासिक योगदान : मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव समाज का छपे हुए शब्‍दों पर भरोसा कायम : डॉ. कुमार विश्‍वास दादा माखनलाल चतुर्वेदी की प्रतिमा का अनावरण  भोपाल 20 अगस्‍त। मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय ने पिछले पैंतीस…

एमसीयू का तीन दिवसीय सत्रारंभ कार्यक्रम ‘अभ्युदय’ 20 अगस्त से

एमसीयू का तीन दिवसीय सत्रारंभ कार्यक्रम ‘अभ्युदय’ 20 अगस्त से

सत्रारंभ में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और कवि डॉ. कुमार विश्वास करेंगे दादा माखनलाल की प्रतिमा का अनावरण
विद्यार्थियों मिलेगा पत्रकारिता, डिजिटल मीडिया, सिनेमा जनसंपर्क, प्रबंधन, आईटी आदि विषयों पर दिग्गज विशेषज्ञों का मार्गदर्शन
डॉ. कुमार विश्वास का ‘रामायण में संचार’ पर उद्बोधन

सत्रारंभ समारोह ‘अभ्युदय’ 2025 का दिनाक 20 अगस्त 2025 प्रातः 10 बजे से Facebook पर Live प्रसारण

भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के अकादमिक सत्र 2025-2026 का सत्रारंभ समारोह ‘अभ्युदय’ दिनांक 20, 21 एवं 22 अगस्त को आयोजित हो रहा है। सत्रारंभ के तीनों दिन अलग-अलग सत्रों में मीडिया, पत्रकारिता, साहित्य, पीआर, विज्ञापन, सिनेमा, मीडिया टेक्नॉलाजी, मीडिया प्रबंधन, कानून और संस्कृति की दिग्गज हस्तियों की मौजूदगी रहेगी। खास बात है कि इस अवसर पर परिसर में स्थापित दादा माखनलाल चतुर्वेदी की 12 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और जाने-माने कवि, डॉ. कुमार विश्वास करेंगे। इस दौरान अतिथियों द्वारा परिसर में पौधारोपण भी किया जाएगा। डॉ. कुमार विश्वास ‘रामायण में संचार’ विषय पर अपना उद्बोधन देंगे।

कार्यक्रम के पहले दिन तकनीकी सत्र में टाइम मैनेजमेंट गुरू श्री विजय अग्रवाल ‘उत्कृष्टता के लिए समय प्रबंधन’ विषय पर संबोधन देंगे। इस सत्र में श्री सुदीप सोहनी ‘स्वतंत्र फिल्म निर्माण’ पर चर्चा करेंगे।

इस दिन ‘सॉफ्ट स्किल्स’ पर प्रख्यात स्तंभकार और लेखक एन. रघुरामन का व्याख्यान होगा साथ ही ‘एआई इनफ्लुएंस्ड मीडिया टेक्नॉलाजी’ पर आशीष कुलकर्णी का उद्बोधन होगा।


दूसरे दिन 21 अगस्त को ‘मीडिया के भविष्य’ पर जाने-माने पत्रकार और लेखक  यशवंत व्यास का उद्बोधन होगा। इसके बाद ‘आवाज और संवाद कौशल’ विषय पर प्रख्यात रेडियो उद्घोषक कमल शर्मा और कला समीक्षक, विनय उपाध्याय व्याख्यान देंगे। इसके बाद वरिष्ठ संस्कृतिविद एवं अध्येयता डॉ. सच्चिदानंद जोशी का ‘पत्रकारिता, साहित्य एवं संस्कृति’ पर विचार व्यक्त करेंगे। आखिरी सत्र में विज्ञापन और जनसंपर्क के विशेषज्ञ समीर कपूर का व्याख्यान होगा।
अंतिम दिन 22 अगस्त को वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय ‘फिल्म समीक्षा’ विषय पर एवं फिल्म निर्माता एवं लेखक विपुल के.रावल ‘फिल्म लेखन के नवीन आयाम’ विषय पर अपने विचार रखेंगे। ‘कंप्यूटिंग के नवीन आयाम’ विषय पर चिराग जैन एवं ‘मीडिया कानून की बारीकियों’ पर शिखा छिब्बर विद्यार्थियों से संवाद करेंगी।
इसके बाद आखिरी सत्र में ‘डिजिटल दौर में इलेक्ट्रानिक मीडिया’ विषय पर संवाद के लिए वरिष्ठ पत्रकार बृजेश सिंह एवं बालकृष्ण मौजूद रहेंगे। प्रत्येक सत्र में मीडिया, पत्रकारिता एवं संचार के क्षेत्रों में वरिष्ठ पदों पर काम कर रहीं विश्वविद्यालय की पूर्व छात्राएं भी अपने अनुभव साझा करेंगी।

एमसीयू का तीन दिवसीय सत्रारंभ कार्यक्रम ‘अभ्युदय’ 20 अगस्त से सत्रारंभ में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और कवि डॉ. कुमार विश्वास करेंगे दादा माखनलाल की प्रतिमा का अनावरण विद्यार्थियों मिलेगा पत्रकारिता, डिजिटल मीडिया, सिनेमा जनसंपर्क, प्रबंधन, आईटी आदि विषयों पर दिग्गज विशेषज्ञों का मार्गदर्शन डॉ. कुमार विश्वास का ‘रामायण में संचार’ पर उद्बोधन सत्रारंभ समारोह…