पत्रकारिता और साहित्य में आवश्यक है लोकमंगल

पत्रकारिता और साहित्य में आवश्यक है लोकमंगल

कुलपति संवाद व्याख्यानमाला में साहित्य और पत्रकारिता विषय पर प्रो. सुरेन्द्र दुबे ने रखे विचार, 12 जून को शाम 4:00 बजे मीडिया में स्त्री मुद्दे विषय पर डॉ. आशा शुक्ला का व्याख्यान

भोपाल, 11 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ‘कुलपति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला में प्रो. सुरेन्द्र दुबे ने कहा कि साहित्य के बिना पत्रकारिता की बात और पत्रकारिता के बिना साहित्य का जिक्र करना बेमानी सा लगता है। पत्रकारिता अपने उद्भव से ही लोकमंगल का भाव लेकर चली है। साहित्य का भी यही भाव हमेशा रहा है। इसीलिए यह दोनों हमेशा साथ-साथ चले हैं।

‘साहित्य और पत्रकारिता’ विषय पर अपने उद्बोधन में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र दुबे ने कहा कि भारत में पत्रकारिता आधुनिकता के साथ आती है। यह आधुनिकता का विशेष उपहार है। पत्रकारिता के साथ ही भारत में पुनर्जागरण शुरू हुआ, इस पुनर्जागरण में कई साहित्यकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कुछ साहित्यकारों ने पत्रिकाओं का प्रकाशन कर राष्ट्रबोध कराने का प्रयास किया, तो कुछ साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से देश के लोगों को जगाने का प्रयास किया। इस दौर में पत्रकारिता और साहित्य का एक ही उद्देश्य था- पराधीनता से मुक्ति।

उन्होंने कहा कि पत्रकारिता अपनी शुरुआत से ही अन्याय, अनीति, अत्याचार एवं शासन के खिलाफ रही है। यही कारण था कि हिक्की के समाचार पत्र को प्रतिबंधित किया गया, क्योंकि वह अंग्रेज अधिकारियों के भ्रष्टाचार को उजागर करता था। पत्रकारिता हमेशा से ही बेहतर प्रतिपक्ष की भूमिका निभाती आई है।

प्रो. दुबे ने बताया कि साहित्य और पत्रकारिता का जो अन्योन्याश्रित संबंध है वह भारतेंदु हरिश्चंद्र युग की पत्रकारिता में देखा जा सकता है। भारतेंदु हरिश्चंद्र अपने साहित्य को पत्रकारिता का माध्यम बनाते हैं और लोकमंगल की भावना से पत्रकारिता की शुरुआत करते हैं। भारतेंदु युग में ही राष्ट्रीय प्रेम से ओत-प्रोत कविताओं का भी आग्रह हुआ, साथ ही इसी समय स्वदेशी का आवाह्न भी हुआ। उस समय स्वदेशी के आवाह्न में कहा गया कि हम यह प्रतिज्ञा करें कि हम अब विलायती वस्त्र मोल नहीं खरीदेंगे, लेकिन जो वस्त्र पहले से मोल लिया है उसे जीर्ण होने तक पहनेंगे। राष्ट्रबोध के ऐसे कई प्रयास उस समय के साहित्यकारों ने पत्रिकाओं के माध्यम से ही किये थे। साहित्य, समाज और राष्ट्रप्रेम एक दूसरे में बंधे हुए हैं इसलिए भारतेंदु कहते हैं कि ऐसे साहित्य की रचना करना चाहिए जिसमें राष्ट्रप्रेम का भाव छुपा हो।

उन्होंने बताया कि साहित्य और पत्रकारिता का यह अभेद नाता महावीर प्रसाद द्विवेदी जी द्वारा समझा जा सकता है। उनके विषय में यह तय करना कठिन है कि वे एक अच्छे साहित्यकार थे या अच्छे पत्रकार, दोनों ही विधाओं को उन्होंने साथ-साथ आगे बढ़ाया। साहित्य और पत्रकारिता का संबंध बताते हुए प्रो. दुबे ने बताया कि प्रायः सभी साहित्यकार कहीं ना कहीं पत्रकार ही होते हैं। वह अपनी रचनाओं को प्रकाशित कराते हैं, लोगों तक पहुंचाते हैं, साहित्य से समाज में बदलाव लाने का प्रयास करते हैं। यही पत्रकारिता के भी कार्य हैं।

अपने उद्बोधन में प्रो. दुबे ने कहा कि साहित्य और पत्रकारिता ने अपनी विकास यात्रा लगभग एक साथ ही तय की है। वीणा, सरस्वती, मतवाला आदि कई पत्रिकाओं ने कई बड़े साहित्यकारों को जन्म दिया है, तो वही कई साहित्यकारों ने सुप्रसिद्ध पत्रिकाओं का प्रकाशन भी किया है। ऐसे में साहित्य और पत्रकारिता दोनों ही समाज को जागृत करने का प्रयास सदैव करते रहे हैं।

आज मीडिया में स्त्री मुद्दे विषय पर व्याख्यान:

‘कुलपति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला के अंतर्गत 12 जून, शुक्रवार को शाम 4:00 बजे ‘मीडिया में स्त्री मुद्दे’ विषय पर डॉ. बीआर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू, इंदौर (मध्यप्रदेश) की कुलपति डॉ. आशा शुक्ला व्याख्यान देंगी। उनका व्याख्यान एमसीयू के फेसबुक पेज पर लाइव रहेगा।

विश्वविद्यालय फेसबुक पेज का लिंक – https://www.facebook.com/mcnujc91

पत्रकारिता और साहित्य में आवश्यक है लोकमंगल ‘कुलपति संवाद’ व्याख्यानमाला में ‘साहित्य और पत्रकारिता’ विषय पर प्रो. सुरेन्द्र दुबे ने रखे विचार, 12 जून को शाम 4:00 बजे ‘मीडिया में स्त्री मुद्दे’ विषय पर डॉ. आशा शुक्ला का व्याख्यान भोपाल, 11 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ‘कुलपति…

परिवर्तन लाने वाले संचारक थे गांधीजी

परिवर्तन लाने वाले संचारक थे गांधीजी

गांधीजी ने किया अंतिम व्यक्ति तक संवाद

कुलपति संवाद व्याख्यानमाला में संचारक के रूप में गांधीजी विषय पर प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने रखे विचार, 11 जून को शाम 4:00 बजे साहित्य और पत्रकारिता विषय पर प्रो. सुरेन्द्र दुबे का व्याख्यान

भोपाल, 10 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ‘कुलपति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला में प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि संपूर्ण दुनिया में परिदृश्य परिवर्तन और विचार परिवर्तन के लिए अपने प्रत्येक विचार, सिद्धांत, व्यवहार को किसी जन समूह के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने वाले और उसके अनुरूप व्यक्ति को क्रिया करने के लिए उत्प्रेरित करने की क्षमता रखने वाले संचारक के रूप में महात्मा गांधी को समझना चाहिए। आधुनिक सभ्यता दृष्टि से उपजी हुई मीडिया/पत्रकारिता को गांधीजी मनुष्य के लिए परिवर्तन का सबसे सबल माध्यम मानते हैं और उसका व्यवहार भी करते हैं।

            महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने ‘संचारक के रूप में गांधी’ विषय पर अपने व्याख्यान में कहा कि एक संचारक के रूप में यदि गांधीजी को समझना है तो भारतीयता को समझना होगा। गांधीजी को आधुनिक संचार के सिद्धांतों और शास्त्रों में खोज पाना मुश्किल है। गांधीजी को जानना है तो भारतीय आत्मा, संस्कृति और संवाद को समझना होगा। आज की व्यावसायिक पत्रकारिता में भी महात्मा गांधी को ढूंढ़ पाना कठिन है। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में संचार तकनीक के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है। जनसंचार के माध्यमों में दृष्टि, भाषा और संस्कृति सबको लेकर एक परिवर्तन हुआ है।

            उन्होंने कहा कि गांधीजी एक तरफ समाचारपत्र को लोक जागरण और लोकशिक्षण का सबलतम साधन स्वीकार करते हैं, वहीं दूसरी ओर यूरोपीय पत्रकारिता और यूरोपीय दृष्टि से भारत में हो रही पत्रकारिता के आलोचक भी हैं। प्रो. शुक्ल ने कहा कि महात्मा गांधी का पठन-पाठन पूरा अंग्रेजी भाषा में हुआ था लेकिन जब उन्होंने समाचारपत्र प्रकाशित किए तो सामान्य जन से संवाद करने के लिए भारतीय भाषाओं का भी चुनाव किया। गांधीजी एक सफल संचारक थे जिनमें भारतीय विद्वानों का समावेश एवं बल था, जैसे कृष्ण, शंकर, बुद्ध, रामानुज, समर्थ रामदास, छत्रपति शिवाजी, विवेकानंद आदि। उन्होंने बताया कि गांधीजी जहाँ एक ओर अपने समाचारपत्र में पूरी दुनिया में समानता और सद्भावना लाने के लिए लेख लिखते तो वहीं दूसरी ओर अरण्डी के तेल पर फीचर भी प्रस्तुत करते हैं। इससे समझ आता है कि गांधीजी एक ही समय मे कई मोर्चों पर डटे हुए थे। प्रो. शुक्ल ने बताया कि गांधीजी की सम्प्रेषण कला उनके जीवन के निश्चय से निकलती है जो उनके जीवन काल में विभिन्न दौर में आई।

आज साहित्य और पत्रकारिता विषय पर व्याख्यान :

‘कुलपति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला के अंतर्गत 11 जून, गुरुवार को शाम 4:00 बजे ‘साहित्य और पत्रकारिता’ विषय पर सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु (उत्तरप्रदेश) के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र दुबे व्याख्यान देंगे। उनका व्याख्यान एमसीयू के फेसबुक पेज पर लाइव रहेगा।

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परिवर्तन लाने वाले संचारक थे गांधीजी गांधीजी ने किया अंतिम व्यक्ति तक संवाद ‘कुलपति संवाद’ व्याख्यानमाला में ‘संचारक के रूप में गांधीजी’ विषय पर प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने रखे विचार, 11 जून को शाम 4:00 बजे ‘साहित्य और पत्रकारिता’ विषय पर प्रो. सुरेन्द्र दुबे का व्याख्यान भोपाल, 10 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता…

पत्रकारिता की आत्मा है मूल्यबोध

पत्रकारिता की आत्मा है मूल्यबोध

कुलपति संवाद व्याख्यानमाला में मीडिया और मूल्यबोधविषय पर प्रो. बल्देवभाई शर्मा ने रखे विचार, 10 जून को शाम 4:00 बजे प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल का व्याख्यान

भोपाल, 9 जून, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ‘कुलपति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला में प्रो. बल्देवभाई शर्मा ने कहा कि मूल्यबोध तो भारत की पत्रकारिता की आत्मा है। इसके बिना तो भारत की पत्रकारिता का विचार ही नहीं किया जा सकता। मूल्यबोध भारतीय पत्रकारिता का अंतनिर्हित तत्व है। हालाँकि, व्यावसायिक हितों की होड़ ने मीडिया के मूल्यबोध को क्षति पहुँचाई है। पत्रकारिता भारतीय जन के विश्वास का बड़ा आधार है। भारत की पत्रकारिता पर जन का विश्वास है। इस विश्वास को बचाकर रखना है तो हमें मूल्यबोध को जीना होगा।            

                कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति प्रो. बल्देवभाई शर्मा ने बताया कि जब हिन्दी के पहले समाचारपत्र उदन्त मार्तण्ड का प्रकाशन हुआ तो उसका ध्येय वाक्य था- ‘हिंदुस्थानियों के हित का हेत’। इस वाक्य में भारत की पत्रकारिता का मूल्यबोध स्पष्ट दिखता है। पत्रकारिता का उद्देश्य या कहें मूल्यबोध भारतीय जनों के हितों की रक्षा होना चाहिए। प्रो. शर्मा ने बताया कि भारत के उन्नयन के ध्येय को लेकर भारत में पत्रकारिता की शुरुआत हुई। अपनी लंबी यात्रा में मीडिया ने इस बात को साबित किया है कि वह सही मायनों में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है।

                प्रो. शर्मा ने कहा कि आज मीडिया के क्षेत्र में ऐसे लोग भी आ गए हैं जो अपने व्यावसायिक हितों के लिए मूल्यों का गला घोंट रहे हैं। यदि मुनाफा ही कमाना है तो उन्हें मीडिया के व्यवसाय को छोड़कर अन्य किसी व्यवसाय को अपनाना चाहिए। पत्रकारिता एक ध्येय निष्ठ उपक्रम है, उसे कलंकित नहीं करना चाहिए। जब हम पत्रकारिता में अपने स्वार्थ साधते हैं, तो मीडिया के मूल्यों का क्षरण होता है। जब हम अपनी लालसा बढ़ा लेते हैं, तो पतन का रास्ता खुल जाता है। उन्होंने कहा कि इस दौर में पत्रकारिता को मूल्य आधारित बनाए रखने की बहुत आवश्यकता है। वरना न तो देश बचेगा और न पत्रकारिता बचेगी।

                कुलपति प्रो. शर्मा ने कहा कि जैसे स्वाधीनता से पूर्व पत्रकारिता का उद्देश्य देश की स्वतंत्रता था, उसी तरह अब मीडिया का लक्ष्य देश का नवनिर्माण होना चाहिए। मीडिया के सामने सामाजिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य होना चाहिए। निराशा से जूझते हुए मन को ताकत देने की पत्रकारिता होनी चाहिए। लोकतंत्र के बाकी के स्तम्भ जहाँ भी भटकते दिखाई दें, वहाँ उन्हें चेताने का काम मीडिया को करना चाहिए। यह हम तभी कर पाएंगे, जब हमारे मन में स्पष्ट होगा कि पत्रकारिता का धर्म क्या है? उन्होंने कहा कि मानवीय चेतना खत्म होने पर पत्रकारिता की आत्मा मर जाती है। इसलिए मानवीय संवेदना प्रत्येक पत्रकार के भीतर होनी चाहिए। यह मानवीय संवेदना ही हमें पथभ्रष्ट होने से बचाती है।

                उन्होंने कहा कि हम बड़ी-बड़ी बातें करके मीडिया के मूल्यबोध को बचाकर नहीं रख सकते। उसके लिए व्यवहार आवश्यक है। हमें अपने जीवन से संदेश देना होगा। राष्ट्र को जीवंत बनाए रखना, लोक जागरण करना, पत्रकारों के लिए सूत्र वाक्य है। पत्रकारिता का मुख्य काम है लोक शिक्षण, जिसे हम धीरे-धीरे भूल रहे हैं। लोक शिक्षण के लिए आवश्यक है कि हम आत्मशिक्षण भी करें। समाज की दृष्टि और बौद्धिक चेतना राष्ट्र के अनुकूल बनाए रखना भी पत्रकारिता का दायित्व है।

आज संचारक के रूप में गांधीविषय पर संवाद :

‘कुलपति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला के अंतर्गत 10 जून, बुधवार को शाम 4:00 बजे महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ला व्याख्यान देंगे। उनका व्याख्यान एमसीयू के फेसबुक पेज पर लाइव रहेगा।

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पत्रकारिता की आत्मा है मूल्यबोध कुलपति संवाद व्याख्यानमाला में ‘मीडिया और मूल्यबोध’ विषय पर प्रो. बल्देवभाई शर्मा ने रखे विचार, 10 जून को शाम 4:00 बजे प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल का व्याख्यान भोपाल, 9 जून, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ‘कुलपति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला में प्रो. बल्देवभाई शर्मा…

‘कुलपति संवाद’ का आयोजन आज से

कुलपति संवाद का आयोजन आज से

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय का आयोजन, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति प्रतिदिन शाम 4:00 बजे देंगे फेसबुक लाइव के माध्यम से व्याख्यान

भोपाल, 8 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से 9 से 15 जून तक ‘कुलपति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में सात दिन तक देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति महत्वपूर्ण विषयों पर संवाद करेंगे।

            कुलसचिव डॉ. अविनाश वाजपेयी ने बताया कि इस महत्वपूर्ण व्याख्यानमाला का सीधा प्रसारण प्रतिदिन शाम 4:00 बजे विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर किया जाएगा। ‘कुलपति संवाद’ व्याख्यान माला का शुभारंभ 9 जून को कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति श्री बल्देवभाई शर्मा के व्याख्यान से होगा। श्री शर्मा मंगलवार को शाम 4:00 बजे ‘मीडिया और मूल्यबोध’ विषय पर संवाद करेंगे। 10 जून को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय (वर्धा) के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ‘संचारक के रूप में गाँधीजी’, 11 जून को सिद्धार्थ विश्वविद्यालय (कपिलवस्तु) के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र दुबे ‘साहित्य और पत्रकारिता’, 12 जून को डॉ. भीमराव अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय (महू) की कुलपति डॉ. आशा शुक्ला ‘मीडिया में स्त्री मुद्दे’, 13 जून को श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय (पलवल) के कुलपति श्री राज नेहरू ‘सूचना प्रौद्योगिकी और आत्मनिर्भर भारत’, 14 जून को गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (नोएडा) के कुलपति प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ‘आत्मनिर्भर भारत-प्रभावी रीति-नीति’ और 15 जून को हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (धर्मशाला) के कुलपति प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ‘जम्मू-कश्मीर और मीडिया दृष्टि’ पर व्याख्यान देंगे।

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‘कुलपति संवाद’ का आयोजन आज से माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय का आयोजन, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति प्रतिदिन शाम 4:00 बजे देंगे फेसबुक लाइव के माध्यम से व्याख्यान भोपाल, 8 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से 9 से 15 जून तक ‘कुलपति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला का आयोजन किया जा रहा है।…

कोविड-19 से जुड़ी खबरों के सही तथ्य और जानकारियां सामने लाए मीडिया

कोविड-19 से जुड़ी खबरों के सही तथ्य और जानकारियां सामने लाए मीडिया

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के आयोजन ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के समापन-सत्र में ‘कोविड19 की चुनौतियाँ और मीडिया’ विषय पर वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश उपाध्याय ने रखे विचार

भोपाल, 6 जून 2020: वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश उपाध्याय ने फेसबुक लाइव के माध्यम से ‘कोविड-19 की चुनौतियाँ और मीडिया’ विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि कोविड-19 का यह समय संघर्ष का दौर है, इसमें भारत के लोगों, चिकित्सकों, प्रशासन और मीडिया इत्यादि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कोरोना काल में भारत की स्थिति तुलनात्मक दृष्टि से अन्य देशों से बहुत अच्छी है लेकिन हम वसुधैव कुटुम्बकम का भाव रखते हैं इसलिए पूरे विश्व के दुःख में शामिल हैं। श्री उपाध्याय माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजत ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस साथ दिवसीय आयोजन का शुभारम्भ हिन्दी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर मध्यप्रदेश के माननीय राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने किया था।

रिलायंस इंडस्ट्रीज के मीडिया निदेशक एवं प्रेसिडेंट श्री उमेश उपाध्याय ने कहा कि मीडिया का एक खास वर्ग भी कोविड-19 के समय में चुनौती बनकर सामने आया है। यह खास वर्ग अपने निर्धारित प्रोपोगंडा के तहत भारत के विषय में विचित्र भविष्यवाणी कर रहा है। इन भविष्यवाणियों में कोई तथ्य नहीं है लेकिन भारत के इतिहास में हुईं दूसरी महामारियों के दुष्प्रभाव के आधार पर इस प्रकार की अनर्गल बातें कही और लिखी जा रही हैं। मीडिया के एक वर्ग ने भारत के प्रति अपना नजरिया पहले से तय कर रखा है। जब भी हम कुछ नया और अलग करते हैं तो वह अचंभित रह जाते हैं। जब भारत में चंद्रयान का प्रक्षेपण किया उस समय न्यूयॉर्क टाइम्स टाइम्स का अपनी एक रिपोर्ट के के लिए माफी मांगना इस बात का सबूत भी है।

दुनिया के कई विकसित देश के पत्रकार और चर्चित मैगजीन/अखबार अपने देश में कोरोना के कारण उपजी समस्याओं को नजरअंदाज कर, भारत में इससे होने वाले प्रभाव का अंदाजमार आकलन कर रहे हैं और इस आकलन को वह अपने पूर्व निर्धारित नरेटिव के हिसाब से चला रहे हैं। कुछ अखबारों का उल्लेख करते हुए श्री उपाध्याय ने बताया कि ‘द गार्डियन’ अखबार ने भारत में 1918 के स्पेन फ्लू के दुष्प्रभाव की तुलना कोरोना वायरस से की है। पहले तो अखबार ने यह छापा कि जैसी स्थिति 1918 में हुई थी कोरोना के कारण वैसी ही स्थिति भारत में दोबारा उत्पन्न होगी। इसके बाद अगली रिपोर्ट में लिखा जाता है कि भारत में संक्रमण के जो आंकड़े आए हैं उन आंकड़ों पर संदेह है। जबकि इसके बाद अगली ही रिपोर्ट में दावा किया जाता है कि भारत में 15 मई तक 13 लाख से अधिक कोरोना वायरस के मामले आएंगे। इन सब खबरों से हम समझ सकते हैं कि इस दौर में एक खास वर्ग के कारण कितनी चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न हुई है, जबकि हम देख पा रहे हैं कि इस अखबार की तमाम खबरें झूठी साबित हुई हैं।भारत कोरोना के खिलाफ अपनी जंग में अन्य देशों की अपेक्षा बेहतर स्थिति में है। ऐसी खबरों का वास्तविकता से कोई नाता ही नहीं है, यह केवल भारत के विषय में अपनी पूर्व निर्धारित मानसिकता के तहत प्रचारित की गई थी।

उन्होंने बताया किविदेशी मीडिया ने भारत को लेकर एक तस्वीर बना रखी है। वह उसी माइंडसेटके आधार पर समाचार कवरेज करते हैं, जो कि गलत है। ये धारणाएं किस तरह बनी और क्यों, आखिर वे किस नजरिये से भारत को देख रहे हैं, इस पर सोचे जाने की आवश्यकता है। उनके लिए भारत आज भी सपेरों का देश ही है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौर में घटी कई तरह की घटनाओं जैसे तबलीगी जमात से जुड़े मुद्दों आदि को  मीडिया ने अच्छे ढंग से प्रस्तुत नहीं किया। कई मुद्दों के सही तथ्य समाज के सामने नहीं आ सके और बेकार की बातों को तूल दिया गया, जिसकी जरूरत नहीं थी। भारत किस तरह से बेहतर ढंग से संघर्ष कर रहा है उन बातों को भी मीडिया में लाया जाना चाहिए। सकारात्मक पक्षों को भी समाज में रखा जाना चाहिए। मीडिया को पक्षपात से बचना चाहिए।

कोविड-19 से जुड़ी खबरों के सही तथ्य और जानकारियां सामने लाए मीडिया माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के आयोजन ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के समापन-सत्र में ‘कोविड19 की चुनौतियाँ और मीडिया’ विषय पर वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश उपाध्याय ने रखे विचार भोपाल, 6 जून 2020: वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश उपाध्याय ने फेसबुक लाइव के माध्यम से ‘कोविड-19 की…

भारत में है आत्मनिर्भर बनने की क्षमता

भारत में है आत्मनिर्भर बनने की क्षमता

भ्रष्टाचार का उन्मूलन और ब्यूरोक्रेसी के दखल को रोकना होगा

स्वाबलंबी भारत के लिए शोध और विकास के साथ ही आंतरिक ढांचे को मजबूत करना आवश्यक

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत इंडियन स्कूल ऑफ़ बिजनेस, मोहाली के प्रो. सिद्धार्थ शेखर सिंह ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर रखे विचार

6 जून को वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश उपाध्याय ‘कोविड-19 की चुनौतियां और मीडिया’ विषय पर करेंगे फेसबुक लाइव चर्चा

भोपाल, 5 जून 2020। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत शुक्रवार को इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, मोहाली के प्रो. सिद्धार्थ शेखर सिंह ने ‘आत्मनिर्भर भारत’  विषय  पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आज शोध एवं विकास के साथ ही आंतरिक ढांचे को मजबूत हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। देश की पिछली सरकारों ने विकास पर तो ध्यान दिया लेकिन आत्मनिर्भरता की सोच को ठीक से लागू करने में असफल रहे। भारत सरकार अपना पूरा ध्यान देश को आत्मनिर्भर बनाने में केन्द्रित कर चुकी है, खासतौर से कोविड-19 के पहले से ही सरकार का इरादा ‘मेक इन इंडिया’ के रूप में दिखाई दे रहा था। कोविड-19 के कारण आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और अधिक महसूस की जा रही है, जिससे अब सरकार के प्रयासों में और तेजी आएगी।

प्रो. सिंह ने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पांच स्तंभों को मजबूत करना होगा, ये हैं- अर्थव्यवस्था, मजबूत अधोसंरचना, तकनीक आधारित व्यवस्था, मांग और डेमोग्राफी प्रबंधन। नए आविष्कारों और नवोन्मेष विकास के आत्मनिर्भरता के इंजन को बूस्ट करने के लिए आवश्यक है। देश में उपलब्ध पर्याप्त मानव संसाधन में शिक्षा एवं  कौशल उन्नयन किया जाकर आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। 

उन्होंने कहा कि देश के पड़ोसी देशों से जिस तरह की वर्तमान चुनौतियां सामने हैं उनको देखते हुए भी भारत को आत्मनिर्भरता होने की आवश्यक है। प्रो. सिंह ने कहा कि हाल ही में वित्त मंत्रालय द्वारा घोषित की गई किए गए आर्थिक पैकेज से आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारत के आत्मनिर्भरता अभियान को सफल करने के लिए अच्छी नीति बनाने के साथ ही उसका क्रियान्वयन भी आवश्यक है। पहले भी कई अच्छी योजनाएं और अभियान क्रियान्वयन के अभाव में सफल नहीं हो सके। इसके लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के साथ समन्वयक योजनाओं का क्रियान्वयन कराना होगा। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भ्रष्टाचार का उन्मूलन और ब्यूरोक्रेसी के दखल को रोका जाना चाहिए।

आज ‘कोविड-19 की चुनौतियां और मीडिया’ विषय पर चर्चा :

‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ अंतर्गत आखिरी दिन 6 जून को शाम 4:00 बजे रिलायंस कम्युनिकेशंस के प्रेसिडेंट एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश उपाध्याय ‘कोविड-19 की चुनौतियां और मीडिया’ विषय पर अपने विचार रखेंगे। उनका व्याख्यान भी विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर लाइव रहेगा।

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पर्यावरण दिवस पर किया गया पौधारोपण :

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कुलपति प्रो. संजय द्विवेदी ने विश्वविद्यालय परिसर में पौधारोपण किया। इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी सहित विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों एवं शिक्षकों ने भी पौधारोपण किया।

भारत में है आत्मनिर्भर बनने की क्षमता भ्रष्टाचार का उन्मूलन और ब्यूरोक्रेसी के दखल को रोकना होगा स्वाबलंबी भारत के लिए शोध और विकास के साथ ही आंतरिक ढांचे को मजबूत करना आवश्यक माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत इंडियन स्कूल ऑफ़ बिजनेस, मोहाली के प्रो. सिद्धार्थ शेखर सिंह ने ‘आत्मनिर्भर भारत’…

कम्युनिटी रेडियो में है मिट्टी की खुशबू

कम्युनिटी रेडियो में है मिट्टी की खुशबू

रेडियो के क्षेत्र में करियर की अपार संभावनाएं

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह के अंतर्गत बीबीसी मीडिया एक्शन की पत्रकार सुश्री शेफाली चतुर्वेदी ने बदलती दुनिया में रेडियो विषय पर रखे विचार, 5 जून को इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, मोहाली के प्राध्यापक श्री सिद्धार्थ शेखर सिंह आत्मनिर्भर भारत विषय पर करेंगे फेसबुक लाइव चर्चा

भोपाल, 04 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत बीबीसी मीडिया एक्शन की पत्रकार सुश्री शेफाली चतुर्वेदी ने पत्रकारिता विद्यार्थियों से कहा कि यदि आप रेडियो की फील्ड में आना चाहते हैं तो यहाँ अनेक अवसर हैं। हम सिर्फ यह न सोचें कि यहाँ सिर्फ रेडियो जॉकी ही बनते हैं। आप रेडियो में साउंड इंजीनियर, प्रोग्राम प्रोड्यूसर, संगीत प्रबंधक, ऑडियंस मैनेजर सहित अन्य भूमिकाओं में काम कर सकते हैं। इस क्षेत्र में आने के लिए हमें विभिन्न रेडियो एवं उनके विभिन्न कार्यक्रम सुनने चाहिए। इससे हमें रेडियो में नया करने की दिशा मिलेगी। रेडियो के क्षेत्र में करियर बनाने की अपार संभावनाएं हैं। 

            फेसबुक लाइव के दौरान ‘बदलती दुनिया में रेडियो’ विषय पर सुश्री चतुर्वेदी ने कहा कि जब हम बदलते युग में रेडियो की बात करते हैं तो हमें रेडियो से बदलाव की बात भी करनी चाहिए। आज देश में लगभग 261 कम्युनिटी रेडियो संचालित हो रहे हैं, जो लोकतांत्रिक ढंग से काम कर रहे हैं। सामुदायिक रेडियो के कार्यक्रमों में मिट्टी की खुशबू आती है। सामुदायिक रेडियो की ताकत है कि आप इसकी मदद से अंतिम व्यक्ति तक पहुँच सकते हैं। सामुदायिक रेडियो लोगों के मददगार बन गए हैं। बाढ़, भूकंप और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय सामुदायिक रेडियो ने जिस तरह लोगों की सहायता की है, उसे उन्होंने उदाहरण सहित बताया। उन्होंने कहा कि आपदाओं में रेडियो आपकी लाइफलाइन भी बन जाता है। सुश्री चतुर्वेदी ने कहा कि कश्मीरी पंडितों को उनकी संस्कृति से जोड़े रखने में इंटरनेट रेडियो और सामुदायिक रेडियो महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

            उन्होंने बताया कि भविष्य में रेडियो के कार्यक्रमों में बहुत बदलाव आना है। आप रेडियो पर हॉरर और साइंस फिक्शन भी सुन पाएंगे। भविष्य में रेडियो आपका अच्छा दोस्त बनेगा। मनोरंजन का यह साधन जल्द ही पढ़ाई का साधन भी बन सकता है। इस दिशा में कुछ प्रयास भी हुए हैं। उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन के कारण से अब रेडियो की पहुँच भी बढ़ गई है। आज की स्थिति में तो ऑल इंडियो रेडियो के अलावा इंटरनेट रेडियो, पॉडकास्ट रेडियो, एफएम और सामुदायिक रेडियो के रूप में रेडियो के विभिन्न रूप हमारे सामने उपलब्ध हैं।

            सुश्री चतुर्वेदी ने कहा कि रेडिया सुंदरता से श्रोता के दिमाग में शब्द चित्र निर्मित करता है। ऑडियो माध्यम की अपनी खूबसूरती है। यह माध्यम आपकी पसंद का दृश्य आपके दिमाग में गढऩे की स्वतंत्रता देता है।  

आत्मनिर्भर भारत पर चर्चा आज : 

‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ अंतर्गत 5 जून को शाम 4:00 बजे मोहाली से प्रो. सिद्धार्थ शेखर सिंह ‘आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर अपने विचार रखेंगे। प्रो. सिंह इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, मोहाली में प्राध्यापक हैं। उनका व्याख्यान भी विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर लाइव रहेगा।

विश्वविद्यालय फेसबुक पेज का लिंक – https://www.facebook.com/mcnujc91

कम्युनिटी रेडियो में है मिट्टी की खुशबू रेडियो के क्षेत्र में करियर की अपार संभावनाएं माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत बीबीसी मीडिया एक्शन की पत्रकार सुश्री शेफाली चतुर्वेदी ने ‘बदलती दुनिया में रेडियो’ विषय पर रखे विचार, 5 जून को इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, मोहाली के प्राध्यापक श्री सिद्धार्थ शेखर सिंह ‘आत्मनिर्भर…

आतंकवाद फैलाने का हथियार बना सोशल मीडिया : श्री विवेक अग्रवाल

आतंकवाद फैलाने का हथियार बना सोशल मीडिया : श्री विवेक अग्रवाल

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के आयोजन हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह के अंतर्गत वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर श्री विवेक अग्रवाल ने वैश्विक आतंकवाद और मीडिया विषय पर रखे विचार4 जून को बीबीसी की पत्रकार सुश्री शेफाली चतुर्वेदी बदलती दुनिया में रेडियो विषय पर करेंगी चर्चा

भोपाल, 3 जून 2020: प्रख्यात क्राइम रिपोर्टर श्री विवेक अग्रवाल ने कहा कि भाषायी पत्रकारिता आतंकवाद के खात्मे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा ‘वैश्विक आतंकवाद और मीडिया’ विषय पर आयोजित फेसबुक लाइव के दौरान श्री अग्रवाल ने कहा कि आतंकवाद की समस्या विश्व के हर कोने में है। केवल धरती ही नहीं, अब आतंकवाद जल क्षेत्रों में भी समुद्री लुटेरों के रूप में पहुंच कर आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। पूरे विश्व में उदार लोकतंत्र से लेकर कठोर साम्यवादी राष्ट्र जैसे चीन और रूस में भी आतंकवाद एक बड़ी समस्या है। खासतौर पर अमेरिका में हुई आतंकवादी हमले की घटना के बाद विश्व में आतंकवाद को गंभीर समस्या के रूप में स्वीकार कर लिया गया है।

श्री अग्रवाल ने कहा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तुलना में प्रिंट मीडिया आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ज्यादा प्रभावी और जवाबदारी से अपनी भूमिका निभाता नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया आतंकवाद को फैलाने का एक बड़ा हथियार बन गया है। इसलिए सोशल मीडिया पर उपलब्ध आतंकी साहित्य और उनकी गतिविधियों को तलाश कर उनके प्लेटफार्म को भी समाप्त किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत में सायबर आतंकवाद को खत्म करने के लिए तकनीकी रूप से और अधिक संसाधन जुटाए जाना जरूरी है इसके अलावा राज्य पुलिस को भी सायबर तकनीक में पारंगत करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया शिक्षित वर्ग को आतंकवाद से प्रभावित करने का सबसे बड़ा प्लेटफार्म बनता जा रहा है। मीडिया को इस बारे में भी सोचने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद से जुड़ी खबरों को प्रस्तुत करने में मीडिया कई बार आतंकवादियों के हाथों अनजाने में इस्तेमाल भी हो जाता हैं। इसके लिए जरूरी है कि मीडिया और संपादक और अधिक जिम्मेदारी से तय करें कि क्या दिखाया जाना है क्या नहीं।

मीडिया छात्रों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि केवल अनपढ़ और गरीब ही नहीं आतंकवाद में शिक्षित युवाओं को भी शामिल कराया जा रहा है। नशीले पदार्थ, सोने की तस्करी, नकली नोट का कारोबार, अपहरण, हफ्ता वसूली  जैसे अपराधिक गतिविधियों से ही आतंकवाद के लिये पैसा जुटाया जाता।

बदलती दुनिया में रेडियो पर चर्चा आज :

हिंदी पत्रकारिता सप्ताह के अंतर्गत 4 जून को शाम 4:00 बजे सुश्री शेफाली चतुर्वेदी ‘बदलती दुनिया में रेडियो’ पर चर्चा करेंगी। सुश्री चतुर्वेदी बीबीसी मीडिया से जुडी हैं। उनका व्याख्यान विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर लाइव रहेगा।

विश्वविद्यालय फेसबुक पेज का लिंक – https://www.facebook.com/mcnujc91

आतंकवाद फैलाने का हथियार बना सोशल मीडिया : श्री विवेक अग्रवाल माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के आयोजन ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर श्री विवेक अग्रवाल ने ‘वैश्विक आतंकवाद और मीडिया’ विषय पर रखे विचार, 4 जून को बीबीसी की पत्रकार सुश्री शेफाली चतुर्वेदी ‘बदलती दुनिया में रेडियो’ विषय पर करेंगी चर्चा भोपाल, 3 जून…